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ब्लॉग संख्या :-458
भावों के मोती
विषय- कारगिल विजय/ विजय दिवस
_____________________
कारगिल के विजय दिवस पर
आओ शहीदों का सम्मान करें
शहीद हुए जो वतन पर अपने
उनको आओ नमन करें
मातृभूमि के वीर जवान थे
जो कारगिल युद्ध में विजय हुए
उनके साहस के आगे
दुश्मनों ने भी घुटने टेक दिए
गोली,बम,धमाकों की आवाज़ से
कारगिल की चोटी गूँज उठी
वीरों के लहु से लहुलुहान हो
भारत माता सिसक उठी
वीर अड़े रहे और लड़ते रहे
पाकिस्तान को हराकर रुके
दुश्मनों को मार गिराया
अपनी फतह का जश्न मनाया
कई घरों के चिराग बुझ गए
मंगलसूत्र टूटकर बिखर गए
बहनें हाथ में राखी ले सिसकीं
बच्चों से पिता की गोद छिनी
फिर भी हौसला किसी का न छूटा
हर वीर शेर बन दुश्मन पर टूटा
एक-एक ने दस-दस को मारा
एक नया इतिहास रचा
कारगिल की चोटी पर फिर से अपना
फहराया तिरंगा प्यारा
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित
विषय- कारगिल विजय/ विजय दिवस
_____________________
कारगिल के विजय दिवस पर
आओ शहीदों का सम्मान करें
शहीद हुए जो वतन पर अपने
उनको आओ नमन करें
मातृभूमि के वीर जवान थे
जो कारगिल युद्ध में विजय हुए
उनके साहस के आगे
दुश्मनों ने भी घुटने टेक दिए
गोली,बम,धमाकों की आवाज़ से
कारगिल की चोटी गूँज उठी
वीरों के लहु से लहुलुहान हो
भारत माता सिसक उठी
वीर अड़े रहे और लड़ते रहे
पाकिस्तान को हराकर रुके
दुश्मनों को मार गिराया
अपनी फतह का जश्न मनाया
कई घरों के चिराग बुझ गए
मंगलसूत्र टूटकर बिखर गए
बहनें हाथ में राखी ले सिसकीं
बच्चों से पिता की गोद छिनी
फिर भी हौसला किसी का न छूटा
हर वीर शेर बन दुश्मन पर टूटा
एक-एक ने दस-दस को मारा
एक नया इतिहास रचा
कारगिल की चोटी पर फिर से अपना
फहराया तिरंगा प्यारा
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित
प्रथम प्रस्तुति
कारगिल युद्ध में मारे गये शहीदों को नमन करते हुए कुछ पंक्तियाँ सादर
दुश्मन न समझे कमजोर
बाजुओं में बहुत है जोर ।।
समय समय पर दुश्मन को
जवाब मिला इसका पुरजोर ।।
हरकत से पर बाज़ न आए
हर हर बार करे वह शोर ।।
सीमा पर घुसपैठ करे वह
जैसे हो कोई काला चोर ।।
इज्जत अपनी गवां बैठा
आतंकियों का बना है ठौर ।।
सदा रखे नापाक इरादा
पाक कहे वो किस बतौर ।।
फ़रेब से दामन लबालब है
सच का हुआ कभी न भोर ।।
ऐसे नापाकी को लज्जित
करने को लब्ज़ न और ।।
सदा विजय सच की 'शिवम'
इतनी बात पर करे न गौर ।।
कौन पढ़ाये कौन सिखाये
विश्व में हिन्द यूँ न सिरमौर ।।
🇮🇳जय हिन्द🇮🇳
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
कारगिल युद्ध में मारे गये शहीदों को नमन करते हुए कुछ पंक्तियाँ सादर
दुश्मन न समझे कमजोर
बाजुओं में बहुत है जोर ।।
समय समय पर दुश्मन को
जवाब मिला इसका पुरजोर ।।
हरकत से पर बाज़ न आए
हर हर बार करे वह शोर ।।
सीमा पर घुसपैठ करे वह
जैसे हो कोई काला चोर ।।
इज्जत अपनी गवां बैठा
आतंकियों का बना है ठौर ।।
सदा रखे नापाक इरादा
पाक कहे वो किस बतौर ।।
फ़रेब से दामन लबालब है
सच का हुआ कभी न भोर ।।
ऐसे नापाकी को लज्जित
करने को लब्ज़ न और ।।
सदा विजय सच की 'शिवम'
इतनी बात पर करे न गौर ।।
कौन पढ़ाये कौन सिखाये
विश्व में हिन्द यूँ न सिरमौर ।।
🇮🇳जय हिन्द🇮🇳
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
कारगिल विजय,विजय दिवस
विधा कविता
26 जुलाई 2019,शुक्रवार
नमन शहीदों आज आपको
विजय दिवस पावन अवसर पर।
सुख शांति आनंद हो वर्षा
किया निशदिन प्रयास भरस्कर।
षडयंत्र रचा था नापाक ने
मुँह की खाई थी कारगिल में।
वीर पराक्रमी शूर वीरों ने
घुसा दिया था उनको बिल में।
भारत माता के आंचल को
लहूलुहान किया था पाक ने।
गोले दाग रही तोप रिपु दल
मिला दिया था पाक खाक में।
कारगिल की ऊंची चोटी पर
विजय तिरंगा फहराया था।
अटल बिहारी ने श्री मुख से
संसद में गुणगान गाया था।
जय हिंद था जय हिंद है
जय हिंद रहे नित भारत।
राष्ट्रभावना जन मन में हो
शेष कभी न रहे सर्वार्थ।
अठारह हजार फीट ऊंचाई
हिमशिला पर युद्ध लड़ा था।
कारगिल 20 विजय श्री पा
देश ,सैनिकों संग खड़ा था।
अश्रुपूरित भावभीनी सृधांजली
शहादत को शहीदों नमन है।
कविकुल कहते भावमय मोती
आज वतन सुखमय अमन है।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विधा कविता
26 जुलाई 2019,शुक्रवार
नमन शहीदों आज आपको
विजय दिवस पावन अवसर पर।
सुख शांति आनंद हो वर्षा
किया निशदिन प्रयास भरस्कर।
षडयंत्र रचा था नापाक ने
मुँह की खाई थी कारगिल में।
वीर पराक्रमी शूर वीरों ने
घुसा दिया था उनको बिल में।
भारत माता के आंचल को
लहूलुहान किया था पाक ने।
गोले दाग रही तोप रिपु दल
मिला दिया था पाक खाक में।
कारगिल की ऊंची चोटी पर
विजय तिरंगा फहराया था।
अटल बिहारी ने श्री मुख से
संसद में गुणगान गाया था।
जय हिंद था जय हिंद है
जय हिंद रहे नित भारत।
राष्ट्रभावना जन मन में हो
शेष कभी न रहे सर्वार्थ।
अठारह हजार फीट ऊंचाई
हिमशिला पर युद्ध लड़ा था।
कारगिल 20 विजय श्री पा
देश ,सैनिकों संग खड़ा था।
अश्रुपूरित भावभीनी सृधांजली
शहादत को शहीदों नमन है।
कविकुल कहते भावमय मोती
आज वतन सुखमय अमन है।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
दिनांक .. 26/7/2019
विषय .. कारगिल विजय/ विजय दिवस
*******************************
खींचा लेना रक्त चन्दन, मध्य मस्तक केंन्द्र पर ।
लालिमा भर लेना अपने, श्वेत नेत्रम् चन्द्र पर ॥
**
खींच लेना उस जिव्हृा को, बोले जो अपशब्द पर।
मातृ- गौरव छिन्न ना हो, याद रखना तुम मगर॥
**
धर- पकड, उसको पटक कर, छाती पे चढ जाना पर।
शीश कटने से प्रथम, मरना तू उसको मार कर ॥
**
कारगिल के युद्ध सा, विजयी रहे हर बार तुम।
भारतीय गौरव के रक्षक, चूमे आसमान तुम॥
**
वीर गौरव से भरा, इतिहास भारत भूमि का ।
मार कर मरते है जो, गर्वित है हम उन वीर का॥
**
चीर कर उसके हृदय के, रक्त से धोना धरा।
मर के भी ना गिरने देना, शेर भारत का ध्वँजा॥
**
मान तुम, सम्मान तुम हो, देश के अभिमान पर।
हम ऋणी है, तेरा जीवन देश के सम्मान पर॥
शेर सिंह सर्राफ
विषय .. कारगिल विजय/ विजय दिवस
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खींचा लेना रक्त चन्दन, मध्य मस्तक केंन्द्र पर ।
लालिमा भर लेना अपने, श्वेत नेत्रम् चन्द्र पर ॥
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खींच लेना उस जिव्हृा को, बोले जो अपशब्द पर।
मातृ- गौरव छिन्न ना हो, याद रखना तुम मगर॥
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धर- पकड, उसको पटक कर, छाती पे चढ जाना पर।
शीश कटने से प्रथम, मरना तू उसको मार कर ॥
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कारगिल के युद्ध सा, विजयी रहे हर बार तुम।
भारतीय गौरव के रक्षक, चूमे आसमान तुम॥
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वीर गौरव से भरा, इतिहास भारत भूमि का ।
मार कर मरते है जो, गर्वित है हम उन वीर का॥
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चीर कर उसके हृदय के, रक्त से धोना धरा।
मर के भी ना गिरने देना, शेर भारत का ध्वँजा॥
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मान तुम, सम्मान तुम हो, देश के अभिमान पर।
हम ऋणी है, तेरा जीवन देश के सम्मान पर॥
शेर सिंह सर्राफ
भावों के मोती
विषय- कारगिल विजय दिवस
विधा- माहिया छंद
26/7/2019
है सेना कल्याणी
तमगे वर्दी के
बोले हित की वाणी 1
मांँ लिखती है पाती
बेटा सरहद पे
अनमोल बहुत थाती 2
है जन गण मन गाया
भारत जीता है
अरिदल मातम छाया 3
राखी भेजे बहना
वीर हुआ छलनी
रो के गम को सहना 4
सावन कैसे बीता
पी का साथ नहीं
सारा जीवन रीता 5
चौड़ी होती छाती
कंधा पापा का
अर्थी सुत की जाती 6
शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
विषय- कारगिल विजय दिवस
विधा- माहिया छंद
26/7/2019
है सेना कल्याणी
तमगे वर्दी के
बोले हित की वाणी 1
मांँ लिखती है पाती
बेटा सरहद पे
अनमोल बहुत थाती 2
है जन गण मन गाया
भारत जीता है
अरिदल मातम छाया 3
राखी भेजे बहना
वीर हुआ छलनी
रो के गम को सहना 4
सावन कैसे बीता
पी का साथ नहीं
सारा जीवन रीता 5
चौड़ी होती छाती
कंधा पापा का
अर्थी सुत की जाती 6
शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
26/7/20 19
कारगिल युद्ध
नमन मंच।
नमस्कार गुरुजनों, मित्रों।
हाइकु लेखन
1
इस युद्ध में
शहीद जो जवान
वे थे महान
2
पाकिस्तान को
कारगिल युद्ध से
मिला सबक
3
वे जो शहीद
कारगिल युद्ध में
उन्हें नमन
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
कारगिल युद्ध
नमन मंच।
नमस्कार गुरुजनों, मित्रों।
हाइकु लेखन
1
इस युद्ध में
शहीद जो जवान
वे थे महान
2
पाकिस्तान को
कारगिल युद्ध से
मिला सबक
3
वे जो शहीद
कारगिल युद्ध में
उन्हें नमन
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
नमन-भावो के मोती
दिनांक26/07/2019
विषय-कारगिल विजय
मैं अब चुप नहीं बैठूंगा गुलामी के महफिलों में
आज आशिकों का जमघट होगा कारगिल के गुलशनो मे।
पाकिस्तान के शैतानी किलो को मैं आग लगा दूंगा
जो जुबां से कहता था ,वह अब करके दिखा दूंगा।
चले समीर सुहावन ,जब समय रहे अनुकूल
यौवन मद मस्तर में काटो, कुर्बानी निश्चय ही होगी
भारत तेरी शौर्य गाथाएं गाएगा ,तेरे चरणों की धूल
नश्वर देह मिले माटी में, होकर जड नष्ट समूल
जब आंखों में लगे तीर ,मिले गले में जब-जब शमशीर।
मौत रखी हुई है मेरे आगे, मुझे दिखे भारत मां की तस्वीर।
हे मातृभूमि तेरा.......
प्रत्येक भक्त तेरा सुख -शांति कांतिमय हो
संसार के हृदय में कारगिल विजय की तेरी प्रभा उदय हो।
वक्त -ए -रुखसत इतना आए, हम जुबां से कहकर
गोद में अश्क जो टपके ,वतन के रूह से बहकर।
किस्मत को आजमाया क्रांति के उसूलों पर
मातृभूमि को बलिदान चढ़ाया ,दासता के शूलों पर।
ना किसी से रंज रखा ,ना कभी जेहन में गम रखा
हुकूमत की परवाह नहीं की, अपने जज्बों में वो दम रखा
आजादी की वादी में, क्रांतिकारी कदम रखा
क्रांति के चिराग जलाए, मरते दम रखा
पाक हुकूमत के जुल्मों -सितम को,
अपने दिलों में हरदम रखा
आजाद हिंद कराने का वह जिगर रखा
क्रांति की ज्वाला बहती, लहू नस-नस में
बैठने को तैयार था चिताओं पर
वतन पर कुर्बान होने का जज्बा -ए-फिकर रखा।
नहीं है मलाल मुझे अपने मर जाने का
मुंतज़िर रहेंगे सुपुर्दे खाक में मिल जाने का
खुश रहो अहले वतन
जिंदगी में हमने ऐसा कठिन सफर रखा
कुए -ए -यार मे खाक हो जाने का ऐसा
दिल-ए-नादान,इंसान देखा
शहिदों की सांसे तड़प देखा
फांसी पर झूलते काबिले -ए -जवान देखा
खुशी से झूम उठा मैं जब ,जेल महबूब -ए -दीदार देखा
यह कहकर बसर की उम्र हमने,
कैद- ए -उल्फत में जंजीरें तीजार देखा
लंबे दम तक न खोली जालिमों ने हथकड़ी
खड़ी है मुझको आगोशो में लेने के लिए
बेताब आजाद-ए-हिन्द की पंखुड़ी
अंतिम पंक्तियां उद्भूत हैं
कभी ना लौ लड़खड़ायेगी की मेरे मजार की
मिल कर सब कहेंगे...
जरूर एक कब्र है कारगिल विजय के बेकरार की,..
शहीदों के बेकरार की
कूएं -ए-यार का अर्थ अपनी मातृभूमि
सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज
दिनांक26/07/2019
विषय-कारगिल विजय
मैं अब चुप नहीं बैठूंगा गुलामी के महफिलों में
आज आशिकों का जमघट होगा कारगिल के गुलशनो मे।
पाकिस्तान के शैतानी किलो को मैं आग लगा दूंगा
जो जुबां से कहता था ,वह अब करके दिखा दूंगा।
चले समीर सुहावन ,जब समय रहे अनुकूल
यौवन मद मस्तर में काटो, कुर्बानी निश्चय ही होगी
भारत तेरी शौर्य गाथाएं गाएगा ,तेरे चरणों की धूल
नश्वर देह मिले माटी में, होकर जड नष्ट समूल
जब आंखों में लगे तीर ,मिले गले में जब-जब शमशीर।
मौत रखी हुई है मेरे आगे, मुझे दिखे भारत मां की तस्वीर।
हे मातृभूमि तेरा.......
प्रत्येक भक्त तेरा सुख -शांति कांतिमय हो
संसार के हृदय में कारगिल विजय की तेरी प्रभा उदय हो।
वक्त -ए -रुखसत इतना आए, हम जुबां से कहकर
गोद में अश्क जो टपके ,वतन के रूह से बहकर।
किस्मत को आजमाया क्रांति के उसूलों पर
मातृभूमि को बलिदान चढ़ाया ,दासता के शूलों पर।
ना किसी से रंज रखा ,ना कभी जेहन में गम रखा
हुकूमत की परवाह नहीं की, अपने जज्बों में वो दम रखा
आजादी की वादी में, क्रांतिकारी कदम रखा
क्रांति के चिराग जलाए, मरते दम रखा
पाक हुकूमत के जुल्मों -सितम को,
अपने दिलों में हरदम रखा
आजाद हिंद कराने का वह जिगर रखा
क्रांति की ज्वाला बहती, लहू नस-नस में
बैठने को तैयार था चिताओं पर
वतन पर कुर्बान होने का जज्बा -ए-फिकर रखा।
नहीं है मलाल मुझे अपने मर जाने का
मुंतज़िर रहेंगे सुपुर्दे खाक में मिल जाने का
खुश रहो अहले वतन
जिंदगी में हमने ऐसा कठिन सफर रखा
कुए -ए -यार मे खाक हो जाने का ऐसा
दिल-ए-नादान,इंसान देखा
शहिदों की सांसे तड़प देखा
फांसी पर झूलते काबिले -ए -जवान देखा
खुशी से झूम उठा मैं जब ,जेल महबूब -ए -दीदार देखा
यह कहकर बसर की उम्र हमने,
कैद- ए -उल्फत में जंजीरें तीजार देखा
लंबे दम तक न खोली जालिमों ने हथकड़ी
खड़ी है मुझको आगोशो में लेने के लिए
बेताब आजाद-ए-हिन्द की पंखुड़ी
अंतिम पंक्तियां उद्भूत हैं
कभी ना लौ लड़खड़ायेगी की मेरे मजार की
मिल कर सब कहेंगे...
जरूर एक कब्र है कारगिल विजय के बेकरार की,..
शहीदों के बेकरार की
कूएं -ए-यार का अर्थ अपनी मातृभूमि
सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज
शीर्षक-कारगिल विजय/ विजय दिवस
🇮🇳🌹🇮🇳🌹 🇮🇳🌹 🇮🇳
नई दुल्हन को सुहाग सेज पर छोड़कर
वो वीर युद्ध पर चला गया
हाथों की मेंहदी भी न छूटी थी
देश हित में निज प्राण प्रिया को रुला गया
क्या बीती होगी उस माँ पर
जब अर्थी आयी होगी आंगन में
सीना छलनी हुआ होगा
फख्र भी हुआ होगा कि कमी न छोड़ी सुपुत्र के लालन पालन में
कैसे कोई गाथा लिखे इन वीर शहीद जवानों की
कलम छोटी पड़ जाती है हर भाषा और ज़ुबानों की
नहीं टूटा उनका हौसला पर्वत चीर दिए थे निज नाखूनों से
पर्वत पर दुश्मन झाँक रहे थे बुजदिल बच न पाए भारत देश के वीर जवानों से
वीर बांकुरों ने जब ललकारा हुंकार भरी शिव के तांडव सी
शेरों ने मार भगाया दुश्मन को भागी वो फौजें चकित बकरी सी
ऐसे वीर जवानों के शव के दर्शन तीरथ सम होते हैं
नमन उन शहीदों के आलय को जो शिवालय समान ही होते हैं
सन उन्नीस सौ निन्यानवे छब्बीस जुलाई
विजय दिवस हम शान से आज मनाते हैं
उन वीरों की कुर्बानी को याद करके
जन जन के मन भावुक हो जाते हैं
कारगिल विजय दिवस पर गर्वित होते हैं हम सभी भारतवासी
नापाक दुश्मनों को देते चेतावनी
वतन पर आँच न आने देंगे हम जरा सीI
*वंदना सोलंकी©️स्वरचित
🇮🇳🌹🇮🇳🌹 🇮🇳🌹 🇮🇳
नई दुल्हन को सुहाग सेज पर छोड़कर
वो वीर युद्ध पर चला गया
हाथों की मेंहदी भी न छूटी थी
देश हित में निज प्राण प्रिया को रुला गया
क्या बीती होगी उस माँ पर
जब अर्थी आयी होगी आंगन में
सीना छलनी हुआ होगा
फख्र भी हुआ होगा कि कमी न छोड़ी सुपुत्र के लालन पालन में
कैसे कोई गाथा लिखे इन वीर शहीद जवानों की
कलम छोटी पड़ जाती है हर भाषा और ज़ुबानों की
नहीं टूटा उनका हौसला पर्वत चीर दिए थे निज नाखूनों से
पर्वत पर दुश्मन झाँक रहे थे बुजदिल बच न पाए भारत देश के वीर जवानों से
वीर बांकुरों ने जब ललकारा हुंकार भरी शिव के तांडव सी
शेरों ने मार भगाया दुश्मन को भागी वो फौजें चकित बकरी सी
ऐसे वीर जवानों के शव के दर्शन तीरथ सम होते हैं
नमन उन शहीदों के आलय को जो शिवालय समान ही होते हैं
सन उन्नीस सौ निन्यानवे छब्बीस जुलाई
विजय दिवस हम शान से आज मनाते हैं
उन वीरों की कुर्बानी को याद करके
जन जन के मन भावुक हो जाते हैं
कारगिल विजय दिवस पर गर्वित होते हैं हम सभी भारतवासी
नापाक दुश्मनों को देते चेतावनी
वतन पर आँच न आने देंगे हम जरा सीI
*वंदना सोलंकी©️स्वरचित
कारगिल युद्ध,
बड़ी विपरीत परिस्थितियां,
छिपे दुश्मन,
दूभर था उन्हें ढूढ़ना,
वो दनादन गोलियां
बरसा रहा था,
फिर भी हमारे जवान,
भारत की मिट्टी की
शान,
उच्च मनोबल के धनी,
उनकी बंदूखें तनी,
दुश्मन का सीना चाक,
मैदान साफ़,
देखिये कितनी आसानी
से कागज पे हमने
कारगिल जीत लिया,
लेकिन उन बचे जवानों
से पूँछिये,
क्या कुछ वहां नही
हुआ,
पल पल मौत उन्हें
चूम रही थी,
बगल के साथी
शहीद हो रहे थे,
अजब मंजर था,
सर पे मौत का ख़ंजर था,
आगे बढ़ना था,
दुश्मन की छाती पे
चढ़ना था,
और अंततः
दुश्मन भागे,
बाकी मारे गये,
पूर्ण हुआ फ़तेह
अभियान,
ऊँची रही तिरंगे की
शान,
हाँ हमारे भी कई
जवान तिरंगे में
लिपट कर आये,
माओं नें खोये
अपने लाल,
बच्चियों नें बाप,
पत्नियों ने पति,
और धरती माँ ने
वीर सपूत,
धन्य है वो माँ
जिसने तुम्हें जना,
अमर रहो तुम
तुमने देश सेवा
चुना,
देश हित आत्मोत्सर्ग
सर्वोच्च है,
तेरी कीर्ति सूर्य से
भी उच्च है,
तेरा नमन,
बंदन,
पुष्पांजलि।।
भावुक
बड़ी विपरीत परिस्थितियां,
छिपे दुश्मन,
दूभर था उन्हें ढूढ़ना,
वो दनादन गोलियां
बरसा रहा था,
फिर भी हमारे जवान,
भारत की मिट्टी की
शान,
उच्च मनोबल के धनी,
उनकी बंदूखें तनी,
दुश्मन का सीना चाक,
मैदान साफ़,
देखिये कितनी आसानी
से कागज पे हमने
कारगिल जीत लिया,
लेकिन उन बचे जवानों
से पूँछिये,
क्या कुछ वहां नही
हुआ,
पल पल मौत उन्हें
चूम रही थी,
बगल के साथी
शहीद हो रहे थे,
अजब मंजर था,
सर पे मौत का ख़ंजर था,
आगे बढ़ना था,
दुश्मन की छाती पे
चढ़ना था,
और अंततः
दुश्मन भागे,
बाकी मारे गये,
पूर्ण हुआ फ़तेह
अभियान,
ऊँची रही तिरंगे की
शान,
हाँ हमारे भी कई
जवान तिरंगे में
लिपट कर आये,
माओं नें खोये
अपने लाल,
बच्चियों नें बाप,
पत्नियों ने पति,
और धरती माँ ने
वीर सपूत,
धन्य है वो माँ
जिसने तुम्हें जना,
अमर रहो तुम
तुमने देश सेवा
चुना,
देश हित आत्मोत्सर्ग
सर्वोच्च है,
तेरी कीर्ति सूर्य से
भी उच्च है,
तेरा नमन,
बंदन,
पुष्पांजलि।।
भावुक
विषय- कारगिल विजय / विजय दिवस
सादर मंच को समर्पित --
🌷🇮🇳☀️ दोहा गज़ल ☀️🇮🇳🌷
*******************************
🇮🇳🌹 विजय दिवस 🌹🇮🇳
🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻
कारगिल विजय में हुए , अमर शहीद जवान ।
मातृभूमि पर कर गये , जीवन का बलिदान ।।
दुश्मन को ललकारते , हर मौसम में जूझ ,
सीमा पर चौकस रखें , वीर सपूत निशान ।
लिपट तिरंगे शान से , लेत सलामी वीर ,
धन्य-धन्य वह मात हैं , जनतीं शूर महान ।
व्यर्थ नहीं जाता कभी , वीर शहीदी रक्त ,
भारत माँ के गर्व की , यह सच्ची पहचान ।
देश समूचा साथ है , बढ़े चलें रणधीर ।
विजय दिवस पर नत सभी , प्यारा हिन्दुस्तान ।।
🌺🌻🇮🇳🇮🇳🇮🇳🌻🌺
🌹☀️**....रवीन्द्र वर्मा आगरा
सादर मंच को समर्पित --
🌷🇮🇳☀️ दोहा गज़ल ☀️🇮🇳🌷
*******************************
🇮🇳🌹 विजय दिवस 🌹🇮🇳
🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻
कारगिल विजय में हुए , अमर शहीद जवान ।
मातृभूमि पर कर गये , जीवन का बलिदान ।।
दुश्मन को ललकारते , हर मौसम में जूझ ,
सीमा पर चौकस रखें , वीर सपूत निशान ।
लिपट तिरंगे शान से , लेत सलामी वीर ,
धन्य-धन्य वह मात हैं , जनतीं शूर महान ।
व्यर्थ नहीं जाता कभी , वीर शहीदी रक्त ,
भारत माँ के गर्व की , यह सच्ची पहचान ।
देश समूचा साथ है , बढ़े चलें रणधीर ।
विजय दिवस पर नत सभी , प्यारा हिन्दुस्तान ।।
🌺🌻🇮🇳🇮🇳🇮🇳🌻🌺
🌹☀️**....रवीन्द्र वर्मा आगरा
भावों के मोती
कारगिल विजय दिवस
पाक के नापाक इरादों के कारण ही
कारगिल युद्ध छिड़ा घनघोर।
हरकतें सारी उसकी नाकाम हुई
दुम दबाकर भागा चोर।।
सारे विश्व में भारत के वीरों का
'वाह' 'वाह' का मच गया शोर।
लज्जित हो पाक छुप गया बिल में
थू-थू जब हो गयी चहुंओर।।
स्वरचित
निलम अग्रवाल, खड़कपुर
कारगिल विजय दिवस
पाक के नापाक इरादों के कारण ही
कारगिल युद्ध छिड़ा घनघोर।
हरकतें सारी उसकी नाकाम हुई
दुम दबाकर भागा चोर।।
सारे विश्व में भारत के वीरों का
'वाह' 'वाह' का मच गया शोर।
लज्जित हो पाक छुप गया बिल में
थू-थू जब हो गयी चहुंओर।।
स्वरचित
निलम अग्रवाल, खड़कपुर
विजय-पथ(कारगिल विजय)
मेरा पथ है विजय पथ
और राहें मैं जानता नहीं
राहें दुर्गम दुश्मन छुपा
नामुमकिन मैं मानता नहीं।
दूर चोटियां मेरा लक्ष्य
भेद दूंगा दुश्मन की काया
मातृभूमि के लिए है जीवन
मेरी मां ने यही बताया,
अपनें मन को मोह-माया में
ऐ जीवन! तुझको बांधता नहीं।
ये जीवन है इसी धरा का
जिस पर दुश्मन घात कर रहा
फिर आऊंगा रूप बदल के
ये तन रहा, या न रहा,
मेरा लक्ष्य अचूक रहेगा
ये दुश्मन शायद जानता नहीं।
मेरा पथ है विजय-पथ
और राहें मैं जानता नहीं।
श्रीलाल जोशी "श्री"
तेजरासर, बीकानेर.
मेरा पथ है विजय पथ
और राहें मैं जानता नहीं
राहें दुर्गम दुश्मन छुपा
नामुमकिन मैं मानता नहीं।
दूर चोटियां मेरा लक्ष्य
भेद दूंगा दुश्मन की काया
मातृभूमि के लिए है जीवन
मेरी मां ने यही बताया,
अपनें मन को मोह-माया में
ऐ जीवन! तुझको बांधता नहीं।
ये जीवन है इसी धरा का
जिस पर दुश्मन घात कर रहा
फिर आऊंगा रूप बदल के
ये तन रहा, या न रहा,
मेरा लक्ष्य अचूक रहेगा
ये दुश्मन शायद जानता नहीं।
मेरा पथ है विजय-पथ
और राहें मैं जानता नहीं।
श्रीलाल जोशी "श्री"
तेजरासर, बीकानेर.
भावों के मोती
26/07/19
विषय-कारगिल विजय दिवस
कारगिल विजय दिवस पर वीर सैनिकों के नाम भावांजलि
वीर ! देश के गौरव हो तुम
माटी की शान तुम ,
भूमि का अभिमान तुम
देश की आन तुम,
राह के वितान तुम।
हो शान देश की
धीर तुम गम्भीर तुम।
राहें विकट,हौसले बुलंद थे,
चीरते सागर का सीना
पांव पर्वतों पर थे,
आंधी तुम तूफान तुम
राष्ट्र की पतवार तुम।
हो शान देश की
मशाल तुम ,मिशाल तुम।
भाल को उन्नत रखा
हाथ में बारूद था,
बन के आत्माभिमानी
शीश दुश्मनों का काटा,
विजय पर लक्ष्य था ।
हो शान देश की
मान तुम गुमान तुम ।
मास दो लड़ते रहे
सीमा की ढाल तुम,
जान हाथों में रख
बने महान कर्मकर,
अर्जुन तुम कृष्ण तुम ।
हो शान देश की
विशाल तुम उन्नत भाल तुम ।
स्वरचित
कुसुम कोठारी ।
26/07/19
विषय-कारगिल विजय दिवस
कारगिल विजय दिवस पर वीर सैनिकों के नाम भावांजलि
वीर ! देश के गौरव हो तुम
माटी की शान तुम ,
भूमि का अभिमान तुम
देश की आन तुम,
राह के वितान तुम।
हो शान देश की
धीर तुम गम्भीर तुम।
राहें विकट,हौसले बुलंद थे,
चीरते सागर का सीना
पांव पर्वतों पर थे,
आंधी तुम तूफान तुम
राष्ट्र की पतवार तुम।
हो शान देश की
मशाल तुम ,मिशाल तुम।
भाल को उन्नत रखा
हाथ में बारूद था,
बन के आत्माभिमानी
शीश दुश्मनों का काटा,
विजय पर लक्ष्य था ।
हो शान देश की
मान तुम गुमान तुम ।
मास दो लड़ते रहे
सीमा की ढाल तुम,
जान हाथों में रख
बने महान कर्मकर,
अर्जुन तुम कृष्ण तुम ।
हो शान देश की
विशाल तुम उन्नत भाल तुम ।
स्वरचित
कुसुम कोठारी ।
नमन मंच भावों के मोती
26/7/2019/
बिषय,, कारगिल बिजय,,बिजय दिवस
हाथों में रची मेंहदी भी छूटी न
छूटी इसकी भी परवाह नहीं
माता के हाथों की रोटी
खाने की भी चाह नहीं
देश के लिए मर मिटेंगे
ऐसे वो दीवाने थे
हँसते हँसते शहीद हुए
ऐसे वो परवाने थे
कारगिल बिजय का मन में
दृढ़ संकल्प था
बिजय दिवस का आत्मविश्वास
प्रबल विकल्प था
दुश्मन के सामने झुके नहीं
रखा सदा भारत माँ का मान
तिरंगे में लिपटकर जब आए
ऊँचा कर निज देश का स्वाभमान
कारगिल बिजय की खुशियां
शताब्दीयों तक मनाई जाऐंगी
वहीं हमारे वीर सपूतों के
गौरव गीत माल चढ़ाई जाऐंगी
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
26/7/2019/
बिषय,, कारगिल बिजय,,बिजय दिवस
हाथों में रची मेंहदी भी छूटी न
छूटी इसकी भी परवाह नहीं
माता के हाथों की रोटी
खाने की भी चाह नहीं
देश के लिए मर मिटेंगे
ऐसे वो दीवाने थे
हँसते हँसते शहीद हुए
ऐसे वो परवाने थे
कारगिल बिजय का मन में
दृढ़ संकल्प था
बिजय दिवस का आत्मविश्वास
प्रबल विकल्प था
दुश्मन के सामने झुके नहीं
रखा सदा भारत माँ का मान
तिरंगे में लिपटकर जब आए
ऊँचा कर निज देश का स्वाभमान
कारगिल बिजय की खुशियां
शताब्दीयों तक मनाई जाऐंगी
वहीं हमारे वीर सपूतों के
गौरव गीत माल चढ़ाई जाऐंगी
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
दिनांक - 26/07/19
दिन - शुक्रवार
आज का आयोजन
"कारगिल विजय/विजय दिवस"
============================
" देश के वीर जवानों के नाम "
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
सभी दीवाली सभी होलियाँ और त्यौहार तमाम
नाम तुम्हारे मेरे जवानो,.. सभी तुम्हारे नाम।
----------------------------------------------------
सुबह की सैरें, दिन की रौनक,बाजारों की चहल पहल
स्कूलों में बच्चे पढ़ते ,....... और संवारें अपना कल
हर उत्सव की सारी रस्में ,सारे मंगल गान
नाम तुम्हारे मेरे जवानो सभी तुम्हारे नाम।
----------------------------
मीठी मीठी नींदें घर में, जब सीमा पर तुम हो
बड़े बड़े सपने हर उर में, जब सीमा पर तुम हो
वर्तमान और भविष्य की, हर एक प्रगति अविराम
नाम तुम्हारे मेरे जवानो,...... सभी तुम्हारे नाम।
---------------------------
तुम अंधियारों में भी अविचल ,देश तभी रोशन है
तुम हो, तभी देश में कायम, शांती और अमन है
खेतों की खिलती फ़सलें, घर में बनते पकवान
नाम तुम्हारे मेरे जवानो,.. सभी तुम्हारे नाम।
--------------------------
रहते तेरे मेरे देश को, नहीं किसी का भय है
तेरे ही दम पे भारत ने,.पायी सदा विजय है
देश का गौरव और अस्मिता और सारा अभिमान
नाम तुम्हारे मेरे जवानो,.. . सभी तुम्हारे नाम।
================================
"दिनेश प्रताप सिंह चौहान"
(स्वरचित)
एटा --यूपी
दिन - शुक्रवार
आज का आयोजन
"कारगिल विजय/विजय दिवस"
============================
" देश के वीर जवानों के नाम "
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
सभी दीवाली सभी होलियाँ और त्यौहार तमाम
नाम तुम्हारे मेरे जवानो,.. सभी तुम्हारे नाम।
----------------------------------------------------
सुबह की सैरें, दिन की रौनक,बाजारों की चहल पहल
स्कूलों में बच्चे पढ़ते ,....... और संवारें अपना कल
हर उत्सव की सारी रस्में ,सारे मंगल गान
नाम तुम्हारे मेरे जवानो सभी तुम्हारे नाम।
----------------------------
मीठी मीठी नींदें घर में, जब सीमा पर तुम हो
बड़े बड़े सपने हर उर में, जब सीमा पर तुम हो
वर्तमान और भविष्य की, हर एक प्रगति अविराम
नाम तुम्हारे मेरे जवानो,...... सभी तुम्हारे नाम।
---------------------------
तुम अंधियारों में भी अविचल ,देश तभी रोशन है
तुम हो, तभी देश में कायम, शांती और अमन है
खेतों की खिलती फ़सलें, घर में बनते पकवान
नाम तुम्हारे मेरे जवानो,.. सभी तुम्हारे नाम।
--------------------------
रहते तेरे मेरे देश को, नहीं किसी का भय है
तेरे ही दम पे भारत ने,.पायी सदा विजय है
देश का गौरव और अस्मिता और सारा अभिमान
नाम तुम्हारे मेरे जवानो,.. . सभी तुम्हारे नाम।
================================
"दिनेश प्रताप सिंह चौहान"
(स्वरचित)
एटा --यूपी
तिथिःः26/7/2019/शुक्रवार
बिषयःः #कारगिल/विजय दिवस#
विधाःः काव्यःः
विजय कारगिल दिवस मनाऐं।
तुम्हें वीर जवानों शीश झुकाऐं।
शतशत वंदन अभिनंदन सबका,
विजयी हैं विजय दिवस मनाऐं।
अमर जवान तुम पर गर्वित हम,
इस सरहद पर तुम सदा खडे।
अपनी मातृभूमि की रक्षा करने,
तुम सीना तानकर सदा लडे हो।
जय जय माता तुम वीर प्रसूता।
माँ तुमनें जन्मे सब वीर सपूता।
करते है प्रणाम करजोर तुम्हें हम,
माता तुम सारे जग की प्रणेता।
धन्यभाग्य वह सभी माता बहनें,
जिनके परिवार ऐसे लाल हुऐ हैं।
धन्य धन्य तुम शुभ भारतमाता
ये वीरमुकुट तेरे नौनिहाल हुऐ हैं।
कोई कोशिश नहीं नापाक करेगा।
न ऐसी हरकत कभी पाक करेगा।
गरजुर्रत कभी गलती से कर बैठा,
तो कभी नक्शे पर ये पाक रहेगा।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
1भा.#कारगिल /विजय दिवस#काव्यःः
26/7/2019/शुक्रवार
बिषयःः #कारगिल/विजय दिवस#
विधाःः काव्यःः
विजय कारगिल दिवस मनाऐं।
तुम्हें वीर जवानों शीश झुकाऐं।
शतशत वंदन अभिनंदन सबका,
विजयी हैं विजय दिवस मनाऐं।
अमर जवान तुम पर गर्वित हम,
इस सरहद पर तुम सदा खडे।
अपनी मातृभूमि की रक्षा करने,
तुम सीना तानकर सदा लडे हो।
जय जय माता तुम वीर प्रसूता।
माँ तुमनें जन्मे सब वीर सपूता।
करते है प्रणाम करजोर तुम्हें हम,
माता तुम सारे जग की प्रणेता।
धन्यभाग्य वह सभी माता बहनें,
जिनके परिवार ऐसे लाल हुऐ हैं।
धन्य धन्य तुम शुभ भारतमाता
ये वीरमुकुट तेरे नौनिहाल हुऐ हैं।
कोई कोशिश नहीं नापाक करेगा।
न ऐसी हरकत कभी पाक करेगा।
गरजुर्रत कभी गलती से कर बैठा,
तो कभी नक्शे पर ये पाक रहेगा।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
1भा.#कारगिल /विजय दिवस#काव्यःः
26/7/2019/शुक्रवार
नमन भावों के मोती
दिनांक :- 26/7/019
कारगिल युद्ध में शहीद हमारे वीरों को समर्पित मेरी यह रचना: -
* अमर *
काट कर कँटीली झाड़ी
राह सजा रही हूँ ,
भारत के अमर जवानों के पथ पर
फूल बिछा रही हूँ ।
स्वर्ण अक्षरों में लिखे हैं
तेरे अमिट नाम,
तेरी सहादत को करता है
देश सलाम
डबडबाई आँखों से
हे भारत के सपुत्र
तुझे शत्-शत् प्रणाम।
लौट कर आना फिर यहीं
आँखें बिछा रखीं हूँ ,
तेरी कुर्बानी के आगे
मैं मस्तक झूका रखीं हूँ।
जब भी ललकारें कोई दुश्मन
यूँही तुम अंगार बनो,
नोच कर आँखें गद्दारों का
तुम देश का स्वभिमान बनो ।
समर्पित कर लाखों दिया
दे रहा है देश आज तुझे सम्मान ,
हे माँ के विजयी लाल
चमको सदा तुम ध्रुव समान ।
स्वरचित : - मुन्नी कामत।
दिनांक :- 26/7/019
कारगिल युद्ध में शहीद हमारे वीरों को समर्पित मेरी यह रचना: -
* अमर *
काट कर कँटीली झाड़ी
राह सजा रही हूँ ,
भारत के अमर जवानों के पथ पर
फूल बिछा रही हूँ ।
स्वर्ण अक्षरों में लिखे हैं
तेरे अमिट नाम,
तेरी सहादत को करता है
देश सलाम
डबडबाई आँखों से
हे भारत के सपुत्र
तुझे शत्-शत् प्रणाम।
लौट कर आना फिर यहीं
आँखें बिछा रखीं हूँ ,
तेरी कुर्बानी के आगे
मैं मस्तक झूका रखीं हूँ।
जब भी ललकारें कोई दुश्मन
यूँही तुम अंगार बनो,
नोच कर आँखें गद्दारों का
तुम देश का स्वभिमान बनो ।
समर्पित कर लाखों दिया
दे रहा है देश आज तुझे सम्मान ,
हे माँ के विजयी लाल
चमको सदा तुम ध्रुव समान ।
स्वरचित : - मुन्नी कामत।
नमन
भावों के मोती
विषय-कारगिल विजय दिवस
२६/७/२०१९
कारगिल विजय दिवस
****************
नमन शहीदों को !
देश के सपूतों को !
वीर जवानों को !
उन शूरवीरों को ...
हार नहीं मानी थी,
मन में जो ठानी थी,
शत्रु को हराना है,
धूल उन्हें चटाना है।
आंच नहीं आने दी,
मातृभूमि के दीवानों ने,
प्राण अपने वार दिए,
विजय का हार लिए,
तिरंगे के मान रखा !
कारगिल पर पांव रखा !
देश की करके रक्षा,
पूरी कर ली अपनी इच्छा,
बहनों की नम आंखें हुईं,
मां-बाप की खुशियां खोईं,
पत्नियों के उजड़े सिंदूर,
बच्चों से हुए पिता दूर,
ग़म में भी खुशी छलकी!
विजय की मिली थी खुशी !
गर्व से दमकती भीगी आंखें,
वीर सपूतों को याद करके।
धन्य हैं वे माता-पिता..!
धन्य है हम भारतवासी..!
जो ऐसे वीर सपूतों को पाया,
जिन्होने वतन पर सर्वस्व लुटाया।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक।
भावों के मोती
विषय-कारगिल विजय दिवस
२६/७/२०१९
कारगिल विजय दिवस
****************
नमन शहीदों को !
देश के सपूतों को !
वीर जवानों को !
उन शूरवीरों को ...
हार नहीं मानी थी,
मन में जो ठानी थी,
शत्रु को हराना है,
धूल उन्हें चटाना है।
आंच नहीं आने दी,
मातृभूमि के दीवानों ने,
प्राण अपने वार दिए,
विजय का हार लिए,
तिरंगे के मान रखा !
कारगिल पर पांव रखा !
देश की करके रक्षा,
पूरी कर ली अपनी इच्छा,
बहनों की नम आंखें हुईं,
मां-बाप की खुशियां खोईं,
पत्नियों के उजड़े सिंदूर,
बच्चों से हुए पिता दूर,
ग़म में भी खुशी छलकी!
विजय की मिली थी खुशी !
गर्व से दमकती भीगी आंखें,
वीर सपूतों को याद करके।
धन्य हैं वे माता-पिता..!
धन्य है हम भारतवासी..!
जो ऐसे वीर सपूतों को पाया,
जिन्होने वतन पर सर्वस्व लुटाया।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक।
नमन "भावो के मोती"
26/07/2019
"कारगिल विजय/विजय दिवस"
🇮🇳छंदमुक्त🇮🇳
################
भारत भूमि सदा से....
वीरों की भूमि रही है...
समय पर हम सबने देखी है..
कारगिल विजय पाना...
आसान न था.....
वहाँ मौसम भी ...
अनुकूल न था....
हमारे जाबांज के आगे..
दुश्मन टिक न पाए...
सीने में गोली खाकर भी..
पाक के छक्के छुड़ाते रहे..
अपनी वीरता से...
कारगिल पर "विजय पताका"
फहरा आए..।
दिल से सलाम ....
सभी जाबांजों को.....
अपनी वीरता से...
विजय हासिल कर आए..
शत-शत नमन उन वीरों को.
कारगिल में जो शहीद हो गए
प्राण न्योछावर कर..
मातृभूमि की रक्षा कर गए.।।
🇮🇳जय हिंद की सेना🇮🇳
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल
26/07/2019
"कारगिल विजय/विजय दिवस"
🇮🇳छंदमुक्त🇮🇳
################
भारत भूमि सदा से....
वीरों की भूमि रही है...
समय पर हम सबने देखी है..
कारगिल विजय पाना...
आसान न था.....
वहाँ मौसम भी ...
अनुकूल न था....
हमारे जाबांज के आगे..
दुश्मन टिक न पाए...
सीने में गोली खाकर भी..
पाक के छक्के छुड़ाते रहे..
अपनी वीरता से...
कारगिल पर "विजय पताका"
फहरा आए..।
दिल से सलाम ....
सभी जाबांजों को.....
अपनी वीरता से...
विजय हासिल कर आए..
शत-शत नमन उन वीरों को.
कारगिल में जो शहीद हो गए
प्राण न्योछावर कर..
मातृभूमि की रक्षा कर गए.।।
🇮🇳जय हिंद की सेना🇮🇳
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल
दिनांक - 26/7/2019
आज का विषय - कारगिल विजय दिवस
विधा - मुक्तक
🌹🌹विजय दिवस की सभी को बहुत बहुत बधाई🌹🌹
( 1 )
सममात्रा भार - 35 - 35
विजय दिवस पर वीर शहीदों को करते सौ-सौ बार प्रणाम हैं,
मर मिटे जो देश की खातिर स्वर्ण अक्षरों में उनका नाम हैं,
फक्र है हमें उस हिन्द सेना पर खड़ी जो सरहद सीना तान
बुरी नजर जिसने डाली माँ भारती पर किया काम तमाम हैं,
( 2 )
सममात्रा भार - 32 - 32
कभी न झुकने देंगे तिरंगे को भारत की यह शान है,
माँ भारती की रक्षा खातिर देश पर जान कुर्बान है,
सींच लहू से भारत की धरती विजय पताका फहराई
धूल चटा दी फिर से पाक को वो हिन्द सेना महान है ,
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
आज का विषय - कारगिल विजय दिवस
विधा - मुक्तक
🌹🌹विजय दिवस की सभी को बहुत बहुत बधाई🌹🌹
( 1 )
सममात्रा भार - 35 - 35
विजय दिवस पर वीर शहीदों को करते सौ-सौ बार प्रणाम हैं,
मर मिटे जो देश की खातिर स्वर्ण अक्षरों में उनका नाम हैं,
फक्र है हमें उस हिन्द सेना पर खड़ी जो सरहद सीना तान
बुरी नजर जिसने डाली माँ भारती पर किया काम तमाम हैं,
( 2 )
सममात्रा भार - 32 - 32
कभी न झुकने देंगे तिरंगे को भारत की यह शान है,
माँ भारती की रक्षा खातिर देश पर जान कुर्बान है,
सींच लहू से भारत की धरती विजय पताका फहराई
धूल चटा दी फिर से पाक को वो हिन्द सेना महान है ,
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
भावों के मोती
शहीदों को नमन
सरहद के उस पार जवान अक्सर याद आते हैं।
गोली बारूदों की आवाज वो मंजर याद आते हैं।
कारगिल विजय प्राप्त कर विजय पताका फहराया
शत-शत नमन वीरों का जीवन भर याद आते हैं।
अपने देश के खातिर मर-मिटने को तैयार हुए
शहीद हुआ नौजवान वो रहवर याद आते हैं।
माता-पिता से जुदा रहते पत्नी बच्चों से दूर,
जान से भी प्यारे है वो उम्रभर याद आते हैं।
शाम भी ढलती तन्हा गुजरती है रात भय से,
रह रहे अपनों से दूर वो सितमगर याद आते हैं।
देश के वास्ते शहीद हुआ, जान भी की कुर्बान,
अश्कों के बहते दरिया का समंदर याद आते हैं।
सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
स्वरचित
शहीदों को नमन
सरहद के उस पार जवान अक्सर याद आते हैं।
गोली बारूदों की आवाज वो मंजर याद आते हैं।
कारगिल विजय प्राप्त कर विजय पताका फहराया
शत-शत नमन वीरों का जीवन भर याद आते हैं।
अपने देश के खातिर मर-मिटने को तैयार हुए
शहीद हुआ नौजवान वो रहवर याद आते हैं।
माता-पिता से जुदा रहते पत्नी बच्चों से दूर,
जान से भी प्यारे है वो उम्रभर याद आते हैं।
शाम भी ढलती तन्हा गुजरती है रात भय से,
रह रहे अपनों से दूर वो सितमगर याद आते हैं।
देश के वास्ते शहीद हुआ, जान भी की कुर्बान,
अश्कों के बहते दरिया का समंदर याद आते हैं।
सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
स्वरचित
सरहद पर लुटा आए जो जानो तन नमन उन्हें।
जो खेले आग से जिंदा जल शोले बन नमन उन्हें।
होम किया जीवन ज्वलंत राष्ट्रप्रेम की ज्योति से।
किया प्राणों को अर्पित आहूति सम नमन उन्हें।
अडिग रहेगा मान देश का चाहे जान चली जाए।
लहराया नभ वीर तिरंगा जन गण मन नमन उन्हें।
गए छोड बिलखता घर आंगन न पीछे मुड देखा।
निज सुख त्याग किया रण भीषणतम नमन उन्हें।
रीते रह गए स्वप्न कई मन की मन में आशाएं।
बलिबेदि पर चढे हंसे तरुण देह -मन नमन उन्हें।
तडपे आंचल जननी का यह न कभी घाव भरेगा।
क्या देखे राह दे गये मां विप्लव रूदन नमन उन्हें।
बिलख रहे भ्राता भगिनी है परिणय संगिनी बेसुध।
मामा काका रोए पिता पाषाण हुए नम नमन उन्हें।
घर का घाट बन गया नहीं जीवन में कोई बाट।
राखी रोए फीकी होली है दीवाली गम नमन उन्हें।
स्मृतियाँ खडी लखाएं क्षण बीते भूल न पाए।
संगी- साथी करे शिकायत हुए न हम नमन उन्हें।
सो गए कर आरती जिये सनातन ए मां भारती।
कर गए तुम्हारे हवाले जो ये है वतन नमन उन्हें।
विपिन सोहल. स्वरचित
जो खेले आग से जिंदा जल शोले बन नमन उन्हें।
होम किया जीवन ज्वलंत राष्ट्रप्रेम की ज्योति से।
किया प्राणों को अर्पित आहूति सम नमन उन्हें।
अडिग रहेगा मान देश का चाहे जान चली जाए।
लहराया नभ वीर तिरंगा जन गण मन नमन उन्हें।
गए छोड बिलखता घर आंगन न पीछे मुड देखा।
निज सुख त्याग किया रण भीषणतम नमन उन्हें।
रीते रह गए स्वप्न कई मन की मन में आशाएं।
बलिबेदि पर चढे हंसे तरुण देह -मन नमन उन्हें।
तडपे आंचल जननी का यह न कभी घाव भरेगा।
क्या देखे राह दे गये मां विप्लव रूदन नमन उन्हें।
बिलख रहे भ्राता भगिनी है परिणय संगिनी बेसुध।
मामा काका रोए पिता पाषाण हुए नम नमन उन्हें।
घर का घाट बन गया नहीं जीवन में कोई बाट।
राखी रोए फीकी होली है दीवाली गम नमन उन्हें।
स्मृतियाँ खडी लखाएं क्षण बीते भूल न पाए।
संगी- साथी करे शिकायत हुए न हम नमन उन्हें।
सो गए कर आरती जिये सनातन ए मां भारती।
कर गए तुम्हारे हवाले जो ये है वतन नमन उन्हें।
विपिन सोहल. स्वरचित
नमन मंच भावों के मोती
तिथि 26/07/19
विषय विजय दिवस
विधा दोहावली
****
वीर सपूतों को करें ,सौ सौ बार सलाम ।
प्राणों का उत्सर्ग कर ,रखें देश का नाम ।।
जिनके हो तुम लाल!वो,धन्य मातु अरु तात।
नाम अमर इतिहास में ,दुश्मन को दी मात ।।
अद्भुत गाथा लिख गये ,ऊँचे पर्वत द्रास ।
कठिनाई से नहि डरे, अपने अंतिम साँस।।
ऋणी शहीदों के सभी, रक्षा का ले भार ।
व्यर्थ नहीं बलिदान हो ,खायें शपथ हजार ।।
विजय दिवस पर हम सभी,नतमस्तक हैं आज।
सैनिक के सम्मान में ,करें नया आगाज ।।
स्वरचित
अनिता सुधीर
तिथि 26/07/19
विषय विजय दिवस
विधा दोहावली
****
वीर सपूतों को करें ,सौ सौ बार सलाम ।
प्राणों का उत्सर्ग कर ,रखें देश का नाम ।।
जिनके हो तुम लाल!वो,धन्य मातु अरु तात।
नाम अमर इतिहास में ,दुश्मन को दी मात ।।
अद्भुत गाथा लिख गये ,ऊँचे पर्वत द्रास ।
कठिनाई से नहि डरे, अपने अंतिम साँस।।
ऋणी शहीदों के सभी, रक्षा का ले भार ।
व्यर्थ नहीं बलिदान हो ,खायें शपथ हजार ।।
विजय दिवस पर हम सभी,नतमस्तक हैं आज।
सैनिक के सम्मान में ,करें नया आगाज ।।
स्वरचित
अनिता सुधीर
लिख रहा हूं मैं अंजाम
जिसका कल आगाज आएगा।।
मेरे लहू का हर एक कतरा
इंतकाम का इंकलाब लाएगा।।
मैं रहूं या ना रहूं
वतन पर मरने वालों का सैलाब।।
साक्षी बनेंगे अवनि और अंबर
सजकर चांद तारों का बारात आएगा।।
अग्नि की लपटें तेज होगी
धू-धू कर जली की चिताये
उल्काओं की तपिश का पैगाम आएगा।।
शहादत का होगा एक नया दौर
लेखनी की आशिकी का बहार आएगा।।
दुनिया देखेगी मेरे शहादत का सरूर
जरूर बगावत का ही इनाम आएगा।।
स्वरचित
सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज
जिसका कल आगाज आएगा।।
मेरे लहू का हर एक कतरा
इंतकाम का इंकलाब लाएगा।।
मैं रहूं या ना रहूं
वतन पर मरने वालों का सैलाब।।
साक्षी बनेंगे अवनि और अंबर
सजकर चांद तारों का बारात आएगा।।
अग्नि की लपटें तेज होगी
धू-धू कर जली की चिताये
उल्काओं की तपिश का पैगाम आएगा।।
शहादत का होगा एक नया दौर
लेखनी की आशिकी का बहार आएगा।।
दुनिया देखेगी मेरे शहादत का सरूर
जरूर बगावत का ही इनाम आएगा।।
स्वरचित
सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज
विधाःः मुक्तकःःः
मात्रा भारः16-14
एक प्रयास
जन्म मिला सौभाग्य मिला सही मातृभूमि है नमन।
तुम जननी हो भारतमाता, तेरा शतशत है वंदन।
तत्पर हूं मै शीश चढाने,मात मिले मुझे आशीष,
आजीवन रत रह सेवा में,पदरज जननी है चंदन।
विजयी दिवस मनाऊं माता,माँ निशदिन हो अभिनंदन।
हो प्रगति नित नूतन मेरी, आऐ शत्रु का हो मर्दन।
बढे चलें हम सभी साथ में,बोलें भारत की जय जय,
रहें सभी खुशहाल यहाँ पर ,नहीं कहीं पर हो क्रंदन।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
मात्रा भारः16-14
एक प्रयास
जन्म मिला सौभाग्य मिला सही मातृभूमि है नमन।
तुम जननी हो भारतमाता, तेरा शतशत है वंदन।
तत्पर हूं मै शीश चढाने,मात मिले मुझे आशीष,
आजीवन रत रह सेवा में,पदरज जननी है चंदन।
विजयी दिवस मनाऊं माता,माँ निशदिन हो अभिनंदन।
हो प्रगति नित नूतन मेरी, आऐ शत्रु का हो मर्दन।
बढे चलें हम सभी साथ में,बोलें भारत की जय जय,
रहें सभी खुशहाल यहाँ पर ,नहीं कहीं पर हो क्रंदन।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
""***""विजय दिवस""***""
घुसपैठ हुई थी जब सरहद पर,
कारगिल पर आतंक का साया था,
विस्फोटक थे दुष्ट दुश्मन के तेवर,
बारूदी गंध से माहौल गरमाया था,
सीमा की हिफाज़त अब कैसे होगी,
यक्ष प्रश्न भी यही जेहन में आया था,
बलिदानों का फिर से लगा था तांता,
हतासा का आलम देश में छाया था,
अब बारी थी सेना के सहादत की,
जिम्मा भी सैनिकों पर ही आया था,
वो मारते अगर कोई हमारा सैनिक,
हमने घर घुसकर सैकड़ों उड़ाया था,
तबाह किया हमने दुश्मन का खेमा,
सपूतों की मौत का मातम छाया था
मां भारती ने बहाए थे खून के आंसू,
तब यह दिवस विजय का आया था,
घुसपैठ हुई थी जब सरहद पर,
कारगिल पर आतंक का साया था,
विस्फोटक थे दुष्ट दुश्मन के तेवर,
बारूदी गंध से माहौल गरमाया था,
सीमा की हिफाज़त अब कैसे होगी,
यक्ष प्रश्न भी यही जेहन में आया था,
बलिदानों का फिर से लगा था तांता,
हतासा का आलम देश में छाया था,
अब बारी थी सेना के सहादत की,
जिम्मा भी सैनिकों पर ही आया था,
वो मारते अगर कोई हमारा सैनिक,
हमने घर घुसकर सैकड़ों उड़ाया था,
तबाह किया हमने दुश्मन का खेमा,
सपूतों की मौत का मातम छाया था
मां भारती ने बहाए थे खून के आंसू,
तब यह दिवस विजय का आया था,
दिनांक- 26/7/2019
विषय-"कारगिल विजय दिवस"
विधा- कविता
**************
कारगिल विजय दिवस यूँही नहीं,
ऐतिहासिक हुआ,
हिंद के नौजवानों ने अपने खून का,
एक-एक कतरा बहा दिया |
26जुलाई 1999 का दिन भारत में,
खुशी की लहर तो ले आया,
पर कितने वीर जवानों के घरों में,
मातम बड़ा ही छा गया |
कारगिल की उन पहाडियों से
पाकिस्तान ने हमला किया,
बेखबर था भारत इससे धोखा,
पाक ने हमसे किया |
अचानक आई इस विपदा का,
भारत ने सामना किया,
कूद पड़े हिंद के सैनिक किसी ने,
फिर कहाँ आराम किया |
शत्-शत् नमन है उन वीरों को,
अपना बलिदान जिन्होंने दिया,
कश्मीर पर नजरे गड़ाये पाक के,
इरादों को फिर से विफल किया |
ऐसी धूल चटाई दुश्मन को,
धराशायी उन सबको किया,
विजय पताका फहरा कर,
भारत को सुरक्षित किया |
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
विषय-"कारगिल विजय दिवस"
विधा- कविता
**************
कारगिल विजय दिवस यूँही नहीं,
ऐतिहासिक हुआ,
हिंद के नौजवानों ने अपने खून का,
एक-एक कतरा बहा दिया |
26जुलाई 1999 का दिन भारत में,
खुशी की लहर तो ले आया,
पर कितने वीर जवानों के घरों में,
मातम बड़ा ही छा गया |
कारगिल की उन पहाडियों से
पाकिस्तान ने हमला किया,
बेखबर था भारत इससे धोखा,
पाक ने हमसे किया |
अचानक आई इस विपदा का,
भारत ने सामना किया,
कूद पड़े हिंद के सैनिक किसी ने,
फिर कहाँ आराम किया |
शत्-शत् नमन है उन वीरों को,
अपना बलिदान जिन्होंने दिया,
कश्मीर पर नजरे गड़ाये पाक के,
इरादों को फिर से विफल किया |
ऐसी धूल चटाई दुश्मन को,
धराशायी उन सबको किया,
विजय पताका फहरा कर,
भारत को सुरक्षित किया |
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
कारगिल.
कुछ नशा तिरंगे की शान का है
कुछ नशा धरती की आन का है
कुछ नशा मुझे मेरे ईमान का है।
देश धर्म पर मर मिटा बस वही महान है
कारगिल का हर जवान देवता समान है।
सीने में जुनून है और आँखों में देशभक्ति
चहूँ ओर हिन्दुस्तान की शान है
करता इसकी जय-जयकार जहान है।
देश-धर्म पर-----------
किस कदर खुशनसीब हैं वो लोग
जिनका लहू देश के कुछ काम आया है
शान न जाने दूँगा इसकी जब तक जान है
देश-धर्म पर मर --------
आतंक रोके जुझारू सिपाही हर वक्त
चाहे हो घटा या जान लेवा तूफान है
सलाम करता हूँ मैं बचा जिनसे गिरेबान है।
देश-धर्म पर मर मिटा बस वही महान है
कारगिल का हर जवान देवता समान है।
"नमन #शहीदों को"
कुछ नशा तिरंगे की शान का है
कुछ नशा धरती की आन का है
कुछ नशा मुझे मेरे ईमान का है।
देश धर्म पर मर मिटा बस वही महान है
कारगिल का हर जवान देवता समान है।
सीने में जुनून है और आँखों में देशभक्ति
चहूँ ओर हिन्दुस्तान की शान है
करता इसकी जय-जयकार जहान है।
देश-धर्म पर-----------
किस कदर खुशनसीब हैं वो लोग
जिनका लहू देश के कुछ काम आया है
शान न जाने दूँगा इसकी जब तक जान है
देश-धर्म पर मर --------
आतंक रोके जुझारू सिपाही हर वक्त
चाहे हो घटा या जान लेवा तूफान है
सलाम करता हूँ मैं बचा जिनसे गिरेबान है।
देश-धर्म पर मर मिटा बस वही महान है
कारगिल का हर जवान देवता समान है।
"नमन #शहीदों को"
नमन् भावों के मोती
दिनांक:26/07/19
विषय:कारगिल विजय
विधा:कविता
वीर शहीदों को कोटि नमन
जिनसे सुरक्षित मेरा चमन
चोटी कब्जा कर खड़ा शत्रु
शासक अटल अजातशत्रु
भृकुटी तान डटे सैनिक
जीवट शक्ति पटे सैनिक
अरिदल में हाहाकार हुआ
वीरों में हुंकार हुआ
वीर तिरंगा लिए बढ़ चले
दुश्मन दल के काल चले
अदम्य साहस शौर्य बिखेर
दुश्मन किये राख के ढेर
साठ दिनों तक नाच नचाया
दुश्मन को खूब मजा चखाया
कैप्टन मनोज पाण्डे ने लहू बहाया
कैप्टन विक्रम बत्रा ने निज प्राण गंवाया
वीर सैनिकों ने निज बलिदान किया
भारत माँ को विजयदान दिया
विजय दिवस का दिन अब आया
सम्पूर्ण देश ने जश्न मनाया
मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली
दिनांक:26/07/19
विषय:कारगिल विजय
विधा:कविता
वीर शहीदों को कोटि नमन
जिनसे सुरक्षित मेरा चमन
चोटी कब्जा कर खड़ा शत्रु
शासक अटल अजातशत्रु
भृकुटी तान डटे सैनिक
जीवट शक्ति पटे सैनिक
अरिदल में हाहाकार हुआ
वीरों में हुंकार हुआ
वीर तिरंगा लिए बढ़ चले
दुश्मन दल के काल चले
अदम्य साहस शौर्य बिखेर
दुश्मन किये राख के ढेर
साठ दिनों तक नाच नचाया
दुश्मन को खूब मजा चखाया
कैप्टन मनोज पाण्डे ने लहू बहाया
कैप्टन विक्रम बत्रा ने निज प्राण गंवाया
वीर सैनिकों ने निज बलिदान किया
भारत माँ को विजयदान दिया
विजय दिवस का दिन अब आया
सम्पूर्ण देश ने जश्न मनाया
मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली
नमन भावों के मोती
कारगिल विजय, विजय दिवस
2 6,7,2019
26 जुलाई 1999 को भारत के वीरों ने ,
कारगिल में पाकिस्तान को धूल चटाई ।
किया था चोरी चोरी प्लान जो उसने ,
देशभक्त इक चरवाहे ने सूचना उसकी पहुँचाई ।
आनन फानन हुई चढ़ाई घेरा चारों ओर से,
वायु सेना के वार ऊपर से थल सेना भी गुर्राई ।
लद्दाख की पहाड़ियों में वीरों के होंसलौं से,
दुश्मनों की जान पर थी फिर बन आई ।
हो गये शहीद कई सैनिक थे अपने ,
पर कारगिल विजय हमने थी पाई ।
विजय श्री जो मिली हमें कुर्बानी दी वीरों ने,
त्रासदी युध्द की है ये सबसे दुखदाई ।
कभी भी जीत नहीं देखी है उन आँखों ने ,
जज्वा जिनमें मिटने का कीमत जिन नें चुकाई ।
नमन करें हम श्रध्दाजंलि दें जिन वीरों ने,
कारगिल के युध्द में वीरगति थी पाई ।
स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश
कारगिल विजय, विजय दिवस
2 6,7,2019
26 जुलाई 1999 को भारत के वीरों ने ,
कारगिल में पाकिस्तान को धूल चटाई ।
किया था चोरी चोरी प्लान जो उसने ,
देशभक्त इक चरवाहे ने सूचना उसकी पहुँचाई ।
आनन फानन हुई चढ़ाई घेरा चारों ओर से,
वायु सेना के वार ऊपर से थल सेना भी गुर्राई ।
लद्दाख की पहाड़ियों में वीरों के होंसलौं से,
दुश्मनों की जान पर थी फिर बन आई ।
हो गये शहीद कई सैनिक थे अपने ,
पर कारगिल विजय हमने थी पाई ।
विजय श्री जो मिली हमें कुर्बानी दी वीरों ने,
त्रासदी युध्द की है ये सबसे दुखदाई ।
कभी भी जीत नहीं देखी है उन आँखों ने ,
जज्वा जिनमें मिटने का कीमत जिन नें चुकाई ।
नमन करें हम श्रध्दाजंलि दें जिन वीरों ने,
कारगिल के युध्द में वीरगति थी पाई ।
स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश
दिनांक-२६/७/२०१९
शीर्षक-कारगिल विजय/विजय-दिवस।
नापाक इरादे पाक का
कर दिया तूने नेस्तानाबूद
हे भारत माँ के वीर शहिदों
शत शत नमन मैं तुम्हें करूं।
आहुति दिया तूने अपने प्राणों का
रख ली देश का मान अभिमान
हे भारत माँ के वीर शहिदों
मैं सुनाऊं हर गाथा आज।
द्रास,बटालिक घाटियों को
दुश्मनों से तूने मुक्त करता
लोहा मनवाया दुश्मनों को
राष्ट्रीय ध्वज फिर से फहराया।
अमर हो ग ई गाथा तुम्हारी
तूने जो दी अपनी कुर्बानी
भारत माँ के वीर सपूतों
करूं मैं अभिनंदन वह वंदन आज
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
शीर्षक-कारगिल विजय/विजय-दिवस।
नापाक इरादे पाक का
कर दिया तूने नेस्तानाबूद
हे भारत माँ के वीर शहिदों
शत शत नमन मैं तुम्हें करूं।
आहुति दिया तूने अपने प्राणों का
रख ली देश का मान अभिमान
हे भारत माँ के वीर शहिदों
मैं सुनाऊं हर गाथा आज।
द्रास,बटालिक घाटियों को
दुश्मनों से तूने मुक्त करता
लोहा मनवाया दुश्मनों को
राष्ट्रीय ध्वज फिर से फहराया।
अमर हो ग ई गाथा तुम्हारी
तूने जो दी अपनी कुर्बानी
भारत माँ के वीर सपूतों
करूं मैं अभिनंदन वह वंदन आज
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
हिंद !वन्देमातरम !🇮🇳
नमन "भावों के मोती"🙏🏻
दिनांक-26/7/2019
विधा-हाइकु
विषय "कारगिल"
(1)
वीरों की फूँक
कारगिल से गिरा
दुश्मन हिला
(2)
पुत्र या पिता
कारगिल के सीने
शौर्य को लिखा
(3)
देश है प्राण
कारगिल ने दिया
शत्रु को ज्ञान
(4)
गिरे दुश्मन
कारगिल से ऊँचा
सेना संकल्प
(5)
देश दीपक
कारगिल की यादें
अमर ज्योति
स्वरचित एवं मौलिक
ऋतुराज दवे,राजसमंद(राज.)
नमन "भावों के मोती"🙏🏻
दिनांक-26/7/2019
विधा-हाइकु
विषय "कारगिल"
(1)
वीरों की फूँक
कारगिल से गिरा
दुश्मन हिला
(2)
पुत्र या पिता
कारगिल के सीने
शौर्य को लिखा
(3)
देश है प्राण
कारगिल ने दिया
शत्रु को ज्ञान
(4)
गिरे दुश्मन
कारगिल से ऊँचा
सेना संकल्प
(5)
देश दीपक
कारगिल की यादें
अमर ज्योति
स्वरचित एवं मौलिक
ऋतुराज दवे,राजसमंद(राज.)
कारगिल विजय दिवस
***
आज २६ जुलाई "कारगिल विजय दिवस " पर हम उन वीर सेनानियों को शत शत नमन करते है,,,,जय हिंद, जय जवान 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गीतिका – छंद वीर आल्हा। १६, १५ मात्रा
समान्त – आम
पदांत – अपदान्त
*************************
गीतिका
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
**************************************
भारत माॅ के अमर शहीदों,,,,,,,,,भारत वासी करें प्रणाम
किया समर्पण जीवन सारा,और किया सुख त्याग अनाम /
~~~~~
धन्य सैनिकों तुम बलिदानी,,,,,,,,वसुंधरा के वीर जवान
देशभक्त रणवीर सदा तुम;,,;,,कर दुश्मन का काम तमाम /
~~~~~
कितनी माँ के लाल छिन गए,,,,,माँ बहनों का लुटा सुहाग,
नमन धरा के वीर सपूतों,,,,,,,,,,;, ,,,वंदनीय तुम्हारा नाम /
~~~~~~
काश्मीर है सदा हमारा ,,,,,,,,,,,,देवी मातु का प्रतिष्ठान,
पाक यदि नापाक करे तो,,,,,,,,,दुश्मन भोगेगा परिणाम /
~~~~~~
लक्ष्मी बाई थी महरानी ,,,, ,,,देश पे किया प्राण कुर्बान ,
सत्य न्याय पर लड़ने वाले,.,. अवतारी श्री कृष्ण ललाम /
~~~~~
धन्य मातु हैं धन्य पिता श्री, ,,,,जिनके जन्मे वीर महान,
स्वदेश समर्पित रणबाॅकुरे ,,,,,त्यागा प्राण'भगत,सुखराम //
~~~~~
******************************************
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
***
आज २६ जुलाई "कारगिल विजय दिवस " पर हम उन वीर सेनानियों को शत शत नमन करते है,,,,जय हिंद, जय जवान 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गीतिका – छंद वीर आल्हा। १६, १५ मात्रा
समान्त – आम
पदांत – अपदान्त
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गीतिका
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भारत माॅ के अमर शहीदों,,,,,,,,,भारत वासी करें प्रणाम
किया समर्पण जीवन सारा,और किया सुख त्याग अनाम /
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धन्य सैनिकों तुम बलिदानी,,,,,,,,वसुंधरा के वीर जवान
देशभक्त रणवीर सदा तुम;,,;,,कर दुश्मन का काम तमाम /
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कितनी माँ के लाल छिन गए,,,,,माँ बहनों का लुटा सुहाग,
नमन धरा के वीर सपूतों,,,,,,,,,,;, ,,,वंदनीय तुम्हारा नाम /
~~~~~~
काश्मीर है सदा हमारा ,,,,,,,,,,,,देवी मातु का प्रतिष्ठान,
पाक यदि नापाक करे तो,,,,,,,,,दुश्मन भोगेगा परिणाम /
~~~~~~
लक्ष्मी बाई थी महरानी ,,,, ,,,देश पे किया प्राण कुर्बान ,
सत्य न्याय पर लड़ने वाले,.,. अवतारी श्री कृष्ण ललाम /
~~~~~
धन्य मातु हैं धन्य पिता श्री, ,,,,जिनके जन्मे वीर महान,
स्वदेश समर्पित रणबाॅकुरे ,,,,,त्यागा प्राण'भगत,सुखराम //
~~~~~
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ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
नमन मंच को
दिनांक-26/7/2019
विषय -"कारगिल विजय दिवस"
कारगिल विजय दिवस वीरों की शौर्य गाथा ,वीरों को है नमन ।
माइनस डिग्री था तापमान जम रहे थे कदम ,
फिर भी हौसले बिलकुल नहीं थे कम।
थी भीषण बर्फ़बारी और तेज थी हवाएँ,
फिर भी बांकुरों के कदम नहीं डगमगाए ।
हजारों फ़ीट ऊँची चोटी ऑक्सीजन भी थी कम ,
फिर भी खदेड़े दुश्मन ऐसा था उनमे दम ।
एक एक ने सौ को मारा और खुद भी सो गए,
इस देश को बचाकर इतिहास रच गए।
कितनों की गोद सूनी ,कितनों की माँग सूनी ,
पर उनके बलिदान ने अस्मिता न छीनी ।
शत-शत नमन है तुमको हैं हिंद के जवानो,
एहसान उनका हमपर , ऐ सुनो नवजवानों ।
स्वरचित
मोहिनी पांडेय
दिनांक-26/7/2019
विषय -"कारगिल विजय दिवस"
कारगिल विजय दिवस वीरों की शौर्य गाथा ,वीरों को है नमन ।
माइनस डिग्री था तापमान जम रहे थे कदम ,
फिर भी हौसले बिलकुल नहीं थे कम।
थी भीषण बर्फ़बारी और तेज थी हवाएँ,
फिर भी बांकुरों के कदम नहीं डगमगाए ।
हजारों फ़ीट ऊँची चोटी ऑक्सीजन भी थी कम ,
फिर भी खदेड़े दुश्मन ऐसा था उनमे दम ।
एक एक ने सौ को मारा और खुद भी सो गए,
इस देश को बचाकर इतिहास रच गए।
कितनों की गोद सूनी ,कितनों की माँग सूनी ,
पर उनके बलिदान ने अस्मिता न छीनी ।
शत-शत नमन है तुमको हैं हिंद के जवानो,
एहसान उनका हमपर , ऐ सुनो नवजवानों ।
स्वरचित
मोहिनी पांडेय
आज का विषयः-कारगिल विजय/ विजय दिवस
पाकिस्तान ने 1999 के आरम्भ में हमारी पीठ में खंजर था भोंका।
जाड़ों में उसने आतंकवादी व सेना को कारगिल पहाड़ियों पर भेजा।।
पाकिस्तानी सेना व आतंकवादी डटे थे ऊँचे तथा सुरक्षित स्थानो पर।
हमारी सेना को कठिन व खतरों से भरा था पहुँचना उन ठिकानों पर।।
हौसले ऊँचे थे हमार जवानो के, लगायी देश के लिये प्राणों की बाजी।
उन खतरनाक स्थानों पर भी पहुँच कर दी शुरु दुशमन की मारा मारी।
पाँच सौ सत्ताईस जवानों ने साहस व दिलेरी से लड़ जान की दी कुर्बानी।
उनके साहस व दिलेरी के समक्ष शत्रु व आतंकवादियों की मर गई नानी।।
26/ 7 /1999 को ही हमारी सेना ने कारगिल में शत्रु पर विजय थी पाई।
उसी विजय की वर्ष गांठ बीस सालों देश वासियों द्वारा जाती है मनाई।।
डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित
पाकिस्तान ने 1999 के आरम्भ में हमारी पीठ में खंजर था भोंका।
जाड़ों में उसने आतंकवादी व सेना को कारगिल पहाड़ियों पर भेजा।।
पाकिस्तानी सेना व आतंकवादी डटे थे ऊँचे तथा सुरक्षित स्थानो पर।
हमारी सेना को कठिन व खतरों से भरा था पहुँचना उन ठिकानों पर।।
हौसले ऊँचे थे हमार जवानो के, लगायी देश के लिये प्राणों की बाजी।
उन खतरनाक स्थानों पर भी पहुँच कर दी शुरु दुशमन की मारा मारी।
पाँच सौ सत्ताईस जवानों ने साहस व दिलेरी से लड़ जान की दी कुर्बानी।
उनके साहस व दिलेरी के समक्ष शत्रु व आतंकवादियों की मर गई नानी।।
26/ 7 /1999 को ही हमारी सेना ने कारगिल में शत्रु पर विजय थी पाई।
उसी विजय की वर्ष गांठ बीस सालों देश वासियों द्वारा जाती है मनाई।।
डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित
विषय-कारगिल विजय दिवस
नमन है वीर ,जांबाज तुम्हारी ,
मतवाली सी जवानी को,
दूर खदेड़ा दहाड़ के जिसने ,
कायर पाकिस्तानी को!
लहरा दिया तिरंगा जिसने ,
कारगिल की चोटी पर,
आओ जरा अब याद करें हम,
उनकी इस कुर्बानी को!
साहस जिनका हिमालय जैसा ,
आसमान से ऊंचा है,
वतन के वास्ते जीना-मरना ,
जिसने बचपन से सीखा!
वीर शहीद योद्धाओं की यह ,
शौर्य भरी वीरगाथा है,
धरा की मिट्टी,और तिरंगा से ,
अटूट जिनका नाता है!
बाजी लगाकर जान की जिसने ,
जीतने का सौंगन्ध लिया,
शौर्य व साहस सेना का
दुनियां को दम-खम दिखला दिया!
एक- एक दुश्मन को मारा,
हर चाल को उनकी ध्वस्त किया,
खूब चलाई गोलियां दन-दन,
गद्दारों को पस्त किया!
बर्फ़ीली राहों पर चलते ,
कांटो की जरा परवाह नही,
रात रात भर जागते रहते,
जरा भी सुख की चाह नही!
राष्ट्रध्वज के आगे सर जिनका,
झुका होता सम्मान से,
वही तिरंगा आज रंगा था ,
वीरो के बलिदान से!
लौट के आने का तुमने जब,
वादा ही कर डाला था
पर लकड़ी के ताबूत में आया
क्या अंदाज निराला था!
जिस पर होकर लथपथ तुम ,
आनंद लेते खूब जवानी का,
वही तिरंगा ऋणी हुआ अब ,
मातृ भूमि के बलिदानी का!
नमन तुम्हे है बार -बार ,
चिरकाल रहे गौरव गाथा,
श्रद्धा सुमन अर्पित है तुमको,
झुका के चरणों मे माथा!!
राजेन्द्र मेश्राम "नील"
नमन है वीर ,जांबाज तुम्हारी ,
मतवाली सी जवानी को,
दूर खदेड़ा दहाड़ के जिसने ,
कायर पाकिस्तानी को!
लहरा दिया तिरंगा जिसने ,
कारगिल की चोटी पर,
आओ जरा अब याद करें हम,
उनकी इस कुर्बानी को!
साहस जिनका हिमालय जैसा ,
आसमान से ऊंचा है,
वतन के वास्ते जीना-मरना ,
जिसने बचपन से सीखा!
वीर शहीद योद्धाओं की यह ,
शौर्य भरी वीरगाथा है,
धरा की मिट्टी,और तिरंगा से ,
अटूट जिनका नाता है!
बाजी लगाकर जान की जिसने ,
जीतने का सौंगन्ध लिया,
शौर्य व साहस सेना का
दुनियां को दम-खम दिखला दिया!
एक- एक दुश्मन को मारा,
हर चाल को उनकी ध्वस्त किया,
खूब चलाई गोलियां दन-दन,
गद्दारों को पस्त किया!
बर्फ़ीली राहों पर चलते ,
कांटो की जरा परवाह नही,
रात रात भर जागते रहते,
जरा भी सुख की चाह नही!
राष्ट्रध्वज के आगे सर जिनका,
झुका होता सम्मान से,
वही तिरंगा आज रंगा था ,
वीरो के बलिदान से!
लौट के आने का तुमने जब,
वादा ही कर डाला था
पर लकड़ी के ताबूत में आया
क्या अंदाज निराला था!
जिस पर होकर लथपथ तुम ,
आनंद लेते खूब जवानी का,
वही तिरंगा ऋणी हुआ अब ,
मातृ भूमि के बलिदानी का!
नमन तुम्हे है बार -बार ,
चिरकाल रहे गौरव गाथा,
श्रद्धा सुमन अर्पित है तुमको,
झुका के चरणों मे माथा!!
राजेन्द्र मेश्राम "नील"
दि.26.7.19
*घनाक्षरीः
कारगिल युद्ध की तमिस्रा जब घिरी घोर,
भारतीय तेज - सूर्य , तम - चीर चमका।
शत्रु-शव-बोटियों से पाट,गिरि घाटियों को,
हिन्द - बाँकुरों का महा रौद्र - रूप तमका।
चढ़े बलिवेदी पर , पंच - शताधिक शूर,
रुके न कदापि वनराज जोर जमका।
फहरा विजय - ध्वज कारगिल चोटी पर,
पौरुष - प्रमाण दिया , भारत के दम का।।
--डा.'शितिकंठ'
*घनाक्षरीः
कारगिल युद्ध की तमिस्रा जब घिरी घोर,
भारतीय तेज - सूर्य , तम - चीर चमका।
शत्रु-शव-बोटियों से पाट,गिरि घाटियों को,
हिन्द - बाँकुरों का महा रौद्र - रूप तमका।
चढ़े बलिवेदी पर , पंच - शताधिक शूर,
रुके न कदापि वनराज जोर जमका।
फहरा विजय - ध्वज कारगिल चोटी पर,
पौरुष - प्रमाण दिया , भारत के दम का।।
--डा.'शितिकंठ'
सादर नमन
कारगिल के शहीदों को मेरी ओर से व श्रद्धांजली
वीर जवानों ने सरहद पर शहादत पाई थी,
देख वीरों को ओढ़ कफन आँख भर आई थी,
भारत माँ के तिरंगें की खातिर ,
माँ के लाल ने जान गँवाई थी।
**
माथे पर कर तिलक बहना ने की विदाई थी,
देख दुश्मनों को सरहद पर शेर सी दहाड़ लगाई थी,
धूर्तता, चालाकी अपनाकर भी,
भारतीय वीरों के आगे दुश्मन ने मुहँ की खाई थी,
**
बचपन में माँ ने खेलने को बंदूक दिलाई थी,
पहन वर्दी सेना की देश पर जान लुटाई थी,
शहीद होकर भी झंडा फहराया था जिस दिन,
उस दिन तारीख छब्बीस जुलाई थी।
***
स्वरचित-रेखा रविदत्त
26/7/19
शुक्रवार
कारगिल के शहीदों को मेरी ओर से व श्रद्धांजली
वीर जवानों ने सरहद पर शहादत पाई थी,
देख वीरों को ओढ़ कफन आँख भर आई थी,
भारत माँ के तिरंगें की खातिर ,
माँ के लाल ने जान गँवाई थी।
**
माथे पर कर तिलक बहना ने की विदाई थी,
देख दुश्मनों को सरहद पर शेर सी दहाड़ लगाई थी,
धूर्तता, चालाकी अपनाकर भी,
भारतीय वीरों के आगे दुश्मन ने मुहँ की खाई थी,
**
बचपन में माँ ने खेलने को बंदूक दिलाई थी,
पहन वर्दी सेना की देश पर जान लुटाई थी,
शहीद होकर भी झंडा फहराया था जिस दिन,
उस दिन तारीख छब्बीस जुलाई थी।
***
स्वरचित-रेखा रविदत्त
26/7/19
शुक्रवार
शीर्षक-- 🇪🇬कारगिल विजय/विजय दिवस🇪🇬
द्वितीय प्रस्तुति
जब जब पड़ोसी मुल्क ने सर उठाया है
माकूल जबाव मिला मुँह की खाया है ।।
मगर वह अपनी आदत से मजबूर है
अपनी हरकतों से बाज़ नही आया है ।।
छोड़ दिया नादां पड़ोसी जानकर
सितमगर जहां में वह कहलाया है ।।
बड़प्पन जैसे उसकी फितरत में न
सितमगर जालिम बन नाम कमाया है ।।
सितमगर खाना खराब क्या नाम दें
जुल्म की जालिम पौध सदा लगाया है ।।
हथियारों से क्या जहां जीता 'शिवम'
हथियारों को सदा वो बड़ा बताया है ।।
अमन चैन नही देखे अपने मुल्क में
औरों का अमन चैन कभी न भाया है ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 26/07/2019
द्वितीय प्रस्तुति
जब जब पड़ोसी मुल्क ने सर उठाया है
माकूल जबाव मिला मुँह की खाया है ।।
मगर वह अपनी आदत से मजबूर है
अपनी हरकतों से बाज़ नही आया है ।।
छोड़ दिया नादां पड़ोसी जानकर
सितमगर जहां में वह कहलाया है ।।
बड़प्पन जैसे उसकी फितरत में न
सितमगर जालिम बन नाम कमाया है ।।
सितमगर खाना खराब क्या नाम दें
जुल्म की जालिम पौध सदा लगाया है ।।
हथियारों से क्या जहां जीता 'शिवम'
हथियारों को सदा वो बड़ा बताया है ।।
अमन चैन नही देखे अपने मुल्क में
औरों का अमन चैन कभी न भाया है ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 26/07/2019
नमन भावों के मोती
आज के दिन ही कारगिल में जंग लगी थी भारी
भारत माँ के सपूतों ने यहाँ भी थी बाजी मारी
भारत माँ के बेटो में न संशय था न डर था
हर एक जवान दुश्मनो के सौ के बराबर था
जमकर लोहा लिया था युद्ध में भारत के उन वीरों ने
दुश्मनो को था पस्त कर दिया उन जांबाज़ बलवीरों ने
भारत माँ के वीरों ने भारत की शक्ति दिखलाई थी
उस दिन मानो भारत माता चंडी बनकर आयी थी
भारत माँ तिरंगा लेकर चढ़ी सिंह सवारी थी
भारत माँ के जयकारो की गूंज उठी जब भारी थी
कारगिल में भारत ने अमर तिरंगा फेहराया था
जिसने रखा था कदम भारत में उसे सीधा जहनुम पहुँचाया था
जो शहीद हुए थे कारगिल में मैं उनको शीश झुकाता हूँ
मेरे प्यारे वीरों को मैं प्रेम के सुमन चढ़ाता हूँ
जब जब भारत के इतिहास की गाथा को दोहराया जाएगा
तब तब वीरों का नाम शीश नवाकर गाया जाएगा
जनार्धन भारद्वाज
श्री गंगानगर (राजस्थान)
आज के दिन ही कारगिल में जंग लगी थी भारी
भारत माँ के सपूतों ने यहाँ भी थी बाजी मारी
भारत माँ के बेटो में न संशय था न डर था
हर एक जवान दुश्मनो के सौ के बराबर था
जमकर लोहा लिया था युद्ध में भारत के उन वीरों ने
दुश्मनो को था पस्त कर दिया उन जांबाज़ बलवीरों ने
भारत माँ के वीरों ने भारत की शक्ति दिखलाई थी
उस दिन मानो भारत माता चंडी बनकर आयी थी
भारत माँ तिरंगा लेकर चढ़ी सिंह सवारी थी
भारत माँ के जयकारो की गूंज उठी जब भारी थी
कारगिल में भारत ने अमर तिरंगा फेहराया था
जिसने रखा था कदम भारत में उसे सीधा जहनुम पहुँचाया था
जो शहीद हुए थे कारगिल में मैं उनको शीश झुकाता हूँ
मेरे प्यारे वीरों को मैं प्रेम के सुमन चढ़ाता हूँ
जब जब भारत के इतिहास की गाथा को दोहराया जाएगा
तब तब वीरों का नाम शीश नवाकर गाया जाएगा
जनार्धन भारद्वाज
श्री गंगानगर (राजस्थान)
शुभ सांध्य
26/7/10
कारगिल
हाइकु
---------
1)
प्राणो के दाम
कारगिल विजय
देश के नाम ।।
2)
स्वर्ण अक्षर
कारगिल विजय
हिन्द के वक्ष।।
3)
तीर्थों का धाम
कारगिल की भूमि
कोटि प्रणाम ।।
----------------------
क्षीरोद्र कुमार पुरोहित
26/7/10
कारगिल
हाइकु
---------
1)
प्राणो के दाम
कारगिल विजय
देश के नाम ।।
2)
स्वर्ण अक्षर
कारगिल विजय
हिन्द के वक्ष।।
3)
तीर्थों का धाम
कारगिल की भूमि
कोटि प्रणाम ।।
----------------------
क्षीरोद्र कुमार पुरोहित
दिनांक 26/07/19
विषय:कारगिल विजय
विधा: तांका
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर तांका विधा में श्रधान्जली अर्पित करने की कोशिश की है।
युद्ध कौशल
कारगिल विजय
धरा चकित
प्रण - करो य मरो
वीरो की शौर्य गाथा।
पिता व पुत्र
एक बटालियन
बनी मिसाल
खडी है नई पीढ़ी
देश पर कुर्बान।
विधवा पत्नी
लगा बेटे को टीका
है गौरान्वित
हार नही मानेगे
ध्वस्त सभी आतंकी।
मंगल पाडे
रामबचन राय
चिरंजी सिंह
अनकहे सैनिक
शत शत नमन ।
विषय:कारगिल विजय
विधा: तांका
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर तांका विधा में श्रधान्जली अर्पित करने की कोशिश की है।
युद्ध कौशल
कारगिल विजय
धरा चकित
प्रण - करो य मरो
वीरो की शौर्य गाथा।
पिता व पुत्र
एक बटालियन
बनी मिसाल
खडी है नई पीढ़ी
देश पर कुर्बान।
विधवा पत्नी
लगा बेटे को टीका
है गौरान्वित
हार नही मानेगे
ध्वस्त सभी आतंकी।
मंगल पाडे
रामबचन राय
चिरंजी सिंह
अनकहे सैनिक
शत शत नमन ।
#विधा------ - मुक्तक*
#विषय---- ----स्वैच्छिक
#दिनांक------26/07/19
देश-धर्म-हित हेतु वो बनता है रक्षक
देशवासियों के प्राण का है संरक्षक
वीरगति हो प्राप्त कहलाये वो शहीद
जहर दे दिया तट पर शत्रु बना है तक्षक
मैं वीर जवान मेरा नाम वतन कर दो
वतन मेरी कर्म- भूमि, मुझे दफन कर दो
जज्बा सीने में ,शहीद ही होना चाहूँ
हर जनम में तिरंगा मेरा वतन कर दो
🇮
माँ ने कलेजे से ,अपने कलेजे के टुकड़े को लगाया होगा
पिता टूटा होगा,जब अपने सपूत को टुकड़ों में पाया होगा
सिंदूर, चुड़ी सुहाग सारे आँसू के सैलाब में बह गये होंगे
जब तिरंगे से लिपटा वीर शहीदों का शव घर पे आया होगा
🇮
#स्वरचित*
#धनेश्वरी देवांगन. "#धरा"*
#रायगढ़ (#छत्तीसगढ़)*
#विषय---- ----स्वैच्छिक
#दिनांक------26/07/19
देश-धर्म-हित हेतु वो बनता है रक्षक
देशवासियों के प्राण का है संरक्षक
वीरगति हो प्राप्त कहलाये वो शहीद
जहर दे दिया तट पर शत्रु बना है तक्षक
मैं वीर जवान मेरा नाम वतन कर दो
वतन मेरी कर्म- भूमि, मुझे दफन कर दो
जज्बा सीने में ,शहीद ही होना चाहूँ
हर जनम में तिरंगा मेरा वतन कर दो
🇮
माँ ने कलेजे से ,अपने कलेजे के टुकड़े को लगाया होगा
पिता टूटा होगा,जब अपने सपूत को टुकड़ों में पाया होगा
सिंदूर, चुड़ी सुहाग सारे आँसू के सैलाब में बह गये होंगे
जब तिरंगे से लिपटा वीर शहीदों का शव घर पे आया होगा
🇮
#स्वरचित*
#धनेश्वरी देवांगन. "#धरा"*
#रायगढ़ (#छत्तीसगढ़)*
नमन मंच को
श्रद्धांजलि शहीदों को
बिधा कविता
विषय विजय दिवस
26जुलाई 2019
विजय दिवस आज हमारा
मिलजुल कर मनाएंगे l
उन शहीदों के नाम का
एक दिया जलाएंगे l
इस तिरंगे की खातिर,
अपना लहू बहाएंगे,
जान भले ही देंगे पर,
कश्मीर नहीं दे पाएंगे l
विजय......
पाक तू कान खोल कर सुन ले,
जो करना है तू करले,
चुप नहीं बैठेंगे हम.
तेरा लहु ले आएंगे l
विजय......
कुसुम पंत
स्व रचित
श्रद्धांजलि शहीदों को
बिधा कविता
विषय विजय दिवस
26जुलाई 2019
विजय दिवस आज हमारा
मिलजुल कर मनाएंगे l
उन शहीदों के नाम का
एक दिया जलाएंगे l
इस तिरंगे की खातिर,
अपना लहू बहाएंगे,
जान भले ही देंगे पर,
कश्मीर नहीं दे पाएंगे l
विजय......
पाक तू कान खोल कर सुन ले,
जो करना है तू करले,
चुप नहीं बैठेंगे हम.
तेरा लहु ले आएंगे l
विजय......
कुसुम पंत
स्व रचित
भावों के मोती दिनांक 26/7/19
विजय पताका
हैं प्रहरी
देश के
वीर जाबांज
विजय पताका
फहराया तिरंगा
कारगिल पर
मनाते है हम
विजय दिवस
हर सैनिक का
है बलिदान अमूल्य
रखना है
इसे अक्षुण्ण
मिटा के अपने
आपसी वैमनस्य
देश हित हों
सर्वोपरि
है सच्ची श्रद्धांजलि
वीरों को
रखना है
मान उनका
भारत की रहे
स्वतंत्रता अमर
विश्व में बढ़े
सम्मान
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
विजय पताका
हैं प्रहरी
देश के
वीर जाबांज
विजय पताका
फहराया तिरंगा
कारगिल पर
मनाते है हम
विजय दिवस
हर सैनिक का
है बलिदान अमूल्य
रखना है
इसे अक्षुण्ण
मिटा के अपने
आपसी वैमनस्य
देश हित हों
सर्वोपरि
है सच्ची श्रद्धांजलि
वीरों को
रखना है
मान उनका
भारत की रहे
स्वतंत्रता अमर
विश्व में बढ़े
सम्मान
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
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