आज के दिन हुआ था जन्म,
एक थे महात्मा,दूजे माँ के लाल,
दोनों ही जन बहुत थे कमाल |
दोनों ने कार्य किये महान,
सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया,
जग में बापू नाम कहलाया,
चरखा भी उन्होंने खूब चलाया |
छोटे कद से किया कमाल,
लालों में थे वो बहादुर लाल,
सादा जीवन उच्च विचार,
ये मूल मंत्र थे शास्त्री जी के पास |
धन्य हुए हम भारतीय सारे,
ये दोनों जब धरती पर पधारे,
एक कहें जय जवान, जय किसान ,
दूजे बोले रघुपति राघव राजा राम |
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
बापू गांधी के बताए रस्ते पर चलते जाए।
झूठ पाप और लालच कभी न लाए मन मे।
करे भलाई सदा सभी परोपकार जीवन में।
दूर करे दुख सबके और खुशियां फैलाए।
प्रेम और करूणा का हम त्योहार मनाएँ।
देकर प्राण बचाए जग में धर्म की लाज।
संवरेगा कल अपना फर्ज निभाए आज।
सदा करे सेवादारी मानवता को जिलाए ।
प्रेम और करूणा का हम त्योहार मनाएँ।
शुद्ध करे अन्तःकरण मन हो जाए निर्दोष।
सदा सत्य धारण करें करे प्रेम जयघोष।
परमपिता ईश्वर के सदा सदा गुण गाएं।
प्रेम और करूणा का हम त्योहार मनाएं।
बापू गांधी के बताए रस्ते पर चलते जाए।
प्रेम और करूणा का हम त्योहार मनाएं।
स्वरचित विपिन सोहल
हे राष्ट्र पिता गांधी तुमको,
प्रणाम करूँ करजोर आज।
युगों युगों तक अमर रहे जो,
वो नाम करूँ मै याद आज।
सत्य अहिंसा अस्त्र थाम के,
परतंन्त्र देश स्वतंत्र कराया।
बर्षों से था पराधीन जो,
भारत को स्वतंत्र कराया।
कर्मवीर तुम सत्यवीर तुम,
सत्यवादी तुम महावीर थे।
भारत माँ के सच्चे सेबक,
धीर धुरंन्धर धर्मवीर थे।
गोरों की तोपों के आगे अपना
जिसने मस्तक नहीं झुकाया।
अंग्रेजों के अरमान कुचलकर,
जिसने सबसे आगे कदम बढाया।
बलिदानों की होड लगा दी,
भारतभू की खातिर तुमने।
सर्वस्व समर्पित कर जननी को,
चमत्कार दिखलाया तुमने।
आज जरूरत है बापू तुम,
अवतार धरो अवतार धरो।
विपति विनाश करो भारत की,
कष्ट हरो सब संताप हरो।
केवल श्रद्धा सुमन से तुमको,
श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
अजर अमर है नाम तुम्हारा,
शतशत नमन तुम्हें करता हूँ।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
निकला है सूरज
कि आया है भोर...
होने लगी देखो
धरती इजोर...
चलो खेतों की ओर...
देश के किसानों
तू हिम्मत न छोड़...
लहराऐंगी फसलें
मन लगा हिलोर...
चलो खेतों की ओर...
चाहे मेहनत के
रस्ते में काँटें मिले...
तुम्हें चलना है
धरती की कलियाँ खिले...
उठा ले कुदाल
उठ लगा दे न जोर...
चलो खेतों की ओर...
बिजली गिरे चाहे
जलते हों पाँव...
चाहे न मिलता हो
एक पल भी ठाँव...
बादल मचाते रहें
चाहे शोर...
चलो खेतों की ओर...
करते नही दुख
कभी तुम बयान...
मिलती हो रोटी या
निकलें हों प्राण...
जय-जय जवान
जय-जय हो किसान
होता है मन मेरा
भाव से विभोर...
चलो खेतों की ओर...
☘️ ☘️ ☘️
स्वरचित 'पथिक रचना
सत्य अंहिसा की बात करो
अब हिंसा को छोड़ो तुम
मारा मारी बहुत हो गई
अब खून खराबा छोड़ो तुम
सत्य अहिंसा परमोधर्मः
गांधी जी सिखलाते थे
सत्य अहिंसा की खातिर
वो हिंसा का विरोध जताते थे
पावं उखाड़ दिए गोरों के
सत्य अहिंसा के बल पर
एक अनोखी जंग लड़ी
सत्य अहिंसा के पथ पर
आपदाओं से अब हमको
आकुल होना नहीं है
बिपत्तियों में अब हमको
व्याकुल होना नहीं है
बिकराल मुसीबत पड़ जाये
पर विजय सत्य की होती
झूठ के पावं नहीं होते
साँच को आँच नहीं होती
ढाई अक्षर प्रेम के पढ़ लो
जीवन सरल बना लो तुम
कोई उलझन नहीं रहेगी
जो दिल में प्यार जगा लो तुम
लोभ मोह के बन्धन तोड़ो
पुण्य के कुछ तो काम करो
धूल जमीं है पापों की
दिल का शीशा साफ करो
प्यार ही प्यार धरा पर हो
ऐसी मेरी चाहत है
नफरत मिटे धरा से अब
बस इतनी सी हसरत है
अखिल बदायूंनी
प्रस्तुति 3
2अक्टूबर 2018
सत्य, अहिंसा, जय जवान जय किसान
1
वो
शास्त्री
किसान
कर्म योगी
गुणों की खान
गुदड़ी के लाल
हिंदुस्तान के भाल
2
थे
बापू
जीवन
दो कृपाण
सत्य अहिंसा
मिला वरदान
देश बना महान
कुसुम पंत उत्साही
स्वरचित
देहरादून
सत्य ,अहिंसा,
जय जवान जय किसान
विधा लघु कविता
हे राष्ट्र पिता सारे जग के,
हे सत्य अहिंसा व्रत धारी।
आज तुम्हारे जन्म दिवस पर
सारा देश है बलिहारी।।
वो लाल बहादुर शास्त्री,
सरल सहज उनकी मुस्कान।
कर्मयोग का दिया है नारा,
जय जवान और जय किसान।।
देखो इन महापुरुषों का जीवन,
कितने त्यागी और महान।
आज सियासत करने वालों।
कुछ तो सीखो इनसे ज्ञान।।
स्वरचित
रचनाकार
जयंती सिंह
1. है
जय
जवान
समर्पित
शक्ति अर्पित
देश अधिकृत
जनता सुरक्षित।
2. है
सत्य
अहिंसा
व्रत धारी
महात्मा गांधी
दिलायी आजादी
सुखी है देशवासी।
3. था
सादा
जीवन
उद्धारक
सच्चे शासक
भारत के 'लाल'
जाने देश कमाल।
4. थे
धर्म
अहिंसा
देश जान
सादा जीवन
कार्य थे महान
बापू जाने जहान।
--रेणु रंजन
(स्वरचित )
02/10/2018
तिरंगे की लाज बचाना,
हम सबका धर्म है,
सोने की चिड़िया के दाने,मोती
फांक रहे है,बंदर
बापू तेरे बंदर,
तुझे संसद के बाहर बिठा,
बंदरों का सपना,साकार कर रहे है।
नासुनो,
नाकहो,
ना देखो,
सुख वैभव को लात मारकर,
कंट क पथ अपनाने वाले,
हेबापू तुझे शत शतप्रणाम,
सत्य संजोया, बचपनसे सपनों में,
मानव पीडा़ को समझने वाले,
हे दीन बंधु तुझको शत शत प्रणाम, सदा अहिंसा बनी तेरासहारा,
संघर्षों में चला इशारा,
स्वतंत्रता का दीप जलानेवाले,हे राष्ट्रपिता, तुझको शत शतप्रणाम,
राम राज्य का सपना दिखलाने वाले,
निर्बल को सबल बनाने वाले तुझको शतशतप्रणाम,
तेरे बंदर, राम राज्य तो न लासके,
दल शासन लाकर,तानाशाही शासन जनता पर कर रहे है।
पूंजी पति,गुंडागर्दी,, अफसर,नेता,धनकुबेरों से
राष्ट्रकी जनता हरपल कष्ट,दुख झेल रहीहै।
बापू तुझे शतशतप्रणाम
मेरे शब्दाजंली बापू।
देवेन्द्रनारायण दास स्वरचित,
2/10/2018/
वाणी संयम, भाषा विवेक,
निश्चछलता, एवम पावनता,
निस्पृह भाव अहिंसक मे,
पलता सदा सत्य का भाव।
मनस, वचन, काया, वाणी से,
आत्म,द्रव्य और भाव अहिंसा,
चित्तशक्ति में वृद्धि कारक,
मूल जीवनाधार सत्य अहिंसा।
"सत्यमेव जयते" की सूक्ति,
और "अहिंसा परमोधर्मः"को,
चरितार्थ कर दिया जीवन मे,
मानव महा राष्ट्रपिता गाँधी।
सैनिक एवं कृषक राष्ट्र के,
अति महत्त्वपूर्ण अस्तिव हेतु,
इस यथार्थ की गहराई मापता,
"जय जवान,जय किसान"नारा।
शास्त्री, गाँधी सुरभूमि भारत के,
अनमोल रत्न द्विय सकल धरा पर,
सत्य अहिसा गाँधी के अस्त्र,
शास्त्री की दृष्टि मे कृषि सैन्यसमृद्धि।
--स्वरचित--
(अरुण)
एक थे गाँधी
सत्य अहिंसा के वो पुजारी,
जिनको पूजे दुनिया सारी,
थे स्वतंत्रता के सृजन हारी,
आज जयन्ती उनकी,
नमन करें दुनिया सारी,
रंग भेद की नीती मिटाई
जात पात का भेद ना माने,
सत्ता के लोलुप नहीं,
सत्य अहिंसा को ही धर्म माने,
एक ऐसे लाल बहादुर
सादा जीवन उच्च विचार
बने देश के प्रधानमंत्री
करते सबसे सदाचार
दुश्मन ने घुटने टेंके,
सैनिकों में शौर्य फूंके
मातृभूमि की लाज बचाई,
सैनिकों ने बलिदान देके,
जय जवान जय किसान
का नारा सार्थक किया
देश के अन्न भंडार भराये
किसानों को सम्मान दिया
स्वतंत्रता की बेदी पर
जेल यातनाएं भोगी,
सत्ता शिखर होकर भी
बने रहे सदा जोगी,
स्वरचित:- मुकेश राठौड़
(1)
हाइकु
🇮🇳
जय भारत
स्वाधीनता संग्राम
अहिंसा पथ
🇮🇳
सत्य पुजारी
साबरमती संत
महात्मा गाँधी
🇮🇳
अहिंसा मान
सर्वधर्म समान
बापू महान
🇮🇳
स्वदेशी नीति
विदेशी बहिष्कार
है शिरोधार्य
🇮🇳
प्रार्थना सभा
गोडसे छुपा राज
जीवन त्याग
🇮🇳
मृत्यु खबर
ताशकंद विवाद
शोक लहर
🇮🇳
जय जवान
लाल नीति महान
जय किसान
🇮🇳
स्वरचित पूर्णिमा साह पश्चिम बंगाल
प्रस्तुति 2
1
सत्य अहिंसा
दो कृपाण महान
जीता सम्मान
2
गाँधी चरखा
देश नहीं परखा
अहिंसा वर्षा
3
भारत रत्न
लाल शास्त्री जन्म
गुरु महान
4
तीन बंदर
गाँधी शब्द महान
अहिंसा खान
5
थे राष्ट्र पिता
अहिंसा को फैलाता
खादी लिपटा
6
सत्य का पथ
अहिंसा बना रथ
गाँधी आदर्श
7
जय जवान
शास्त्री नारा महान
जय किसान
8
जीवन पथ
सत्य अहिंसा रथ
छोड़ कुपथ
कुसुम पंत उत्साही
स्वरचित
देहरादून
उत्तराखंड
सत्य अहिंसा और धर्म का
सबको पाठ पढ़ाने वाले
राष्ट्रपिता तुम भारत के
भारत का मान बढ़ाने वाले
कष्ट सहे बहुतेरे तुमने
पर शीश न तुमने झुकने दिया
हम सब की आजादी के लिए
अपना सब कुछ बलिदान किया
अभिमान चूर कर अंग्रेजों का
भारत को स्वतंत्र किया
कर्मवीर तुम भारत के
भारत माँ सच्चे लाल
अंग्रेजों से छीन कर देदी
आजादी हमको बिना हथियार
शत् शत् नमन बापू तुमको
याद रखें सब सदियों तुमको
***अनुराधा चौहान*** मेरी स्वरचित कविता
💐सत्य💐
असत्य पहन कर विजय हार
झूठी जयकार मनाता है...
सत्य खड़ा चौराहे पर
झूठों के जूते खाता है...
तालियाँ झूठ पर बजती हैं
लाचार सत्य झुक जाता है...
सीता की होती अग्नि परीक्षा
देश निकाला जाता है...
हर झूठा एक खिलाड़ी है
बेईमान वीर कहलाता है...
इंसान न्याय की वेदी पर
ईसा का खून चढ़ाता है...
वह जीने का अधिकारी है
जो पाप छुपा ले जाता है...
सच कहनेवाला दुनिया में
दुख चाहे बहुत उठाता है...
कोई बनकर के हरिश्चन्द्र
फिर राह दिखाने आता है...
नाथू की गोली खाकर भी
तब गांधी जीवित रहता है...
सच की होती है विजय सदा
असत्य पराजित होता है...
स्वरचित 'पथिक रचना'
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
प्रथम प्रस्तुति
🌷गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार🌷
गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार
हो रहा है कितना देखो अत्याचार
जात-धर्म से हो गए,सब यहाँ लाचार
ईमान का भी हो रहा खूब व्यापार
गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार
लूट-पाट,दंगो की दुकानें चल रही
बहू-बेटियों की अस्मिता लुट रही
मंदिर-मस्ज़िद भी फल-फूल रही
इन सबसे भरा हुआ है अख़बार
गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार
साम-दाम दंड भेद,गाँधी नाम रहे
नैतिकता को अपने सब त्याग रहे
गाँधी के वचन तो सबको याद रहे
मनाते इसे जैसे हो कोई त्यौहार
गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार
करूणा अहिँसा तेरा रूप रहा
अंग्रेज़ो के सामने तू न डिगा
तेरे उसी रूप क़ी है दरकार
गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार
-आकिब जावेद
स्वरचित/मौलिक
पता-बिसंडा-बाँदा
उत्तर प्रदेश
जब जब धरती का भार बढ़ जाये
कोई महापुरुष आ जाता है
धरती को पाप से मुक्त कराने
वह युगपुरुष अवतार लेता है।
हिंसा का जवाब हिंसा से
प्रतिहिंसा पल पल बढ़ता है
अहिंसा एक धर्म अपना कर
मानव पापमुक्त हो जाता है
बापू हमारे अहिंसा के पूजारी
जब दिये अहिंसा का संदेश
हम मूढ़ मानव समझ न पाये
इसमे छिपा गुढ़ संदेश
जब हम अपनाये अहिंसा
सीधा असर पड़े हम पर
आज मैंने कोई पाप न किया
चैन आये रात मे बिशेष
अहिंसा का है एक बड़ा रोल
देश को अजादी दिलाने में
गाँधी महात्मा रोज हमें
अहिंसा का थे पाठ पढ़ाते
शत शत नमन आज तुम्हें
हे अहिंसा के पुजारी
हम भी मन कर्म वचन से
रहे अहिंसा के पुजारी
यही है कामना हमारी।
स्वरचित-आरती श्रीवास्तव।
( 1 )
घिर रहा है तम घना,
हो तुम निर्भय मना।
आस का दीपक जला,
राह अपनी खुद बना।
दुख को तू साथी बना,
चल मना बस चल मना ।
करूणा दया प्रेम का,
जगती में तू बीज बो ।
सत्य अहिंसा शांति का,
पथ तुझको अजीज हो।
झुकना न डरना न तू,
चाहे आए कितनी आंधियां।
आंधियों के बाद ही,
अमृत बरसता है घना।
शक्ति और सामर्थ्य का,
अब वीर परिचय दे घना।
चल मना बस चल मना ।
अभिलाषा चौहान
प्रथम प्रस्तुति
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
1-असत्य क्षीण
सत्यमेव जयते
अटल सत्य।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
2- समस्या कोई
अहिंसा समाधान
बापू महान।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
3-देश की आन
समर्पित हैं प्राण
जय जवान।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
4-धरा को चीर
उगाते गेहूँ धान
जय किसान।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
5-सत्य पोषक
अहिंसा आराधक
बापू साधक।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
सर्वेश पाण्डेय
स्वरचित
छोड अपने पैरो की निशानी
ये बहुत कुछ कहती है
पर शायद तुम्हे मलुम था|
दुनियाँ की करतुत,
तभी तुम बन गये हो
पत्थर के बुत|
मुक रहते हो,
कुछ न बोलते हो,
न जाने क्या सोचते हो|
अपने आँखो मे
आँसू भी नही आने देते
न जाने कैसे इन्हे पोछते हो|
शायद
तुम्हारी आँखे पत्थरा गयी है,
तभी तुम्हारे वजुद से
इंसान खरीदे और बेचे जाते है|
तेरे तस्वीरो के सामने
सारे अपराध किए जाते है|
इतने दिनो मेँ
क्या तुम्हारा ह्रदय
कभी न जागा होगा,
तेरे मन मे , क्या ?
कभी ख्याल नही आया होगा,
कि चलो अपनो से मिल आए|
जाति की खाइ पाट,
मजहब का बंधन तोड़ आए|
कह आए भूले बिसरे लोगो से
दो फूल चढा तस्वीरो पर
फर्ज पुरा नही होता है|
सम्भल जाओ यारो
तेरे काले करतुतो से
मेरा दिल रोता है।
स्वरचित
,,1,, घनाक्षरी
अहिंसा के थे पुजारी
मानती दुनियां सारी
सत्य के थे सारथी वो
महा विदवान थे।।
छुवाछुत को मिटाया
स्वदेशी को अपनाया
धीर वीर साहसी वो
बड़े दयावान थे।।
अंगरेजी सत्ता हारी
एक ही पड़े थे भारी
ठान लिया बात कोई
मानो चटटान थे ।।
दुनियां में मान पाये
राष्ट्रपिता कहलाये
देश पे जिये मरें वो
देश का सम्मान थे।।
द्वितीय प्रस्तुति
तुमने जो राह दिखाई
सत्य और अहिंसा की
मैं भी उस राह पर
चलना चाहती हूँ
उस सत्य की लाठी को
पकड़ कर तेरे विचारों का
तेरे अहिंसा के रास्ते का
अनुसरण करना चाहती हूँ
लाठी थामे फिर डांडी की
यात्रा करना चाहती हूँ
तेरे हर आंदोलन को फिर से
दोहराना चाहती हूँ
दूँ मैं भी दुनिया को शांति
और सहिष्णुता का संदेश
जो तेरे सिद्धांतों में बहे रहा
हर जगह आज भी
पर कई कोशिशों के बाद भी
ये नहीं हो पा रहा मुझसे
क्योंकि तेरे विचारों को जीना
कोई मामूली बात नहीं
चाहती हूँ मिले दुनिया को
एक बार फिर दूसरा गांधी
पर अहेम को दूर करके
अहिंसा को जीना अब मुमकिन नहीं ....
डॉक्टर प्रियंका अजित कुमार
स्वरचित
सत्य
- - - -
फिर चाहे जो भी मिले , करना मत परवाह |
कांटे हो या फूल ही , चले सत्य की राह ||
राह कठिन है सत्य की ,चलना रख विश्वास |
सच कहता हूँ एक दिन , होगी मंजिल पास ||
जीवन में गर सत्य का , रखते हैं आधार |
डग मग होगी नाव पर , होंगे लेकिन पार ||
जीना मरना सत्य है , सत्य यहाँ पर राम |
बाकी सब बकवास , मन से कर हर काम ||
एल एन कोष्टी , गुना म प्र
स्वरचित एवं मौलिक
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