सबसे अलग है भेष हमारा ।।
गाय को हमने माँ पुकारा
गंगा का है निर्मल धारा ।।
गीता के उपदेश निराले
खोलें सबके मन के ताले ।।
युगों से ये उस्ताद रहा
दुनिया का सरताज रहा ।।
सोने की चिड़िया कहाया
ये खिताब यूँ ही न पाया ।।
राम कृष्ण से हुये महान
दिग्गजों की यहाँ है खान ।।
वेद संस्कृति के गुण गाये
वेद ही तो पुरातन कहाये ।।
इससे पहले कहाँ किताब
इसीसे सीखा जग जनाब ।।
आइये मिलकर करें नमन
खिला रहे यूँ ही ये चमन ।।
हम सब इसके फूल हैं
हमारे भी कुछ उसूल हैं ।।
शान देश की रहें बनाये
दूसरा काबिज न हो पाये ।।
शहीदों की ये है अमानत
करना है हमें हिफा़जत ।।
चलो मिलकर कसम खायें
अपने दायित्व हम निभायें ।।
इसी में सबका ''शिवम" भला ।।
रहे ये गुलशन खिला खिला ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
मेरा भारत देश महान।
तिरंगा इसकी शान।
सोने की चिड़ियाँ कहलाती है।
सबको शरण ये दे देती है।
गाय को भी यहाँ माता कहते।
रखे सबका ध्यान।
मेरा भारत देश महान।
तिरंगा इसकी शान।
गंगा,यमुना की धारा बहती।
सरयू,सतलज भी है बहती।
कितनी नदियाँ और पर्वत।
सब है इसकी शान।
मेरा भारत देश महान।
तिरंगा इसकी शान।
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
रे मानव
तु भारत वासी है
दिल में ही तेरे
मथुरा काशी है
नजरों में ही तेरी
विवेक की कन्याकुमारी है
हाथों में ही तेरे
झांसी की मर्दानीहै
सांसों में तेरे ही
शिक्षा की सावित्री है
यादों में तेरी ही
आजादी की कहानी है
अहसासों में तेेरेे ही
राधा कृष्ण की
प्रेम कहानी है
इतिहास में तेरे ही
गीता और गुरुबानी है
फिर भी तु जाने क्यों
भटकता है इधर उधर
कर के आंखों को बंद
मन में एक बार
मंथन कर के देख
केवल एक बार
मानव बन कर
मन दर्पण को देख
फिर से एक बार भारत
बन जाएगा चैनो अमन का देश!!
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प्रीति राठी,
इसकी मिट्टी से है नाता
इसके कण कण में है जीवन
इससे ही जीवन है भाता
पाती हरीतिमा यहाँ प्रकृति
देखो जैसे मुस्काती है
हम दें भारत माँ को खुशियां
ये अपनी प्यारी थाती है ,,,,,,,
स्वरचित ,,,,,,रेखा तिवारी
मातृभूमि स्वर्ण खान
यहां की माटी में है जान
हरीतिमा ओढ़े
बादलों की ओट
कश्मीर से कन्याकुमारी
विस्तृत संस्कृति है इसकी जान विभिन्नता में एकता
है इसका अभिमान
मत तोड़ो मत काटो
इसकी भुजाओं को
अपंगता में एकता नहीं
अंगीकार करो शक्ति एकता की
इतिहास उठाकर देखो
अनन्त अनगिनत खूबियां
जाँ इस पर कुर्बा
है मेरा देश महान
है भारत देश महान .....
मेरा भारत देश महान।
अरूणाचल से अरूणोदय होता है
उत्तराखंड से गंगा जल प्रवाहित होता है
हिमगिरि मुकुट है इसका,
सभी तरफ से सागर में पानी गिरता है।
इसका रूप सुखद सुजान।मेरा भारत.........
शस्य श्यामला धरती इसकी।
सोना चाँदी इसमें मिलती।
संस्कृति संस्कारों की जननी,
बहुभाषी यहाँ जातियां मिलती ।
मेरा देश तो मेरा जहान।मेरा भारत...........
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई।
मिलजुल रहते जैसै भाई।
श्रीराम कृष्ण की जन्मभूमि ये
मिलें मौलवी और गुसाईं।
यह तो हम सबकी ही शान।मेरा भारत........
राणाप्रताप वीर सांगा की है धरती।
भगतसिंह आजाद ,हमीद की धरती
तुलसी, सूर ,कबीर, मीरा की धरणी,
सीता, सावित्री,लक्ष्मीबाई की धरती।
इस पर हम जाँ करते कुर्बान।मेरा भारत.......
जय जय भारत देश महान......
स्वरचितः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
मेरा भारत महान है,
जहाँ हर चमचा नेता,
और हर नेता बेईमान है,
.......
कहने को तुम भी शर्मा,
बड़े देश भक्त कहलाते हो,
पर मुझे पता है की,
घर का कूड़ा अंधेरे में,
कहाँ फेककर आते हो,
......
और वर्मा तुमतो इतने बड़े,
घर में अकेले कमाते हो,
तो बताओ हर वर्ष ये जमीन,
कहाँ से लिखवाते हो,
मुझे पता है की,
मिठाई के नाम पर,
मौज उड़ाई जाती है,
और इसके लिए ही,
फाइल दबाई जाती है,
........
और तुम बनवारी,
मुहल्ले की बीमारी,
बिन पेंदे के लोटे की तरह,
कहीं भी लुढ़क जाते हो,
जिसकी मिली बोतल,
उसी के गुण गाते हो,
कमाल का काइयां पन,
है तुममे,
इसी लिए तो भैय्या,
सेक्युलर कहलाते हो,
...........
और अब्दुल तुम काहे,
मुह फुलाये बैठे हो,
कब्रिस्तान का कुछ,
हिस्सा तुम भी तो,
दबाये बैठे हो,
सुना है नई सरकार से,
तुम्हे डर लग रहा है,
इसीलिये वजीफे की,
अर्जी लगाये बैठे हो,
........
और मिश्रा जी,
आपने तो लड़की की शादी,
दहेज विरोधी मंच के अध्यक्ष,
के लड़के से करवाई है,
दहेज वाली कार शादी के,
चार दिन पहले पहुंचाई है,
.......
हमे बचपन से देशभक्ति,
की घुट्टी पिलाई जाती है,
पूरा देश अपना है,
पर हम विदेशी हैं,
ये भी बताई जाती है,
इस देश में देश-देशभाक्ति,
एक बखेड़ा एक पाखंडा है,
यहाँ तिरंगे से ऊँचा,
हरा केशरिया झण्डा है,
.......
सरे राह जब अबला को,
छेड़ा जाता है,
तो उसकी मदत से,
हर व्यक्ति कतराता है,
फिर उसी को न्याय दिलाने को,
मोमबत्ती जलवाता है,
.......
कभी था देश सोने की चिड़िया,
हम इसपर इतराते है,
माचिस और फर्टीलाइजर जैसे,
चीजे विदेश से मंगवाते हैं,
.....
जितना लिखूंगा उतनी व्यथा,
ये बढ़ती जायेगी,
मुझे पता है,
कि मेरा ये विश्लेषण,
किसी को नही भायेगी,
पर कलम मेरी,
थोड़ी सच्ची है,
मुझसे सच ही लिखवाएगी,
....
बर्षों से जमी सोच अब,
कृपा करके बदलो,
कब तक यूँ पड़े सड़ोगे,
दल-दल से बाहर निकलो,
बेशक ही प्रकृति ने,
हमे दिया है सबकुछ ही,
पर हमने सिर्फ,
किया है उसका दोहन ही,
हर देशों में कुछ न कुछ,
लाचारी होती है,
लेकिन जनता की भी कुछ,
जिम्मेदारी होती है,
जिसदिन हम सब मिलकर,
इतनी सी बात समझ जाएंगे,
हम महान थे, हम महान है,
हम महान ही कहलायेंगे,,,
युग-युग से संचित संस्कारों का
प्रतिरूप दिखाई देता है
सहिष्णुता उदारता शुचिता आत्मिक उत्थान का
घनीभूत स्वरूप दिखाई देती है ।
गंगा- यमुना रंग में रंगी भारत की संस्कृति
अनूठी समरसता और एकता से सुसज्जित है
"लोग आते गये हिन्दुस्तां बसता गया"
कोई हिन्दू कोई जैन कोई बौद्ध कोई सिक्ख कोई इस्लाम कोई पारसी कोई ईसाई फिरभी हम सब भाई-भाई हैं।
सत्यकर्म , अध्यात्मिकता, प्राचीनता, अमरता, चिन्तन की स्वतंत्रता,सामूहिक कुटुम्ब प्रणाली, विश्व कल्याण की भावना इस देश की पहचान है।
ऋषियो मुनियो साधु संतो सूफियों ने इस देश को अपने तप से सींचा है
लोक कल्याण की भावना लोकतंत्र का जन्म यहीं हुआ है
सभा समिति विदथ जैसे प्रशासनिक अंगो का जन्म यहीं हुआ है।
वेद का एकेश्वरवाद
उपनिषद का दर्शन
भारत का मूलभाव है
इसलिए हम कहते हैं
"जियो और जीने दो"
@शाको
दुनिया मे देश अपार हुए भारत देश का क्या कहना....
इसकी शक्ति का क्या कहना इसकी भक्ति का क्या कहना
दुनिया मे देश अपार......
जब दुनिया मे अपराध बढ़े तब प्रभु के अवतार हुए
मुगलों के नाक में दम करने शिवाजी पृथ्वीराज हुए
मोहम्मद गोरी को हराना क्या कहना
उसको धूल चटाना क्या कहना
दुनिया मे देश.....
अब बात करे अंग्रेजो की वो भी तो अत्याचारी थे
उनके अपराधों पर भारी मेरे प्यारे क्रांतिकारी थे
अंग्रेजो को भगाना क्या कहना
आजादी दिलाना क्या कहना
दुनिया मे देश......
जब भारत माँ आजाद हुई फिर बेटी क्यों आजाद नही
बेटी को ना पढ़ाना और उसका बलात्कार अपराध नही
अपराधी का खुला घूमना क्या कहना
बेटियो की बर्बादी क्या कहना
दुनिया मे देश.....
अब कानून बनाओँ ऐसा दो बेटी को हक बेटे जैसा
हर कदम पर बेटो से आगे ह फिर दोनों में अंतर कैसा
बेटी का ससुराल में जाना क्या कहना
बेटे का माँ बाप को वर्द्धाश्रम में भेजना क्या कहना
दुनिया मे देश..
जंगल को काट काट कर हम धरती माता को सताते है
बेघर कर जानवरो को हम भूखा नरभक्षी बताते है
पेड़ कटवाना क्या कहना
यू जल को बहाना क्या कहना
दुनिया मे देश....
जय हिंद---
स्वरचित -विपिन प्रधान
अनुपम, अतुलनीय, अद्वितीय, सुंदर भारत देश है मेरा।
संजोए समेटे संस्कृति की धरोहरो को, ऐसा भारत देश है मेरा।
क्या होली, क्या दिवाली, क्या ईद, क्या बैसाखी
हर त्योहारों का रंग यहां खूब जमता है ,ऐसा भारत देश है मेरा।
संयुक्त परिवार आज भी दिखते जहां गांवन में,
सज्जनता ,मानवता जहां सीखे बच्चे लालन- पालन में ,ऐसा भारत देश है मेरा।
यहाँ किसान धरती से सोना उगलाते हैं ,और जवान भारत मां के लिए, सीमा पर जान लुटाते हैं ,ऐसा भारत देश है मेरा
परंपरा के नाम पर भारत वासियों को जोड़ें, ये देश मेरा
इसलिए तो कहलाता यह दुनिया का गहना, ऐसा भारत देश है मेरा।
"जय - हिंद"
©-सारिका विजयवर्गीय"वीणा"
नागपुर (महाराष्ट्र)
मेरा देश हैं सबसे अलग और जुदा हैं इसकी कहनी.
ऊँचा हिमालय शीश झुकाता
विशाल सागर इसके पग पखारता .
अलग अलग हैं यहाँ की वेश-भूषा
अलग अलग हैं बोली भाषा .
अनेकता में एकता का हैं प्रतीक देश मेरा
सबसे निराला हैं देश हैं मेरा .
विश्व में सबसे अलग पहचान हैं इसकी
सबसे जुदा शान हैं इसकी .
तीन रंग का तिरंगा हमारा प्यारा
जो सारे जग से न्यारा .
मोदी कलाम योगी नानक भगत की धरती हमारी
जिनके आगे नमस्तक हैं दुनियाँ सारी.
स्वरचित:- रीता बिष्ट
"भारत-देश"
यह देवों की जन्मभूमि हैं
तपोभूमि ऋषियों की
यह मेरा सौभाग्य है
ये जन्मभूमि है मेरी।
यहाँ होती है नारी की पूजा
यह धरती है वीर जवानों की
अतिथि को हम देव ही समझे
यह देश है भारत मेरा
रंग-बिरंगे लोग यहाँ के
रंग बिरंगे परिधान
खाना अलग पहनावा अलग
पर एक ही भाव है सबमें
देश प्रेम दौड़े रग रग मे यहां
देश भक्ति कण कण में
क्षमा, दया करूणा है यहाँ
पर दुश्मन को धूल चटा दे पल भर मे
अपने देश की आन,बान,शान की खातिर
हम शीश कटा दे पलभर में
यह वीरों की भूमि हैं, भारत भूमि हैं मेरी।
जय हिंद,जय भारत।
स्वरचित-आरती श्रीवास्तव।
राम कृष्ण की अवतारी भूमि
ऋषि मुनियों की तपोभूमि है
भारत देश रत्नों की खान है
लक्ष्मी धूल में लेटी
परम्परा यहाँ की निराली है
मुश्किलों में भी परम्परा को जीते हैं
भिन्न भिन्न संस्कृति यहाँ है
पत्थर भी पूजे जाते हैं
हर ॠतु की छटा निराली
सावन हरियाली लाती
बसंत महकते और दहकते हैं
स्वरचित पूर्णिमा साह बांग्ला
१.
भारत देश....
संस्कार धरोहर....
दिल और जां....
धर्म का पैरोकार...
हर जन सत्कार
२.
भारत देश...
अनेकता में स्नेह..
भावों में एक...
जांबाज़ सरंक्षण...
सब की धड़कन...
II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II
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