उम्रभर का हमारे साथी हैं"
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"तुम मेरी बस्ती में
आग लगाकर देखो
हम अपने आँसूओ से इसे बुझा देंगे
ये आँसू नहीं पानी है
पलभर में हम सागर बना देंगे।"
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"मैं अदना हूँ
तुच्छ हूँ
क्या तोहफा दूं तुझे
दो आँसू है आँखो में
इसे साथ लाया हूँ"
@शाको
स्वरचित
है जीते जी मर जाना क्या।
जब कश्ती ही छूट गयी तो।
फिर लहरों से घबराना क्या।
सूख गए हैं आंसू अरमां के।
फिर बादल का बरसाना क्या।
सीखा चाहत में आज सबक।
है अपना क्या बेगाना क्या।
भवंरे के मन की तुम जानोगे।
है कलियों का खिल जाना क्या।
खेत चर गये खूब गधे जब।
फिर अब पीछे पछताना क्या।
शर्म करो कोई जुर्म हो सोहल़।
है प्यार मे यूं शरमाना क्या़।
विपिन सोहल
आँसुओं की न कीमत आज जमाने में
कोई समेंटकर जाये इन्हे मयखाने में ।।
कोई कोशिश करे इन्हे भुलाने में
कोई लगा है इनके हल सुझाने में ।।
हैं सबके पास मगर लगे कुछ छुपाने में
पर ये छुपते कहाँ बोझ बने अन्जाने में ।।
आँसू के खरीदार थे मकान पुराने में
पर नये लगे नई तहजीब से सजाने में ।।
अब तो व्यर्थ है ये सब शोर मचाने में
कुछ पुराना समेंटते स्मृति खजाने में ।।
रवि देखो आज भी लगा अँधेरा मिटाने में
आँसू पोंछता ''शिवम" लगा है जगाने में ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
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सुख के आँसू,
दुख के आँसू,
और है कुछ जज्बात ये आँसू.........
होंठ सिले हों,
चुप हो आँखें,
कहते कुछ अल्फाज ये आँसू........
गम आए या,
खुशियाँ आए,
बिन मौसम बरसात ये आँसू.......
संगी छूटे या
जग रूठे,
रहते हरदम साथ ये आँसू....... ।
उषा किरण
आँसूः
अभिषेक करूँ आँसू जल से भोले का,
और नहीं कहीं ये आँसू गिर पाऐं।
सदा रहूँ मै लीन शिवशंकर की भक्ति में,
जो भरे प्रेमाश्रु छलकें गिर जाऐं।
विश्वास मुझे इन गौरीशंकर पर पूरा है,
सदा मनोकामनाऐं पूरी करते,
सब जाने हैं शिव अविनाशी घटघटवासी,
ये नयनजल चरणों में गिर जाऐ।
हे भोलेभंडारी हमसबको वरदान ये देना
सभी परस्पर प्रेमभाव रखें।
नहीं रखें हम कोई ऊँचनीच दुर्भावनाऐ
आपस में मिल समभाव रखें।
प्रेमपुजारी हों सब मानव जीवन में यहाँ,
संम्पूर्ण जगत प्रमुदित हो जाऐ
कभी नहीं बहें कष्ट से आँसू किसी शिवजी,
ऐसा सबका मधुर स्वभाव रखें।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र।
निर्धन हो या हो समृद्ध
रुखा हो या प्रेम सम्बद्ध
उदासीन हो या गदगद।
मन से छपती एक भाषा
गीली गीली परिभाषा
अश्रु मिश्रित कोई अभिलाषा
या अश्रु में खोई हताशा।
अश्रु की शैली जो कोई जाने
उनको तो ईश्वर भी माने
ये होते उसके असल दीवाने
अब तो सब इससे बेगाने।
नैनों से मेरे छलके क्यों आँसू,,,,,
जीवन में मेरी आयी
खुशियों की सौगातें
ढोल बाजे बजने लगी
शहनाई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बनकर सुहागन
हुई जब विदाई
नैनों से ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आँसू
छोड़ माता पिता का घर
पहुच गयी अनजान नगर
माँ सा आँचल,,,,,,,,,,,
पाकर पिता सा प्यार
नैनों से ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आँसू
अनजान थी राहें
अनजानी डगर
अनूठा प्रेम बंधन,,,,,,,,,,,
बंध गयी इस स्नेह बंधन से जब
नैनों से ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आँसू
सूना सूना अंगना
सूनी थी पालना
अंगना किलकारियों से
जब गूँज उठी, उस दिन
नैनों से,,,,,,,,,,,,,,,,,,आँसू
माँ सरस्वती के द्वारे
प्रथम दिन,,,,,,,,,,,,,,,
पाठशाला छोड़ आयी जब
नैनों से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आँसू
सफलता उसके चूमने लगे कदम
सर्वोच्च स्थान उसने है पायी
देखकर उसका नाम,,,,,,,
जिलास्तर में तृतीय स्थान
नैनों से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आँसू
उज्जवल भविष्य की खातिर
शिक्षा के लिए,,,,,,,,,,,,
दूर देश को गयी जिस दिन
नैनों से मेरे छलके क्यों आँसू
स्वरचित पूर्णिमा साह बांग्ला
आँसू भी कमाल होते हैं
निकल ही पड़ते हैं,
चाहे पलकों के,सख्त
पहरे होते हैं।
कोई कहता मोती,
कोई कहता खार हैं ..
और भी कई नाम इनके,जो
शायरी और गज़लो में शुमार हैं ..
कहते हैं,दिलों में इनके
ठिकाने होते हैं
ग़म और खुशी,बहने के
इनके बहाने होते हैं..
आसां नहीं
दिल की दीवारों को भेदना
जब तक ना हो बहुत
खुशी या वेदना
इंम्तिहान लेते हैं
गर पड़ जाए इन्हें रोकना
तबाही मचा देते हैं दिलों में
तडप उठता हैं कोना-कोना
ना रोकना इन्हें बहने से
एक यही सच्ची जुबाँ है
दिल की,
प्रेम,भक्ति,विरह हो
या मिलन
हर हाल में इनका बह जाना
है जरूरी ..
दुनिया में ग़म है अधिक
और खुशीयाँ हैं कम
देखो,ना हो आपके कारण
किसी की आँखें नम .
-मनोज नन्दवाना
कितने शीतल, कितने निर्मल,
तुम साक्षी हो मेरे जीवन के,
सुख-दुख के प्रतिपल...
जब भावों की नदी उमड़ती है,
मन भावुक हो जाता है,
तब तुम पावस बनकर,
आंखों में आ जाते हो,
.....
जब हृदय को ठेस पहुंचती है,
कहीं कुछ ऐसा हो जाता है,
तब तुम शीतल धार बने,
उसको शीतल कर जाते हो,
होता है हृदय जब..
व्यथित-द्रवित-विह्वल...
हे अश्रु जल- हे अश्रु जल!
कितने शीतल, कितने निर्मल,
तुम साक्षी हो मेरे जीवन के,
सुख-दुख के प्रतिपल...
पता नही नैनों के,
किस अंतर में रहते हो,
वर्षा का एक मौसम है,
तुम बिन मौसम के गिरते हो,
सुख-दुख-पीड़ा कुछ भी हो,
लेकिन तुम बस बहते हो,
बहना काम तुम्हारा है,,
बस बहते हो-बस बहते हो,
....
जीवन की कई बेदना को,
तुम यूँ ही पी जाते हो,
सहते हो पीर सभी उर का,
सबको शीतल कर जाते हो,
झर-झर-निर्झर बनकर,
बहते हो हर क्षण- हर- पल,
...
हे अश्रु जल- हे अश्रु जल!
कितने शीतल, कितने निर्मल,
तुम साक्षी हो मेरे जीवन के,
सुख-दुख के प्रतिपल...
.....राकेश
20अगस्त 2018
आंसू की है अजब कहानी,
जो कहीं ना जाये जबानी,
ये अपने सच्चे मित्र हैँ,
सबसे अच्छे इनके चरित्र हैl
ख़ुशी हो या हो गम,
बस रहेंगे ये संग संग,
पूछेंगे तेरा हाल,
आकर करदेंगे मालामाल l
दर्द यदि ज्यादा हो जाये,
इनको अपने पास बुलाये,
ज़ब ना सुने कोई आपकी,
इन अश्रुओ कोखूब बहाएंl
सब दर्द बह जायेगा,
खुशियों से तुझको भरदेगा,
ज़ब भी खुशी हो या गम,
अश्रुओं को बहाओ हरदम l
आँसुओ को कभी ना पियो
घुट घुट कर यू कभीना जिओ,
हंसले और हँसाले तू,
इनको मित्र बनाले तू l
कुसुम पंत
स्वरचित
कैसे जाया करुं मैं इनको किसी पर
मेरे जीवन भर की कमाई है ये आंसू
मिला है जो मुझको जमाने से
मेरा प्यार मेरी वफ़ा,दुहाई है ये आंसू
रिश्तों की इस खोखली दुनिया में
मेरी बहन मेरे भाई है ये आंसू
लिखी है इन्हीं से जीवन की कहानी
मेरे गीत, ग़ज़ल, रुबाई है ये आंसू
सर्दी की तन्हा रातों में
मेरे बिस्तर मेरी रजाई हैं ये आंसू
ज़िन्दा हूं मैं अभी तक पी के जिसे
मेरे लिए मेरी दवाई हैं ये आंसू
छलक कर आंखों से बेगुनाही बयां करते हैं
ये आंसू अक्सर मेरी बेजुबानी बयां करते हैं
तेरा मुझसे यूं मुंह फेर कर सो जाना बेवजह
गीले तकिये फिर रात की कहानी बयां करते हैं
दर्द भी तड़पा दर्द से, ग़म भी है हैरान
आंसू आये आंसू को,देख मेरी मुस्कान
हृदय पर्वत से तब
बर्फ सी पिघलती है
तोड़ चक्षुबंध पलक कोर
से आँसू बन बरसती है
जब आह्लादित मन होता है
गला हर्ष से रुंध जाता तब
भावों के मोती बन जो
बूंद पलक से गिरती है वो
आँसू होती है
अति उत्तेजना में जब शब्द
नम हो जाते हैं तब आँखों
की भाषा चश्मतर हो जाती है ,वो आँसू कहलाती है
विरहिन की पीर ,सुहागिन की खुशियाँ जब जब परवान चढ़ती है तब एक पलक में
रुदन फूटता ,दूजे में हंसी मुस्काती है ।
डा.नीलम.अजमेर
स्वरचित
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