**********रक्षाबंधन ***********
रक्षाबंधन में बहन,,,,,,,,,,,बाँधे रक्षा-सूत्र।
भाई तुम रक्षा करो, बनकर सदा तनुत्र।।1।।
सावन की है पूर्णिमा, राखी का त्योहार।
हर घर में करती रहे, खुशियों का संचार।। 2।।
राखी के इस पर्व को, मना रहा है देश।
'अदिति' बाँधी 'फैजल' को, औ' 'सलमा', 'मिथिलेश'।।3।।
बहना ने पाती मुझे, भेजी है इस बार।
अंदर ढेरों प्यार है, नेह भरा इक तार।। 4।।
रोते-रोते हो गयी, सखी! लाल जब आँख।
पेड़ कहे राखी बहन, बाँधों मेरे शाख।।5।।
बहन बंधु से माँगती, इतनी - सी इकरार।
तुम मेरी रक्षा करो, विपदा में हर बार।। 6।।
जो बहना रक्षा करे, भाई का हर बार।
राखी उसके हाथ में, मिले क्यों नहीं यार।। 7।।
बहन-बंधु का पर्व यह, राखी है अनमोल।
बाँध कलाई पर बहन, गई सुधारस घोल।। 8।।
बहन - भ्रात का प्यार है, ज्यों गंगा की धार।
हों भले तकरार मगर, पड़े न कभी दरार।। 9।।
शून्य कलाई रह गयी, सूना रहा ललाट।
बहन आई न डाकिया, रहा देखता बाट।। 10।।
हे प्रभो! क्यों दिया नहीं, मुझे बहन का प्यार।
मेरे हिस्से क्यों नहीं, राखी का त्योहार।। 11।।
रोली-अक्षत-तिलक से, सजा रही मैं थाल।
अपना - सा भाई मुझे, दे दो इक गोपाल।। 12
मैं सजन अब छोड़ चली, तेरी यह संसार।
भाई को तुम बाँधना, सदा नेह का तार।। 13।।
✍️ मिथिलेश क़ायनात
सुंंन्दर से पहने है कंगना।
बंन्धन बांध रही राखी का,
आज बहुत खुशी है बहना।
ये रक्षाबंन्धन तो महापर्व है
हम सब बहनों के लिए भैया।
बहनें सिर्फ रक्षा प्यार चाहतीं,
नहीं चाहें हम बहुत रूपैया।
यह तो केवल रेशमी धागा,
निस्वार्थ वचन ये भाई का।
लाज निभाई कृष्ण हुमायूँ ने,
बताया रिश्ता बहन भाई का।
एक अकेला राखी का बंधन नहीं,
रक्षा अपने सैनिक सीमा पर करते।
रक्षासूत्र बहन विपृजन हमें बांधते,
जवान रक्षा करने सरहद पर डटते।
सम्मान सूत्र बंधन रक्षक है भाई,
बहन भाई का स्नेह बंधा धागे में।
लाड दुलार लडाई झगड़े मजाक ये,
बंधे हुए सब इस कच्चे से धागे में।
रक्षासूत्र एक वचन राखी रक्षा का,
जो जहां हैं अपना कर्तव्य निभाऐं।
मान रखें मातृभूमि कच्चे धागे का,
रक्षक बन हम सब दायित्व निभाऐं।
स्वरचितः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
विधा :- गीत (रखी/रक्षाबंधन)
बांध रही हूँ राखी भैया, अपना वचन निभाना तुम।
जब भी बहना तुम्हें बुलाये, पास हमारे आना तुम।
हम तुम दोनों माँ जाये हैं, एक ही कोख से जन्म लिया।
बचपन से ही माँ बापू ने, पालन पोषण भरण किया।
बचपन की वो मीठी यादें, हर पल याद दिलाना तुम।
बांध रही हूँ ------
शादी होकर इक दिन भैया, मैं ससुराल को जाऊँगी।
माँ की दी गई सारी सीखें, वहाँ पर मैं अपनाऊँगी।
मैं छोटी हूँ भूल भी जाऊँ, मुझको नहीं भुलाना तुम।
बांध रही हूँ -------
चाहे जो विपदायें आयें,भाई को दूर न वो कर पाएं।
रक्षा बन्धन के धागों से,उनको मिलकर दूर भगायें।
मैं चाहे विचलित हो जाऊं, लेकिन ना घबड़ाना तुम।
बांध रही हूँ ---------
आयेगा जब भी त्यौहार, भेजूँगी तुमको उपहार।
जीवन भर बढ़ता जाये, नित प्रत भाई बहन का प्यार।
मैं आऊँगी दौड़ी दौड़ी , मुझको सदा बुलाना तुम।
बांध रही हूँ -------
स्वरचित, स्वप्रमाणित
शिवेन्द्र सिंह चौहान (सरल)
ग्वालियर (म.प्र.)
राखी,रक्षाबन्धन
मामूली सा धागा नहीं ये।
इसमें छुपा बहन का प्यार है।
इसकी लाज सदा हीं रखना।
इसमें स्नेह अपार है।
ख़ुशी,ख़ुशी आई है बहना।
राखी बांधने तेरे घर।
कुछ उपहार दे दो उसको।
हँसते जाये अपने घर।
उपहार की कोई सीमा नहीं।
लीख दो या लाख।
पर जो देना,ख़ुशी से देना।
यही है भाई,बहन का प्यार।।
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
1-
राष्ट्र रक्षार्थ,
फौजी कर्म नि:स्वार्थ,
भेजूं मैं राखी ।
2-
जन्मी तनया,
भाई बांटे खुशियाँ,
बंधेगी राखी ।
3-
स्नेह पावन,
महके ज्यों चंदन,
रक्षा बंधन ।
-- नीता अग्रवाल
#स्वरचित
"भावों के मोती"
बहन प्रेम का रूप है,होती घर की शान।
दुख भाई का बाँटती,रखती सबका मान।।
रिश्ता भाई बहन का,दुनिया से अनमोल।
धागा ये मजबूत अति,छिपते पावन बोल।।
बहना खुशी हजार है,प्रेमिल पावन धार।
दृढ़ बंधन ये प्रेम का,भाई रक्षा सार।।
जग में हर इक बहन का,करना तुम सम्मान।
छिपा हुआ है बहन में,ममता का ईमान।।
घर में होती जब बहन,घर होता खुशहाल।
लगता है बिन बहन के,घर का सूना हाल।।
✍परमार प्रकाश
बहन प्रेम का रूप है,होती घर की शान।
दुख भाई का बाँटती,रखती सबका मान।।
रिश्ता भाई बहन का,दुनिया से अनमोल।
धागा ये मजबूत अति,छिपते पावन बोल।।
बहना खुशी हजार है,प्रेमिल पावन धार।
दृढ़ बंधन ये प्रेम का,भाई रक्षा सार।।
जग में हर इक बहन का,करना तुम सम्मान।
छिपा हुआ है बहन में,ममता का ईमान।।
घर में होती जब बहन,घर होता खुशहाल।
लगता है बिन बहन के,घर का सूना हाल।।
✍परमार प्रकाश
बना साक्षी दीप-लौ को, अपने स्नेह का मित्र।
राखी त्यौहार को खुशबू से भर दे, स्नेहबंधन का यह इत्र।
दीप-लौ उकेर रही भाई-बहन के आत्मिय लगाव का चित्र।
बँधवा राखी कलाई पर, भाई रखे शीश पर हाथ।
दे वचन कहे बहना, हर विपत्ति में निभाऊंगा साथ।
सुन बातें देख मुख भाई का, मंद मंद मुस्कुरा रही बहना।
हाथ देख शीश पर अपने, गर्व से फूला ना समाई रही बहना।
साल भर का सबसे प्यारा त्यौहार है राखी।
सचमुच देखा जाए तो स्नेह का संसार है राखी।
राजा बलि ने भी प्रेमधागा माँ लक्ष्मी से बँधवाया था।
वही रक्षा सूत्र जीवन में उसके रक्षक बन काम आया था।
राखी त्यौहार, भारतीय हिंदु संस्कृति की अनुपम भेंट है।
जहाँ भाई - बहन को अटूट- बंधन में बाँधे मात्र एक डोर है।
©-सारिका विजयवर्गीय "वीणा"
नागपुर (महाराष्ट्र)
विषय-रक्षाबन्धन
विधा- गीत
२१२२ २१२२
ले सकूँ तेरी बलाएँ,
दे तुझे आशीष दूँ मैं,
क्या तुझे चिंता भला है,
हर कदम पर साथ हूँ मैं।१
सिर्फ ये धागा नहीं है,
सूत्र रक्षा का वचन है।
सुन! सदा तेरी दुआँएं,
साथ में मेरे बहन है।।२
आप हो निश्चिन्त जीना,
हूँ यहाँ है त्राण तब तक।।
हूँ तुम्हारे साथ ही मैं।
हैं हृदय में प्राण जबतक।।३
है बहन की आरजू तो,
अब भरोसा ये न टूटे ।
ज़िन्दगी में दुख न आये,
साथ खुशयों का न छूटे।।४
जिन्दगी की शाम में हम,
नेह का दीपक जलाएँ।
आ! नज़र तेरी उतारुँ,
और तेरी लूँ बलाएँ।।५
प्रियंका दुबे प्रबोधिनी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश!
विधा- गीत
२१२२ २१२२
ले सकूँ तेरी बलाएँ,
दे तुझे आशीष दूँ मैं,
क्या तुझे चिंता भला है,
हर कदम पर साथ हूँ मैं।१
सिर्फ ये धागा नहीं है,
सूत्र रक्षा का वचन है।
सुन! सदा तेरी दुआँएं,
साथ में मेरे बहन है।।२
आप हो निश्चिन्त जीना,
हूँ यहाँ है त्राण तब तक।।
हूँ तुम्हारे साथ ही मैं।
हैं हृदय में प्राण जबतक।।३
है बहन की आरजू तो,
अब भरोसा ये न टूटे ।
ज़िन्दगी में दुख न आये,
साथ खुशयों का न छूटे।।४
जिन्दगी की शाम में हम,
नेह का दीपक जलाएँ।
आ! नज़र तेरी उतारुँ,
और तेरी लूँ बलाएँ।।५
प्रियंका दुबे प्रबोधिनी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश!
लक्ष्मी जी ने सर्वप्रथम बलि को बांधी यह राखी जब दानबेन्द्र राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ रचाया था,
लिया था वामन अवतार राजा बलि ने
तीन पग में नारायण को अपना बनाया था
वचन लिया वामन अवतारी ने की
है नारायण तुम हो बड़े ही छलीये
नारायण बोले तुझे नही ह्रै छ्ल पाऊगॉं
जब संकल्प करा लिया बलि ने नारायण से
तब मागां वो दान
जब मै सोने जाऊँ तो वही आपको पाऊँ
मेरी नजर जाये जिधर पाऊँ आपको उधर
नारायण शीश पकड़ ये बोले इसने बनाया चौकीदार मुझे
शीश पकड़ नारायण बोले हार कर जीत गया
बलि की भक्ति के प्रेम मे खो गया
मै वचन वद हो गया
इस तरह नारायण को काफी समय बीत गया
हुई लक्ष्मी जी को चिन्ता मेरा स्वामी कहा खो गया
नारद जी को है बुलाया पूछा नारायण कहा गये
तब नारद जी ने है बताया नारायण हो गये राजा बलि के
लक्ष्मी जी रोने लगी कैसे लाँऊ स्वामी को
तब नारद जी ने एक उपाय सुझाया
बन जाओ तुम बलि की बहना
फिर उसने ना तुम्हे कुछ कहना
लक्षमी जी ने लिया रुप स्त्री का
रोते रोते पहुँची बलि के पास
बलि भावुक होकर बोले क्यो तुम रोती
लक्षमी जी बोली नहीं मेरा कोई भाई
रारवी बाधने मै तुमको आयी
बलि बोले बन जाओ मेरी धर्मबहना
राखी बाधो आओ बहना
तब लक्षमी जी ने सकंल्प कराया
दान मै चाहिये तुम्हारा चौकीदार
तब बलि का माथा ठनका ऐसी आयी
मेरी बहना लेकर गयी वो तो मेरा चौकीदार
तब हुआ रक्षा बन्धन का त्यौहार
बहन के प्रेम मे भाई ने दिया सब कुछ वार
जब भी कोई कलावा बाँधे होता है मंत्र उपचार
येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला
तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल : ,
रक्षा बन्धन वह प्रेम का बन्धन है जो हमे
सुरक्षा प्रदान करता है हमारे आंतिरक और बाहरी शत्रुओ से रोग मुक्त करता
स्वरचित हेमा जोशी
लिया था वामन अवतार राजा बलि ने
तीन पग में नारायण को अपना बनाया था
वचन लिया वामन अवतारी ने की
है नारायण तुम हो बड़े ही छलीये
नारायण बोले तुझे नही ह्रै छ्ल पाऊगॉं
जब संकल्प करा लिया बलि ने नारायण से
तब मागां वो दान
जब मै सोने जाऊँ तो वही आपको पाऊँ
मेरी नजर जाये जिधर पाऊँ आपको उधर
नारायण शीश पकड़ ये बोले इसने बनाया चौकीदार मुझे
शीश पकड़ नारायण बोले हार कर जीत गया
बलि की भक्ति के प्रेम मे खो गया
मै वचन वद हो गया
इस तरह नारायण को काफी समय बीत गया
हुई लक्ष्मी जी को चिन्ता मेरा स्वामी कहा खो गया
नारद जी को है बुलाया पूछा नारायण कहा गये
तब नारद जी ने है बताया नारायण हो गये राजा बलि के
लक्ष्मी जी रोने लगी कैसे लाँऊ स्वामी को
तब नारद जी ने एक उपाय सुझाया
बन जाओ तुम बलि की बहना
फिर उसने ना तुम्हे कुछ कहना
लक्षमी जी ने लिया रुप स्त्री का
रोते रोते पहुँची बलि के पास
बलि भावुक होकर बोले क्यो तुम रोती
लक्षमी जी बोली नहीं मेरा कोई भाई
रारवी बाधने मै तुमको आयी
बलि बोले बन जाओ मेरी धर्मबहना
राखी बाधो आओ बहना
तब लक्षमी जी ने सकंल्प कराया
दान मै चाहिये तुम्हारा चौकीदार
तब बलि का माथा ठनका ऐसी आयी
मेरी बहना लेकर गयी वो तो मेरा चौकीदार
तब हुआ रक्षा बन्धन का त्यौहार
बहन के प्रेम मे भाई ने दिया सब कुछ वार
जब भी कोई कलावा बाँधे होता है मंत्र उपचार
येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला
तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल : ,
रक्षा बन्धन वह प्रेम का बन्धन है जो हमे
सुरक्षा प्रदान करता है हमारे आंतिरक और बाहरी शत्रुओ से रोग मुक्त करता
स्वरचित हेमा जोशी
मनभावन भोर भर उजाला,
राखी का पावन पर्व बहिन !
प्रेमिल डोर सुमन से निर्मित
जगत को देती अनुभव तुहिन !
वह डोर अमूल्य रक्षा- सूत्र
होती हृदय से सुखद उदार।
शोभित सहोदर कलाई में
मधु बहिनों का मधुरस प्यार !
अमर रहता है पावन प्रेम
युगों युगों तक जीवंत सजग !
भ्रातृक रक्षा करता रहता
बहिनों का संगत प्रेमिल रग !
भातृक रक्षा बहिन उपहार
चाहती नही स्वर्ण का हार।
चाहती है थोड़ा सा मात्र
सहोदर निश्चल निर्मल प्यार !
✍परमार प्रकाश
राखी का पावन पर्व बहिन !
प्रेमिल डोर सुमन से निर्मित
जगत को देती अनुभव तुहिन !
वह डोर अमूल्य रक्षा- सूत्र
होती हृदय से सुखद उदार।
शोभित सहोदर कलाई में
मधु बहिनों का मधुरस प्यार !
अमर रहता है पावन प्रेम
युगों युगों तक जीवंत सजग !
भ्रातृक रक्षा करता रहता
बहिनों का संगत प्रेमिल रग !
भातृक रक्षा बहिन उपहार
चाहती नही स्वर्ण का हार।
चाहती है थोड़ा सा मात्र
सहोदर निश्चल निर्मल प्यार !
✍परमार प्रकाश
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