Friday, August 17

"अटल"17अगस्त 2018





सरल था 
तरल था 
फिरभी अटल था ।

असंभव का संगम 
सरस भावप्रवण 
कवि ह्रदय था ।

शब्दों का जादूगर 
जगमोहन मुस्कान 
आत्मीय आचार था।

समन्वय की साधना 
धीरोदात्त ध्रुव 
जन-गण-मन का प्यार था।

पुराण पुरूष 
सतत प्रवाही 
अटल अटल निश्चयी था।

ऋध्दि सिद्धि की समृद्धि 
यश की कीर्ति 
दिव्य मनुज अटल था।

विराट व्यक्तित्व 
अलौकिक राष्ट्रपुष्प 
शिखर पुरूष अटल था।

इरादा अटल 
दृढ़ निश्चयी 
पोखरण का धधक था।

हिन्द का सामर्थ्य 
वतन की शक्ति 
कारगिल का गौरव था।

संसद का सौभाग्य 
संविधान का आदर्श 
राजनीति का मस्तक था।

कवि ह्रदय 
शांत चित
धैर्यवान अटल था ।

कुशल प्रशासक 
मान्य कूटनीतिज्ञ
संवेदशील लेखक अटल था।

पद्म विभूषण से विभूषित 
शौर्य साहस का सबल 
स्वच्छ छवि का धवल था।

त्रिवेणी का जल 
सागर मंथन का अमृत 
पौरूष का अभिमानी अटल था।

@शाको
स्वरचित


स्तब्ध नहीं नि:शब्द हूँ मैं
अश्रुओं का अंतिम लब्ध हूँ मैं
मात्र एक दर्शक इतिहास का
स्वच्छंद नहीं प्रतिबद्ध हूँ मैं

कांटों से रार ठानी नहीं
टेढ़ी - तिरछी चाल जानी नहीं
सौ बार गिरा सौ बार उठा
पथिक, हार तूने मानी नहीं

इक दिन था देश डोल रहा
इक उत्पाती बिलों को खोल रहा
विश्वपंचायत में जग ने देखा
नर - नाहर इक बोल रहा

विपदा जब आई भारी
जागे तब सब नर - नारी
नगर - प्रांत सब घोष हुआ
अब की बारी अटलबिहारी
राजपरिवार से मुक्त कराया देश को
लोकतंत्र है क्या समझाया देश को
भाषा - बोली सब अलग - अलग
फिर भी एक बताया देश को
फूले गुब्बारों जैसा फूले कौन
जनमत कर लांछित झूले कौन
हंसने वालो कल जग हंसेगा
बोल तुम्हारे भूले कौन
नीचों ने नीचे बोल कहे
वो सब छाती तूने सहे
शिष्य नरेन चमकता भुवनभास्कर
कैसे मानूं अटल जी नहीं रहे
नंगों के दिन में लिहाफ लहे
आवरण छिन्न - भिन्न रहे तहे
कुकर्मों की लंका जल रही
कैसे मानूं अटल जी नहीं रहे
सूरज निज - स्थान से जब टले
पतितपावनी जिस दिन नहीं बहे
वाणी तेरी गूँजे तब भी कवि
कैसे मानूं अटल जी नहीं रहे . . . !
समय रुककर गीत नया इक गा रहा
राहें अनजानी नवपथिक छा रहा
चले गए अटल जी नहीं गए
बीच गगन भारतरत्न जगमगा रहा !
वेदप्रकाश लाम्बा
९४६६०-१७३१२ --- ७०२७२-१७३१२


 नही रहे अब हमारे अटल जी 

नही रहे अब हमारे अटल जी.. 

सून हो गया आज
उम्दा कविता का पटल जी
कभी भाव उठे किसानों की स्थिति पर
कभी हदय ने सोचा देश उन्नति पर
कभी कविताओं से हदय के हर भाव उठे
तो कभी घुसखोरो पर शब्दों के बाण गिरे
तो कभी सर्वधर्म का पाठ पढाए
नही रहे अब हमारे अटल जी... 
देश -विदेश के हर नेता 
करे आप को शत् -शत् नमन जी
एम्स में आपके निधन पर
शोक व्यक्त हदय से करते जनता गण
काव्य जगत में आपके लेखन की 
और आपके कविताओं के 
अलग -अलग भाव की गूंज उठी 
कि संघर्ष कैसा भी हो 
मुसाफिर मुस्काते चलो 
नही रहे अब हमारे अटल जी... 
अंत समय जब हो समक्ष 
अपने शीश झुकार कर लो नमन
जीवन में किए सभी गलतियों पर 
ईश्वर से क्षमा मांग लो जी
पलक खोल इसी धरा पर जन्में 
अब इसी पलक को बंद कर 
समर्पित कर दो इस वसुंधरा को 
"निशा "शब्दों के भाव समेटे 
करती भावपूर्ण नमन जी 
नही रहे अब हमारे अटल जी... 
स्वरचित .....निशा मिश्रा




अटल जी ने अटल इरादे
 से वो मुकाम छुआ 
जिसे छूने वाला आज तक कोई नही हुआ ।।

कवि ह्रदय होकर राजनीति का शीर्ष पद 
वाकई काबिले तारीफ है और प्रेरणाप्रद ।।

किन किन मुश्किलों से हआ होगा सामना 
किन परिस्थतिंयों का पड़ा होगा दामन थामना ।।

कवि को एकाकीपसंद कहने वालों को जबाव
सचमुच कवि विरादरी के थे वो एक आफताब ।।

अदभुत प्रतिभा का परिचायक उनका व्यक्तित्व
सदियों तक याद किया जायेगा उनका कृतित्व ।।

कौन कर सकता उनकी श्रेष्ठता का बखान
लिख गये ''शिवम" तरक्की का नया सोपान ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"




रो रही है धरती माता , 
रो रहा सारा आसमान ।
अटलजी आपके जाने से ,
रो रहा भारत महान ।।

खुशिया छायी होगी चहुँओर , 
देवों के दरबार में ।
चल दिया एक फरिश्ता , 
जमीन से आसमान में ।।

आसमाँ खूब बरस रहा , 
दुःखी होके आज यहाँ ।
भारत माँ का लाडला अटल , 
छोड़कर चला ये जहां ।।

स्वच्छ राजनीति बनायी, 
हो आप भारत की शान ।
अटल रहे ,अमर रहे , 
भारत रत्न अटल महान ।।

निःस्वार्थ भाव से अपना ,
जीवन देश को अर्पण किया ।
महानायक थे आप देश के ,
जनता के सुख-दुःख को जिया ।।

राष्ट्रनेता , राष्ट्र कवि , 
कलम के थे आप जादूगर ।
युगऋषि थे अटल जी , 
थे आप भारत के सिकन्दर ।।

हिंदुस्तान के युग पुरुष , 
अमन शान्ति का दिया पैग़ाम ।
अब आसमाँ में अटल रहेंगे , 
याद आएंगे सुबह-शाम ।।

एक युग का अंत हुआ , 
शब्दों का सूरज डूब गया ।
साहित्य जगत हिल गया ,
कलम का साथ छुट गया ।।

15 अगस्त को ना झुके तिरंगा ,
मौत की एक दिन हरा दिया ।
जाते-जाते भी अटल जी ने , 
देशप्रेम अपना दिखा दिया ।।

अटल जी को शत-शत नमन , 
"जसवंत"की कलम रोती है ।
अटल जी हमेशा अमर रहेंगे , 
भारत के कोहिनूर मोती है ।।





ऐसे ही नाम नहीं था अटल
मृत्यु को बोला आज तू टल 
कल देश तिरंगा लहराएगा
तभी मैं तुझसे कहूँगा चल

हे मृत्यु तू खड़ी रह मेरे द्वार
करले तू थोड़ा मेरा इंतज़ार 
मैं तिरंगा लहराकर आता हूँ 
फिर चलते धर्मराज के द्वार 

धर्मराज स्वर्ग में टहल रहे
स्वागत की खुशी मचल रहे 
सभी देवी-देवता भी खड़े है
कब आए अटल आहें भर रहे 

आज खुशियाँ अपरंपार है 
देवी-देवताओं का दरबार है
दर्शन करने को सब आतुर है 
स्वर्ग में अटल का इंतजार है 

स्वरचित कुसुम त्रिवेदी



अटल है
अटल थे

अटल रहेगें सदा

सरल
सरस
मनमोहक वयक्तित्व
के धनी
कवि हृदय के धनी

अदभुत वयक्तित्व
सैकड़ों दिलो के राजा
राष्ट्रीय वयक्तित्व
विराट हृदय 
अजातशत्रु
सच्चे देश प्रेमी 
हुईअपूरणीय क्षति
अश्रूपूर्ण नेत्रों से
शत शत नमन
तुम्हे हे युग पुरुष
हे अटल पुरुष।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।



अटल हमेशा अटल रहेंगे।
जबतक सूरज चाँद रहेंगे ।
श्रद्धा सुमन तुम्हें अर्पित करते हैं,
तुम हो इस भारत के गौरव।
शोकमग्न हैं भारतवासी
हम श्री चरणों में गर्वित सौरभ।
आप अटल थे सदा अटल रहेंगे।
अटल हमेशा........
नीतिवान अजातशत्रु तुम।
कूटनीति के योद्धा तुम।
शांति दूत तुम रहे सदा ही,
राजनीति में रहे सर्वप्रिय तुम।
तुमको सब कोई विकल रहेंगे।
अटल हमेशा.........
तुम धीरमना उद्वातमना तुम।
तुम स्पंदित उर प्रीत मना तुम।
तुमने जन जन को अपनाया,
तुम रहे रहोगे हमें उदारमना तुम।
अटलरत्न तुम अटल रहेंगे।
अटल हमेशा...............
राजनीति के विशेष पुरोधा।
हर नीति के रहे तुम योद्धा।
परमाणु बम राजधर्म के ज्ञाता,
तुम थे भारत के भाग्य विधाता।
तुम अटल सत्य तुम अटल रहेंगे।
अटल हमेशा.........
तुम युगदृष्टा तुम युग सृष्टा तुम।
तुम कालजयी सुख सृष्टा तुम।
तुम साहित्यकार रहे पत्रकार तुम
विजयीभाव रखें जो दृष्टा तुम।
तुम अटलनिष्ठ तुम सफल रहेंगे।
अटल हमेशा......
तुम हास परिहास परिचायक।
बने रहोगे इतिहास के नायक।
अजर अमर तुम अमर रहोगे,
तुम बने रहोगे जन मन के नायक।
अमिट छवि तुम प्रबल रहेंगे।
अटल हमेशा...........

स्वरचितः
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.



"अटल जी"
आए यमराज लेने अटल जी को,
दिन था वो पन्द्रह अगस्त,
थे चिंता में अटल जी,
स्वतंत्रता दिवस पर
ध्वज कैसे मैं झूकने दूँ
किया होगा फिर सोच विचार
छेड़े होगें फिर सुरों के तार
होकर मंत्रमुग्ध यमराज
गये होंगें समय को हार
कहते होंगें बस और एक बार
बीती रात हो गई भोर
ये देख अटल जी
मंद-मंद मुस्काए होंगें
यमराज फिर घबराए होंगें
हाथ जोड़ कर माँगें होंगें
देव पुरूष के प्राण
मित्रता अपनी निभाने में
अटल जी सच्चे थे
चल दिए होंगें साथ
ड़ाल हाथों में हाथ ।

स्वरचित-रेखा रविदत्त
17/8/18
शुक्रवार


काल के कपाल पर 
नियति के भाल पर 
लिखित शब्द मात्र है 

"अटल" ही "अटल" 

निःशब्द शब्द शब्द है 
महाकवि को लब्ध है 
काव्य जग में गूंजता 
"अटल" ही "अटल" 

राजनेता वो संत था
राष्ट्र का महंत था 
देश जिसका ग्रंथ था 
"अटल" ही "अटल"

जो मौत से डरा नहीं
मर कर मरा नहीं 
श्वास श्वास बस रहा
"अटल" ही "अटल"

✍️तृप्ति


आज तो ईश्वर भी उत्सव मना रहा है 
क्योंकि धरती का एक फरिश्ता जो, 
चमकता था धरती पर कोहिनूर जैसा,
आज उसकी सभा की रौनक बडा रहा

अपनी रचनाओं में तो आज भी हैं वो, 
लौट कर आऊँगा कह गये है वो, 
विश्वास उनका था अटल, 
तभी अटल नाम से विख्यात थे वो, 

मौत उनको क्या मारेगी, 
एक एक दिन टाल रहे थे वो, 
दिल में तिरंगा लहराने की चाह,
आजादी दिवस को मना गये थे वो! 

अलविदा कैसे करें आपको अटल जी, 

दिल में है गम और आँखें है पूरी भीगी
है अटल विश्वास कि फिर लौटोगे आप
मिलेगा देशवासियों को आपका साथ! 
स्वरचित -संगीता कुकरेती



हायकू(अटल श्रध्दांजली विशेष)

भारत रत्न

अचानक गमन
शोक लहर।१

करूँ अर्पित
सुमन श्रध्दांजली
कर नमन।२

अटल चले
देश को सिखाकर
अटल पथ।३

अमर गाथा
लिखकर अटल
बने नायक।४

रोये जगत
शोक की संवेदना
शांत अटल।५

बेटा अटल
अचानक खोकर
नयन भरे।६

ओज कविता
राजनीति सरिता
अटल धार।।७

नवीन कुमार भट्ट


"बेनकाब चेहरे हैं,
दाग बड़े गहरे हैं,
टूटता तिलस्म, 
आज सच से भय खाता हूँ ।
गीत नही गाता हूँ "
(श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी) 

सच में तुमने तिलिस्म तोड़ दिया है....
सब नेताओं को बेनकाब किया है....
नैतिकता की परिभाषा गढ़ कर....
राज धरम पालन इतिहास रचा है....

छल कपट भाया न जिसे था...
राजनीति का ऐसा सरमाया था...
कवी वाणी जब मुखरित होती....
मंत्रमुग्ध हो सारी दुनिया सुनती....

पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर था वो...
देश हित में जीता मरता था वो....
कहाँ मिलते हैं नेता अब ऐसे....
इंसानियत का प्रणेता था वो....

सरल सरस मुख नयन भाषा... 
अटल सत्य परिभाषित गाथा...
स्तम्भ अटल राजनीत धर्म का... 
ज्योतिपुंज विकट प्रस्थिति का...

कंठ सरस्वती विराजे जिसके....
निर्मल वाणी मुख सरिता बिहसे...
मुख बिम्बित हो चमके ऐसे...
शीतल चन्दर प्रत्यक्ष हो जैसे....

प्रेमराग अनुरागी मन था उसका....
सर्वधर्म समभाव मन था उसका....
सोच विलक्षण हंसमुख हर क्षण...
अटल चुंबकीय आकर्षण उसका....

हर जन ह्रदय में रहता था वो....
आशा विश्वास का दीपक था वो...
सार्वभौम सत्य ही कहता था वो...
फिर भी अजातशत्रु नेता था वो....

भीष्म सा अटल उसका जीवन था....
गौधूलि का समय पवित्र चुना था...
नया आवरण लिया उसने पहन था...
'अटल' अमर ज्योत विलीन हुआ था...

शत शत नमन है भारत रतन को....
शत शत नमन सबके 'अटल' नेता को....

II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II


अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि 
राष्ट्र निर्माता अटल जी को 

दैनिक लेखन 
17अगस्त 2018
"मिलूंगी उस युग निर्मातासे
ख्वाहिश थी..... 
पर विधाता ने दे दिया दुःख हिंद को..... ओह्ह्!!!

जो युग निर्माता अमर हो गया, 
नहीं कभी वो वापस आता, 
अब बस राह निहारे नैना, 
जग से रहा ना दैहिकनाताl

दो राष्ट्र कवि मिल रहे आज, 
सुभद्रा जी का जन्म दिवसहै, 
यात्रा पूर्ण हुई अटल जी की, 
आज विश्व का शोक दिवस है l

आँखों मे अश्रु सागर लहराता, 
दर्द भरा दिल तड़प रहा है, 
मन की मन मे रही ख्वाहिशे, 
अंतस" कुसुम" का कलप रहा है l
कुसुम पंत 
स्वरचित 
व्यथित मन से



मानवता के शिखर पटल मे..
अलख जगाये वो अटल है..
राजनीति के गर्त से आकर....
शिखर पर छाये वो अटल है..

राजनीति के भीष्म पितामह..
कार्य किये जो वो अटल है..
संपूर्ण विश्व मे भारत का जो..
मान बढ़ाये वो अटल है..

देशहित मे स्वार्थ को त्यजकर.. 
हुए समर्पित वो अटल है..
कभी थके ना, कभी वो हारे..
परम देशभक्त, वो अटल है..

अलंकार है भारत के वो....
राष्ट्र कवि थे, वो अटल है..
कोहिनूर बन भारत का जो...
चमक बिखेरे वो अटल है..

हार ना मानी जीवन से कभी..
अडिग डटे रहे वो अटल है... 
कठिन समय से भी ना डरा जो..
लड़े अनवरत वो अटल है..

काल भी जिसका शीश झुकाकर.
हो किया अभिवादन वो अटल है.. 
दुखद परन्तु परम सत्य है..
मृत्यु अटल है आप अटल है...

संपूर्ण विश्व मे भारत का जो..
मान बढ़ाये वो अटल है..
कोहिनूर बन भारत का जो..
चमक बिखेरे वो अटल है...

अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 🙏 🙏
स्वरचित #विनय_गौतम (17.08.2018)



विधा -सरसी छन्द

सरसी छन्द

सकल जहाँ को छोड़ एक दिन ,जाना है निज धाम ।
कर्म अटल से रहें सभी के ,अटल सरीखा नाम ।।

अटल बने समता संवाहक ,दिशा समाज को दी 

आज हुआ अवसान सूर्य का ,अगणित स्मृतियां दी ।

हुआ युग पुरुष मौन क्यों ,व्याकुल भया जहान ।
था महान व्यक्तित्व अटल ,कृतित्व अटल महान ।।

विश्व शांति के दूत थे अटल , याद तुम आओगे ।
ध्रुव तारा बन कर उजियारा ,गगन पर छाओगे ।।

अश्रु जल नयनों में भर कर ,तुमको आज विदा ।
अटल करोड़ो जन के दिल में ,तेरा वास सदा ।।

रीना गोयल ( हरियाणा)


 अमिट अमर वह अटल था ***
सन्नाटा से भरा शून्य का कल था ,
उदित हुए तुम वह पुण्य पल था l

मोम के अंदर भरा हुआ अनल था ,
गगन पर प्रखर सूर्य वह अटल था ll
लोकनायक में लोक प्रबल था ,
जननायक में जन सकल था l
शक्ति समर्थक रूप विरल था ,
गगन पर प्रखर सूर्य वह अटल था ll
जन मन का विश्वाश सबल था ,
सौभाग्य से भारत भाग्य प्रबल था l
नियति नायक चुनने में सफल था ,
गगन पर प्रखर सूर्य वह अटल था ll
प्रथम पग परमाणु पहल था ,
कण में शक्ति समग्र सकल था l
आज का साहस भारत का कल था ,
गगन पर प्रखर सूर्य वह अटल था ll
ऑपरेशन पराक्रम प्रबल था ,
रिपु का छल छद्म विफल था l
जिआ वही देश जो सबल था ,
गगन पर प्रखर सूर्य वह अटल था ll
आगरा आग्रह शांति का पहल था ,
शत्रु के संग छल छद्म का गरल था l
इरादा नेक लक्ष्य स्पष्ट सकल था ,
गगन पर प्रखर सूर्य वह अटल था ll
मजबूत भारत तुम्हारा प्रतिफ़ल था ,
तुम्हारे पास सब सब प्रश्नो का हल था l
देश हर चक्रव्यहू को भेदने में सफल था ,
गगन पर प्रखर सूर्य वह अटल था ll
छोड़ गए वह निर्वाण का पल था ,
मन विकल और आँख सजल था l
युगप्रवर्तक युगपुरुष आज कल था ,
गगन पर प्रखर सूर्य वह अटल था ll
स्वरचित मौलिक रचना ©BP YADAV



दिनांक 17अगस्त , 2018
दिन शुक्रवार
विषय अटल
रचयिता पूनम गोयल

क्या लिखूँ ? अटल जी के विषय में ,
कि अचानक रुक गई मेरी कलम ।
जब सुना , उनकी मृत्यु का समाचार ,
वह सत्य था ? या था कोई भ्रम ।।
एक अत्यंत उत्कृष्ट श्रेणी के कवि का ,
आज देहावसान हो गया ।
यूँ लगा जैसे कोई ,
बहुत अपना-सा खो गया ।।
न देखा कभी , न मिलें थे कहीं ,
फिर भी , अटल जी हम सबके अपने थे ।
कवि होने के साथ - साथ वे ,
एक महान व्यक्तित्व के स्वामी भी थे ।।
जब-जब पढ़ीं , कविताएँ उनकीं ,
तो लगा कि स्वयं की कहानी हो जैसे।
उनकी एक - एक रचना ऐसी थी मानों ,
सम्पूर्ण मानव - जगत की जुबानी हो जैसे ।।
ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे ।
एवं हम-सब धरती - वासियों को ,
इस क्षति को सहने की , शक्ति प्रदान करे ।।




अटल सत्य के उस नायक
को बारंबार प्रणाम हमारा 

जिससे राजनीति थी उजली 
काव्य कला से कविता पिघली 
वक्ता की परिभाषा बदली 
भाषण की अद्भुत छवि निखरी 

अटल सत्य के उस नायक 
को बारंबार प्रणाम हमारा

अटल राह की जो परिभाषा 
जिनसे जुड़ी द्देश की आशा 
द्देश काल सीमा से ऊपर 
सच्चे मानव की परिभाषा

अटल सत्य के उस नायक 
को बारम्बार प्रणाम हमारा 

किया देश हित है जो प्रतिक्षण 
और किया पोखरण परीक्षण 
गलत नीतियों के प्रति जिसने 
कभी किया है नहीं समर्पण 

अटल सत्य के उस नायक 
को बारम्बार प्रणाम हमारा 

उस उत्कृष्ट काव्य स्रष्टा को 
राजनीति उज्ज्वल कर्ता को 
काल विजेता उस नायक को 
जन गण मन के अधिनायक को 

सत्य अटल के उस नायक 
को बारंबार प्रणाम हमारा 

स्वरचित ,,,,,,रेखा तिवारी



 नाम था अटल 
ह्रदय के थे सजल 
गीत नये युग के गाते थे 

दिल में सबके बस जाते थे .

कुशल राजनीतिज्ञ देश के रत्न 
दिल में था जिनका सबके लिए अपनापन 
विशाल ह्रदय सम्राट महान कवि 
सबके दिलों में बसा लेते थे अपनी छवि .

ग्वालियर के नौ निहाल 
अटल जी थे बेमिशाल 
करूँ मैं उनको वंदन 
अर्पण करूँ उनको श्रद्धा सुमन .
स्वरचित :- रीता बिष्ट



 अटल सत्य हिन्दुस्तान का लाल
जग को रौशन कर जायेगा 


युगपुरुष का नाम मानस पटल पर
स्वर्णाक्षरों से लिखा जायेगा 

युगों युगों तक गीतों में 
उनका नाम गाया जायेगा 

उनके कदमों के निशान
सत्य की पहचान बन जायेगा

धरती का फरिश्ता आसमानों में 
चमकता तारा बन जायेगा 

"भारत रत्न " था अटल 
विश्व का कोहिनूर बन जायेगा 

स्वरचित पूर्णिमा साह बांग्ला



अटल नाम धारी 
इनकी महिमा न्यारी 
बेदाग स्वच्छ छवि 

सुह्रदय कवि 
स्वच्छ राजनीतिक छवि 
कथनी करनी में फर्क नहीं
किसी बात का गम नहीं
नहीं किया कभी छल 
चाहे हो बाबरी या परमाणु बम
देश था उनका बल
किंतु राजनीति एक खेल ,,,,,
नहीं रखा उनसे मेल,,,,,
आनन जोशीला मन जोशीला
जग पर वारे जान
हिंदुस्तां की शान
अटल बना मेहमान ,,,,, अ टल,,, 🙏



 (1)
देश का गर्व 
भारत के मुकुट 

"अटल" रत्न 
(2)
कविता संग 
राजनीति के रंग 
खिले "अटल" 
(3)
"अटल" नीति
शीर्ष पे राष्ट्रधर्म 
हृदय प्रीति 
(4)
सहस्त्र दल 
अटल परिश्रम 
खिला कमल 
(5)
"अटल" सत्य 
सत्कर्मों का सूरज 
रहे अमर







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