Friday, April 3

" राम/रामनवमी/रामायण"02अप्रैल2020

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ब्लॉग संख्या :-699
विषय श्री राम,रामनवमीं, रामायण
विधा काव्य

02 अप्रैल 2020,गुरुवार

श्री राम कौशल्या नन्दन
दशरथ प्रिय विश्व के पालक।
जन जन के वे राज दुलारे
दीनदयालु जगत सहायक।

राम हैं मर्यादा प्रिय रक्षक
श्रेष्ठ पुत्र नित सखा हैं भाई।
वे रहे जनक सुता के सर्वेश
जन जन के हैं सदा सहाई।

दो अक्षर श्री राम नाम के
असंभव को संभव करते।
करुणा सागर राम हनुमंता
दीन हीन स्व गले भर लेते।

लंका विजय की श्री राम ने
राजतिलक विभीषण कीन्हा।
अहिल्या केवट भिलनी तारी
अवध राज भरत को दीन्हा।

राम नाम सब काम पूर्ण करें
राम रमापति जग पालक हैं।
अंतर बाहर कँहा राम नहीं
श्री राम हर हिय वासक हैं।

जयति जय हो रघुनंदनप्रिय
जयति जय हो दीनदयाला।
जयति जय हो प्रेम के सागर
जय जय जय, दीन कृपाला।

स्वरचित, मौलिक
गोविंद प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विषय-श्रीराम
दिनाँक02/04/2020

विधा- दोहा, कुण्डलिया

पुण्य कथा श्रीराम की,सुनकर कटते पाप।
सहस्र यज्ञ का फल मिले,करें राम का जाप।।

पावन नगरी अयोध्या, जहाँ हुए श्रीराम।
पालन हित पितु के वचन,तजा नगर अभिराम।
तजा नगर अभिराम, गए वन को रघुराई ।
अनुचर भ्राता लखन, संग में मिथिला धाई।
किया वन असुर हीन,मुनि-गण के अति मनभावन।
लौटे रावण मार, अयोध्या नगरी पावन।

आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश।

शेर की कविताए...

मोहनी मूरत साँवली सूरत, कौशल्या के दुलारे।

दशरथ नन्दन जानकी बल्लभ, अवधपुरी के प्यारे।

श्रीराम पधारे है इस जग के,बन कर तारणहारे।
हुई धन्य धरा भारत भूमि ,श्रीहरि की माया न जाने।

वह मर्यादा पुरूषोत्तम है इस जग के नीति नियन्ता।
कण कण हर क्षण अन्तर्मन तन दर्शन करती है जनता।

वह रोम रोम में बसे हुए क्या मानव पशु या किन्नर।
जब जब धरती पर पाप बढे तब जन्मे दशरथ नन्दन।

शेर सिंह सर्राफ
🌹जय श्री राम 🌹राम नाम एक मंत्र है रखना हरदम साथ
कट जायेगी जिन्दगी बन जायेगी बात ।।

भक्तों के हित के लिये आये थे खुद आप
बढ़ रहे थे राक्षस और बढ़ रहे थे पाप ।।

आदर्शों की जीत का सिला दे गये खूब
चलता रह आदर्श पर कभी नही तूँ ऊब ।।

जिसे जीतना मुमकिन खाली हाथ दी मात
साथ स्वत: जुड़ते हैं जो सच्चाई हो साथ ।।

अनुकरण करने का है रामायण का पाठ
जीवन नही सदा का कब उठ जाये हाट ।।

राम नाम से करते जाओ थोड़ी थोड़ी नेह
माया से तो स्वतः ही हो जाता स्नेह ।।

''शिवम्"सजेगी जिन्दगी आयेगा कुछ नूर
हर इंसा को मिला है कुछ न कुछ भरपूर ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 02/04/2020

आज का विषय- श्रीराम, रामनवमी

आज ख़ुशी का पर्व है आया,
भक्तों के मन सुख पाते हैं,
श्रीराम लला के स्वागत में,
खुशियों के दीप जलाते हैं,

पुलकित होकर मन मेरा,
आज बड़ा ही नाच रहा,
राम लला के स्वागत में,
श्रीराम राम मन बांच रहा,

ना ही कोई प्रतिशोध है,
ना ही कोई द्वंद खड़ा,
ना मन मे कोई बैर भाव,
ना हृदय का पट है बंद पड़ा,

आज मुझे ना रोको तुम,
खुलकर खुशी मनाने दो,
तोड़ के सारी जंजीरों को,
मुझे राम राम चिल्लाने दो,

मैं रामलला का सेवक हूँ,
जो मर्यादा के स्वामी है,
जन जन के आराध्य है वो,
हम उनके ही अनुगामी है,

आओ तुम भी संग संग मेरे,
हम मिलकर खुशी मनाते हैं,
दीप जलाकर खुशियों के,
श्रीराम जन्मोत्सव मनाते हैं।

विषय :- श्रीराम/रामनवमी
द्वितीय प्रस्तुति🙏

जिसकी कृपा से सकल सृष्टि का,
होता दूर अंधेरा है,
राम ही कर्ता राम ही भर्ता,
राम ही मालिक मेरा है,
मन मेरा बस राम रटे ये,
राम नाम ही गाता है,
राम कृपा जिस पर हो जाये,
भवसागर तर जाता है।

मैं तो केवल दास राम का,
राम नाम गुण गाता हूँ,
रामनाम का सुमिरन करता,
रामभक्त कहलाता हूँ,
घट घट मेरे राम बसे हैं
राम से मेरा नाता है,
तेरा तुझको अर्पण कर दूं,
मेरा भी क्या जाता है,
रामकृपा जिस पर हो जाये,
भवसागर तर जाता है,

मुझको केवल राम भरोसा,
राम का वंदन करता हूँ,
सुबह शाम मैं जिससे मिलता,
जय रघुनन्दन करता हूँ,
रामलला के दर्शन करके,
रोम रोम मुस्काता है,
रामलला की किरपा से ही,
मन मेरा सुख पाता है,
रामकृपा जिस पर हो जाये,
भवसागर तर जाता है,

सारे जग के मालिक हैं वो,
मैं उनका दीवाना हूँ,
जिनकी शमा से जले जमाना,
मैं उनका परवाना हूँ,
उनके चरणों की पूजा करके,
मन मेरा इतराता हैं,
उनकी कृपा से हर प्राणी का,
रोग कष्ट मिट जाता है,
रामकृपा जिस पर हो जाये,
भवसागर तर जाता है।

दिनांक-02/04/2020
विषय- रामनवमी


चैत्र मास का शुक्ल पक्ष
अनंत आकाश अक्षांश अक्ष।
युगपुरुष ने जन्म लिया
सूर्यवंश के रघुकुल कक्ष।।
धैर्य धरा का धारण करने
मर्यादा मानवता का पक्ष।

हे सूर्यवंश के दीप
रघुकुल हुआ अजोर।
मर्यादा ने जन्म जब लिया
बिहँसा संसार जोर -जोर।।
लंका थर थर कांप उठी
निकल पड़ी मर्यादा की ज्वाला।
प्रभु ने अत्याचार का वध कर डाला..

रीतिकाल में रामचंद्रिका को
आचार्य केशव ने लिख डाला.....

मर्कट मनुज जब मिले
बजा दिया जग में डंका।
धर्म ध्वजा का धरा पे उतरा
नष्ट हो गई दुष्टों की लंका।।
राम तुम्हारी राज्य में
दुर्जन सुख से जी रहे।
पीड़ित आज संत समाज
घुट घुट आंसू पी रहे।।
धर्म सिसकता अधर्म बिहंसता
संतों का हो रहा निरादर।
राजनीति में फंसी अयोध्या
मस्त मलंग आज निशाचर।।

स्वरचित मौलिक
रचना सत्य प्रकाश सिंह
प्रयागराज
झूठ पाप तज पूर्ण करलो सच्चे पावन काम
घट घट में बसे हैं राम, घट घट में बसे हैं राम


जीवन रण है सत्य पथिक मत करना आराम
घट घट में बसे हैं राम, घट घट में बसे हैं राम

संकल्प शुध्द मन बने बुध्द इसी मे चारो धाम
घट घट में बसे हैं राम, घट घट में बसे हैं राम

नीति और अनीति का प्रतिपल रखना ध्यान
घट घट में बसे हैं राम, घट घट में बसे हैं राम

राम नाम वाणी धारित कर करोगे अमृतपान
घट घट में बसे हैं राम, घट घट में बसे हैं राम

पुरुषोत्तम का चरित्र बनो बनो गुणों की खान
घट घट में बसे हैं राम, घट घट में बसे हैं राम

दृष्टि दिव्य सृष्टि नव्य के दिखेंगे नूतन आयाम
घट घट में बसे हैं राम, घट घट में बसे हैं राम

विपिन सोहल

2/4/2020
श्री राम/रामनवमी/रामायण
नमन मंच भावों के मोती समूह।गुरूजनों, मित्रों।
आ खड़े हुए सामने
लिए धनुष और बाण।
हे राम! तुम्हें प्रणाम।

धरती पर विपदा पड़ी।
तुम्हें फिर से आना होगा।
हे राम!
तुम्हें अपना फर्ज निभाना होगा।

कैसी विपदा आन पड़ी।
ये है मुश्किल की घड़ी।
तुम्हें हीं यहां आकर।
दुनियां को बचाना होगा।
है राम!
तुम्हें अपना फर्ज निभाना होगा।

घर में बन्द हुए सब।
बाहर की कोई नहीं खबर।
हे राम!
सबको बाहर जाने का।
रास्ता निकालना होगा।
हे राम!
तुम्हें अपना फर्ज निभाना होगा।

वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
Durga Sinha 2.4.2020
गुरूवार

विषय -श्री राम /
रामनवमी/ रामायण
विधा - भक्ति गीत
( राम जन्मोत्सव )

रामनवमी
राम जन्मोत्सव

आनंद मनाएँ नर-नारी,हैं प्रकटे राम लला
मंगल मनोहरकारी, हैं प्रकटे राम लला।।

नगरी अयोध्या चम-चम चमके
मात-पिता के,मन सुख,दमके
संतन के सुखकारी,हैं प्रकटे राम लला।
आनन्द मनाएँ नर-नारी, हैं प्रकटे राम लला ।।

दशरथ-कौशल्या के जाए
लीला से भगवान कहाए
मैया जाएँ बलिहारी,हैं प्रकटे राम लला।
आनन्द मनाएँ नर-नारी, हैं प्रकटे राम लला ।।

पतित पावन,परम सुहावन
जन-मन-रंजन,हैं मनभावन
ऋषियों के हितकारी,हैं प्रकटे राम लला ।
आनंद मनाएँ नर-नारी, हैं प्रकटे राम लला ।।

चाँद और सूरज, करें आरती
गाथा गाएँ , ज्ञान भारती
मधुर-मधुर मुसकाएँ,हैं प्रकटे राम लला।
आनंद मनाएँ नर-नारी,हैं प्रकटे राम लला ।।

असुरों का ,संहार हैं करते
सुर-नर,मुनि की,रक्षा करते
अजर-अमर,संसारी, हैं प्रकटे राम लला ।
आनंद मनाएँ नर-नारी, हैं प्रकटे राम लला ।।

स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘
विषय - रामनवमी

कैसी यह नवरात्रि
आई है इस बार
मंदिर सूने ही रहे
ना माँ का श्रृंगार
धूप-दीप बाती नहीं
ना सजे आरती थाल
शंख नाद न हो सका
न घण्टे-घड़ियाल
लाल चुनरिया ने नहीं
किया मातृ श्रृंगार
कानों में रस घोलती
सुनी नहीं जयकार
भजन-कीर्तन मात के
सज न सके दरबार
काल सूंघता फिर रहा
गली -गली घर द्वार
भण्डारे न लग सके
मिल न सका प्रसाद
निर्धन को भी आ गये
वो भंडारे याद
हलवे की खुशबू नहीं
ना माता का भोग
गली-गली में घूमता
आज कोरोना रोग
कन्याओं के रूप में
माँ न आई द्वार
फीका-फीका ही रहा
नवरात्रि त्योहार
सिद्धिदात्री माँ पूजिये
घर पर ही रह आज
देवी माँ रक्षा करें
पूजे सकल समाज।।

सरिता गर्ग
भगवान दशरथनंदन श्री राम जी के जन्मोत्सव पर,,,,,,रामनवमी के स्वागत में
सृजित रचना,,
🍀🌼🌹🍀🌼🌹🍀🌼🌹🍀🌼
सुंदरी सवैया छंद में,,,,, भावोदगार
112 112 112 112,112 112 112 112 2 ( 8 सगण +2 गुरू)
दूसरा छंद दुर्मिल सवैया छंद में,,,,
112×8 अंत तुकांत
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अवतारण-धारण आजु कियो,
रघुनन्दन राम लला सुखदाता//
हरषैं उमंगें,अवधेश-नरेश,
सनेह निहारति हैं छबि,,,माता//
सुखदायक हैं रघुनायक जी,
अवतार लियो,हरि विष्णु विधाता//
शरणागत हूँ प्रभु राम-कृपालु,
रमापति जन्म लियो ;;;नवराता //
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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
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भवतारन दीनदयाल प्रभो,
नवमी-नवरातहि जन्म लियो //
रघुनाथ भए,सुखदायक ,राम
धरा,,,जननी,कुल धन्य भयो //
सुरनायक हैं जगपालक राम,
प्रजा-हितकारन वन्य गयो //
दश -शीश विनाशक वीर विभो!
जग,,राम-सिया हरिनाम रट्यो//
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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

श्रीराम जन्मोत्सव।
स्वरचित।
सर्वप्रथम सभी को श्रीरामलला अवतरण की बहुत बहुत बधाई🙏

💐श्री हरि ने लियो अवतार
सब मिलकर देओ बधाई
आये श्री रामलला सरकार
सब मिलकर देओ बधाई।।

आज अयोध्या में खुशियां छाईं
दशरथ महल बजरही शहनाई।
हो घर-घर छायो रे उल्लास..
सब मिलकर देओ बधाई।....

माता कौशल्या हिय हर्षानी
राम पुत्र पाए बड़ भागिनी
हो दशरथ लुटाए रहे रे सौगात...
सब मिलकर देओ बधाई।...

सारी अयोध्या मगन हुई है
होली दिवाली मानो संग भई है।
तीनों भाइयों ने किया संग साथ...
सब मिलकर देओ बधाई।...

हीरे-माणिक,सोना -चांदी
जोई जोई मांगे वोई वोई मिलते।
हो हाथी घोड़े भी बंट रहे आज...
सब मिलकर देओ बधाई।...

ब्रह्मा शंकर,मन मुस्कायें
सभी देवता निरखन आयें।
हो फूलों की करें बरसात...
सब मिलकर देओ बधाई।....

श्री हरि ने लियो अवतार
सब मिलकर देओ बधाई
आये श्रीरामलला सरकार
सब मिलकर देओ बधाई।।
****
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
02/04/2020

(1)

जन्मे अवध

श्री हरि अवतार

जय श्रीराम।।

(2)

कौशल्या सुत

दशरथ नन्दन

श्री रघुनन्दन।।

(3)

जब से गये

राम ,लखन ,सीता

मन है रीता।
*****

( 4)
चौदह वर्ष

वनवास गमन

कैकई मन ।।
******

(5)
पितृ के हेतु

दशरथ सुत ने

त्यागा वैभव।।
******

(6)

कौशल्या राम

बन गये महान

कैकई हेतु।।
****

प्रीति शर्मा" पूर्णिमा"

दिनांक : 2 अप्रैल 2020
विषय : श्रीराम नवमी


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हुई धरा पाप से बोझिल, तब श्रीराम लिए अवतार।
नगरी अयोध्या शोभित,नमन है राम को बारम्बार।।

नारायण नर तन धरे , धाम अयोध्या भए जगमग।
चहुं दिश बांटे खुशियां, दशरथ के भाग गए जाग।।

अल्प काल विद्या पाए, चारों कुमार गुणों की खान।
आदर्शों की परमकाष्टा,तभी राम की जग में शान।।

अखिल ब्रह्मांड के नायक, है मानवों में जो उत्तम ।
कार्य सब मर्यादित किए, कहलाए तभी पुरुषोत्तम।।

अभिनय एक से अनेक है , पुत्र शिष्य रण में धीर ।
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को, जन्म लिए तब रघुवीर।।

पितु आज्ञा किए शिरोधार्य, गए वनवास भू तारी।
तीर्थ बने जहां चरण पड़े , नारायण के है अवतारी।

जीवन नैया पार लगाए,दिव्य छवि से जग को मोहे,
त्याग की मूर्त मनभावन, ऐसे श्री राम हर युग होये ।।

आदर्शों में जीवन सारा, श्री राम नाम है अति प्यारा।
जीवन जो सरस् बनाए ,महिमा है शतकोटी अपारा।।

राज शर्मा (संस्कृति संरक्षक)
आनी कुल्लू हिमाचल प्रदेश
sraj74853@gmail.com
02 - 04 - 2020
श्रीराम जन्मोत्सव
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मुक्तक
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जन्म हुआ श्रीराम का,
आनंदित सब लोग,
घर-घर मंगल गान था,
सुंदर सुखद सुयोग,
राजा दशरथ मगन थे,
माता के मन मोद-
बँटी बधाई विश्व में ,
सुंदरतम संयोग।।
~~~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया
विषय.. रामायण/रामनवमी
विधा...कविता

जय श्री राम महिमा गाऊँ बारम्बार।
मेरे मन में भी राम,तेरे मन मे भी राम।
रोम रोम मे मेरे समाया प्रभु तेरा नाम।
मेरी साँसो मे बसा तेरा ही नाम रे...
जैसे तारो में चंदा और नदियो में गंगा।
लहर लहर पर लिखा प्रभु तेरा नाम रे..
मेरी साँसो में बसा तेरा ही नाम रे...
जैसे वेदो मे पुराण, गीता का होता ज्ञान।
पन्ने-पन्ने पर लिखा प्रभु तेरा नाम रे...
जैसे फूलों में सुगन्ध,जैसै पत्तो का है रंग।
डाली-डाली पर लिखा है प्रभु तेरा नाम।
मेरी साँसो मे बसा तेरा ही नाम रे...
स्वरचित
रीतू..ऋंतभरा
"रामनवमी"
2/4/2020
*
*************
हाथ जोड़ विनती करें,दर्शन दो श्री राम।
विपदा सुरसा सी खड़ी,छिड़ा हुआ संग्राम।।

चैत्र शुक्ल नवमी तिथी,जन्मे थे श्री राम।
मर्यादा सिखला गए,किया सुखी सब धाम।।

सत्य यहाँ बोले सभी,कभी न बोले झूठ।
कुपित हुए श्री राम तो,जाएं तुमसे रूठ।।

त्याग धैर्य अद्भुत भरा,त्रेता युग के राम।
द्वापर में आकर बने,नटखट नागर श्याम।।

वीणा शर्मा वशिष्ठ,स्वरचित
गुरुवार
विषय - श्री राम / राम नवमी / रामायण

सादर मंच को समर्पित -

🌹🌺 दोहावली 🌺🌹
*************************
🍀 श्री राम / राम नवमी 🍀
🍋🍋🍋🍋🍋🍋🍋🍋🍋


राम कथा मन भावनी , करती भव से पार ।
जन्मदिवस श्री राम का , शुभ संदेश अपार ।।

🍎🌻🍀🌹🌺

राम चरित आदर्श है , मर्यादा प्रतिमान ।
त्याग तपस्या धर्म को , सिखा गये भगवान ।।

🍊🍀🌸🍎

मात-पिता आज्ञा निभा , किया जगत उद्धार ।
पापी रावण मार के , सत्य किया उजियार ।।

🌹🌻🌸🌴🌺

अधर्म के अँधियार को , मिटा सिखाया धर्म ।
सदा सत्य की जीत है , सच्चा जीवन मर्म ।।

🌷🍋🍀🍊🍏

सब में राम समा रहे , राम नाम सुख - धाम ।
अपना राम जगा चलें , सत्य सत्य हैं राम ।।

🌺🌴🌻🌸🍀🌹

🍎🍀**... रवीन्द्र वर्मा मधुनगर आगरा
विषय- श्री राम
विधा - कविता

दो अक्षर का प्यारा नाम,
दीन दुःखी का सहारा राम ।
राम मर्यादा के सागर है ,
श्रीराम गुणों के आगर हैं ।
राम शबरी की भक्ति है,
राम हनुमान की शक्ति है।

प्रभु ने अहिल्या का उद्धार किया,
केवट को भवसागर से पार किया ।
वाल्मीकि को जप करते देखा है,
राम नाम का पत्थर तरते देखा है।
राम का सुमिरन शहर और गांव में,
राम नाम की शक्ति अंगद के पांव मे।

मीठी मधुर उनकी वाणी है ,
मर्यादा में नहीं कोई सानी है।
तनिक ना सोचा वन जाने में,
पिता श्री के वचन निभाने में।
अधम असुरों का संहार किया,
जटायु, शबरी को तार दिया।

राम मिलेंगे दीन-दुखी के ड़ेरों में,
राम बसे हैं शबरी के झूठे बैरों में।
हम मगन है राम रस को पीने में,
राम बसे है हर व्यक्ति के सीने में।
राम मिलेंगे राहों में फूल बिछाने से,
राम मिलेंगे हमें राष्ट्र धर्म निभाने से।
राम तुम्हें धरती पर आना होगा,
फिर से राम राज्य लाना होगा।

दो अक्षर का प्यारा नाम,
दीन दुःखी का सहारा राम।

रामगोपाल आचार्य
पीपली आचार्यान,राजसमंद (राज.)

Vinod Verma Durgesh "रामनवमी"
2/4/2020
**************

हे रघुनंदन राम जी
दया करो भगवान जी।
कैसी विपदा आन पड़ी
खुद मिटाओ आन जी।
सूनी-सूनी हैं गलियाँ
सूने सब उद्यान जी।
महामारी से घिर गए
थे इससे अनजान जी।
लाशों के अंबार लगे हैं
सांसत में है जान जी।
घर में कैद हुए सभी
बाहर है शैतान जी।
करने अंत अदृश्य पापी का
करो सरासर संधान जी।
इस रामनवमी दो वरदान
रहे सुरक्षित इंसान जी

विनोद वर्मा 'दुर्गेश', तोशाम
स्वरचित

02/04/20
राम/रामनवमी

***

राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

दर्शन चिंतन राम का,है जीवन आधार।
आत्मसात कर राम को,मर्यादा है सार ।।

नेत्र प्रवाहित नदिया अविरल
नेह हृदय कुछ बोल रहा था,
बसी राम की उर में मूरत
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।

मुखमंडल की आभा ऐसी,
दीप्ति सूर्य की चमके जैसी।
बंद नयन में तुमको पाया,
आठ याम की लगन लगाया।
इस पनघट पर घट था रीता
ज्ञान चक्षु वो खोल रहा था।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा था। ।

आहद अनहद सब में हो तुम ,
निराकार साकार सभी तुम ।
विद्यमान हो कण कण में तुम ,
ऊर्जा का इक अनुभव हो तुम ।
झांका जब अपने अंतस में,
वरद हस्त अनमोल रहा था ।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।।

राम श्याम बन संग रहो तुम,
चाह यही मैँ ,तुम्हें निहारूँ ।
मन मंदिर के दरवाजे पर,
नित दृगजल से पाँव पखारूं।
इसी आस में बैठी रहती ,
उर सागर किल्लोल रहा था।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा था।

अनिता सुधीर 'आख्या'

विषय-श्रीराम,रामायण
रामनवमी
दिनांक-2अप्रैल2020
विधा ---दोहे
१.
चैत्र शुक्ल नवमी दिवस,जन्मे प्रभु श्रीराम।
रघुकुल के उत्थान में,जुड़े नए आयाम।।
२.
रामायण पावन कथा, वाल्मिक के श्रीराम।
'तुलसी 'ने मानस लिखा, घर घर पहुँचे राम।।
३.
वही किया श्रीराम ने, जो करवाना चाह।
मर्यादा खुद ही रखी,लोक दिखाई राह ।।
४.
अग्निवास थीं जानकी, लौटाना था मूल।
अग्नि परीक्षा का यही,मर्म रहा स्थूल।।
५.
माँग आखिरी व्यक्ति की, भी देती परिणाम।
सीता को भी वन पुनः,आज्ञा दी श्रीराम।।
६.
वाल्मिक आश्रम में रखा, सीता को था बोध।
लवकुश की शिक्षा सतत, चले बने अवरोध।।
७.
एक तीर दो लक्ष्य थे,यही राम की नीत।
लोक लोक में इसलिए, हुई राम से प्रीत।।
८.
राम राज्य अवधारणा, अब तक जीवित मीत।
मर्यादा के भाव की, सदा हुई है जीत।।
९.
बड़ा राम का नाम है, बड़ा राम का राज्य।
अंते नाता राम से, और सभी है त्याज्य।।

*********************
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी (म.प्र.)४५१५५१

2/4/2020
बिषय, श्रीराम, रामनवमी, रामायण
मेरे राम तुम्हारे राम हम सबके प्यारे राम
दशरथ राज दुलारे राम जय श्रीराम जय श्रीराम
जो भी रामायण पढ़ते हैं महामंत्र समझते हैं
शिव जी ने जिनका ध्यान किया
गुरु सम उनकाे मान दिया
राम जैसा त्याग नहीं राम जैसे भाई नहीं
राम जैसी करुणा नहीं सीता सम कोई माई नहीं
पुत्र बन आज्ञापालन कर वन को जाते हैं
भाई बन लक्ष्मण के लिए नीर बहाते हैं
मित्र बन सुग्रीव के लिए बाण उठाते हैं
स्वामी बन हनुमान को गले लगाते हैं
पति बन एक पत्नि व्रत धर्म निभाते हैं
राजा बन प्रजा के लिए स्वयं कष्ट उठाते हैं
रामायण के किरदारों से एक भी शिक्षा को निभा लेंगे
जीवन सुधरेगा सोती आत्मा को जगा लेंगे
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं श्रीराम के चरणों में शत् शत् नमन्
हे राम इस संकट से निकालो करती हूँ कोटिशः वंदन
जो भी भूल हुई है प्रभु क्षमा करो तुम मेरे राम
अवगुण चित न लाओ भगवन जय श्री राम जय श्रीराम
स्वरचित, सुषमा ब्यौहार
Shambhu Singh Raghuwanshi 2/4/2020/गुरुवार
*श्रीराम, रामनवमी, रामायण*
छंदमुक्त

आज श्रीराम रामजी
श्रीरामनवमी
पर्व मनाएं तो कैसे
श्रीराम जन्मोत्सव।
मां सिद्धिदात्री
विपदाओं में निकल रही
सनातनी नवरात्रि।
शायद हम भूल गए
माते उपासना,आराधना
मानवीयता मर गई कहीं
संवेदनाओं सो रही
जीवित रही तो
मात्र स्वार्थसिद्धि।
नहीं मानते कोई अवतार
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
आपके आदर्श।
रिद्धि-सिद्धि साधना
कैसे करें हम वंदना,प्रार्थना
जब हृदय में ही सूनापन
लिए मटमैला मन
कहां बिठाऐं हम श्री राम को।
कैसे मनाऐं पर्व श्रीरामनवमी
श्रीराम जन्मोत्सव
पठन पाठन करें रामायण।
धर्मांध ही भूल गए
रामनवमी ।
नहीं जानते रामजी रामायण
सनातन संस्कृति संस्कार।
सुविचार शुभकामनाएं सुसंस्कार।
सिद्धि साधना मिले
उपहार वरदान
सभी ज्ञानचक्षु खोलदें
दुर्गै भवानी हमें यही वरदें।
साधना में रत रहें
रामराज में आनंद करें।

स्वरचित,
इंजी शंम्भू सिंह रघुवंशी अजेय
गुना म प्र
दिनांक -02/04/2020
विषय -श्री राम/रामनवमी
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बढ़ गया था धरती पर जब,
दानव असुरों का अत्याचार।
आये जग का संकट हरने,
मर्यादा पुरुषोत्तम राम अवतार।।
पिता वचन निभाने को प्रभु,
चले चौदह वर्ष का वनवास ।
भरत भी छोड़ सिहांसन तब,
करने लगे वन में उपवास ।।
सारे असुर दलों को मार भगाया,
जगत के जन जन में मुस्कान।
तारे सुर नर मुनि जन प्राणी,
हुई धरा संग सब धन्य धान।।
भरत मिलाप में सभी करे,
जन जन करने लगे पुकार।
चरण पादुका लेकर तब करते,
प्रभु श्री राम की जय जयकार ।।
भरत भी वन में तप करने लगे,
देखते प्रभु राम की राह हर बार ।
आये चौदह वर्ष बाद जब,
अवध में हुई तब जय जयकार ।।
सज गया अवध नगर सब अब,
बढ़ गया धरा पर सत्य का मान ।
प्रभु ध्यान तुम्हारा सदा करुँ,
प्रभु साहस संग देना हमें ज्ञान ।।
...............भुवन बिष्ट
रानीखेत (उत्तराखंड )

(स्वरचित /मौलिक रचना)

बिषय - रामनवमी

चैत्र मास शुक्ल रामनवमी को जन्मे थे श्री राम
झूम उठी अयोध्या नगरी खुश है दशरथ धाम
माता कौशल्या ने जन्म दिया दशरथ की खुशी अपार
ढोल नगाडे़ बधाइयाँ अयोध्या में खुशियाँ बेशुमार
खिला ह्रदय दशरथ का फूलों की करी बौछार
सुभद्रा कैकेयी तीनों भाईयों का मिलता था प्यार
देवता नभ से पुष्प बरसाएँ, शंख बजे और गान
हाथ जोड़ ऋषि मुनि पूजन करें नाम रखा श्री राम
स्वर्ग में अप्सराएं नाचें खुशी से झूम उठा संसार
सभी एकटक निहारें रघुवर को रुप है अपरम्पार
लावण्य रुप मनमोहनी मूरत अधर कमल समान
कौशल्या,सुभद्रा,कैकेयी,दशरथ की बसती जान
श्री राम के रुप पे वारि जाएँ सब निहारे अविराम
अयोध्या नगरी में प्रकट भये नाम है श्री राम।

सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
तिथि - 02/04/2020
विषय- श्री राम/ रामनवमी

अयोध्या में जन्मे राम
रुप उनका है अभिराम

लिया उन्होनें अवतार
करने दानवों का संहार

आज भी ग्रसित है मानवता
बुराई रुपी राक्षस से

हाथ जोड़ करुँ मैं तुमसे विनती
आओ प्रभु फिर से लो
धरा पर अवतार,करो
समूल बुराइयों का संहार!

अनिता निधि
विषय - रामनवमी
दिनांक- 02/04 /2020

हिमालय की उतुंग शिखरें.....
व्याकुल थी राम जन्म के लिए
सरयू नदी उत्सुक थी........
पांव पखारने के लिए....।

चैत्र मास नवमी तिथि ,
जन्म लिए श्री राम।
शुक्ल पक्ष की चंद्रमा,
आरती उतारे निज धाम।

सरयू तट अति सुख पावनी
धन्य- धन्य अयोध्या धाम
धन्य धरा के सब नर नारी
छवि देखी पुरुषोत्तम श्रीराम।

सांवली सूरत अति मनभावन
निरखति पुलकति कौशल्या मात
घुटूरून बल किलकत रघुराई
सुख पावत दशरथ तात......।

सरल ,सुंदर ,शील स्वभाव
मर्यादा का पालन करते
मात -पिता गुरु ,आज्ञा,
मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते।

सीख दी हर पीढ़ी को
मात- पिता भ्राता, संग
शील की धारा बन बहे
ऋषि मुनि गुरुजन संग।

जब तक अयोध्या निवासा
तब तक राम,राम कहलाये
जब वन गमन किये श्री राम
तब प्रभु श्रीराम कहलाये ।।

प्रत्यंगों से काम ले धीरे-धीरे
होकर ।
स्व -चिंतन से ज्ञान ले शीलं -शीलं
सुनकर।

स्वरचित ,मौलिक रचना
रंजना सिंह
प्रयागराज
राम नवमीःदि.02/4/20
विषयःराम,राम नवमी,रामायण
*घनाक्षरीः
सूख रही स्नेह-सरि करुणा-सहिष्णुता की,
बढा़ अपहरण , अधर्म , हिंसा , अविचार।
आसुरी आतंक के प्रबल प्राणघाती दावँ,
पावँ रोक पाती न,सुरक्षा की सजी दिवार।
राम-बाण बिना नहीं ,होगा नरता का त्राण,
रघुवीर - केहरी करो , कोदण्ड की टंकार।
दानवीय दुर्ग का विनाश करने को फिर,
हरने को भूमि - भार, राम! लो नरावतार।।

-डा.'शितिकंठ'
विषय:- राम नवमी
लिए:-2-4-2020

ईश्वर अंश जीव अविनाशी,
घट घट वासी मेंरे राम|
इस मिट्टी में प्राण बिठाने,
वाले मेरे राम|
क्षित, जल, वायु, अग्नि,
बनाने वाले मेंरे राम|
भक्तों की विपदा को, मिटाने वाले सबके राम|
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान,
श्री राम|
हनूमान जी के आराध्य देव,
भक्तवत्सल श्री राम
कुंभकर्ण, रावण, असुरों,
के संहारक श्री राम|
राम से बड़ा राम का नाम,
कहते हैं धर्म ग्रंथ श्री राम|
तैरते पत्थर से सागर पर, पुल बनवाने वाले राम|
आज के दिन ही अयोध्या ,
में जन्मे सबके श्री राम|
इस धरती के कण कण में,
बसने वाले सबके राम |
सुमिरन राम राम निशि, वासर करते रहिये आठो याम|
सीता राम सीता राम,
जै श्री राम जै जै श्रीराम|
राम राम राम राम राम |
जै श्रीराम जै जैश्रीराम|

विजय श्रीवास्तव
बस्ती

तिथि - २.४.२०२०
विषय -- श्री राम
तिथि - २.४.२०२०
*******************
मेरे घर आए प्रभु श्री राम रंगोली द्वार बनाऊ आज ,
सजाऊ पूरे घर संसार ,आया चैत्र मास नवरात्र ,
धूप दीप कपूर की बाती शंख नाद हो गुंजायमान,
माता जानकी संग भैया लक्ष्मण हाथों शोभे कमान,
माथे मुकुट गले रुद्राक्ष की माला ,
मोहिनी मूरत सांवली सूरत मुख पर सनिग्ध मुस्कान,
मारूत नंदन करें अभिनन्दन प्रभु चरणों की आस,
मुझ पर कृपा करो धनुर्धारी पांव पखारूं आप ,
महावीर विक्रम बजरंगी , दीन हीन मैं एक नादान,
करूं अर्चना कैसे मैं ,प्रभु आप ही करो निदान ,
अब तुम ही हो दया निधान सारे जग का करो कल्याण।
*************************
स्वरचित -- निवेदिता श्रीवास्तव
गुरूवार/2अप्रैल/2020
विषय - रामनवमी

चैत्र मासे रामनवमी जन्मे श्री राम, मंगल मोद बजे बधाई अयोध्या नगरी हो रामा !!
बेलिया कहे हम फूलवा फूलब दशरथ अंगनवा हो रामा चइत मासे ! चइत मासे राम जी लिहले जनमवां हो रामा चइत मासे.....

साँवली सूरत मोहनी मूरत नैना
बने विशाल हो रामा चइत मासे ...
चइत मासे राम जी लिहले जनमवां हो रामा चइत मासे ......

कोयलिया कूके भोर भिनसरवा हो
रामा चइत मासे ... चारों दशरथ की
रनिया अंगनवां हो रामा चइत मासे ... चूए महुआ के रसवा हो रामा चइत मासे ....चइत मासे राम जी लिहले जनमवां हो रामा चइत मासे!!
के लुटावेला अन धन सोनवा के लुटावेला हाथ के कंगनवा हो रामा
चइत मासे राम जी लिहले ....
दशरथ लुटावेलन अन धन सोनवा
कौशल्या लौटावेली हाथ के कंगनवा हो रामा चइत मासे ...चइत
मासे राम जी लिहले जनमवां हो रामा चइत मासे!!

स्वरचित मौलिक रचना
रत्नावर्मा
धनबाद- झारखंड
2/4/20

मची है धूम अयोध्या में
प्रभु श्री राम आये है।
होता उनका अभिनंदन
योगी जी उनको लाये है।

अयोध्या में खुशी छाई।
की घर घर मे बजे बधाई
वर्षो बाद खुशियां हैआई।
मेरे रघुनाथ आये है।

बीती वनवास की घड़ियां।
सजी मोती की लाडिया।
करे जयजयकार सारे।
मेरे राजा राम आये है।

दरसन की लालसा लेकर।
हम आये द्वार पर प्रभुवर।
जगत की लाज को रखने।
मेरे रघुनंदन आज आये है।

सजेगा दरबार रघुवर का।
माँ सीता लक्ष्मण हनुमत का।
चरण में होंगे भाई भरत।
करने राम राज्य आये ।

जला लो दीप खुशियों के।
कौशिल्या सुत दशरथ नंदन के।
करे बौछार पुष्पो की।
मेरे दीनानाथ आज आये है।

स्वरचित
२/४/२०२०
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

सच के पथ पे चलना है , झूठ पाप तज देना
प्रेरित करती रामायण,मान बड़ों का रखना।

चैत्र मास शुक्ल पक्ष नवमी,लिया राम अवतार,
प्रभु राम का जन्म हुआ,हो घर घर में जयकर।

मर्यादा पुरुषोत्तम राम की गाथा हमें बताई,
आदर्शों पे चलकर उनके,राह सुखों की पाई।

धीरज संयम व बलशाली अनेक गुणों की खान,
पिृत वचन की रक्षा हेतु सुखों का किया बलिदान ।

संहार किया राक्षसों का,हुआ देवों का उद्दार,
पूजे सब नर नारी सबका, करते बेड़ा पार ।

राम नाम की माला ले जप, हो भव सागर पार,
रामायण में अंकित सम्पूर्ण, जीवन का है सार।
स्वरचित
चंदा प्रहलादका
दिनांक २/२०२०
शीर्षक-श्री राम,

राम की महिमा है अपरम्पार
राम के नाम जपने से
बने बिगड़े काम
जप ले मनुआ राम के नाम
हो जायेगा भवसागर पार।

हर मन में राम बसे हैं
कण कण में श्री राम
असुरों के दलन करने को
जन्म लिये थे श्री राम
कौशल्या के प्यारे राम
दशरथ के दुलारे राम।

जुठा बैर सबरी के खाये
भवसागर से पार कराये
राम की महिमा है अपरम्पार
नमन तुम्हे है बारम्बार।

राग द्वेष से भरा मेरा जीवन
निर्मल कर दो राम
करूं आराधना मैं तेरी
सुन लो मेरी पुकार।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव
आज का विषय : श्रीराम / रामनवमी / रामायण
विधा : स्वतंत्र
दिनांक : 02.04.2020
दिन : गुरुवार

गीत

राम सरस , राम सरल , राम अभिराम हैं !
काव्य में अविरल बहे , आज भी राम हैं !!


राम का चरित्र है जो , सबके मन को भा गया !
राम एक नाम है जो , जन मन पर छा गया !
पुरुषोत्तम कहलाते , आदर्श राम हैं !!


सत्य वचन साथ लिये , मोह है न प्राण का !
जानते हैं मोल वे ,जीवनधन मान का !
जग की पहेलियों को , हल करें राम हैं !!


मनुजता का ऋण चुके ,सदा रखी धारणा !
भीगे से नयनों में , रखी नहीं कामना !
कमलनयन , वीतरागी , रघुनंदन राम हैं !!


प्रेम से पगे हैं वे , प्रेम परे भी कहो !
सत्ता की चाह नहीं , ऐसे योगी अहो !
राजधर्म को जीयें , चले अविराम हैं !!


पत्नीव्रता वे सदा , सीता के प्राण हैं !
मातृ , भ्रात,सखा, प्रेम , दशरथ के त्राण हैं !
जन जन की श्वांस बसे , राम बस राम हैं !!


खलभंजक , जननायक हैं , जग के प्रणेता वे !
भूत , वर्तमान और , भाव्य के ज्ञेता हैं !
परमात्मा , विश्वात्मा , सदा से राम हैं !!


स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )
2/4/2020

आज का विषय-राम ,राम नवमी

श्री राम जन्मोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं

माँ कौशल्या घर हरख बधाई
महल दशरथ के खुशियाँ छाई
सारे पुर में नौबत बाजे
नाचे रे देखो लोग लुगाई
जन्म लियो त्रिभुवन के तारन
त्रिलोकी के नाथ बने लल्लन
कैसी शुभ मंगल घड़ी आई
खुशियाँ छलकी-छलकी जाई
देवों ने मिल शंख बजाए
रत्न मणी के मेह बरसाए
पद्मनाभ जगती पर आए
सब के उर में आनंद छाए
नवमी के दिन युगों -युगों तक
जन-जन मिल आरती गाये ।

स्वरचित।

कुसुम कोठारी ।
विषय - राम/रामनवमी/रामायण

पाप कलुष बढ़ गया जगत में,
अपवित्र तेरी यह धरा हुई।
हे राम कहो अब कब आओगे,
अखियां अब तो पथरा गई।

हे मर्यादा पुरुषोत्तम सुन ले,
द्वापर में था एक ही रावण।
अब घर-घर है रावण बसता,
आ जाओ अब आनन फानन।

हे रघुनन्दन हर ओर तमस,
फैला है केवल रात दिखे।
हैं मर्यादा भूल चुके सब,
पुत्र पिता हो या बंधु सखे।

अब आओ आ देख प्रभु,
जग पाप कर्म से भरा है।
पाठ पढ़ा दो धर्म मार्ग का,
अंधियारा चहूं ओर पड़ा है।

चरण धूली से तूने अपने,
पत्थर भी पावन कर डाला।
अपवित्र धरा हुई पड़ी है,
पापी जग ने किया है काला।

आकर पाँव धरो धरा पर,
कर दो इसको फिर से पावन।
पाप कर्म के क्रुर हाथों से,
श्राप संतप्त हुआ यह आंगन।

अब आओ प्रभु देर करो न,
मोहिनी सूरत दिखला दो।
भय मुक्त करो अवनी को,
सुख शांति से इसे भर दो।

कर्म विकर्म में भेद न जानूं,
सत्कर्म का पाठ पढ़ा दो तुम।
कलयुग का अब अंत करो,
विनती करते हैं अब हम।

स्वरचित
बरनवाल मनोज 'अंजान'
धनबाद, झारखंड
रामनवमी
राम का अवतार
राम का राज🌷

राम का जन्म
श्रीराम जन्मोत्सव
जय श्रीराम🌹

राम का नाम
भवपार लगाए
जप ले राम🎀

श्रीरामायण
धर्मकथा ही नहीं
जीवन शैली🍁
✍️🙏✍️🙏✍️🙏
🏵️ श्रीराम साहू
तिथि-02/04/2020
विषय-श्रीराम/रामनवमी/
*************************************
चैत्र मास नवमी तिथि
पावन अयोध्या धाम
प्रभू ने लिया था अवतार
श्री राम है जिनका नाम।
जन्म से जिनके धन्य हुआ
सारा अयोध्या धाम
श्री राम था जिनका नाम।
माता-पिता- गुरु सेवा कर
पाये जग में यश महान
श्री राम था जिनका नाम।
भाई- बंधु प्रेम की
कायम की एक मिसाल
शिव धनुष तोड़कर
रचाए सिया संग विवाह
श्री राम था जिनका नाम।
पिता वचन निभाने को
काटा चौदह बरस वनवास
दुष्ट-पापियों का किया संधान
श्री राम था जिनका नाम।
यश-कीर्ति विद्यमान जिनकी
आज शक्ल जहान
श्री राम था जिनका नाम।
सुर- नर- मुनि जन सब
करते जिनका यशगान
श्री राम था जिनका नाम।
सुमिरन से जिनके कटते
सब दुःख- संताप
श्री राम है उनका नाम।
*************************************
स्वरचित- सुनील कुमार
जिला-बहराइच,उत्तर प्रदेश।

विषय - रामनवमी
02/04/20
गुरुवार
कविता

सर्व शक्तिमान रूप
पौरुष ,बल है अनूप
कमल -नयन श्रीराम
विष्णु अवतार हैं ।

मातृ- पितृ परमभक्त
भ्रातृ-प्रेमअति सशक्त
मर्यादा पुरुषोत्तम
रघुकुल के मान हैं।

जन- जन के नायक हैं
पतितों के पालक है
करुणामय दशरथ-सुत
दया के निधान हैं।

करने को दूर त्रास
रावण का किया नाश
परमवीर रघुवर की
गूँजती जयकार है ।

घर- घर में वंदनीय
सादर अभिनन्दनीय
कौशल्यानंदन की
महिमा अपार है ।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
समीक्षार्थ सादर प्रेषित
दिनांक: 02.04.2020
िषय: रामनवमी
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
*पुरुषोत्तम श्री राम*
*******************
जन-जन में विश्वास है,
कण-कण में हैं राम ।।
बच्चा-बच्चा देश का,
आय राम के काम ।।

हमसब के आदर्श हैं,
पुरुषोत्तम श्री राम ।
जग के बंधन छूटते,
जपते इनके नाम ।।

शुभ दिन रामनवमी को,
राम लिए अवतार ।
सुख-दुख संग चले सदा,
यह जीवन के सार ।।

राजा को समझा गए,
राजधर्म का मर्म ।
परिवार को जोड़ रखे,
लोगों के निज कर्म ।।

राम तिहारे देश में,
सबका हो सम्मान ।
मर्यादा में सब रहें,
सब कोय एक समान ।।

मिल सबने जग को दिया,
अच्छा ये पैगाम ।
राम-राज हो देश में,
आय दीन के काम ।।

 *विनय कुमार बुद्ध, न्यू बंगाईगांव,
 (असम)"भावों के मोती"
दिनांक-2/4/2020
विषय-राम
राम
-----
है राम
दशरथ का बेटा
मर्यादा पुरूषोत्तम
राम कहलाता ।

राम जो
घट घट में बैठा
है सबके हिय
का प्यारा ।

वो राम जो
कण कण में
सृष्ट यानि
वो राम सकल पसारा ।

है राम सबसे
न्यारा निराकार
निलंब राम
पाने को जिसे
पड़ेगा हमें
स्वयं को भूलाना ।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना

विषय:- श्रीराम/रामनवमीं

मर्यादित और सहनशीलता हुँ।
माँ की ममता पिता का प्रेम हुँ।

भाई का त्याग और तपस्या हुँ।
आज्ञाकारी सुत जग सेवक हुँ।

कौशल्या सुत दशरथ नंदन हुँ।
भारत का वो हीअभिनन्दन हुँ।

तेरे पापो का प्रत्यक्ष गवाह हुँ।
तेरे गुनाहों का दण्ड दाता हुँ।

जनक पुत्री का वरण वर हुँ।
अनीति करने वालों डर हुँ।

प्रिय लक्ष्मण का रोम-रोम हुँ।
जगत आधार हरि का ऊँ हुँ।

अयोध्या का त्याग बलिदान हुँ।
हनुमान के सीने बसी जान हुँ।

मंथरा चाल रावण का अंत हुँ।
हाँ रामनवमीं जन्मा श्री राम हुँ।

मधु पालीवाल
स्वरचित
02/04/2020

दिनांक 2 अप्रैल 2020
विषय राम / रामायण
विधा चौपाई

जय अवधनाथ दशरथ नन्दन
हम सब करते तेरा वंदन

दशरथ की आंखो के तारे
कौशल्या के राज दुलारे

भरत लखन शत्रुघ्न सब भाई
देखि देखि सब हि मुसकाई

गुरुकुल जाय के शिक्षा लिन्ही
पाय आशीष सेवा किन्ही

विश्वामित्र संग वन जाये
ताड़का मारीच दोउ मारे

मिथिला जाय शिव धनु तोड़ा
माँ सिया संग नाता जोड़ा

भयि कुटिल मंथरा औ रानी
राम के वन गमन की ठानी

दशरथ वचन दे भये व्याकुल
नयन राम दर्शन को आकुल

सिय लखन संग वन को जाये
मित्र निषाद देखि सुख पाये

केवट लिए चरणहि पखारन
जनम जनम का सुखबहु पावन

पंचवटी कुटी इक बनाई
संग सिया प्रिय लखन भाई

भरत माता सबहि तब आए
पितु समाचार सुनि दुख पाए

रूप धरि सूर्पनखा तह आई
बहू भांति लखन को रिझाई

कटि नासिका राक्षसी भागी
बैर भाव रावण मन जागी

जाय हरण सीता तब किन्ही
राम लखन को दुख तब दिन्ही

खोज हि सिया राम अकुलाए
चखि चखि बेर शबरि के खाए

निरखि राम हनुमत मुसकाने
चरण वंदना करने लागे

सुग्रीव जाय दर्शन किन्ही
जीवन पीर दूर कर लिन्ही

लंका जाय दशानन मारे
जन जन की पीड़ा को तारे

पाय सिया दुख सब जाए
जीव जगत सब ही हरषाए

लौटे पुनहि अवध के राजा
दीप जले बहु बाजे बाजा

जगमग जगमग अयोध्या सारी
देखि राम सुख पाई भारी

राम नाम सुमिरन करते जन
पाते सुख सब ही जनम जनम

क्लेश द्वेष सबहि मिट जावे
राम नाम गुण जोई गावे

क़हत कमल सब सुनलो ज्ञानी
राम नाम बिन सुख ना आनी

कमलेश जोशी
कांकरोली राजसमंद
विधा-श्री राम गीत
. "राम लला जन्मोत्सव"
~~~~~~~~~~~
श्री राम जन्म भूमि अयोध्या में आज राम नवमी
के दिन:
श्री राम का जन्म

÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷

राम का जन्म दशरथ के घर हुआ पुर के
बासी सभी हरषाने लगे।
नृप के द्वार नौहबत बजने लगी नभ से सुर
भी सुमन वरषाने लगे।

राम के जन्म की ज्युं ही फैली खबर।
देखन नर नारी धाये हो बेसबर।

थाल हाथौं संजोये वाला खड़ी दर्शनौं को नयन
तरषाने लगे।

राजा दशरथ का पुर ऐसा सजा।
छाये तोरन पताका फहरीं धुजा।

ऐसा लगता मानो तीरथ बना वहां हर घर
मन्दिर दरशाने लगे।

दान नृप ने दिये हैं बहुत भांति से।
सबको भोजन खिलाया है पांति सै।

नृप के मन में खुशी वो सुत जन्म की जिससे
आकर खुद परसाने लगे।

सुख भक्तौं को राम जन्म से मिला।
असुरौं का सुन कर कलेजा हिला।

कहि "महावीर" भक्तौं में हुआ हरष असुरौं को
असगुन अरसाने लगे।

कवि महावीर सिकरवार
आगरा (उ.प्र.)
**************
श्रीराम ने जन्म लिया ,
भारत की इस भूमि पर।
आदर्श पुरुष,जननायक,
विष्णु अवतार करने पावन आये इस भूमि पर।
रामराज्य की कथा निराली,
चारों तरफ थी खुशहाली,
लगता उतर आए हों देव ज़मीं पर।
किया पति धर्म का पालन
पाकर विजय रावण पर,
माता सीता ने भी धर्म निभाया
पतिव्रत को रही सन्यासिन बनकर।
राजमहल का सुख भी त्यागा,
राजधर्म निभाया,धोबी के कहने पर।
यज्ञ किया मूर्ति बना राम ने सीता की,
निभाया एक पत्नी धर्म,सन्मार्ग पर चलकर।।
राम राज की करो कामना,
है जरूरत फिर राम की पृथ्वी पर।।
गीतांजली वार्ष्णेय
 श्रीराम जन्मोत्सव
आज अवतरित हुए है राम, धन्य धरा और धन्य अयोध्या धाम.
लेकर तेरा नाम राम है ऋषि मुनियों ने जीवन संसार सँवारा.
धन्य हुई है धरती अयोध्या, जिसके कण कण में श्रीराम बसे है.
परम पुनीत सलिला सरयू, घाट है जिसके उज्जवल हुए है.
आज का दिवस महा पावन है, धरा पुलकित है चहूँ ओर छटा है.
घर घर आज बधैया बाजे, अयोध्या नगरी ललना बना है.
हम भी तो इस पुण्य धरा, तेरा यह यशगान कर रहे.
राह दिखाई जो बलिवेदी की उसकी तो पहचान कर रहे.
हम भी तेरे अंश को पाये, मानवता का त्रास हर सके.
आज के इस पुण्य दिवस पर तेरा ही जय गाने कर सके.
हममें ऐसी शक्ति भर दो, दलित, अछूत, आदिवासियों के हित में ही कुछ काम कर सके.
नाम तेरा हो, गुणगान तेरा हो, विश्व मानवता भान कर सके.

श्रीरामनवमी की समस्त जनों को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाइयाँ.
स्वरचित कविता प्रकाशनार्थ
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
उत्क्रमित उच्च विद्यालय सह इण्टर कालेज ताली, सिवान, बिहार
दिनाँक-02/04/2020
विषय:-"श्री राम "
िधा-छंदमुक्त

धर्म,नीति,ज्ञान के ज्ञाता
जो वचन को देते मान है,
है नर श्रेष्ठ अवतारी,
वो युगपुरुष श्री राम है l

न दुःख उद्वेलित कर पाये ,
न ही सुख प्रमाद भर पाये ,
समता को जो जीते रहे,
वो पुरुषोत्तम श्री राम है l

जिनकी मित्रता बेमिसाल
झूठे बेरों से चखते भाव है,
भावना से ऊपर कर्तव्य रखे,
वो पूज्य आदर्श श्री राम है l

जिसका जीवन है साधना,
कर्म की आहुति महान है,
जो करे अधर्म का संहार,
वो धर्म कवच श्री राम है l

संस्कार है,दर्पण है,
रिश्तों का समर्पण है,
है प्रेम का प्रादर्श,
वो लोकनायक श्री राम है l

स्वरचित
ऋतुराज दवे
विषय - रामायण
विधा-काव्य
दिन-गुरुवार
2 अप्रैल 2020
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नववर्ष के नव्य क्षणों में
रामोदय गर हो जाए।
महके जीवन बगिया साथी
जीवन राममय हो जाए।

अंतस रावण घर कर बैठा
संहारक मानव मूल्यों का
पर पीड़ा पहचान सकें हम
राम तत्व गर जग जाऐ।

मर्यादा का पालन करते
त्याग पंथ प्रस्थान करें
बंधु सखा से प्रीत निभाते
राम स्नेह हम अपनाएं।

श्रेष्ठ समाज सृजन के हेतु
मर्यादा के मार्ग चलें
रामायण हो जीवन अपना
रामराज्य हम ले आएं।
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गोविंद व्यास रेलमगरा
रामनवमी
02-4-2020
विषय:- रामनवमी
विधा :- कविता
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शुभ उदार नभ धरा हुये सब ,सौम्य प्रकृति का रूप ।
कोटि सूर्य सम दीप्त हो गया , दशरथ धाम अनूप ।।
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नवमी तिथि पुष्य नक्षत्र में , जन्म लिया श्री राम ।
रघुकुल में गूँजी शहनाई , ख़ुशी अयोध्या धाम ।।
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सुर ऋषि संतों के कारण ही , विष्णु लिया अवतार ।
असुर नाश करने प्रभु आए , रूप मनुज का धार ।।
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प्राण जाय पर वचन न जाईं , ख़ूब निभाई रीत ।
तात वचन के आज्ञा पालक , लिया जगत को जीत ।।
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कहते मर्यादा पुरुषोत्तम , वह हैं प्रभु श्री राम ।
रटे सदा माँ जानकी , जिनको आठों याम ।।
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सुंदर वन बना वन ताड़का , जीना था दुश्वार ।
विश्वामित्र और ऋषि मुनि सब , पाते कष्ट अपार ।।
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मारे राक्षस और ताड़का , सुबाहु अरु मारीच ।
संहारे राक्षस सारे प्रभु , बचा न कोई नीच ।।
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कर के हनन अहंकारी का , मान लिया विद्वान ।
रावण धराशायी किया जब , लिया उसी से ज्ञान ।।
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ग्यारह हज़ार वर्ष धरा पर , रहे राम अविराम ।
जन्म मनाने लगे लोग सब , जान पुरुष निष्काम ।।
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रामनवमी हिंदू धर्म में , ख़ुशियों का त्योहार ।
घर मंदिरों मे श्री राम की , होती जय जयकार ।।
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स्वरचित:-
ऊषा सेठी कमाल
सिरसा

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