Thursday, April 2

"लक्ष्मण रेखा"27/3/2020

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ब्लॉग संख्या :-695
दिनांक 27 मार्च 2020
विषय - लक्ष्मण रेखा


खींच गए लखन कुटिया बाहर रेखा
दुष्ट कभी लांघ न पाये लक्ष्मण रेखा
जो कहे आप आना कभी नही बाहर
संकट विकट जग में ऐसा नही देखा

जाने कौन देश से आया है यह दानव
चिंतित दुखी भयभीत हुआ हर मानव
आप रखना जी ध्यान बाहर मत आना
भीतर नही आ पाएगा कभी वो दानव

सुनकर सिया माता ने वचन ये माना
संकट ना टले तब तक बाहर न आना
चले लक्ष्मण तब खोज मे कोई उपाय
किस भांति सुख उपजे फिर से नाना

रूप धर विपदा कुटिया बाहर फिरती
जो निकले बाहर उसपे जाकर गिरती
माने वचन सिया बाहर नही कभी देखे
कुटिल विपदा रूप नित नए फिर धरती

देती प्रलोभन कई, तुम बाहर आओ
देखो दुनिया बाहर की औ सुख पाओ
जो तनिक खोए धीरज वह दुख पाए
जाने जानकी सब, कदम मत बढाओ

विकट काल में जो नर नही रखता ध्यान
जीवन संकट मे गिरे,दुनिया जैसे मसान
युग चाहे कैसा भी हो वेद वाणी अटल
सोच समझकर जो चले वो सम्यक ज्ञान

साधुवेष बनाकर विपदा द्वार पर आई
सहज सिया,समझ नही पाई कुटिलाई
ज्योही करी पार सिया ने लक्ष्मन रेखा
फंस गई नार, घर वापस लौट न पाई

व्याकुल चिंतित भाई आए निज धाम
देखी न सिया जब अश्रु बहे अविराम
कर उल्लघंन रेखा तोडे सब ही वचन
सोचे विचारे बिन कैसे सफल हो काम

पुण्य पावन कथा रामायण अतिपावन
नाना दृष्टांत सुंदर, मनोहर मनभावन
पद पद पर अंकित ज्ञान बहुउपयोगी
सुख पाता वह जो करता नित पालन

जीवन मे लक्ष्मण रेखा को जो पार करे
कहो कैसे निजजीवन मे सुख प्राप्त करे
मर्यादा मे रहकर ही मन पाता है संतोष
असंतोषी तो पग पग पर दुख चार करे

जब कभी देश में आता काल विकट
लडते अनगिनत योद्धा महावीर सुभट
कर्तव्य जन जन का करे सदा सहयोग
संगठन से ही विजयश्री आती है निकट

अपने अपने कर्त्तव्य का रखना है ध्यान
तब ही राष्ट्र सुरक्षित, आन बान व मान
भूलकर भी न करे लक्ष्मण रेखा को पार
तब तक ही बचती रहे मनुज तेरी शान

कमलेश जोशी
कांकरोली राजसमंद
विषय लक्ष्मण रेखा
विधा काव्य

27 मार्च 2020,शुक्रवार

पंचवटी में श्री लक्ष्मण ने
माँ सीता हित खिंची रेखा।
बोला ,उल्लंघन मत करना
माँ सुरक्षित,इसमे ही रहना।

अनहित अब न हो पावे माँ
दैत्य तेरा,कुछ न कर पावेंगे।
अगर आगये इसके अंदर वे
फिर समझो,भस्म हो जावेंगे।

नहीं पालना कर सकी सीता
कई विपदायें झेली थी उसने।
लक्ष्मण रेखा उल्लंघ का फल
विरह श्रीराम का लगने डसने।

लोक आउट लक्ष्मण रेखा
हमको स्वघर मे रहना है।
कोरोना से डरना कभी नहीं
हमें मिलकर अब लड़ना है।

विश्वव्यापी कोरोना संकट से
जूझ रहा है ,सारा ही संसार।
कोई औषधि बन न पाई है
लक्ष्मण रेखा है सद उपचार।

एक मीटर की दूरी रखो नित
साबुन से हाथों को धो लो।
मास्क पहने रखो चेहरे पर
श्री राम मिलकर घर बोलो।

लक्ष्मण रेखा सही सुरक्षा है
घर अपना है, स्वर्ग सरीखा।
हिलमिलकर रहें अपने घर
यही आज है, कड़ी परीक्षा।

स्वरचित,मौलिक
गोविंद प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
मंच : भावों के मोती
विषय- लक्षमण रेखा


इक लक्षमण रेखा खिच गयी है
इस लक्षमण रेखा का मान करो!
कोरोना रूपी रावण बैठा
महा संकट का अनुमान करो!

बन गए हैं जो शमशान मुल्क
कुछ सीखो उनसे कुछ भान करो!
हल्के में न इसे भूल से लो
कुछ सब्र सूझ का सम्मान करो!

अपनाकर के इन नेक गुणों को
कोरोना मुक्त हिन्दुस्तान करो!
जान है तो यह जहान है 'शिवम'
यह सच जनहित में ऐलान करो!

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 27/032020
दिनांक- 27/3/2020
शीर्षक- "लक्ष्मण रेखा"
िधा- छंदमुक्त कविता
*****************

कैसी विडंबना है मुरारी,
संकट देश पे छाया भारी,
एक बीमारी ऐसी आई,
कितनो ने है जान गवाईं |

कोरोना नामक दैत्य आया,
डाले सब पे काला साया,
कैसे इससे राहत मिलेगी?
जीवन गाड़ी कैसे चलेगा?

त्रेता युग में रावण आया,
सीता हरण सफल बनाया,
न लांघी होती लक्ष्मण रेखा,
रावण को मिलता न मौका |

आज भी वही स्थिति आई,
कोरोना ने आफत खूब मचाई,
घर के बाहर खड़ा होकर वो,
मानव हरण कर बना कसाई |

संभल कर तुम कदम रखना,
घर से बाहर कोई न निकलना,
लक्ष्मण रेखा का पालन करना,
परिवार अपना सुरक्षित रखना |

एक-एक परिवार जब बचेगा,
देश मेरा फिर से आगे बढ़ेगा,
जंग जीत लेंगें हम मिलकर,
नहीं मरेंगे तिल- तिल कर |
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

स्वरचित- संगीता कुकरेती
विषय-लक्ष्मण रेखा
दिनाँक-27-03/2020

विधा- दोहा,कुण्डलिया,

घर पर रह कर जो बचें,कोरोना से आप।
तो इसका पालन करें,दूर करें यह श्राप।

कोरोना संकट बड़ा, छाया है विकराल।
रोके से रुकता नहीं,बढ़ा आ रहा काल।
बढ़ा आ रहा काल, धड़ाधड़ बढ़ते रोगी।
अभी नही कुछ ज्ञात, खबर क्या कल की होगी।
लक्ष्मण रेखा खींच,चैन से घर पर सोना।
यही है एक उपाय,निश्चत मरे कोरोना।

आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
दिनांक -27/03/2020
विषय -लक्ष्मणरेखा


अर्ध रात्रि का मध्य बिंदु
स्वप्न सजोये विमल इंदु।
धवल चांदनी स्वर्णिम सिंधु
लक्ष्मणरेखा के सजग प्रहरी हम हिंदू।।

व्यथित धरा है तीव्र तपन से
लक्ष्मण रेखा पार मत करो।
विमुख हुई स्नेह की मंजिल
शूल छोड़ ,फूलों का वार करो।।

स्वर्ग के फीके के सपने छोड़ो
धरा के तन से नाता जोड़ो।
मधुमय मिठास अधर पे लाओ
शुघर चादर आसमान पे बिछाओ।।

दिनकर सा बन करके
जग के ज्योति को है जलाना।
प्रेम रूपी गंगा में गोते
सोए हुए को है हमको जगाना।।

मौलिक रचना सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज
विषय : लक्ष्मणरेखा
विधा : कविता

तिथि : 27.3.2020

बाहर है कोरोना रावण
लक्ष्मणरेखा न करना पार,
सीता बन जो भटके तो-
करे गा यह तुरंत ही वार।

कोरोना का फैला तांडव
कर रहा जीवन तार- तार
सुरक्षा नियम पालन को-
सब परिवार करो स्वीकार।

बचना है शत्रु कोरोना से
तीखी बड़ी है इसकी धार
हमें ही यह डसता है पहले-
हमें ही बनाता है हथियार।

घर की सीमा न लांघो कोई
लक्ष्मणरेखा से करो प्यार,
सीमा में ही सुरक्षा निहित-
समझो और समझाओ यार।

जियो और जीने दो सबको
कोरोना को दो करारी हार,
जनता कर्फ्यू सफ़ल बनाओ
जीवन सब को दो उपहार।

-रीता ग्रोवर
-स्वरचित

विषय:- लक्ष्मण रेखा
विधा:-कविता


लक्षमण रेखा के इस पार,
हम सब का है घर द्वार,
उस पार कोरोना है|
लक्षमण रेखा मत पार करो,,
कोरोना का संहार करो|

अपनी कुटिया को छोड़,
जो बाहर जाओगे|
तो चैन से रह नहीं पाओगे,
सिर धुन धुन कर पछताओगे|

इसलिए रहो घर. में आराम करो,
लक्षमण रेखा का सम्मान करो,
अपनी बचत करो बच जाओगे|
कोरोना को मार भगाओगे|

मैं प्रमाणित करता हूँ कि यह
मेरी मौलिक रचना है|

विजय श्रीवास्तव
मिलवीय रोड
गांधी नगर
बस्ती
उ०प्र०

शीर्षक- लक्ष्मण रेखा
दिनांक- 27/03/2020


समय ने खीची लक्ष्मण रेखा
उसे आत्मसात करना होगा ।
इक्कीस दिनों का समय चक्र
इसका पालन करना होगा ।

बंधन है, पर बाध्य नहीं,
यही समय की मांग अभी।
संकट है, पर दुखी नहीं
मानवता के लिए सभी।

वक्त का रावण हर लेगा,
लक्ष्मण रेखा पार करोगे ।
आने वाली हर नस्लों को ,
क्या इतिहास बता पाओगे।

अपनी हद में रह कर देना,
दान, हो या हो दक्षिणा ।
रूप बदलकर आया रावण
पैर निकालते वक्त सोचना।।

स्वरचित ,मौलिक रचना
रंजना सिंह
प्रयागराज
विषय-लक्ष्मण रेखा।
स्वरचित।

लीजिए सभी रामायण से प्रेरणा अब।
लांघ गई मां सीता लक्ष्मण रेखा जब।
आकर रावण की बातों में भावुक हो बाहर अाईं।
हुई शिकार राक्षस की जो ना संयम रख पाईं।।

समझिए घर को कुटी और लक्ष्मण रेखा है देहरी।
रावण आया कोरोना रूप धार बनाइये संयम प्रहरी।।

इन्द्रियों के छलावे बहुत होंगे, भूल ना करना।
लापरवाह मत होना तुम,कोरोना से है लड़ना।

ना दीजिये भिक्षा,संकल्प ये,भूखा मार के भगाइये।
रावण से लड़ रहे रामों की चिंतायें और ना बढा़इये।।

ना खुद जाइये लक्ष्मण रेखा के पार और
ना उसे इस पार अपने पास आने दीजिये।।

प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"
27/03 /2020
27/3/2020/
शुक्रवार

*लक्ष्मण रेखा*काव्य

लक्ष्मण रेखा खिंची हुई जो,
उसको हम नहीं पार करें।
कहीं पार करेगा रावण,
तभी लक्ष्मण संहार करें।

श्रीराम रखवाले सबके,
डरने की यहां बात नहीं।
कभी कोरोना आए यहां,
उसकी अभी औकात नहीं।

लक्ष्मण रेखा खिंची यहां जी,
इसे पार नहीं करना है।
स्वानुशासन में रहकर,
उल्लंघन नहीं करना है।

रहें सभी घरों के अंदर ,
यदि बाहर नहीं निकलेंगे।
कोई बिषाणु न चिपक पाए,
हम सभी सुरक्षित रह लेंगे।

अपनी रेखा स्वयं खींच लें।
स्वअनुशासन पालन करलें।
भाग जाए हर महामारी,
कुछ आपसी लेख खींच लें।
विषय-लक्ष्मण रेखा
विधा-हाइकु

27/03/2020शुक्रवार
🌳🏵️🌲🍁🌻🏵️
लक्ष्मण रेखा

पार नहीं करना

घर-रहना👌

लक्ष्मण रेखा

पार लगे कोरोना

धीर धरना👍

देश हित में

मोदी जी ने खींची है

लक्ष्मण रेखा🍁

लॉक डाऊन

घर पर रहना

इक्कीस दिन🌻
💟🏆💟🏆💟🏆
🙏श्रीराम साहू

विषय -लक्ष्मण रेखा
दिनांक-27.3.2020

विधा-- दोहे
1.
विपदा की पहचानकर, करिए सब व्यवहार ।
घर अपना सबसे भला, लक्ष्मण रेखा सार ।।
2.
लक्ष्मण रेखा ने किया, देवालय भी दूर ।
मगर हृदय और गृह में, मिलेंगे वो जरूर।।
3.
लक्ष्मण रेखा से घिरा, अपना अपना गेह।
रेखा पार अगर हुई, लाश बनेगी देह ।।
4.
लक्ष्मण रेखा खींच दी, अगर रखा नहिं मान।
जीवन-सीता ,अपहरण ,कर लेगा शैतान।।
5.
हाथ जोड़कर प्रार्थना, करते देश प्रधान।
अपने घर में रहकर, स्वयं बचा लो जान।।

******स्वरचित **********
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र.)451551
दिनांक - 27/3/2020
शीर्षक - " लक्ष्मण रेखा "

विधा - गीत

मोदी जी कह गए देशवासियों से
मोदी जी कह गए देशवासियों से
ऐसा वायरस आया है
जो भी निकला घर से बाहर
वही इसकी चपेट में आया है ।

लोग पुछे डाक्टर से
क्या दवाई है इसकी ?
क्या इलाज है इसका ?
डाक्टर बोले लोगों से
न कोई दवाई इसकी
न कोई इलाज इसका
तुम बचाव करो अपना
तभी तुम्हारा बचना पक्का।
वरना वरना
जो भी निकला घर से बाहर
वही इसकी चपेट में आया है ।

तुम खींचो घर के बाहर एक रेखा
जिसको कहो तुम लक्ष्मण रेखा
मत लांघों तुम इस रेखा को
जिसके घर के बाहर है लक्ष्मण रेखा
वही इस वायरस से बच पाया है
जो भी निकला घर से बाहर
वही इसकी चपेट में आया है ।
मोदी जी कह गए देशवासियों से।।

सुनाओ कहानियाँ तुम बच्चों को
राम लक्ष्मण सीता अपहरण की
बड़े बूढ़े को भी तुम समझाओ
महामारी कोरोना वायरस की
और बताओ उन्हें तुम
जो भी निकला घर से बाहर
वही इसकी चपेट में आया है ।

सब घर के अंदर होते
बाहर होता है वो कोरोना
ऐसा व्यक्ति जो लक्ष्मण रेखा से बाहर होता
वही कोरोना वायरस से संक्रमित होता
तो जो भी निकला घर से बाहर
वही इसकी चपेट में आया है
मोदी जी कह गए देशवासियों से
ऐसा वायरस आया है
जो भी निकला घर से बाहर
वही इसकी चपेट में आया है ।

- प्रतिक सिंघल

विषय-लक्ष्मण रेखा
दिनांक-27/03/2020

विधा -हाइकु

लक्ष्मण रेखा
कोरोना वायरस
खतरनाक

करों विश्वास
रेखा के उस पार
सुरक्षित है

खींची है रेखा
सुरक्षित है जगह
अपना घर

लड़ो लड़ाई
कोरोना के खिलाफ
ए अस्त्र उठा।

संकल्पशक्ति
लक्ष्मण रेखा पार
सब बेकार

पूजा अर्चना
गरीब की सेवा में
ईश कृपा है

आर.के.यादव,
मझगांव रीवा
शीर्षक- लक्ष्मण रेखा
सादर मंच को समर्पित --


🌺💧 दोहे 💧🌺
********************
🌸 लक्ष्मण रेखा 🌸


जीवन तो संघर्ष है , क्यों हों निराश मीत ।
संंयम रख घर ही रहें , कोरोना से जीत ।।

🍎🌴🐦🌹🌻

लक्ष्मण रेखा है यही , कदम न बाहर आन ।
अपना बचाव सब करें , नष्ट करोना जान ।।

🌺🐦🕊🌹🌻

लक्ष्मण रेखा मान के , दूरी राखें तात ।
स्वयं सुरक्षा हम करें , कोरोना को मात ।।

🍎🍀🌸🕊🍎

🍀... रवीन्द्र वर्मा मधुनगर आगरा
शुक्रवार/27मार्च/2020
विषय - लक्ष्मणरेखा

विधा - कविता
********************
समय समय का फेर है ,
उम्र आर - पार ......
नहीं देखती कोरोना
सब पर करती वार !!

आज नदी,सागर, पर्वत, अंबर ,
सब भीतर से विचलित हैं ।
संपूर्ण जगत में हलचल है,
दिन भी अमावस लगता है !!

माना लागू है नियम संयम,
ये सबके परोपकार का !
ना समझ बनों न भईया,
ये लक्ष्मणरेखा बड़े काम की !!

हर तरफ़ खड़ी कोरोना ,
कर रही है मानव पर वार!
सुरक्षा नियम पालन करो ,
लक्ष्मणरेखा से कर लो प्यार!!

स्वरचित मौलिक रचना
सर्वाधिकार सुरक्षित
रत्ना वर्मा
धनबाद -झारखंड
27/3 /2020
बिषय, लक्ष्मण रेखा

लक्ष्मण रेखा लांघोगे तो जीवन भर. पछताओगे
बीमारी कब घर कर गई. समझ न पाओगे
हम तो डूबे सनम तुमको भी ले डूबेंगे
लेकिन बाहर निकल कर नजारा देखना न छोड़ेंगे
भारत वासी चेत जाओ क्यों प्राण संकट में डालते हो
हीरो बन घूम घूम कर सबको जोखिम में डालते हो
जब सीता ने लक्ष्मण रेखा लांघी कितना कष्ट उठाया था
इसी लक्ष्मण रेखा ने राम रावण युद्ध कराया था
स्वरचित सुषमा, ब्यौहार
27/3/20

बेजान रेखा
होती सार्थक
खामोश मर्यादाएं
सशक्त होकर
करती सुरक्षित
चुपचाप रहकर
न कोई वेग
न ही आवेग
दो देती
कलुषित मन
फिर खिंची आज
लक्ष्मण रेखा
घात लगाकर
देखो बैठा
दानव कॅरोना
अरे मत डरों ना
स्वीकार करोना
मत करो उपेक्षा
खिंची लक्ष्मण रेखा
स्वयं की रक्षा
त्याग करना
होगा अनुकूल
जो अभी प्रतिकूल
मत रोना
अनदेखा करोना
भागेगा करोना

स्वरचित
मीना तिवारी
दि.27.3.20.
विषयःलक्ष्मण-रेखा

*
मत करो पार लक्ष्मण-रेखा!
संभव अनिष्ट हो अनदेखा!
मायावी राक्षस विकट बडा़।
'कोरोना' बन यमदूत अड़ा।।

नरता का भक्षक संहारो।
एकान्त - साधना स्वीकारो।
आवश्यक जन- तन की दूरी।
इस असमय की यह मजबूरी।।

सीमित अपने घर में रहकर।
जीतेंगे हम कुछ,दुख सहकर।
स्वच्छता नियम सब पालेगें।
दुर्दम विषाणु को घालेंगे।।
-डा.'शितिकंठ

विषय - लक्षमण रेखा
द्वितीय प्रस्तुति


🤣चलो ढूढ़ें हम कुछ 🤣
😆हंसने का बहाना!😆
😩कोरोना जाएगा 😩
😃जब न मिलेगा ठिकाना !😃

लक्ष्मण रेखा तोड़ी थी
पड़ा था पुलिस का डंडा!
अच्छा था बैठे रहते
बेशक न देते अंडा!

कल मोहन गया बाहर
मिला राह में गुंडा!
हथियार तो था न वो
खांसा भागा मुस्तंडा!

कहें कहानी चुटकुले
वक्त बिताने का फ़ंडा!
दरवाजे 'शिवम' लगालो
लगा के बैठो कुंडा!

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 27/03/2020'

दिनांक २७/३/२०२०
शीर्षक-लक्ष्मन रेखा।


त्रेता युग में लक्ष्मन ने खिंचि थी जो रेखा
लक्ष्मन रेखा लांघ,सिया को मिला धोखा
लक्ष्मन रेखा लांघ ,बुलाये ना संकट
संयम रखें, समस्या है विकट।

चारो ओर मचा है हाहाकार
कोरोना दे रहा, हमें ललकार
एक ही उपाय है शेष बचा
लक्ष्मन रेखा खिंचे द्वार।

बची रहेगी जिंदगी
तो फिर आयेगी बहारे
दुश्मन भागेगा,
हमारे सहारे।

लक्ष्मन रेखा गर हम न तोड़े होते
प्रकृति को यूं न बिगाड़े होते
आती ना विपदा भारी
की है हमने भूल भारी।

लक्ष्मन रेखा मत तोड़िए
घर में सुरक्षित रहिए
घर घर हो लक्ष्मन रेखा
कोरोना को भागना होगा।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
विषय-लक्ष्मण रेखा
दिनांक 27-3-2020





लक्ष्मण रेखा तोड़ने की, गलती भूल न दोहराना।
वो तोड़ी हुआ विनाश,तुम तोड़ोगे होगा कोरोना।

इतिहास फिर दोहराया,लक्ष्मण रेखा मोदी बनाया।
इक्कीस दिन रहना तुम घर में, वरना पड़ेगा रोना।

बड़े बुजुर्ग बातों को,ना तुम अब गलत ठहराना।
वो कहे जैसा करना,और हँस खेल घर में रहना।

घर बाहर निकलने की सोची, तो पुलिस से डरना।
उनकी मार बच गये तो,घर लाओगे संग कोरोना।

कब से समझा रहे हैं,अब तो तुम बात समझो ना
अपने देश गांव परिवार ,कुछ तो भला सोचो ना।

इक्कीस दिन घर रहो,और इक्कीस साल जियो ना।
हाथ जोड़ करूं विनती, मान लो अब मेरा कहना।


वीणा वैष्णव
कांकरोली
विषय - लक्ष्मण रेखा
विधा - दोहा (राजस्थानी)

___________________

लिछमनरेखा लाँघ दी
करियो विधाता क्रोध।
पंचतत्व दूषित हुया
अब झेलो प्रतिशोध।।


रेणी सेणी बिगड़गी
दूषित आहार विहार।
मानव की करतूत छ
भोगे सब संसार।।

महामारी को रूप ले
करे प्रकृति न्याय।
विष बूझया छ तीर ये
कोरोना बण आय।।


---------------------------
गोविंद व्यास रेलमगरा
🌹लक्ष्मण रेखा🌹

हैं 
राहें सब सूनी-सूनी सी...
लग रही फिजायें सब खूनी सी...
मचा रहा तांडव एक दानव..
दूबक रहा है जिससे मानव..
सकल सृष्टि त्राहिमाम कर रही..
रथ प्रगति के खुद ही जाम कर रही..
रह गई सिमटकर घरों में जिंदगानियाँ...
व्यथा बयाँ कर रही राहों की वीरानियाँ..
लाचार है महाशक्तियां सारी...
विकराल होती यह महामारी...
शोध सारे ही विफल है..
परिस्थियाँ भी विकल है..
एक ही घेरा अब सुरक्षित देखा...
खींच लो द्वार पर लक्ष्मण रेखा..
खींच लो द्वार पर लक्ष्मण रेखा...


स्वरचित :- राठौड़ मुकेश

27/03/2020
विषय-लक्ष्मण रेखा


दोहे

रात बिताओ सोय के,
दिवस बीते खाय।
कोरोना का भूत है,
बाहर न कोई जाय।।

बिना हाथ धोए आप,
छूएं न चेहरा कोय।
हस्त प्रक्षालन तरल से,
रगड़ रगड़ के धोय।।

तूं चाहे भवसागर में,
चलती रहे ये नाव।
घर में समय बितादे,
बाहर ना धर पांव।।

आई है मुश्किल घड़ी,
सब पर शंका होय।
कोरोना ग्रसित लगे,
यहां मनुज हर कोय।।

काम थोड़ा कठिन है,
अन्य से दूरी बनाय।
सावधानी से बचेगा,
प्रभु होगा सहाय।।

कोरोना रोग जटिल,
समझ में कहां आय‌।
वैज्ञानिक चक्कराये,
सैकड़ों गच्चा खाय।।

ईश उपाय कुछ करो,
जान सबकी बच जाय।
अपने भारतवर्ष से,
दबे पांव लोट जाय।।

संभल जा रे नादान तूं,
जग की हालत देख।
ईक्कीस दिन पार न करो,
घर की लक्ष्मण रेख।।

-रामगोपाल आचार्य
पीपली आचार्यान, राजसमंद
दिनांक--२७--०३--२०२०
विषय--लक्ष्मण रेखा

विधा----हाइकु

*************************

लक्ष्मण रेखा
पार कभी करते
विनाश होगा


लक्ष्मण रेखा
मान और मर्यादा
रखती जिन्दा


लक्ष्मण रेखा
अगर नहीं लांघी
सुखी रहेंगे


लक्ष्मण रेखा
है बाहर कोरोना
मत लांघना


रानी कोष्टी गुना म प्र स्वरचित एवं मौलिक
विषय - लक्ष्मण रेखा

परम योद्धा ज्ञानी रावण था।
पर लांघ सका न लक्ष्मण रेखा।
तब तक ही रही सुरक्षित सीता
बाहर आई न तोड़ मर्यादा।

कोरोना भी खड़ा है बाहर
लेने को आगोश में हमको।
संयम रखें ना निकलें घर से
नहीं कभी कुछ कर सकता वो।


स्वरचित
बरनवाल मनोज 'अंजान'
धनबाद, झारखंड
भावों के मोती
आज का विषय- लक्ष्मणरेखा दिनांक- 27/03/ 2020

दिन- शुक्रवार
**************************************

कोरोना ने खींची जो लक्ष्मण रेखा पार उसके नहीं जाना है
लाक डाउन है जब तक देश में
घर में ही समय बिताना है।
कोरोना का कोई इलाज नहीं है सबको यह समझाना है।
बीमारी फैलती ये संक्रमण से
सामाजिक मेल-मिलाप से बचना और बचाना है
कोरोना ने खींची जो लक्ष्मण रेखा पर उसके नहीं जाना है।
वक्त बुरा है टल जाएगा सतर्कता से संभल जाएगा
बस स्वच्छता के नियमों को
अपनाना है
घर के अंदर ही रहना बाहर नहीं अब जाना है
विपदा की इस घड़ी में नहीं हमें घबराना है
कलयुग के इस रावण को सतर्कता से मार भगाना है
लक्ष्मणरेखा खींची जो कोरोना ने पार उसके नहीं जाना है
बुलंद हौसलों से अपने,
कोरोना को हराना है
कोरोना ने खींची जो लक्ष्मणरेखा पार उसके नहीं जाना है।

स्वरचित- सुनील कुमार
जिला- बहराइच,उत्तर प्रदेश।
दिनांक, २७, ३. २०२०
दिन, शुक्रवार

विषय , लक्ष्मण रेखा

संयम ही जीवन रेखा है अपनी ,
है बहुत जरूरी हर इक के लिए।
इसको जिसने भी अपनाया ,
आसान रहा जीवन उसके लिए।

स्वच्छंद जीवन ने दुख पाया है ,
जीवन मानव का व्यर्थ उसके लिए।
लक्ष्मण रेखा की बहुत जरूरत है ,
हमारी सामाजिक समरसता के लिए ।

मर्यादाओं को कायम रखना,
जरूरी है सबकी उन्नति के लिए।
कोविड उन्नीस ने सिखा दिया,
लक्ष्मण रेखा क्या है, जीवन के लिए।

नहीं अपनाई अगर लक्ष्मण रेखा,
फिर खोना होगा इस जीवन को।
जीवन अनमोल है सबका ही,
हम मारें न किसी को अपने लिए।

हिंसा से बढ़कर कोई पाप नहीं,
जग ईश्वर ने बनाया सबके लिए।
है स्वर्ग नर्क यहीं दुनियाँ में,
दण्ड निर्धारित रहता सबके लिए।

हो लक्ष्मण रेखा एक आसपास,
अपने अपने दायरे में रहने के लिए।
होगा अमन चैन और जीवन भी,
वद दुआ न होगी किसी के लिए।

स्वरचित, मधु शुक्ला .
सतना , मध्यप्रदेश .
विषय निर्दिष्ट
विधा कविता

दिनाँक 26.3.2020
दिन शुक्रवार

लक्ष्मण रेखा
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लक्ष्मण रेखा में सारी ही खुशहाली है
लक्ष्मण रेखा में जीवन की लाली है
जब जब भी जहाँ यह भंग हुई
सारी मानवता बहुत ही तंग हुई।

लक्ष्मण रेखा मे यदि चीन रहता तो कुछ बात होती
इस तरह की डरावनी अमावस सी न रात होती
यह कोरोना जो पूतना सी आवारा घूम रही
इसकी न कोई विघटन भरी घात होती।

जब लक्ष्मण रेखा टूटी अपनी ही सम्पत्ति जली
एक से एक दिख गये सफेद पोशाक में ख़ली
शान्ति के मार्ग पर नंगा नृत्य करती ख़लबली
सब ओर दिखते थे एक से
एक महाछली।

टुकडे़ टुकडे़ गैंग लक्ष्मण रेखा को मिटाते
यहीं की तोड़ते पर अशान्ति को बढा़ते
लक्ष्मण रेखा में सारे हित समाये है
इसे देख हर युग में रावण भी घबराये हैं।

कृष्णम् शरणम् गच्छामि

स्वरचित
सुमित्रा नन्दन पन्त
जयपुर
27/3/2020
विषय-लक्ष्मण रेखा
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लक्ष्मण रेखाएं
बांधती हैं
निर्धारित
करती हैं
सीमाओं को
या यूं कहूँ
निरंकुश न
हो जाये
इंसा.....
कितनी अर्थपूर्ण
हैं ये रेखायें
मन को रोकने
के लिए स्वयं
ही खींचनी होती
हैं
खामोश सी
अकल्पित न
जाने कितना
कचोटती सी
रेखायें
धीरे -धीरे
गाढ़ी बहुत
गाढ़ी हो जाती
हैं ये सशक्त हो
जाती हैं
लेकिन इन्हीं
लक्ष्मण रेखाओं
के आगे आज़ादी
है......मन की
आज़ादी
नियंत्रित आज़ादी ।।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना

लक्ष्मण रेखा

गवाह है
इतिहास
पार की
जब जब
लक्ष्मण रेखा
परेशानी में
पड़ा मानव

हैं
प्राकृति
की भी हदें
स्वच्छ हो
पर्यावरण
दूर हो
प्रदूषण

रखें दूरी
आपस में
पर जुड़े रहें
मन से

जीने दें
जीव जन्तुओं
को स्वतंत्र
न करें
अत्याचार

है आज
कठिन परीक्षा
विश्व जूझ रहा
कोरोना से
लकीरें खींची है
घर घर में

कोरोना को
हराना है
घर में ही
रहना है
है अपने
घरों की
लक्ष्मण रेखा
पार नहीं
करना है

मिले जब
सूचना
संकट टलने की
तभी बाहर
निकलना है

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
विषय--लक्ष्मण रेखा
विधा- मुक्त

दिनांक--27-03-2020

है मांग समय की
कर लो सब अपने
आप को थोड़े दिन
अपने घर में बंद

खींच लो स्वयं को
मानकर लक्ष्मण,
लक्ष्मण रेखा अपने
इर्द-गिर्द

है कलियुग रावण नहीं है
मगर कोरोना निशाचर
अदृश्य होकर कर रहा
हर जगह है वार

पट सब बंद कर के
देव भी आ गये थरा पर
पहन सफेद कोट,बचाने
अपने भक्तों को बनकर देवदूत

पर सीमाओं में वो भी बंधे
पहुँच ना सकते हर ओर
हमको ही करने पड़ेंगे
बचने के चंद उपाय

राम और लक्ष्मण सरीखे
गये कोरोना निशाचर-वध करने घर की दहलीज़ लांघ
अब स्वयं ही खींच लें
लक्ष्मण-रेखा आप।

डा.नीलम
27/03/2020
शीर्षक- लक्ष्मण रेखा


लक्ष्मण रेखा खिचों अपने द्वारे
जो लक्ष्मण रेखा के रहता अंदर
वह रहता सदा सुरक्षित
सीता ने लांघी थी यह रेखा
आई थी तब भारी विपदा
आज मचा है दैत्य कोरोना का
विश्व में भयंकर हाहाकार
गर रहना है इससे सुरक्षित
तो खिंचो अपने आगे रेखा का आकार
बरतें अभी सभी से दूरी
और व्यवहार में हो संयम
करें स्वच्छता का पालन
कहता है वर्तमान का धरम
गर प्रकृति से हम खिलबाड़ ना करते
इस विपदा में हम कभी ना पड़ते
जान है तो जहान है,,,
कल हम सब फिर मिलेंगे
जिन्दगी फिर खिलखिलायेगी
लेकिन अभी,,,,,
लक्ष्मण रेखा खींचे अपने द्वारे!

अनिता निधि
जमशेदपुर
विषय - लक्ष्मण रेखा
27/03/20

शुक्रवार
कविता

लक्ष्मण रेखा की महिमा को
जान चुका है यह जग सारा,
जो इसकी परिधि से निकला
उसे मिली दु:खों की कारा।

इसके बाहर भाँति-भाँति के
रावण घूमा ही करते हैं,
जहाँ पाँव बाहर रक्खा तो
वे तत्काल हरण करते हैं।

झूठ,कपट,हिंसा अशान्ति सब
विविध रूप हैं इस रावण के ,
जिनके छल-बल से पल भर में
कर्म बदलते हैं मानव के।

आज उसी लक्ष्मण रेखा को
मोदी जी ने भी खीचा है,
देश सुरक्षित रहे घरों में
सबके ही हित में सोचा है।

अब कर्तव्य हमारा है कि
इसका पूरा मान रखें हम,
आत्मसुरक्षा के मंत्रों पर
दृढ़ता से बस अमल करें हम।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
27मार्च2020
विषय लक्ष्मण रेखा

विधा हाइकु

01
आपदा रक्षा--
हर घर के द्वार
लक्ष्मण रेखा
02
मृत्यु बुलावा
पार की मनुष्य ने
लक्ष्मण रेखा

03
प्रकृति पर
मनुष्य का कहर
कोरोना कष्ट
04
जीव ने जब
तोड़ी लक्ष्मण रेखा
विपत्ति तब।

मनीष श्री
लक्ष्मण रेखा

लक्ष्मण रेखा खींच ली पर किया क्या इसका अनुमान.

है नहीं आसान यह है नहीं आसान.

नहीं माना माता जानकी ने पार की लक्ष्मण रेखा.
देखा क्या हाल हुआ, रावण ने अशोक वाटिका में रखा.
रोते रोते राम लखन का हाल हुआ बेहाल .
तुम भी मानों बात मेरी, निकलो न घर से यार.
तोड़ो न यह लक्ष्मण रेखा, मच रहा हाहाकार.
वैश्विक महामारी कोरोना को हराना है,
हमारे घर में ही रहने से, भारत देश को बचाना है.
गर नहीं माने बात तो यह याद रखना,
खुद को भी बचाना मुश्किल हो जायेगा.
लाकडाउन का रखों ख्याल, जीवन बने बेमिसाल.
लक्ष्मण रेखा ना तोड़ो यार, जीवन बन जाएगा बेकार.

स्वरचित कविता प्रकाशनार्थ
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
उत्क्रमित उच्च विद्यालय सह इण्टर कालेज ताली सिवान बिहार

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