Tuesday, January 1

"नव भोर ,नव वर्ष ,नूतन सवेरा "1जनवरी2019

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खुली बांहों से स्वागत करके, 
माने ईश्वर का हम आभार |

बीते बरस को दे दी विदाई, 
मन की सारी पीड़ा बिसराई, 
हर्षित होकर आज मेरा मन, 
नव वर्ष की देता सबको बधाई |

जीवन में सबके नूतन सवेरा हो, 
चेहरे पर फूलों सी मुस्कान हो, 
नये विचारों की शुरुआत हो, 
हर दिन खुशियों का त्यौहार हो |

स्वरचित *संगीता कुकरेती*
विषय-नववर्ष/नवभोर

आ गया नववर्ष है।
नव रंग का उत्कर्ष है,
हो सुहानी भोर नई।
बीत गई सो बीत गई,
नव स्वप्न के पल्लव बढ़े।
नव भाव के पुष्प खिलें,
जीवन को नव लय मिले।
नववर्ष में कुछ नया करें,
विगत से कुछ सीख लें।
नवसुबह को नवराग से,
नवीनता में ढाल दें।
हर ओर हर्ष ही हर्ष हो,
कम सभी के संघर्ष हो।
खुशियों का उत्कर्ष हो।
नवसंकल्पित मन हो,
मन में नव उमंग हो।
जीवन का नवोन्मेष हो,
दूर सबके क्लेश हो।

अभिलाषा चौहान
नव वर्ष-
नए संकल्प,नए विकल्प,नव आदर्श
नई परिधि,नव सृजन का वर्ष
पुरातन में नूतन रंग
नव रास-रंग,परिहास संग
नई दिशाएँ,नवल आयाम
आयामों का प्रतिदर्श
मुबारक हो नववर्ष
शिथिल पग,बोझिल भार
अब आगे चलने से इंकार 
कर तिरोहित सब व्यथा विकार
उर में नवजीवन संचार
स्नेह-सम्बन्धों का उत्कर्ष
मुबारक हो नववर्ष
जो आते है वो जाते है
कुछ खोकर क्यूँ पछताते है
साल बदला,काल बदला
जीवन का क्या सवाल बदला
तिनका तिनका नीड़ सँजोते
तरु-गुल्मों पर ऊँघते सोते
परिंदों का संघर्ष
मुबारक हो नववर्ष
चाँद वही,वही है दिनकर
दिवस-रात्रि तो आता बदलकर
बदले युग,बदली परिभाषा
शब्दों में जीवन की आशा
आशा-किरणों का अवमर्श
मुबारक हो नववर्ष
आमूल-चूल या किंचित परिवर्तन
संकल्प सदय सुखमय प्रवर्तन
जीवन पूरित हो सरगम के सुर से
मंगल-मोदमय,आनंद मधुर से
मधुरिमा का नवहर्ष
मुबारक हो नववर्ष
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित

हर तरफ नव वर्ष की धूम हैं 
आओ नाचें गायें झूमें 
मिलकर सब नववर्ष मनायें

सबके संग ख़ुशी मनायें.

नव सवेरा हैं नव वर्ष का 
वक्त हैं हर्ष का 
आओ भेद भाव भूलकर सबको गले लगायें
खुशियों के संग नववर्ष मनायें.

नववर्ष आये आप सबके जीवन में ख़ुशी बनकर 
सतरंगी इंदरधुनष और संगीत के सातों सुरों सी खूबसूरत आपके जीवन का हर पल 
खुशियों भरा आपका आने वाला कल हो .
स्वरचित :- रीता बिष्ट
नया साल

नया साल, नई उमंग 
नया उत्साह, नई तरंग।
मन प्रफुल्लित, 
भाव उमड़े है, 
नए साल के संग।।
नया रंग, नई सवेर
नई पसन्द, तारिखों का फेर।
दिल उत्साहित,
है नया साल, 
ना तेर ना मेर।
नया रास्ता, नई मंजिल
नया कर्म है, आशाएं स्वप्निल।
आंखें चंचलित,
अच्छी आदते हो उजागर,
बुरी हो धूमिल।
किसी को हंसाया, रुलाया
दिल दुखाया, माफ करना भाया।
मन क्षमा प्रार्थी,
पिछली बातों का, 
तुम करना सफाया।
नई सोच, नई जिंदगी
हो नई राह, नई बंदगी।
मन अभिलाषित,
पूरे हो मनोरथ,
हो खुशनुमां आगे की जिंदगी।
स्वरचित

सुखचैन मेहरा
गरीबों और किसानों का
उत्कर्ष अभी भी बाकी है
वर्ष पुराना बीता पर
नववर्ष अभी भी बाकी है

पराकाष्ठा जुर्मों की है
बेलगाम अपराधी अब
यत्र-तत्र मंडराते रहते 
सुबह शाम अपराधी अब
बेईमानी घूसखोरी में 
लिप्त अभी भी खाकी है
वर्ष पुराना बीता पर
नववर्ष अभी भी बाकी है

आहट पाकर चुनावी नेता
दरगाह शिवाले जाते हैं 
आरोपों द्वारा इज्जत अब
सरेआम उछाले जाते हैं 
राजनीतिक मुद्दों में अब भी
अल्लाह राम पिनाकी है
वर्ष पुराना बीता पर
नववर्ष अभी भी बाकी है

डिग्री खरीद फरोख्त होती 
अब शिक्षा की दुकानों से
किसी को राम नाम से चिढ़
किसी को चिढ़ है अजानों से
कुछ आँखों में ईर्ष्या की
दिखती अब भी झाँकी है
वर्ष पुराना बीता पर 
नववर्ष अभी भी बाकी है

कमीं है दिखती नववर्ष के
एक नये जोश इरादों में 
एक वर्ष गुजरेगा फिर से
बीते वर्ष की यादों में 
बीते वक्त की यहाँ किसी ने 
कीमत कभी न आँकी है
वर्ष पुराना बीता पर 
नववर्ष अभी भी बाकी है

========================
आयुष कश्यप 
फारबिसगंज

नव प्रभात
हृदय आल्हादित
नवीन वर्ष

नूतन वर्ष
अलविदा पुराना
सुस्वागतम

नया सवेरा
उमंगों का सूरज
उजली भोर

सरिता गर्ग
(स्व रचित)
चंद हाइकु -"नया साल"
(1)
ऊर्जा के बीज
नया साल ने बोये 
मन की जमीं
(2)
आशीष भरे 
नए साल ने बाँटे
नेह लिफाफे
(3)
कहे सँभाल
जीवन उपहार
नूतन साल
(4)
नए साल में
सोया विश्वास जागे 
स्वप्न भी उठे 
(5)
आशा के साथ
नया साल उतारे
भोर आरती

स्वरचित 
ऋतुराज दवे

नववर्ष रहे मंगलमय सबका, खुशियों का हो घर घर डेरा, 

जीवन कमल खिला रहे सबका, ये रहे न मन में तेरा मेरा, 

सम्मान करें सब मातृभूमि का,उद्देश्य बने बस भारत मेरा, 

जन-गण-मन का रहे बसेरा,हो संविधान सर्वश्रेष्ठ हमारा, 

शिक्षा का मंदिर पवित्र हो,हो शिक्षा का अधिकार हमारा, 

हो न संसद काअस्तित्व नकारा,बने नहीं ये एक अखाड़ा,

कर्तव्यनिष्ठ बने नेता हमारा, न करे याद राजा रजवाड़ा, 

बने नारी शक्ति रहे न अबला, छवि रहे इसकी उज्ज्वला, 

बेरोजगारी का न रहे बसेरा, खुश लगे हर युवा का चेहरा, 

हो पूरा ख्वाव रामराज्य का, हौसलों का हो जाये सबेरा

हो हिम्मत और साहस का डेरा,परोपकार हो धर्म हमारा ,

परम स्नेही हो जग सारा, यही नववर्ष को संदेश हमारा, 

मित्रों का मन निर्मल हो,करें माफ न रखें याद दोष कोई मेरा |

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
नभ में जब तक चाँद सितारे....
रहे आँगन ख़ुशी अपार तुम्हारे....
नित नूतन दिन सुनहरा हो तुम्हारा...
मन आँगन रहे हर पल उजियारा....
हर पल प्यार की खुशबू महके....
बच्चों से घर सदा रहे चहके....
रहे सर पे हाथ सदा प्रभु का....
मंगलमय जीवन हो तुम सभी का...
'चन्दर' की बस है कामना एक...
अनेक हो कर भी रहें हम एक...
चमके भारत संग भाग्य हमारा...
हर पल ही हो उत्सव सा हमारा...

II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II 
प्रकृति नित सृंगार सुसज्जित
नये वसन नियमित पहने
परिवर्तन जग अटल सत्य
धारण करती सुन्दर गहने
नया वर्ष हो मंगलकारी
नया वर्ष खुशहाली लावे
नया वर्ष जन सुखाय हो
गीत सभी खुशियों के गावे
नये साल का नया सवेरा
नव उम्मीदों की सौगात
कालचक्र प्रति पल चलता
करे सदा स्नेह बरसात ।।
स्व0 रचित
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विषय - नव वर्ष 
विधा - गजल
बह्ह - 212. 212. 212. 212

वर्ष नव आ गया ......जिंदगी के लिए 
दो नयी इक दिशा .....ज़िंदगी के लिए 

भूल कर बात सब क्या हुआ कब हुआ 
हाथ से लो सजा ... . ..जिंदगी के लिए 

बैठकर हाथ मलना कभी .....तुम नहीं
दौड़ दिल से लगा..... जिंदगी के लिए 

जिंदगी प्यार है प्यार ही ... जिंदगी 
हो गिले गर भुला ......जिंदगी के लिए 

देखते आसमां ..... क्या दिखेगी जमीं 
सर कभी तो झुका ....जिंदगी के लिए 

नाम आए जुबां पे सभी .......के यहाँ 
प्रीत कुछ तो बढ़ा .....जिंदगी के लिए 

लिख गजल कोष्टी ......खूब उन्नीस में 
रोज सबको सुना .......जिंदगी के लिए 

एल एन कोष्टी 
स्वरचित एवं मौलिक
वार. : मंगलवार 
विषय. : नव भोर/ नव वर्ष/ नूतन सवेरा 

मन विभोर 
देख नववर्ष की 
यें नव भोर

तुम उन्नीस 
हम उन्नचास के
अंतरकाल 

परा पूर्व की
यें नूतन सवेरा 
हो जीवन में

यही है आशा 
कुछ नयां करूं मैं 
यें अभिलाषा

हमेशा साथ 
हो तुम जीवन में
यही प्रार्थना

स्वरचित एवं मौलिक 
मनोज शाह मानस 
सुदर्शन पार्क ,
मोती नगर, नई दिल्ली
नव भोर मे नव रश्मि ले,
नूतन सबेरा आया है।
नव वर्ष मे नव आस ले,
नव भास्कर फिर आया है॥
🍁
आनन्द मे हर एक कण है,
मन सृजन से भर आया है।
भावों के मोती छलक के,
कविता मे ही भर आया है॥
🍁
कविता के भावों मे मेरी,
फिर जोश सा भर आया है।
इस मंच के सब कवियो के,
अभिनन्दन मे शेर आया है॥
🍁
गत वर्ष के सब गलतीयों,
को माफ कर देना मेरे।
आलोचना समलोचना से,
प्राण भर देना मेरे॥
🍁
उत्कर्ष की इस कामना के
साथ सबको है नमन।
महफिल मेरा परिपूर्ण हो,
इस शेर मन से है नमन॥
🍁

स्वरचित ... Sher Singh Sarraf

मुबारक हो सब को नववर्ष का आगमन
नई बधाइयों और उपहारो का आगमन
विचारो और इच्छाओ का आगमन 
अपनो को अपनों से मिलाने का आगमन
नई उचाईयो को छूने का आगमन
नई चुनोतियो को पूरा करने का आगमन
धीरज और हिम्मत का आगमन
दिलो को दिलो से जोड़ने का आगमन
जीवन और संघर्ष का आगमन
नई उमंगो नई तरंगों का आगमन
नए सवेरे और नई किरणों का आगमन
अधुरे काम पूरे करने का आगमन
नये लक्ष्यों को प्राप्त करने का आगमन ढेर सारी नववर्ष की शुभकामनाओ का आगमन
मंगलमय हो सबको इस नववर्ष 2019 का आगमन।


स्वयंरचित रचना 
छवि शर्मा

दोहा

अभिनंदन नव वर्ष का,करिए सब पुरजोर।
खोल दीजिए राज सब,रहे न मन में चोर।।
*********************************

आने वाले वर्ष का, करो सभी सत्कार।
बैर भाव सब छोड़कर,करो सभी से प्यार।।
********************************

जाने अनजाने हुआ, सज्जन से मतभेद।
प्रातः पर नववर्ष की, प्रकट कीजिए खेद।।
*********************************

गलती तुमसे जो हुई, मित्रों पिछले साल।
ओछी बातें छोड़कर, करिए नया कमाल।।
*********************************

हर्ष और उल्लास ले, आया है नव वर्ष।
पिछली गलती भूलकर,करिए नव उत्कर्ष।।
*********************************

स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट(म.प्र.)
चलो आज हम सभी मिलकर नया साल मनाते है 
आज हम सभी आपस में मिल कर मुबारकबाद लुटाते है 
इस नए साल में बेर भाव को त्यागते है 
ओर आओ मिलकर सबको गले 
लगाते है
इस नए साल में पेड़ो की रक्षा करे हम 
ओर हमारी प्रकृति को खत्म होने से बचाते है 
आओ आज हम आतंक के खिलाफ 
मिलकर आवाज उठाते है 
सबसे पहले मैं बधाई उन्हें देता हूँ 
जो हमारी जान की रक्षा के खातिर अपनी जान गवांते है 
मैं सलाम करता हूँ उन जवानो को 
जो पूरी कर्तव्यनिष्ठा से अपना फ़र्ज़ निभाते है 
फिर हम क्यों चुप बैठे इस नए साल में 
आओ कुछ नया करके दिखाते है 
आओ हम मिलकर पूरे विश्व में भारत की शान बढ़ाते है 
आओ आज हम मिलकर नया साल मानते है 
आज हम सभी आपस में मिलकर मुबारकबाद लुटाते है
स्वरचित : 
''जनार्धन भारद्वाज ''
श्री गंगानगर(राजस्थान )

लघु कविता
"नव वर्ष खड़ा है द्वारे"

नव वर्ष खड़ा है तुम्हारे द्वारे,
मंगल दीप सजा लो प्यारे।
आशाओं को तुम संजो लो,
नव वर्ष खड़ा है तुम्हारे द्वारे।
सूर्य उदय होने को तत्पर,
पक्षी मंगल गान हैं गाते।
अभिनन्दन की इस बेला में,
नव वर्ष खड़ा है तुम्हारे द्वारे।
आओ मिलकर प्रण यह साधें,
शिक्षा को घर घर पहुंचाएं।
खुशियों की इस नव बेला में,
नव वर्ष खड़ा है तुम्हारे द्वारे।
अडिग बनो तुम हिमगिरी जैसे,
धीर धरो धरती के जैसे।
गाए मंगल गान वत्स अब
नव वर्ष खड़ा है तुम्हारे द्वारे।
तिमिर छंटे और दीप जले अब,
सपने हों साकार सभी के।
ऐसी मंगल शुभ घड़ी लेकर,
नव वर्ष खड़ा है तुम्हारे द्वारे।
(अशोक राय वत्स) स्वरचित
जयपुर
नव भोर,
नववर्ष की 
ज्यों ही हौले से 
मुस्काई...
धरा ने भी 
कोहरे की चादर
धीरे-धीरे 
सरकाई ।
नवल सूर्य के 
स्वागत में धरा ने
पात अंजुरी ओस परोसी, 
की सूर्य की सेवकाई...
नवल रश्मियों ने 
तब आकर धरा को
स्वर्ण सी झिलमिल 
चूनर पहनाई ।
बहने लगी 
पुरविया शीतल,
कलियों ने ली
अंगड़ाई...
रक्तिम् आभा से 
नव पात खिल उठे, 
मानो ओढ़ चुनर
धरा शरमाई ।
पंछियों के
प्यारे कलरव संग 
भंवरों की
गुंजार ध्वनि,
बजती जैसे 
शहनाई...
लिखी जा रही 
लग्न हो जैसे, 
धरा-सूर्य की 
हो रही सगाई ।
नयी सुबह 
नवल वर्ष की 
ज्यों ही हौले से 
मुस्काई..........।

-- नीता अग्रवाल 
#स्वरचित
"नव वर्ष/नव भोर/नया सवेरा"
हाइकु
🙏💐
"भावो के मोती"
प्रवेश नववर्ष
सबका हर्ष
🙏💐
"भावो के मोती"
साहित्य का सितारा
नया सवेरा
🙏💐
आशाऐं जगी
दामन नववर्ष
खुशियाँ मिली
🙏💐
सूरज आया
दूर हुआ अंधेरा
नया सवेरा
🙏💐
शीत के संग
त्योहार नववर्ष
जागा उमंग
🙏💐
वर्ष विदाई
नववर्ष बधाई
सबने पाई
🙏💐
अधूरे ख्वाब
नववर्ष में काश!
पूरी हो आस
🙏💐
खुश मिठाई
स्वागत नववर्ष
मिली बधाई
🙏💐
घर, आँगन
धनधान्य से भरा
ज्यों नववर्ष
🙏💐
ये वसुंधरा
उत्सव नववर्ष
मनाने चली
🙏💐
नशे में युवा
जश्न-ए नववर्ष
झूमते रहे
🙏💐
दु:खी मेमना
नया साल जो आया
कुछ ना खाया

स्वरचित पूर्णिमा साह पश्चिम बंगाल


अरे!!
देश का एक वर्ग तो
तुम्हें जानता ही नहीं ।
क्या है नववर्ष, क्या उमंगें क्या हर्ष?
उनकी सुबह तो भूख से होती है ,
तब रात खाने को सूखी रोटी है।
और किसी- किसी को तो ये भी नसीब नहीं, 
खाली पेट और सिर पर छत भी नहीं, 
वो क्या जाने क्या है नया साल ?
जो जीवन जीते हैं खस्ता हाल।
इन झूठे स्वप्नऔर आडंबरों से, 
ब्यर्थ दिन, महीने के कैलेंडरों से,
उनका क्या वास्ता?
जिनका जीवन ही है काँटों भरा रास्ता ।

जिस दिन उनके घर चुल्हा जलता है। 
एक नववर्ष का सपना, आँखों में पलता है।
झाँककर देखो उन दिलों में,
उनको साल का पता नही।
जो जीते हैं फूटपाथ पर, और मरते हैं फूटपाथ पर। 

नसीब जिन लाशों को कफन नहीं होता। 
ऐसै जीवन में कोई नववर्ष नहीं होता ।

ऐ नववर्ष,
क्या सच तुम कुछ कर पाओगे ?
भूखों को रोटी, गरीबों को घर दे पाओगे?
हिंसाग्रस्त देश को, कोई राह दोगे?
नफरत भरे दिलों में, चाह दोगे?

गर ऐसा है तुम्हारे दामन में, 
तो स्वागत है तुम्हारा हर्षित मन से,
वरना तुम भी यूँ ही बीत जाओगे। 
और इतिहास की रीत बन जाओगे। 

स्वरचित 
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
दैनिक कार्य स्वरचित लघु कविता
दिनांक 01.01.2019
दिन मंगलवार
विषय नववर्ष
रचयिता पूनम गोयल

नववर्ष का हुआ आगमन ,
हम प्रयत्न करें 
नवसंचार हेतु ।
आलस्य त्याग , हम मग्न हों 
नित नूतन सृजन हेतु ।।
हार्दिक अभिनंदन करें 
नववर्ष का
स्वयं को
उल्लास से
परिपूर्ण करके 
किसी उत्सव की तरह 
मनाएँ इसे ,
परस्पर एकत्रित होके ।।
जो बीत गया , 
वह कल था ,
अब वर्तमान को 
सजाएँ , सँवारे ।
न कि बिगड़े कल की भाँति ,
वर्तमान व भविष्य को भी ,
व्यर्थ गँवाए ।।
नवोदित विचारधारा 
को लेकर ,
जीवन का करें उत्थान ।
एवं निजहित के साथ-साथ ,
करें हम सर्वकल्याण ।।
"नव भोर / नव वर्ष / नूतन सवेरा" शीर्षकांतर्गत हायकु रचना --

(1)

ये "नव वर्ष" 
हरे विघ्न, हो हर्ष
नया उत्कर्ष।

(2)
मन का भाव 
हो "नूतन सवेरा" 
खुशी बसेरा।

(3)
जग में शोर
हुआ है "नव भोर" 
हर्ष अछोर।

(4)
निशा का छोर
"नव भोर" की ओर 
खुशी हिलोर।

(5)
"नया सवेरा" 
मन आनंद भरा
कर्म हो खरा।

(6)
जीवों में होड़
आगत "नव भोर" 
मन विभोर।

(7)
हे मन मीत
"नव भोर" संगीत 
जीवन जीत।

(8)
भावों का मेला
हो "नूतन सवेरा"
सुखों का डेरा।

--रेणु रंजन 
( स्वरचित )
नवबर्ष के नवीन मास में,
नूतन भोर आज आया है।
सुखद रहें आप सभीजन ,
मेरे मन में ही ये भाया है।

स्नेहलता प्रेम विकसित हो,
जीवन में मंगल हो सबका।
नित नूतन प्रभु नया सबेरा,
दंगल नहीं मंगल हो सबका।

हों सुंन्दर मनोभाव दिलों में,
हरजन का दुर्भाव ध्वस्त हो।
मिलजुल रहें सभी भारतीय,
सबजन का मार्ग प्रशस्त हो।

प्रगति करें अपने जीवन में।
प्रेमानुराग हों सबके मन में।
वैरभाव भूलें प्रफुल्लित हों,
नृत्य होंय मन के मधुवन में।

नव बर्ष हो सबको फलदायी।
नूतन नवल हमको सुखदायी।
नव जागरण आऐ नया सबेरा,
हो नवबर्ष सभी को शुभदायी।

स्वरचितःःः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.

नववर्ष है 
उम्मीदों का सागर
बीती ताही बिसार दे
आगे की सुधि ले
का देता है संदेशा 

नववर्ष 
देते है शुभकामनाएं 
नूतन वर्ष मे यश मिले
जीवन मे संतोष मिले 
यही शुभकामना 
हमारी 
प्रतिदिन प्रतिपल 
आपको समृद्धि सुखी 
स्वास्थ्य खुशियाँ मिले
और हो खुशहाल सब

स्वलिखित 
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

प्रस्तुति 1
हाइकु 
1
नूतन भोर 
कर रही विभोर 
मचा है शोर 
2
नया सवेरा 
लाया नई उमंग 
खुशियाँ संग 
3
नूतन वर्ष 
भर दिया है हर्ष 
हुआ उत्कर्ष 



प्रस्तुति 2
चलो.. आज नव वर्ष मनाये, 
एक कसम मानवता की खाएं,
ख़ुशी का एक दीप बनाएं, 
किसी विप्र का घर उजियाएँ, 

चलो.. आज नव वर्ष मनाये, 
किसी फौजी के घर जाएं, 
उसकी माता के आंसू को, 
अपनी थोड़ी ख़ुशी दे आये ll
आज नव वर्ष..... 
कुसुम पंत उत्साही 
स्वरचित 
देहरादून

विधा-हाईकु
विषय- नव वर्ष

नूतन वर्ष
खुशियों का भंड़ार
संभाले हम

बैर पुराने
नव वर्ष मिटाए
बाँटे खशियाँ

प्रीत सहारा
नव वर्ष सहारा
खिले कमल

स्वरचित-रेखा रविदत्त
1/1/19
मंगलवार

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