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ब्लॉग संख्या :-600
विषय क्षमा, माफी
विधा काव्य
19 दिसम्बर 2019,गुरुवार
अति मधुरम शब्द क्षमा है
इंसानियत बसती है इसमें।
दया स्नेह समहित जिसमे
क्षमा भाव होता है उसमें।
लात घात की भृगु ऋषि ने
रमापति ने क्षमा किया था।
सौ गल्ती शिशुपाल क्षमा की
फिर मोहन ने प्राण लिया था।
मातपिता गुरुजन मिलकर
नित बच्चों को देतें माफी।
ममता प्यार दुलार समझाना
यह बच्चों के लिये है काफी।
क्षमा दान महा दान जग
करुण हृदय में यह उपजता।
क्षमा मांगना खेल नहीं है
जब पश्याताप मन पनपता।
अगणित त्रुटियां करते हम
प्रभु सभी को क्षमा करता है।
परमपिता परमेश्वर पालक
हर क्लेश को पल में हरता है।
विधा काव्य
19 दिसम्बर 2019,गुरुवार
अति मधुरम शब्द क्षमा है
इंसानियत बसती है इसमें।
दया स्नेह समहित जिसमे
क्षमा भाव होता है उसमें।
लात घात की भृगु ऋषि ने
रमापति ने क्षमा किया था।
सौ गल्ती शिशुपाल क्षमा की
फिर मोहन ने प्राण लिया था।
मातपिता गुरुजन मिलकर
नित बच्चों को देतें माफी।
ममता प्यार दुलार समझाना
यह बच्चों के लिये है काफी।
क्षमा दान महा दान जग
करुण हृदय में यह उपजता।
क्षमा मांगना खेल नहीं है
जब पश्याताप मन पनपता।
अगणित त्रुटियां करते हम
प्रभु सभी को क्षमा करता है।
परमपिता परमेश्वर पालक
हर क्लेश को पल में हरता है।
दिनांक-19/12/2019
विषय- क्षमा
क्षमा की मस्तीली फुहार
मधुरिम में संगीत सुनाती
मेघों की ढोल ताप पर
वसुंधरा मंद मंद मुस्काती
रागिनियां मस्त बयारे गाती...
कोई पंछी ना तड़पे....क्षमा करे
उनकी फूटी किस्मत पर
मुक्त गगन में विचरण करते
अवनी ,अंबर के प्रांगण पर
इस कच्चे रेशम के डोर को
जकड़ के रखना हर पोर को
पल में अवनी ,पल में अंबर
पल में सागर, पल में अथाह गागर
समेटे धागों में स्नेह अपार
क्षमा करें हर ................ को
क्या दे दूं मैं एक उपहार..क्षमा का
क्षमा के झूठे इकरार का
या दू द्रोपदी के करार का
या ध्रुपद नरेश का करार
जिसकी अस्मत को लूटे
नीच दुःशासन के दरबार
यह प्रीत क्षमा का बंधन है
नहीं है अधरों का करुण क्रंदन
विषय- क्षमा
क्षमा की मस्तीली फुहार
मधुरिम में संगीत सुनाती
मेघों की ढोल ताप पर
वसुंधरा मंद मंद मुस्काती
रागिनियां मस्त बयारे गाती...
कोई पंछी ना तड़पे....क्षमा करे
उनकी फूटी किस्मत पर
मुक्त गगन में विचरण करते
अवनी ,अंबर के प्रांगण पर
इस कच्चे रेशम के डोर को
जकड़ के रखना हर पोर को
पल में अवनी ,पल में अंबर
पल में सागर, पल में अथाह गागर
समेटे धागों में स्नेह अपार
क्षमा करें हर ................ को
क्या दे दूं मैं एक उपहार..क्षमा का
क्षमा के झूठे इकरार का
या दू द्रोपदी के करार का
या ध्रुपद नरेश का करार
जिसकी अस्मत को लूटे
नीच दुःशासन के दरबार
यह प्रीत क्षमा का बंधन है
नहीं है अधरों का करुण क्रंदन
शीर्षक -- क्षमा / माफी
प्रथम प्रस्तुति
भूल अगर कोई करता है
मन ये क्रोध से भरता है ।।
क्यों भूलें हम खुद की भूल
भूल से कौन न गुजरता है ।।
रिश्ते अगर रखना कायम
मन पर 'शिवम' रखना संयम ।।
क्षमा का कोष कम न करना
इससे बड़ा न कोई धरम ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 19/12/2019
प्रथम प्रस्तुति
भूल अगर कोई करता है
मन ये क्रोध से भरता है ।।
क्यों भूलें हम खुद की भूल
भूल से कौन न गुजरता है ।।
रिश्ते अगर रखना कायम
मन पर 'शिवम' रखना संयम ।।
क्षमा का कोष कम न करना
इससे बड़ा न कोई धरम ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 19/12/2019
19/12/2019
"क्षमा/माफी"
हाइकु
******
1)
कांपी न जिह्वा-
बलात्कारी की माँग
क्षमा महान।
2)
टूटा जो कांच
बेसहारा सी बाई
क्षमा सहारे।
3)
क्षमा की ज्योति
जगमग प्रभात
स्वर्णिम आस।
4)
क्षमा,विश्वास
प्रेम का परिधान
खिलता मन।
5)
गहरे डूबे
क्षमा के सागर में
प्रेम माणिक।।
वीणा शर्मा वशिष्ठ
स्वरचित
"क्षमा/माफी"
हाइकु
******
1)
कांपी न जिह्वा-
बलात्कारी की माँग
क्षमा महान।
2)
टूटा जो कांच
बेसहारा सी बाई
क्षमा सहारे।
3)
क्षमा की ज्योति
जगमग प्रभात
स्वर्णिम आस।
4)
क्षमा,विश्वास
प्रेम का परिधान
खिलता मन।
5)
गहरे डूबे
क्षमा के सागर में
प्रेम माणिक।।
वीणा शर्मा वशिष्ठ
स्वरचित
19 /12/2019
बिषय,, क्षमा माफी
किसी ने सही कहा
क्षमा बड़न को चाहिए
कांटे बोने बाले को
फूल बोना चाहिए
जैसे कि हिना रंग दिखाती
रच जाने के बाद
बैसे ही व्यक्तित्व नजर आता
कुछ कर दिखाने के बाद
बच्चों की गल्तियां माफ
करते पिता और माता
यह सब उनके न रहने
पर नजर आता
नेताओं को उनके किए
की सजा अवश्य दिलाएं
पुनः कुर्सी पर बैठा
अपनी भूल न दोहराएं
आताईयों बलात्कारियों
को माफी की जगह ही नहीं
वरना काली रात की सुबह ही नहीं
सुषमा,, ब्यौहार
बिषय,, क्षमा माफी
किसी ने सही कहा
क्षमा बड़न को चाहिए
कांटे बोने बाले को
फूल बोना चाहिए
जैसे कि हिना रंग दिखाती
रच जाने के बाद
बैसे ही व्यक्तित्व नजर आता
कुछ कर दिखाने के बाद
बच्चों की गल्तियां माफ
करते पिता और माता
यह सब उनके न रहने
पर नजर आता
नेताओं को उनके किए
की सजा अवश्य दिलाएं
पुनः कुर्सी पर बैठा
अपनी भूल न दोहराएं
आताईयों बलात्कारियों
को माफी की जगह ही नहीं
वरना काली रात की सुबह ही नहीं
सुषमा,, ब्यौहार
विषय_ क्षमा/माफी |
शब्द छोटे हे गहन गभ्भीर |
बोलना सहज सच नही हृदय से |
हर कोई होता नही क्षमा योग्य |
ईश्वर भी तौल कर ही करते क्षमा
मानव करे दुष्यकर्म नही क्षमा योग्य |
क्षमा से कभी कभी बडते अपराध|
न रोक पाते सत्य अंहिसा क्षमा इन्हे ||
क्षमा मूल्य हे अनमोल कर रहे
देखो दुष्ट सभी उसका दुर्पयोग |
शासन प्रशासन जनता जाकर अनजान |
क्षमा शील विष्णु ने किया भृगुको क्षमा |
जानते थे ये नही अपराधी
ये परीक्षा थी त्रिदेवौ की |
आज नही है ऐसा कोई |
स्वरचित_ दमयंती मिश्रा
शब्द छोटे हे गहन गभ्भीर |
बोलना सहज सच नही हृदय से |
हर कोई होता नही क्षमा योग्य |
ईश्वर भी तौल कर ही करते क्षमा
मानव करे दुष्यकर्म नही क्षमा योग्य |
क्षमा से कभी कभी बडते अपराध|
न रोक पाते सत्य अंहिसा क्षमा इन्हे ||
क्षमा मूल्य हे अनमोल कर रहे
देखो दुष्ट सभी उसका दुर्पयोग |
शासन प्रशासन जनता जाकर अनजान |
क्षमा शील विष्णु ने किया भृगुको क्षमा |
जानते थे ये नही अपराधी
ये परीक्षा थी त्रिदेवौ की |
आज नही है ऐसा कोई |
स्वरचित_ दमयंती मिश्रा
हाय किस्मत तेरे पहलू मे बंधा क्या है।
जिये जाता हूँ बेखबर तो मजा क्या है।
हरेक शख्स ने पूछा मेरे महबूब का नाम।
जिसने बनायी है दुनिया वो भला क्या है।
होके चाहत में दफन देखा नहीं कुछ भी़।
क्या थी बहारे चमन और फज़ा क्या है।
जब उठाता हूं सर तो कर देते हैं कलम।
अब वही जाने जालिम की रज़ा क्या है।
तुम झुकाए खड़े हो क्यों अपने सर को।
माफ तो कर दूँ तुम्हें मगर खता क्या है।
विपिन सोहल
जिये जाता हूँ बेखबर तो मजा क्या है।
हरेक शख्स ने पूछा मेरे महबूब का नाम।
जिसने बनायी है दुनिया वो भला क्या है।
होके चाहत में दफन देखा नहीं कुछ भी़।
क्या थी बहारे चमन और फज़ा क्या है।
जब उठाता हूं सर तो कर देते हैं कलम।
अब वही जाने जालिम की रज़ा क्या है।
तुम झुकाए खड़े हो क्यों अपने सर को।
माफ तो कर दूँ तुम्हें मगर खता क्या है।
विपिन सोहल
विषय- क्षमा /माफी
दिनांक 19-12 -2019
दुख देने से दुख बढ़ेगा, फिर क्यों दुख देते हैं।
अमन प्रेम विस्तार कर ,चहुँओर यश पाते हैं।।
बरसे हृदय से करुणा,ऐसा काम सब करते हैं।
हो जाए भूल वश गलती,उनको क्षमा करते हैं।।
द्वंद अगर हो जाए तो,थोड़ी दूरी रख लेते हैं।
मन वचन अगर क्लैश हो,माफी वो मांगते हैं।।
आगे जीवन क्लेस मुक्त हो, प्रयास करते हैं।
बड़े हैं, क्षमा करने से बड़े ही सदा बनते हैं।।
कोई नहीं दोषी,अनजाने में गुनाह सब होते हैं।
इस चक्रव्यूह से,क्षमा मांग ही सब बचते हैं ।।
स्वयं करता नहीं कोई,कर्मों का ताना-बाना है।
सब इस जग में रह,कर्मों का कर्ज चुकाते हैं।।
क्षमा वीररस्य भूषणम,अपना महान बनते हैं।
क्षमा दान देकर ही,वह अहंकार को हरते हैं।।
कहती वीणा उत्तम क्षमा,क्यूं अवसर गवांते हैं।
एक क्षमा शब्द,कितने जीवन संवर जाते हैं।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
दिनांक 19-12 -2019
दुख देने से दुख बढ़ेगा, फिर क्यों दुख देते हैं।
अमन प्रेम विस्तार कर ,चहुँओर यश पाते हैं।।
बरसे हृदय से करुणा,ऐसा काम सब करते हैं।
हो जाए भूल वश गलती,उनको क्षमा करते हैं।।
द्वंद अगर हो जाए तो,थोड़ी दूरी रख लेते हैं।
मन वचन अगर क्लैश हो,माफी वो मांगते हैं।।
आगे जीवन क्लेस मुक्त हो, प्रयास करते हैं।
बड़े हैं, क्षमा करने से बड़े ही सदा बनते हैं।।
कोई नहीं दोषी,अनजाने में गुनाह सब होते हैं।
इस चक्रव्यूह से,क्षमा मांग ही सब बचते हैं ।।
स्वयं करता नहीं कोई,कर्मों का ताना-बाना है।
सब इस जग में रह,कर्मों का कर्ज चुकाते हैं।।
क्षमा वीररस्य भूषणम,अपना महान बनते हैं।
क्षमा दान देकर ही,वह अहंकार को हरते हैं।।
कहती वीणा उत्तम क्षमा,क्यूं अवसर गवांते हैं।
एक क्षमा शब्द,कितने जीवन संवर जाते हैं।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
19/12/19
क्षमा
**
क्षमा करें सब भूल"
***
धर्म कर्म का हो विषय, समझें इसका मूल।
हम बालक नादान !प्रभु, क्षमा करें सब भूल ।।
सेवा बुजुर्ग की करें,दया भाव हो मूल।
हाथ जोड़ विनती करें,क्षमा करें सब भूल।।
छोटी छोटी बात को, क्यों देते हैं तूल ।
कटुता आपस की मिटा ,क्षमा करें सब भूल ।।
चित्त शुद्ध उर प्रेम हो ,शंका है निर्मूल ।
सहज भाव रहिये सदा,क्षमा करें सब भूल।।
क्षमा एक उपहार है,खुद को दें ये फूल।
सुखमय जीवन राज ये, क्षमा करें सब भूल।।
स्वरचित
अनिता सुधीर
क्षमा
**
क्षमा करें सब भूल"
***
धर्म कर्म का हो विषय, समझें इसका मूल।
हम बालक नादान !प्रभु, क्षमा करें सब भूल ।।
सेवा बुजुर्ग की करें,दया भाव हो मूल।
हाथ जोड़ विनती करें,क्षमा करें सब भूल।।
छोटी छोटी बात को, क्यों देते हैं तूल ।
कटुता आपस की मिटा ,क्षमा करें सब भूल ।।
चित्त शुद्ध उर प्रेम हो ,शंका है निर्मूल ।
सहज भाव रहिये सदा,क्षमा करें सब भूल।।
क्षमा एक उपहार है,खुद को दें ये फूल।
सुखमय जीवन राज ये, क्षमा करें सब भूल।।
स्वरचित
अनिता सुधीर
दिनांक- 19/12/2019
शीर्षक- क्षमा/माफीविधा- कविता
*************
दिन-रात होते यहाँ अपराध,
कभी चोरी तो कभी कत्ल,
और कभी लुटती है वो नार,
फिर भी रखते क्षमा की आस |
धरती पर बढ़ते ये अपराध,
कैसे ,कौन करे अब उद्धार?
मन में रोज ही उठते सवाल,
मचा रहे हैं बहुत ही बवाल |
कैसे उसको माफी मिलेगी?
जो लूट रहे नारी की लाज,
कैसे उसको माफी मिलेगी?
माँ-बाप का करें जो तिरस्कार |
सजा यहाँ नहीं तो वहाँ मिलेगी,
तब तेरी रिश्वतखोरी न चलेगी,
एक-एक जुर्म का होगा हिसाब,
हे मनु! कर सुधार अपना आज |
स्वरचित- *संगीता कुकरेती*
शीर्षक- क्षमा/माफीविधा- कविता
*************
दिन-रात होते यहाँ अपराध,
कभी चोरी तो कभी कत्ल,
और कभी लुटती है वो नार,
फिर भी रखते क्षमा की आस |
धरती पर बढ़ते ये अपराध,
कैसे ,कौन करे अब उद्धार?
मन में रोज ही उठते सवाल,
मचा रहे हैं बहुत ही बवाल |
कैसे उसको माफी मिलेगी?
जो लूट रहे नारी की लाज,
कैसे उसको माफी मिलेगी?
माँ-बाप का करें जो तिरस्कार |
सजा यहाँ नहीं तो वहाँ मिलेगी,
तब तेरी रिश्वतखोरी न चलेगी,
एक-एक जुर्म का होगा हिसाब,
हे मनु! कर सुधार अपना आज |
स्वरचित- *संगीता कुकरेती*
19/12/2019
"क्षमा/माफी"
दोहा
################
"क्षमा/माफी"दोहा
################
बड़ों के आगे झुकना,करना न अहंकार।
क्षमा,दया से सीखना, धर्म और संस्कार।।
संभल कर राह चलना,गर हो जाये भूल।
माफी तुम तब माँगना, समझोगे जब भूल।।
मान लेना तुम गलती,ना करना अभिमान।
सजा से तुम ना डरना ,माफी गुरु का काम।।
क्यों आया पाप मन में,भूल गया संस्कार।
कैसे बलात्कार किया,माफी ना हकदार।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
"क्षमा/माफी"
दोहा
################
"क्षमा/माफी"दोहा
################
बड़ों के आगे झुकना,करना न अहंकार।
क्षमा,दया से सीखना, धर्म और संस्कार।।
संभल कर राह चलना,गर हो जाये भूल।
माफी तुम तब माँगना, समझोगे जब भूल।।
मान लेना तुम गलती,ना करना अभिमान।
सजा से तुम ना डरना ,माफी गुरु का काम।।
क्यों आया पाप मन में,भूल गया संस्कार।
कैसे बलात्कार किया,माफी ना हकदार।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
विषय, क्षमा, माफी
दिनांक, 19,12,2019.
गुरुवार .
प्यार और विश्वास संग,
रहे क्षमा का साथ,
घर आंगन गाता रहे .
स्वस्थ रहे व्यवहार ।
रिश्ते नाते जगत में,
चाहें आपसी प्यार ,
छोटे आदर करते रहें,
बड़े सिखाये बात।
ऊँच नीच चलती रहे,
नई नहीं है बात ,
कर्तव्य बड़ों से कह रहा,
क्षमा रखिए साथ ।
क्षमा दान से मिल रहा,
रिश्तों को जीवन दान ,
अहंकार को छोड़कर ,
हम रखें आपसी प्यार ।
खुशियों की सौगात हम,
बाँटें दोनों हाथ ,
अंर्तमन दुःख मत पालिए,
रखकर उर में कोई बात ।
स्वरचित . मधु शुक्ला.
सतना, मध्यप्रदेश,
दिनांक, 19,12,2019.
गुरुवार .
प्यार और विश्वास संग,
रहे क्षमा का साथ,
घर आंगन गाता रहे .
स्वस्थ रहे व्यवहार ।
रिश्ते नाते जगत में,
चाहें आपसी प्यार ,
छोटे आदर करते रहें,
बड़े सिखाये बात।
ऊँच नीच चलती रहे,
नई नहीं है बात ,
कर्तव्य बड़ों से कह रहा,
क्षमा रखिए साथ ।
क्षमा दान से मिल रहा,
रिश्तों को जीवन दान ,
अहंकार को छोड़कर ,
हम रखें आपसी प्यार ।
खुशियों की सौगात हम,
बाँटें दोनों हाथ ,
अंर्तमन दुःख मत पालिए,
रखकर उर में कोई बात ।
स्वरचित . मधु शुक्ला.
सतना, मध्यप्रदेश,
19/12/2019
विषय-क्षमा/माफी
विधा-छंदमुक्त
आजकल कोई किसी को
क्षमा नहीं करता है
भाई भाई को,पिता पुत्र को
एक धर्म दूसरे धर्म को
एक जाति दूसरी जाति को
एक वर्ग दूसरे वर्ग को
क्योंकि
प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को दूसरे से
श्रेष्ठ जो समझता है
नई पीढ़ी पुरानी को
दकियानूसी बताती है
पुरानी पीढ़ी नए जमाने को
स्तरहीन बताती है
आज का दौर
इतिहास को कोसता है
सब सबसे हिसाब मांगते हैं
खुद कोई देना नहीं चाहता है
क्षमाशीलता का स्थान
प्रतिशोध ने ले लिया है
किसी की कीमती जान को
मानो खिलौना समझ लिया है
अखबार का हर पन्ना आज
रक्तरंजित है
स्याही वितृष्णा से लिख लिख कर
हुई अचंभित है
माफी मांगने में आज
हर किसी की शान घटती है
इसीलिए अराजकता
अमरबेल सी बढ़ रही है
जो काटे से भी न कटती है
आधुनिक समाज की
जड़ें खोखली होकर ढहती है !!
**वंदना सोलंकी**स्वरचित©
विषय-क्षमा/माफी
विधा-छंदमुक्त
आजकल कोई किसी को
क्षमा नहीं करता है
भाई भाई को,पिता पुत्र को
एक धर्म दूसरे धर्म को
एक जाति दूसरी जाति को
एक वर्ग दूसरे वर्ग को
क्योंकि
प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को दूसरे से
श्रेष्ठ जो समझता है
नई पीढ़ी पुरानी को
दकियानूसी बताती है
पुरानी पीढ़ी नए जमाने को
स्तरहीन बताती है
आज का दौर
इतिहास को कोसता है
सब सबसे हिसाब मांगते हैं
खुद कोई देना नहीं चाहता है
क्षमाशीलता का स्थान
प्रतिशोध ने ले लिया है
किसी की कीमती जान को
मानो खिलौना समझ लिया है
अखबार का हर पन्ना आज
रक्तरंजित है
स्याही वितृष्णा से लिख लिख कर
हुई अचंभित है
माफी मांगने में आज
हर किसी की शान घटती है
इसीलिए अराजकता
अमरबेल सी बढ़ रही है
जो काटे से भी न कटती है
आधुनिक समाज की
जड़ें खोखली होकर ढहती है !!
**वंदना सोलंकी**स्वरचित©
19/12/2019
क्षमा /माफी
***********
सोचती हूँ कुछ
अल्फ़ाज़ लिखूँ
माफीनामा जिंदगी
के नाम लिखूं ।
बेशकीमती तोहफ़ों
से नवाज़ दिया तूने
कितने सुंदर रिश्तों
से बांध दिया तूने
कुछ मैं निभा नहीं
पाई ,कुछ मुझे सँवार
नहीं पाए ।
इतने हुनर मुझमेंभर दिए ,जज़्बात
प्रकट करने को भावों के
मोती पिरो दिये ,विचार
हो पल्लवित मन मे
लताओं से सजा दिए ।
दिया
प्यार से भरा ह्रदय
,ऊर्जा से भरा
मन ,उमंग
उत्साह दिया,स्फूर्ति
से भरा तन
ये जिंदगी तूने मुझे
क्या -क्या न दिया।
मैंने क्या अपनाया
ईष्या, द्वेष, लालच
क्रोधाग्नि में खुद
को जलाया ,अहंकार
में स्वयं को ही खो
कर तुझसे बैर किया ।
इतना ही कहूँगी यै जिंदगी
हो सके क्षमा कर देना
इससे ज्यादा और क्या
लिखूं सोचती हूँ ,माफी
नामा जिंदगी के नाम
लिखूं ।।।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर
क्षमा /माफी
***********
सोचती हूँ कुछ
अल्फ़ाज़ लिखूँ
माफीनामा जिंदगी
के नाम लिखूं ।
बेशकीमती तोहफ़ों
से नवाज़ दिया तूने
कितने सुंदर रिश्तों
से बांध दिया तूने
कुछ मैं निभा नहीं
पाई ,कुछ मुझे सँवार
नहीं पाए ।
इतने हुनर मुझमेंभर दिए ,जज़्बात
प्रकट करने को भावों के
मोती पिरो दिये ,विचार
हो पल्लवित मन मे
लताओं से सजा दिए ।
दिया
प्यार से भरा ह्रदय
,ऊर्जा से भरा
मन ,उमंग
उत्साह दिया,स्फूर्ति
से भरा तन
ये जिंदगी तूने मुझे
क्या -क्या न दिया।
मैंने क्या अपनाया
ईष्या, द्वेष, लालच
क्रोधाग्नि में खुद
को जलाया ,अहंकार
में स्वयं को ही खो
कर तुझसे बैर किया ।
इतना ही कहूँगी यै जिंदगी
हो सके क्षमा कर देना
इससे ज्यादा और क्या
लिखूं सोचती हूँ ,माफी
नामा जिंदगी के नाम
लिखूं ।।।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर
विषय- क्षमा /माफी
दिनांक-19/12/19
#############
खून के आंसू रुलाकर
दे गया माँ को सिर्फ संताप
उसको माफी किसलिए?
नंगा नाच करता हैवान
जुर्म कर गया बेहिसाब
उसको माफी किसलिए?
हर घर से जो बेटी मांगे
हो कैंसर का कीड़ा जल्लाद
उसको माफी किसलिए?
माँ,बहन,बेटी का भक्षक
जिसके लिए औरत सिर्फ मांस
उसको माफी किसलिए?
हाड़,मांस के कुछ दरिंदे
भारत सुलगाते रातों-रात
उसको माफी किसलिए?
स्वरचित✍
सीमा आचार्य
दिनांक-19/12/19
#############
खून के आंसू रुलाकर
दे गया माँ को सिर्फ संताप
उसको माफी किसलिए?
नंगा नाच करता हैवान
जुर्म कर गया बेहिसाब
उसको माफी किसलिए?
हर घर से जो बेटी मांगे
हो कैंसर का कीड़ा जल्लाद
उसको माफी किसलिए?
माँ,बहन,बेटी का भक्षक
जिसके लिए औरत सिर्फ मांस
उसको माफी किसलिए?
हाड़,मांस के कुछ दरिंदे
भारत सुलगाते रातों-रात
उसको माफी किसलिए?
स्वरचित✍
सीमा आचार्य
19/12/2019
विषय:क्षमा
क्षमा की शक्ति उत्तम होती
ज्ञानीजन की ताकत होती
क्षमा भूल की ही दी जाती
बड़ी महान क्षमा की नीती
अपराधों पर क्षमा न होती
सजा उचित सम्यक् होती
अक्षम्य पाप की परिणीती
कठोर दण्ड की सुंदर नीती
स्वरचित
मनीष कुमार श्रीवास्तव
विषय:क्षमा
क्षमा की शक्ति उत्तम होती
ज्ञानीजन की ताकत होती
क्षमा भूल की ही दी जाती
बड़ी महान क्षमा की नीती
अपराधों पर क्षमा न होती
सजा उचित सम्यक् होती
अक्षम्य पाप की परिणीती
कठोर दण्ड की सुंदर नीती
स्वरचित
मनीष कुमार श्रीवास्तव
शीर्षक .. क्षमा/माफी
*****************
डरे हुए ये लोग नही है, ये हमे डराने वाले है।
क्षमा नही ना माफी ये, नफरत फैलाने वाले है॥
**
ना झुकना सरकार, ये झूठे भ्रम फैलाने वाले है।
दबे नही है लोग कर्म से, हमे दबाने वाले है॥
**
घृणा बहुत है इनमें, ना ये देश के ही रक्षक होगे।
बस को जलाते ट्रेन फूँकते, मानवता के भक्षक होगे॥
**
दो आजादी ढूँढ-ढूँढ के, जो भारत के टुकडे करते।
शेर की रचना पढ कर मारो, जो भारत के टुकडे करते।
शेर सिंह सर्राफ
*****************
डरे हुए ये लोग नही है, ये हमे डराने वाले है।
क्षमा नही ना माफी ये, नफरत फैलाने वाले है॥
**
ना झुकना सरकार, ये झूठे भ्रम फैलाने वाले है।
दबे नही है लोग कर्म से, हमे दबाने वाले है॥
**
घृणा बहुत है इनमें, ना ये देश के ही रक्षक होगे।
बस को जलाते ट्रेन फूँकते, मानवता के भक्षक होगे॥
**
दो आजादी ढूँढ-ढूँढ के, जो भारत के टुकडे करते।
शेर की रचना पढ कर मारो, जो भारत के टुकडे करते।
शेर सिंह सर्राफ
दिनांक :- 19/12/2019
शीर्षक :- क्षमा/माफी
क्षमा..
एक संस्कार है..
हरता हर विकार है..
क्षमा आचरण है..
बड़प्पन का..
क्षमा स्तंभ है..
लड़कपन का..
जिस पर तनता..
महल सभ्यता का..
क्षमा सागर है..
सहनशीलता का..
क्षमा घड़ा है..
गुणशीलता का..
क्षमा प्रारब्ध है..
मानवता का..
क्षमा संवाहक है..
संवेदनशीलता की..
पाटती यह हर नदी..
हीनता की..
क्षमा गुण सबसे महान..
क्षमा करे वो भगवान..
क्षमा माँग ले वही इंसान..
शीर्षक :- क्षमा/माफी
क्षमा..
एक संस्कार है..
हरता हर विकार है..
क्षमा आचरण है..
बड़प्पन का..
क्षमा स्तंभ है..
लड़कपन का..
जिस पर तनता..
महल सभ्यता का..
क्षमा सागर है..
सहनशीलता का..
क्षमा घड़ा है..
गुणशीलता का..
क्षमा प्रारब्ध है..
मानवता का..
क्षमा संवाहक है..
संवेदनशीलता की..
पाटती यह हर नदी..
हीनता की..
क्षमा गुण सबसे महान..
क्षमा करे वो भगवान..
क्षमा माँग ले वही इंसान..
तिथि-19/12/2019/गुरुवार
विषय-* क्षमा/माफी*
विधा -काव्य
क्षमा मांग शरणार्थी बनते
क्षमा याचना अलग बात है।
यही यहां कभी दुश्मन बनते
क्षमा करें फिर करत घात है।
आस्तीन के सांप बनें यही
हम पर ही ये रौब पेलते।
उदार संस्कारी पोषित हम
क्षमाशील बन दुख झेलते।
हमें दरिंदे रोज मारते।
बोटी बोटी सभी काटते।
भारत देश है बडा महान
क्षमा मांगते नहीं डांटते।
उत्तम काम क्षमा करना पर
कुछ नादान बुजदिल समझते।
दयावान संस्कृति हमारी
ये कहीं दरियादिल समझते।
स्वरचित :- राठौड़ मुकेश
विषय-* क्षमा/माफी*
विधा -काव्य
क्षमा मांग शरणार्थी बनते
क्षमा याचना अलग बात है।
यही यहां कभी दुश्मन बनते
क्षमा करें फिर करत घात है।
आस्तीन के सांप बनें यही
हम पर ही ये रौब पेलते।
उदार संस्कारी पोषित हम
क्षमाशील बन दुख झेलते।
हमें दरिंदे रोज मारते।
बोटी बोटी सभी काटते।
भारत देश है बडा महान
क्षमा मांगते नहीं डांटते।
उत्तम काम क्षमा करना पर
कुछ नादान बुजदिल समझते।
दयावान संस्कृति हमारी
ये कहीं दरियादिल समझते।
स्वरचित :- राठौड़ मुकेश
19/12/2019
कोई चाहे करे कितनी भी बड़ी गलती।
तुम कर दो उसको माफ़।
माफ करने से कोई छोटा नहीं होता।
सामने वाला चाहे हो गुस्ताख।
उसके दिल में तेरे लिए उपजेगा सम्मान।
सज्जन बनेगा वह,खत्म होगा उसका अभिमान।
फिर कभी नहीं करेगा गलती,सच्ची राह चलेगा।
बूराई छोड़कर वह अच्छा इन्सान बनेगा।
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
कोई चाहे करे कितनी भी बड़ी गलती।
तुम कर दो उसको माफ़।
माफ करने से कोई छोटा नहीं होता।
सामने वाला चाहे हो गुस्ताख।
उसके दिल में तेरे लिए उपजेगा सम्मान।
सज्जन बनेगा वह,खत्म होगा उसका अभिमान।
फिर कभी नहीं करेगा गलती,सच्ची राह चलेगा।
बूराई छोड़कर वह अच्छा इन्सान बनेगा।
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
विषय-क्षमा
विधा-छंद मुक्त
दिनांकः 19/12/2019
गुरूवार
हैं माफी के हकदार वही,
जब अनजाने में गलती हो ।
की जान बूझ कर जो गलती ,
उसकी माफ़ी कभी न हो ।।
अपराध यदि जघन्य हो,
अपराधी को सजा हो।
माफ़ी उसको हर्गिज़ नहीं ,
सजा भी उसको सख्त हो।।
जो होते बलवान उदार,
करूणा करके क्षमा करते ।
दन्त हीन,विष हीन सर्प,
दंश,क्षमा क्या कर सकते ।।
यह भूषण है वीरों का,
क्षमा दान वे ही करते ।
निर्बल के कुछ वश नहीं,
वे क्षमा,दया क्या कर सकते ।।
जो गलती करके क्षमा न माॅगे,
मूर्ख समान वे नर होते ।
दंड भोगें वे निज भूल से ,
उन्हें क्षमा कौन करते ।।
स्वरचित एवं स्वप्रमाणित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर' निर्भय,
विधा-छंद मुक्त
दिनांकः 19/12/2019
गुरूवार
हैं माफी के हकदार वही,
जब अनजाने में गलती हो ।
की जान बूझ कर जो गलती ,
उसकी माफ़ी कभी न हो ।।
अपराध यदि जघन्य हो,
अपराधी को सजा हो।
माफ़ी उसको हर्गिज़ नहीं ,
सजा भी उसको सख्त हो।।
जो होते बलवान उदार,
करूणा करके क्षमा करते ।
दन्त हीन,विष हीन सर्प,
दंश,क्षमा क्या कर सकते ।।
यह भूषण है वीरों का,
क्षमा दान वे ही करते ।
निर्बल के कुछ वश नहीं,
वे क्षमा,दया क्या कर सकते ।।
जो गलती करके क्षमा न माॅगे,
मूर्ख समान वे नर होते ।
दंड भोगें वे निज भूल से ,
उन्हें क्षमा कौन करते ।।
स्वरचित एवं स्वप्रमाणित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर' निर्भय,
विषय:-क्षमा/माफी
छंद सम्मोहा,
क्यों भीजे नैना।
वामा के नैना ।
माफी जो पाऊं।
चैना तो पाऊं ।
आँसू ले जाते।
साँसें तो पाते ।
आँखें हैं हारी ।
रास्ता है भारी ।
वो सौगातें थीं ।
प्यारी बातें थीं
भूला वो रास्ता
यादों का बास्ता
स्वरचित
नीलम शर्मा ,# नीलू
छंद सम्मोहा,
क्यों भीजे नैना।
वामा के नैना ।
माफी जो पाऊं।
चैना तो पाऊं ।
आँसू ले जाते।
साँसें तो पाते ।
आँखें हैं हारी ।
रास्ता है भारी ।
वो सौगातें थीं ।
प्यारी बातें थीं
भूला वो रास्ता
यादों का बास्ता
स्वरचित
नीलम शर्मा ,# नीलू
दिनांक १९/१२/२०१९
शीर्षक_क्षमा/माफी।
करे मनमर्जी, माँगे माफी
ये कैसी मानसिकता इंसा की
रीति नीति से काम करे जो
फिर न माँगना पड़े माफी।
गर हो जाये गलती हमसे
जुबां नही दिल से माँगे माफी
सच्ची माफी वही माँगते
दोहराते नही जो वही गलती।
करे जो निरंतर गलती
वो नही माफी के काबिल
छोटो को सदा रहता
बड़ो के माफी पर अधिकार।
फितरत ऐसा रखना नही
माफी माँगते रहे सदा
जब तक न हो गलती
माफी न माँगे कदा।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव
शीर्षक_क्षमा/माफी।
करे मनमर्जी, माँगे माफी
ये कैसी मानसिकता इंसा की
रीति नीति से काम करे जो
फिर न माँगना पड़े माफी।
गर हो जाये गलती हमसे
जुबां नही दिल से माँगे माफी
सच्ची माफी वही माँगते
दोहराते नही जो वही गलती।
करे जो निरंतर गलती
वो नही माफी के काबिल
छोटो को सदा रहता
बड़ो के माफी पर अधिकार।
फितरत ऐसा रखना नही
माफी माँगते रहे सदा
जब तक न हो गलती
माफी न माँगे कदा।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव
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