Wednesday, December 25

"तुलसी"25दिसम्सबर 2019

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ब्लॉग संख्या :-606

२५१२२०१९
शीर्षक 🌳तुलसी🌳
🌷🌷🌷
🌷🌷🌷🌷🌷
🌳तुलसी🌳
तुलसी सौभाग्यवर्धनी।
सकल सुमंगल मूल।।
जो जन रोपे सींचे नित।
हितकारी उपकारी सुयोग।
ग्रह बाधा भव बाधा मिटै।
वायुजनित संक्रमण हटै।
अब मिलजुलकर सभी।
रामा रोपै दौना रौपै।
श्यामा और कर्पूरी रोपे।
एक घरुवा हर घर मै हो।
चारो दिशाओं की शोभा हो।
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
स्वरचित
राजेन्द्र कुमार।अमरा।

दिनांक--25/12/2019
दिन--बुधवार

शीर्षक--तुलसी
जय माँ शारदे
------------------------
वह सबकी प्यारी लली थी,
मैं सबका प्यारा लला था।
वह बड़े ही नाजों से पली थी,
मैं भी बड़े प्यार से पला था।
धीरे बढ़ी गलियों में निकलने लगी,
मेरे मन वह तुलसी बन पलने लगी।
देख उसको सूरज निकलने लगा,
उसको ही देख शाम ढ़लने लगी।
उसके घर तक ही मेरा हर रास्ता था,
सारी दुनिया में उसका मुझसे वास्ता था।
वह थी मैं था उसका मेरा हमारा मन था।
महका है मन में वह जो तुलसी का उपवन था।
हाँ! याद है प्यार..तुलसी का उपवन था सखी...!
-----सुरेश-----
विषय तुलसी
विधा काव्य

25 दिसम्बर 2019,बुधवार

रमाकांत की प्रिय तुलसी है
बद्रीनाथ नित माला पहने।
वातवरण सुवासित करती
तुलसी माँ तेरे क्या कहने।

थे वृंदा तेरे कृष्ण उपासक
वृंदावन हो गया कानन वन।
हर पत्ता है तेरा अति पावन
कभी भोग लगे न भगवन।

वृंदा तुम हो प्रिय औषधि
प्राणवायु में सदा सहायक ।
जँहा निवास बन जाता तेरा
वह घर माँ प्रिय फल दायक ।

जिस घर तुलसी फले फूलती
होता नित स्वर्गीय सा वासा।
साक्षात तुम विष्णु की लक्ष्मी
जीवन सुखमय बारह मासा।

पीपल वट तुलसी अति पावन
करे श्रृंगार नित पर्यावरण का।
मलय पवन मिलती इनसे नित
करे सृजन सुख वातावरण का।

लक्ष्मी निवास तुलसी गमले में
सुख शांति को लाती महारानी।
मनोवांछित हो पूर्ण कामनाएं
आनन्द नित बरसावे कल्याणी।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

दिनांक-25/12/2019
विषय-तुलसी


मैं तुलसी तासीरे की

औषधि की जो धारे हैं

चोट में टपके जो लहू

आयुर्वेद के हम अंगारे हैं।

हर नजरों में देखो हमको

मैंने कुछ लम्हे हर

आँगन मे गुजारे हैं.......

चली आओ तुलसी तुम
चोट का निमंत्रण हो।
चाय की प्याली का
अधर आमंत्रण हो
हर आंगन की तुम
तुम पूज्य .......

स्वरचित
सत्य प्रकाश सिंह
विषय--तुलसी
______________
एकादशी दिवस बड़ा पावन।
विवाह तुलसी का है आँगन।।
ब्याहन आए हैं शालिग्रामा।
सुंदर छवि वर अति सुहाना।।

श्रीहरि की हैं तुलसी संगी।
वृंदा है श्री हरि वामांगी।।
पवित्र पावन न कोई ऐसा।
सती जग में न तुलसी जैसा।।

शीश मंजरी इनके बिराजे।
अँगना मध्य माँ तुलसी साजे।‌।
तुलसी पूजन करते भक्ति से।
मिलता है मोक्ष भजन युक्ति से।।

तुलसी के बिन भोग अधूरा।
औषधी गुण भरे यह पूरा।।
घर में सुख-समृद्धि है आती।
हरी-भरी तुलसी जब बसती।।

तुलसी पत्र का भोग लगावे।
पूजा पूरण तब हो जावे।।
नारायण की कृपा बसती।
जिस घर में माँ तुलसी पुजती।।
***अनुराधा चौहान***स्वरचित
Damyanti Damyanti 

विषय_ तुलसी |
तुलसी मात्र नही एक पौधा |
ये हे कृष्ण प्रिया करते धारण शीश

बिन तुलसी कुछ न सुहावे माधवको |
देवगणो के भौग हो तुलसी |अतुलनीय औषधी हे माँ तुलसी |
200से ज्यादा रोग भागे जो करे सेवन तुलसी |
साधु संत क्या मानव मात्र की प्रिय|
घर के आंगन तुलसी चौरा हौ
हो नित पूजा देवरमते वहां |
रोग दोष सब होते नष्ट कष्ट न आये |
ये ही वॄंदा ,वृदावनी ,विश्व पूजिता
विश्व पावनी, पुष्प चपुष्पसारा
नंदनी च कृष्ण जीवनी तुलसी|
करो नित पूजा माँ की सुखी हो|
हे धरा तब तक करो सेवा |
पावो नित ११पत्ति तुलसीकी |
रहेगी निरोगी सदैव काया |स्वरचित_ दमयंती मिश्रा


विषय - तुलसी
विधा- दोहा


तुलसी तेरे गुण से, कौन भला अन्जान
एक नही सौ रोग का,तुझ में छुपा निदान।।

जाने क्यों भूला तुझे, मूढ़मती इंसान
रोग व्याधियों से स्वयं, जकड़ा अब नादान ।।

आँगन की शोभा बढ़े, हो शुभ मंगल गान
बुरी आत्मा नहि फटके, ऐसी तेरी शान ।।

घर बेशक हो लघु मगर, रखना इतना ध्यान
तुलसी बिन न रहे 'शिवम' जो होय निज मकान ।।

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 25/12/2019
विषय - *तुलसी *

Kamlesh Joshi 

मेरे आंगन मे
मुसकाती तुलसी
हरित पर्ण धरे
लहलहाती तुलसी

सुंदर आभा
सुगंध बिखराती
आंगन को मेरे
पावन बनाती तुलसी

मनोहारिणी
हर दिल सुहावनी
कोमलांगिनी
मनभावनी तुलसी

प्रभु की प्यारी
दिव्य दवा औषधी
आस्था और श्रद्धा
स्नेहमूर्ति तुलसी

सुनती प्रार्थना
मन की पीडा हरती
विश्वास भरती
आशारुपिणी तुलसी

कमलेश जोशी
कांकरोली राजसमंद



25/12/2019
विषय-तुलसी


चौबारे में खड़ा तुलसी का पौधा
बड़े बुजुर्ग सा लगता है
सुख के क्षण में सुखी होता
दुख में सच्चा पथप्रदर्शक बन रहता है

जड़ों में छुपाए रहता है
वह स्नेह की अविरलव धारा
भले प्रचंड वेग के कारण
शाखों से झड़ जाए पत्रक सारा

प्राणवायु देता है सबको
स्वयं करुण पीड़ा सहता है
दृढ़ बुजुर्ग सा बन अड़ा है देखो
फिर से हरा भरा वह बनता है

देता सबको वह नवजीवन
मृत्यु के मुख से ले आता
अपने औषधीय गुणों से
जान की खातिर लड़ जाता

आँगन में लगाया मैंने
एक पौधा तुलसी का,
विनती आराधन करती हूँ
मेल है वृन्दा विष्णु का

उसकी रंगत में है दिखती,
मुझे माँ की बहुत दुआयें,
है सलाह मेरी सब लोगों से
तुलसी पौधा सब घर में लगाएं।।

*वंदना सोलंकी*©स्वरचित


25/12/19
तुलसी


तुलसी रूप
श्वेत राम औ श्याम
उत्तम कृष्ण

तुलसी पौधा
जड़ी बूटी में श्रेष्ठ
उत्तम वैद्य

तुलसी दल
विशनू जी को भावे
भोग लगावे

तुलसी पूजा
सकरात्मक ऊर्जा
लक्ष्मी स्वरुपा

तुलसी पूजा
सतत दिया बाती
मोक्षदायिनी

तुलसी चौरा
हर घर आँगन
मनभावन।

स्वरचित
अनिता सुधीर


25/12/19
विषय - तुलसी

विधा - कविता
*******************

तुलसी प्रभु की भक्ती में है लीन
नारायण भी भक्त की भक्ती में लीन

जो तुलसी की पूजा करे प्रातः काल
धन-धान से भर जाय उसका भंडार

जीवन में उसका क्या करेगा काल
जिसका रक्षक स्वयं है महाकाल

तुलसी की महिमा अपरंपार
भवसागर से लगा दे जो पार

- सूर्यदीप कुशवाहा
स्वरचित व मौलिक


विषय- तुलसी
विधा- दोहा

25/12/2019

तुलसी दल से युक्त हो, भोजन बने प्रसाद।
आयुर्वेदिक गुण भरे, लगता सुंदर स्वाद।।

श्रीहरि थे करते शयन, तुलसी तारणहार।
प्रभु जाग्रत अब हो गए, बरसे कृपा अपार।।

विश्व पूजिता जा रहीं, मंगल की बौछार।
चुनरी लाल चढ़ाइए, करिए शुभ शृंगार।।

निभा रही नारी सुखद, दीप जलाकर धर्म।।
मांँ तुलसी की अर्चना, वृहत मांगलिक कर्म।

शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित


विषय -तुलसी
लघु कविता

घर में जिसके तुलसी है, उस घर की भूमि जन्नत है।
रखे मान जो तुलसी का,पूरी उसकी हर मन्नत है।।

माना यह पौधा है छोटा, पर गुणों में बड़ा ये होता।
मिट जाती व्याधी सब उसकी,जिसके भी पास ये होता।।

तुलसी पत्र सा दुनिया में,ईश्वर का कोई भोग न होता।
करे नित सेवन तुलसी दल तो,उसको है कोई रोग न होता।।

तुलसी के बिन बगिया ऐसी, जैसे घर बिन मानव के।
मुख में यदि तुलसी दल हो,तो पार करे भव सागर से।।

बिन तुलसी के होत न पूजा, तुलसी. सा नहीं बिरवा दूजा।
जिस घर में नहीं तुलसी बिरवा, उस घर का आंगन है सूना।।
(अशोक राय वत्स) ©स्वरचित
रैनी ,मऊ, उत्तरप्रदेश ।


विषय, तुलसी
बुधवार

2 5,12,2019.

तुलसी आस्था है मन की,
संस्कृति है हमारे भारत की।

घर घर में पूजी जाती है,
शोभा है हमारे आँगन की ।

औषधीय गुणों से है भरपूर,
 विषय-तुलसी
दिनांक-25-12-2019

तुलसी ने आंगन मेरा महकाया।
हर घर की शोभा को बढ़ाया ।।

मंदिर में जब उसे मैने लगाया ।
प्रभु प्रसाद स्थान उसने पाया।।

जड़ी बूटी गुण तुलसी में बताया।
कई रोगों को उसने दूर भगाया।।

द्विबीज पत्री पौधा वो कहलाया।
सर्वश्रेष्ठ स्थान तुलसी ने पाया ।।

श्याम वर्ण बन श्यामा कहलाया।
श्वेत तना प्रभु नाम राम कहाया।।

अनेक रोग इलाज तुलसी पाया।
जीवन निरोग सब इससे बनाया।।

हिंदू धर्म महत्व तुलसी बताया।
तुलसी जल नित्य सब चढ़ाया।।

जिसने नित्यक्रम यह दोहराया।
प्रभु चरण स्थान उसने पाया।।

तुलसी दिवस रूप आज मनाया।
संस्कृति बच्चों को ज्ञान कराया।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली

ये प्रिय विष्णु भगवान की।

समर्पण और त्याग की द्योतक ,
छवि इसमें है माँ लक्ष्मी की।

पावन कर देती है मन को ,
तुलसी राह है मुक्ति धाम की ।

तुलसी सा पावन मन जिसका,
उसे कमी नहीं है खुशियों की।

तुलसी को सींचा जिसने जग में,
सार्थकता मिली उसे जीवन की ।

स्वरचित, मधु शुक्ला .
सतना, मध्यप्रदेश .



विषय-तुलसी
दिनांक-25-12-2019

तुलसी ने आंगन मेरा महकाया।
हर घर की शोभा को बढ़ाया ।।

मंदिर में जब उसे मैने लगाया ।
प्रभु प्रसाद स्थान उसने पाया।।

जड़ी बूटी गुण तुलसी में बताया।
कई रोगों को उसने दूर भगाया।।

द्विबीज पत्री पौधा वो कहलाया।
सर्वश्रेष्ठ स्थान तुलसी ने पाया ।।

श्याम वर्ण बन श्यामा कहलाया।
श्वेत तना प्रभु नाम राम कहाया।।

अनेक रोग इलाज तुलसी पाया।
जीवन निरोग सब इससे बनाया।।

हिंदू धर्म महत्व तुलसी बताया।
तुलसी जल नित्य सब चढ़ाया।।

जिसने नित्यक्रम यह दोहराया।
प्रभु चरण स्थान उसने पाया।।

तुलसी दिवस रूप आज मनाया।
संस्कृति बच्चों को ज्ञान कराया।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली
दिनांक-२५/१२/२०१९
शीर्षक-तुलसी।

विधा-तांका
१)
तुलसी पौधा
है उपकारी सदा
दे सरंक्षण
महके घर बार
शुद्ध वातावरण।

२)
तुलसी पूजा
मन शांति जागाये
बढ़े समृद्धि
पूरी हो अभिलाषा
है सफल जीवन।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
25/12/2019
"तुलसी"

तुलसी पूजन है पुण्य महान
सुबह नित्य करें जलदान..
सिखाता यही हमारे संस्कार
फूले-फले सबका घर परिवार

भक्तिदेवी तुलसी महारानी
सत्यभामा के अहं पर भारी
विष्णु को है तुलसी प्यारी..
इसके बिना भोग होती अधूरी

औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी
घर-आँगन की शोभा है तुलसी
संध्या बेला दीप संग सुहाती तुलसी
आस-पास की हवा शुद्ध करती तुलसी।

नानी -दादी की जुबानी औषधी
तुलसी है एक नाम...
शीत में मधु संग है गुणकारी
शिशु के लिये बहुत ही उपकारी।।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
दिनांक:25/12/2019
विषय:तुलसी

विधा:दोहा वली

हर आँगन तुलसी सजे,संग मे सालिग्राम।
हर संझा हो आरती,नित के मेरे काम।।

प्रातः तुलसी दल चबा, सूर्योदय को नमन ।
फिर जाती मै सैर पर,महक गया है चमन।।

तुलसी अमृत औषधी, आये ढेरों काम।
पल में खाँसी दूर कर,तन को दे आराम ।।

न कोई व्रत पूजन हुआ, तुलसी बिन सम्पूर्ण ।
तुलसी दल ले हाथ मे,हुए संकल्प पूर्ण ।।

कवि तुलसी जी रच गये,राम चरित का गान।
घर घर मे चर्चित रहे,प्रभु जी का ही गान।।

आये आखिर काल जब,तुलसी दल मुह डाल।
सब पाप धुल जायगे,छूटे माया जाल।।

स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव

विषय --तुलसी
दिनांक --25.12.19

विधा ---दोहे

1.
जो त्रिदेव नहिं दे सकें,
वो दे तुलसी पात।
विष्णुप्रिया पूजन से,
पछतावा हो मात।।
2.
तुलसी शालिग्राम की ,
कथा अनोखी मीत।
वृंदा जी की अंत में, हुई ईश पर जीत।।
3.
पर्यावरण सुधार औ,
औषध में उपयोग।
धातु क्रोमियम से भरी,
तुलसी हरती रोग।।
4.
कफनाशक कृष्ण तुलसी,
वन तुलसी तन पाल।
राम तुलसी सुगन्ध से,
रोग दूर तत्काल।।
5.
तुलसी,अदरक,पान रस,
मधु को संग मिलायँ।
पांच ग्राम दें बार दो,
सर्दी दूर भगायँ।।
6.
औषध मानव देह हित, है तुलसी की पात ।
जिन्दगी को सँवारती,
कवि तुलसी की बात।।

******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र ' हितैषी'
बड़वानी(म.प्र.)451551


25/12/2019
विषय:-तुलसी

विधा:-स्वतंत्र काव्य

ईश्वर का वरदान है तुलसी
आयुर्वेद का आधार है तुलसी
औषधियों की खान है तुलसी
जीवन तारणहार है तुलसी

हर आँगन का साज है तुलसी
श्री हरि का प्रसाद है तुलसी
मोक्ष का आधार है तुलसी
मंगलदायी उपहार है तुलसी

नवजीवन का मूल है तुलसी
पर्यावरण का राज है तुलसी
सयंम व्रत आचार है तुलसी
कार्तिक सरताज है तुलसी

स्वरचित
मनीष कुमार श्रीवास्तव


तुलसी

हर घर में
हैं पूज्य
तुलसी पूजन
है पुण्य
परिवार
तुलसी बिन
है शून्य

हैं तुलसी
औषधियों का
भंडार
आयुर्वेद में
बसा है
फायदों का
संसार

तुलसी की
मातृ छाया
बनी रहे
बच्चों पर
उनकी

जलाते दीपक
नित सुबह शाम
वंदना करते
भक्त सुबह शाम

स्वलिखित


25/12/2019
शीर्षक - तुलसी


1-
तुलसी धनी
समृद्धि प्रदायिनी
कष्ट हारिणी
औषधि संजीवनी
शुद्ध समीर पानी ।

2-
स्त्री पतिव्रता
जलंधर की वृंदा
विष्णु का छल
शापित शालिग्राम
बैठे उनकी छांव ।

-- नीता अग्रवाल
#स्वरचित



जय माँ शारदे भवानी
25 /12/2019
बिषय,, तुलसी
एक तुलसी हरि पटरानी
बिन तुलसी हरी एक न मानी
छप्पन भोग अनेकों व्यंजन
संग में तुलसी हो जो पावन
तबहीं भोग प्रभु के मन भावन
एक तुलसी प्रभु के मन भावें
मोह ममता त्याग प्रभु शरण में आवें
निज बालक सम रामजी ने सम्हाला
राम चरित मानस रच डाला
हैं इनके प्रभु राम गोसाईं
करहिं कृपा हर पल छण माहीं
सारे जग में नाम कमाया
राम नाम इनके मन भाया
सोरठा छंद भजन चौपाई
हर इक मानव के हृदय समाई
हे तुलसी,, तुलसीदास नमन तुम्हें बहुबार
चरणों में वंदन कर करती हूँ नमस्कार
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार




दिन :- बुधवार
दिनांक :- 25/12/2019

शीर्षक :- तुलसी

सजती हर आँगन हर देहरी,
बन संस्कृतियों की वह प्रहरी।
तुलसी स्वरूप है लक्ष्मी का,
करती सदा ही हर आस पूरी।

पूजी जाती हर साँझ सवेरे,
लगावे सुहागनें इसके फेरे।
सुख,समृद्धि सँग घर में लाए,
करे घर खुशियों से उजियारे।

सुगंधित करे ये वातावरण,
घर को दे स्वच्छ आवरण।
वैदिक,वैद्यक,व गुणवान ये,
सब संताप का करे ये हरण।

स्वरचित :- राठौड़ मुकेश















2 comments:

  1. मेरी रचना भी शामिल करे, आदरणीय!

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    1. तुलसी शीर्षक पर आपकी रचना सम्बंधित विषय वाल पर दिखाई नहीं दी ..आप मेसेंजेर पर भेज दीजिये संयोजित हो जाएगी ...

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