Wednesday, December 4

" वादा04दिसम्बर 2019

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ब्लॉग संख्या :-585
दिनांक-04/12/2019
आज का शीर्षक-वादा

विधा-मुक्तक
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(01)
कर के वादा जो तुम निभा लेते ।
फिर हसीं ज़िन्दगी बना लेते ।।
तुम से मिलकर के तश्नगी बुझती,
दिल का अंदोह यूँ मिटा लेते ।।
अंदोह=ग़म
(02)
बुझने न दूँ तुमसे किए जो मैंने वादों का दिया ।
जलता रहे दिल में मेरे ताउम्र यादों का दिया ।।
दिन ब दिन तुमसे मिलन की आर्जू यूँ ही रहे ,
उम्मीद बर आए ज़िया बख़्शे मुरादों का दिया।।
ताउम्र=जीवनभर/ ज़िया=रौशनी
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'अ़क्स ' दौनेरिया

विषय वादा
विधा काव्य

04 दिसम्बर 2019,बुधवार

भावातिरेक के कारण तुम
क्यों करते हो झूँठा वादा
सोचो समझो धोका न दो
मिथ्या गीत तू क्यों गाता?

वादा करो उतना जीवन में
जो हमसे पूरा हो जावे।
कभी किसी का दिल न तोड़ो
ऐसा नर जग कोई न भावे।

वादा करो सदा विकास का
वादा करो दुःख दर्द मिटा दो।
घृणित कार्य करते जो जग में
इस जगति से नाम हटा दो।

परहित जीना परहित रहना
मातृभूमि नित सेवा करना।
चार दिनों की है जिंदगानी
वादा करो देश हित मरना।

वादा करो सदा निभाओ
जीवन में नित पुण्य कमाओ।
खून पसीना सदा बहाकर
नव मंजिल को तुम पाओ।

स्वरचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

दिनांक .. 4/12/2019
विषय .. वादा

********************

**
भूल गये वादा करके क्यो, राधा से गिरधारी।
अब भी तोरी राह निहारे, दर्शन की तोरी प्यासी।
**
करके वादा तोड दिया क्यो, क्या है भूल हमारी,
नयना जोहत वाट तुम्हारी, रूके न आँख से पानी।
**
हे खग हे मृग पवन पखेरू, जाकर याद दिला दो।
राधा बैठी श्याम सखी रे, आकर प्यास बुझा दो।
**
अदभुद प्रेम है राधा मोहन, तडप भी है सन्तुष्टी भी,
शेर हृदय पागल पपीहा सा, आकर दरश दिखा दो।
**

शेर सिंह सर्राफ
प्रथम प्रस्तुति

लगता है कोई वादा है
सूरज का साफ इरादा है ।।
समय से आना समय से जाना
सदियों से ये ही गाथा है ।।

वादा खुद से भी तुम करना
वादा की खातिर दम भरना ।।
कभी न थकना राह न रूकना
वादा से कभी नहि मुकरना ।।

सिखलाय ये कुदरत प्यारी
वादा से 'शिवम' संसारी ।।
भूल जाय जो सूरज वादा
क्या रह पाय दुनिया सारी ??

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 04/12/2019
4 /12/2019
बिषय,, वादा

पक्का मत मानों नेता जी का वादा
कोई न समझे इनके मन का इरादा
वादा वही जो पूरा कर सकते
हृदय में
मन के पिटारे को भावों से भर सकते
नहीं उड़ाऐं कभी गुलछर्रे बात बात.में
बैठकर चार लोगों की जमात में
एक वादा प्रेमियों का जो देखते हैं सपना
कुछ का पूरा तो कहीं अधूरा सपना
रंगबिरंगा होता है मानव मन
कहीं स्वार्थ सिद्धि कहीं परहित तन
नाप तौल कर वादे करते होते हैं जो सक्षम
इनके जीवन में रहता आनंद उल्लास का सरगम
आघात परिवाद से बच करें सुहित कर्म
ईश्वर भी झुक जाता समझ हमारा मर्म
स्वरचित,, सुषमा, ब्यौहार

दिनांक-04/12/2019
विषय-वादा


जो गिरे फूल को उठा ना सके तुम

डालियाँ इस तरह न हिलाया करो।।

न हो घर बसाने का हौसला

घोसले इस तरह ना बनाया करो।।

उठे धूल की सिसकियाँ किधर से

गिरा फूल ,आज महक उठा इधर से।

नही कोई वादा आज मेरे नजर से

रिश्तो को निभाया है दिल के जिगर से।

सुना है कोई बाजीगर आया इस शहर में

जादूगर अपना जलवा बिखेरे इस नगर में।

उड़ा ले गई चिलमन की पत्तियां

न जाने कौन सी हवा चली किधर से।

नसीब ने कई खेल खेलें जहर से

नहीं खौफ रहा कोई अब जहर के कहर से

चले ओढ ले कब्र की पाक चादर

थक गयी जिंदगी नापाक सफर से।

सत्य प्रकाश सिंह
प्रयागराज

तिथि -4/12/2019/बुधवार
विषय *वादा*

विधा॒॒॒ _मुक्तक

वादा किया तो निभाना भी पड़ेगा।
सिर उठाया तो झुकाना भी पड़ेगा।
क्यों करें कोई काम हम ऐसे कभी,
नजरें श्याम से मिलाना भी पड़ेगा।

जो कर सकें हमेशा बात वही करें।
दी है जवान तो कभी घात नहीं करें।
रघुवंशी जिए आनवान शान के लिए,
किसी दीन पर हम आघात नहीं करें।

मौत से भी कभी डरते नहीं हैं हम।
किसी हुंकार से मरते नहीं हैं हम।
वचन हमारे यार मिथ्या नहीं जाऐ, धोंस से भी काम करते नही हैं हम।

वादे करें हम तो निभाना जानते।
झूठे बनें कुछ तो जताना जानते।
संघर्षो से कभी डरे नहीं हैं हम,
जीवन दाव पर भी लगाना जानते।

स्वरचितःः
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना मध्य प्रदेश
जय श्रीराम रामजी

भा *वादा*काव्य
4/12/2019/बुधवार

4/12/2019
विषय-वादा

_____________
तुमने मुझसे वादा किया
और मैंने ऐतबार कर लिया
नहीं मालूम था मुझे कि
यूँ वादाखिलाफी कर जाओगे

फिर भी मेरे मन में अब तक
उम्मीद बाकी है
कि कभी न कभी तो तुम
लौट कर आओगे

मेरे दिल की ज़मीं बंजर में
कैसे फूल ख़िलाऊँ
दिल के एक कोने में उम्मीद है
कि तुम बारिश बन कर बरस जाओगे

दामन छुड़ा कर तुम मुझे
बीच राह में अकेला छोड़ गए
क्या अंत समय भी
उस टूटे वादे को निभाने न आओगे ..

@वंदना सोलंकी©️स्वरचित

Damyanti Damyanti 
विषय_वादा
वादे सभी करते
दृढ़ रहते नही

सब्ज बाग कई दिखाते
पूरा एक भी नही |
यू मुकरने से फायदा भला
हकीकत सब जानते
बोलते कहते कुछ
समय निकला
जीती बाजी
वादे सब भूले
भूले रीत रघुकुल की
निभाते रहे सदियों तक |
अब न करो वादो पर विश्वास
विश्वास की धज्जियां उडा रहे |
कोई क्षेत्र अछूता नही
घर समाज देश
वादो का दिखावा रह गया |
यथार्थ में कुछ नही |
स्वरचित_ दमयंती मिश्रा
4/12/2019
वादा*हाइकु*
1

लुभाते वादे
झूठी बुनियाद में
खड़े इरादे।।
2
कसमें वादे
अंतिम हथियार
जीतता प्यार।।
3
मैं आऊँगा माँ..
वादे की आस तले
दबती श्वास।।
4
मक्खन वादे
हम आस में बैठे
फटता दूध।।
5
गुलाबी वादे
यौवन दहलीज
तितली लगे।।

स्वरचित,वीणा शर्मा वशिष्ठ

विषय -वादा
दिनांक ४-१२-२०१९
आने का वादा कर,सावन में तन्हा छोड़ गया।
नहीं आई दया उसे,बेरहम दर्द दे वो मुझे गया।।

सपने उसने दिखाएं,जीवन भर साथ निभाने के।
सारे वादे छोड़ अधुरे,देखो हरजाई चला गया।।

प्यार उससे बहुत किया,और मैंने एतबार किया।
हर पल मेरा ऐसे बिता,जैसे कोई गुनाह किया ।।

एक वादे के खातिर,जीवन तन्हा गुजार दिया।
सब ने मुझे बहुत समझाया,मैंने इंतजार किया।।

लंबे इंतजार बाद,वादा पूरा करने वह आया।
अपने संग विदेश से,गोरी मेम वो लेके आया।।

नहीं काबिल तुम मेरे, कहकर वादा तोड़ दिया।
बिता जिंदगी और संग,कहकर वो चला गया।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली
बुधवार .
4,12,2019.
हाइकु दिवस पर विशेष

विधा हाइकु
गागर में सागर
कवि का वादा।

जन्मीं संतान
मात पिता का वादा
शिक्षा, संस्कार ।

ये कैसा वादा
बदला है इरादा
सत्ता का मोह ।

राजतिलक
मनमोहक वादा
धोखा ही धोखा।

किया था वादा
मरते दम तक
माता की पूजा।

वाली उमर
वादा बना जहर
टूटा कहर ।

करके वादा
कर लिया गिरफ्तार
लूटा संसार।

ममता माँ की
बस एक ही वादा
याद रखना ।

त्यौहार राखी
परंपरा हमारी
भाई का वादा।

दोस्ती दोस्तों की
हौंसला अफजाई
प्यारा सा वादा ।

भावों के मोती
हम सब का वादा
उड़ान ऊँची।

स्वरचित, मधु शुक्ला.
सतना, मध्यप्रदेश .
शीर्षक वादा

मेरे सफर का साथी छूट गया
हाय मुझे अकेला छोड़ गया
वो चला बहुत मेरा हाथ थाम
पर बीच राह में छोड़ गया

कसमे वादे वो देता रहा
मुझे बहुत दिलासे देता रहा
वादों से अपने मुकर गया
अजी मुझे अकेला छोड़ गया

ख्वाबो की दुनिया दिखाता रहा
महफिले प्रेम की सजाता रहा
तिनको के तरह बिखेर गया
अरे मुझे अकेला छोड़ गया

अरमान दिलो में जगाये थे
सावन के झूले झुलाए थे
नयनो को प्यासा छोड़ गया
मुझे बीच राह में छोड़ गया

दिल की बाते दिल मे ही रही
कुछ कह न सके बस ओठ हिले
नयनो को बरसता छोड़ गया
मुझे अकेला छोड़ गया

ये सफर अकेला भारी है
यादो की गठरी थामी है
क्यो साथी मुझ से रूठ गया
मुझे हाय अकेला छोड़ गया

स्वरचित
मीना तिवारी
04/12/2019
"वादा"

✍️✍️
वादा जो किसी से भी किया
आखिरी साँस तक तू निभाना
मज़बूरी का न दामन थामना
झूठा वादा किसी से न करना
✍️✍️
कुछ रिश्ते ऐसे बन जाते हैं
रूह को वो छू जाते हैं.......
हालातों से जब बदल जाते हैं
दिल को बहोत ही तड़पाते हैं
वादा न किया हो फिर भी
जख़्म गहरे वो दे जाते हैं।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।

दिन :- बुधवार
दिनांक :- 04/12/2019

शीर्षक :- वादा

एक वादे की आस मे..
तकती रहती है..
माँ बस सड़क को..
वादा था बेटे के आने का..
आने का सँग ले जाने का..
न बेटा आया न खबर कोई..
वादे तो अक्सर टूटते हैं...
पर क्यों अपने ही रूठते है..
सुना है नई सड़क भी बन गई..
पर शहर ही जाती वो सड़क..
वापस गाँव आती नहीं..
इसलिए शायद बेटा आना भूल गया..
सँग वादों के वो अपनो को भी भूल गया..
रचयिता ये कैसा खेल रचा..
आज सब कोई माया में बसा..
"मैं" मेरा का दंभ भरता..
रिश्तों के अब मोल करता..
कहाँ रही अब कसक वादों में..
उलझा हर कोई अब नोटों में..

स्वरचित :- राठौड़ मुकेश
विषय- वादा
न करना वादा

कभी भी, किसी से भी
जीवन भर साथ निभाने का।
वक्त के प्रवाह में
कब कौन कैसे बिछड़ जाए
कोई कह नहीं सकता।
मौसम ये दिलों का
कब कहां कैसे बदल जाए
किसी को नहीं पता।
हालात और परिस्थितियों के
हाथ के हम पुतले हैं
हमेशा मनचाहा नहीं मिलता।
जब कृष्ण को ही सहना पड़ा
वियोग प्यारी राधा का।
जब राम को ही सहना पड़ा
दर्द सीता को त्यागने का।
तो हम मामुली इंसानों की तो
दुनिया में हैसियत ही है क्या।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर
नमन मंच
०४/१२/२०१९

विषय : वादा
विधा : हाइकू
***********
१)
याद है वादा,
बाटेंगे सुख दुःख
जो आधा आधा !!

२)
तेरा इरादा,
नफरत मिटाना,
था झूठा वादा !!

३)
एक वादे पे,
कुर्बान ये जहान,
दोस्ती महान !!

४)
वादा टूटे ना,
निभाना ऐसे तुम,
यारा रूठे ना !!

५)
निभाने चला,
माँ से किया था वादा,
भला ही भला !!

!
स्वरचित डी के निवातिया
दिनांक-3/12/2019
विषय-वादा

विधा-मनहरण

आता है चुनाव नेता जनता को भरमाता,
खा झूठी कसम धर्म देव बन जाता है।
गुड़ से भी मीठे नारे भाषण दे नमकीन,
*वादा*बरसाने बाला घन बन जाता है।
जीतने के बाद नहीं दिखाई दे परछाईं,
विदेशों में जमा काला धन बन जाता है।
देश भूल धर्म भूल भूल जाता कर्तव्य,
देश लूटने का याद रह यत्न जाता है।

कवि महावीर सिकरवार
आगरा (उ.प्र.)
वादा करना हैं आसान
निभाना हैं मुश्किल
वादे निभाने में कभी लोग बदल जाते हैं

कभी किरदार बदल जाते हैं .

हर वादा निभाती हैं नारी
जिससे चलती हैं दुनियाँ सारी
किरदारों में गुम हो गई नारी
अब जीना चाहती हैं खुद की पारी .

बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
मौन धारण करती हूँ
तभी तो हर वादा निभाती हूँ
खुद से खुद का हर फर्ज निभाती हूँ .
स्वरचित :- रीता बिष्ट
दिनांक- 4/12/2019
शीर्षक-"वादा"
*
********************

*सुरक्षित हम नहीं*
*******************
प्रत्येक पंक्ति में14 मात्रायें
*******************
मत कहना अब फूल हमें,
डर अब लगने लगा, हमे
खुशबू कैसे फैलायें?
जकडा काँटों ,आज हमें।

रोंद रहे वो रोज हमें,
समझ रहे बेजान हमे
बने वे भक्षक, टूटते
समझ रहे, पकवान हमें।

इतनी पीड़ा मिली हमें,
कोई समझ न पाय हमें।
हो रही है मौज उनकी
कुछ भी समझ न आय हमें।

करें शिकायत, किससे हम ?
जाय पास अब किसके हम?
सो रही सरकार ही जब |
करे प्रार्थना किससे हम?

अच्छे दिनों की चाह में,
हम पहुँचे कब्रगाह में।
वायदे तो किए अनेक,
पर भटका दिए राह में।

सुनो बेटियों की सिसकी।
रो रही है वो सुबकती।
आज नही कही सुरक्षित
जाये शरण आज किसकी?

स्वरचित- संगीता कुकरेती

दिनांक-04/12/2019
विधा-हाइकु (5/7/5)
िषय :-"वादा"

(1)
सपना टूटा
राजनीति में ठग
वादों ने लूटा
(2)
चुनावी घड़ी
बादल से नेताजी
वादों की झड़ी
(3)
वादा अधूरा
स्वप्नों की फेहरिस्त
जीवन पूरा
(4)
वक़्त पे आए
प्राण सींचे सूरज
वादा निभाए
(5)
बेटा शहीद
वादा निकला झूठा
बही अखियाँ

स्वरचित
ऋतुराज दवे

वादा

वादों की बहुत ज़मीने हैं
जिंदगी में कहाँ वादा नहीं है
एक नया जन्म
सुरक्षा प्यार के वादे के साथ
जीवन में ले आता नए-नए रंग
बड़ी ही सुहानी डगर
यह वादों का सफर

अगला वादा
उधार मित्रता की कैंची
ज्यूँ एक दोधारी खंजर
देने वाला भी उलझ जाता
लेने वाला जब आंखें चुराता
जीवन हो जाता कितना बदरंग
बड़ी ही मुश्किल डगर
ये वादों का सफर

अगला पड़ाव
सप्तपदी
सात कदमों के साथ बढ़ते
वचनों में बंध
कितने निभा पाते वह वादे
पावन पवित्र
फिर कब धूमिल हो जाते हैं
सभी रंग
बड़ी ही अलग सी यह डगर
यह वादों का सफर

और कुछ वादे पाँच वर्ष के
तालमेल घालमेल
जो सत्ता के पुजारी
छोड़ वादों का पिटारा
बढ़ जाते आगे-आगे
सपने ,अपने और अपनों के
आम आदमी ठगा सा रह जाता
उड़ता उसका रंग
बड़ी ही दुश्वार यह डगर
यह वादों का सफर

मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित

वादा

मत करो
झूठे वादे
अपनों से
बड़ा दर्द
होता है
जब वो
पूरे होते नहीँ

करते हैं
वादा बच्चे
माता पिता से
खूब पैसा
कमा कर
आऊंगा लौट कर
विदेश से
तकते रहते वो
लौटते नहीँ
देते धोखा

नेताओं के
भाषण
झूठे वादे
ठगी जनता
फिर इन्तजार
अगले वादों का

पति पत्नी
के वादे
ज्यों पानी के
बुलबुले
कभी पूरे
तो कभी अधूरे

जियो
हकीकत की
दुनियां में
मत पालो
भ्रम कोई
कर सकते हो
जो वादे पूरे
करो काम
ईमानदारी से

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल


दिनांक 04/12/2019
विधा:हाइकु

विषय:वादा

हाइकु विधा
दिल के नज़दीक
उन्नति वादा

जन्म दिवस
प्रचलित हर विधा
बिम्बों का वादा

खुद से वादा
पौष्टिक ले आहार
स्वास्थ पे ध्यान ।

नेता के वादे
उढ गये बादल
जीतोपरान्त।

शिक्षा उत्कृष्ट
परिवार से वादा
रहूँगी साथ ।

पिता का वादा
रबढी व जलेबी
यादो का साथ ।

शादी के फेरे
वादे सात वचन
जीवन अर्थ ।

वृक्षारोपण
वादा पर्यावरण
जल संरक्षण ।

धरा से प्यार
साधन सीमित
वादा माँ संग ।

स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव

ख्वाब अधुरे है मेरे तो नींद कहाँ फिर आयेगी।
जगती सी आँखों मे हरदम ख्वाब उभर कर आयेगी।

तुम हो मेरी ख्वाब हकीकत बनकर सामने आओगी।
शेर हृदय तो पागल है फिर नींद कहाँ से आयेगी।

वादा पर विश्वास तेरे था तू वादा तोड ना पाओगी।
टूट रहा विश्वास मेरा फिर नींद कहाँ से आयेगी।

सोचा तुमसे बातें कर लूँ पर तुम आज ना आओगी।
याद में डूबा शेर हृदय फिर नींद कहाँ से आयेगी।

भाव वेदना से जकडे फिर शब्द कहाँ से आयेगी।
फिरभी मन की बात को तुमसे शब्द ही तो बतलायेगी।

क्यो है आखिर धीर नही मन शेर का उलझा जायेगी।
कलम लेखनी छोड पतीत मन तुम मे ही रम जायेगी।

स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ

Puja Nabira भा
वादा....
4/11/19..

कुछ वादे किये नहीं जाते..
निभाए जाते हैं...
बिन कहे.. किये गये वादे..
तो टूट जाते हैं....
पर बिन कहे ही तो... अहसास दिलाते हैं....
सब कुछ.. मेरे लिए तो किया जाता है...
ये अहसास दिलाते हैं...
तुम निभा देते हो.... वो सब जो मेरे मन में
आकार लेता है...
मैं भी तो बिन कहे... हर बात को....
स्वीकार लेती हूँ...
क्यों... हाँ क्योंकि मैं
बिन कहे बिन अभिव्यक्त
वादे की ऊष्मा की
गर्माहट की शाल महसूस करती हूँ..
इर्दगिर्द अपने....
यक़ीनन तुम उस गर्माहट
को बनाये रखोगे....
और बिन कहे ही
उस का अहसास होता रहेगा...
रिश्ते की... गरिमा के साथ
रहेगा यही विश्वास आसपास
पूजा नबीरा
काटोल नागपुर
स्वरचित

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