Friday, December 27

"हसीं मौसम"26दिसम्सबर 2019

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ब्लॉग संख्या :-607
दिनांक-26/12/2019
विषय-हसीं मौसम


दमक उठी धरा हँसी मौसम के आने से...

खिल गई पंखुड़ियां पुरा मौसम के जाने से....।.

फैल रही है नई ताजगी
नए मौसम के आने से।

बहने लगी मस्त बयारे
नील गगन के तराने से।

हिल रही हैं आम्र की डालियां
मंद हवा के झोंकों से।

प्यारी सी मुस्कान है लेने लगी
नव विहान कलियों के स्रोतों से।

मोती जैसा चमक रहा
उसके अग्रभाग का प्यारा प्याला।

फिर जग में फैल रहा
दांडिम रंग का लाल उजाला।

शून्य गगन में कोलाहल कर
आगे बढ़ता खग दल।

प्रभाकर के स्वागत को
सहसा महक उठा है कमल दल।

ये मदमस्त नजारा लगता है
सूर्योदय के अरुणोदय का।

तब धरा से नाता जुड़ता
स्वर्णिम सतरंगी डोरो का।

खेलने लगी प्रभाकर की किरणें
जल की चंचल लहरों से।

धरती सजने लगी
इंद्रधनुष के सतरंगी रंगों से।

इसे देखकर चमक उठे
हंसो के दल प्यारे।

सतरंगी सूर्य स्यंदन चमक रहे
नदियों के किनारे।

एक नन्ही कली भी बाट देख रही
दिनकर के उजाले की...

मन उद्वेलित होता मधुरस
प्रभाकिरन के आने से

मौलिक रचना

सत्य प्रकाश सिंह
प्रयागराज
विषय हसीं मौसम
विधा काव्य

26 दिसम्बर 2019 ,गुरुवार

बारह माह हसीं मौसम है
वर्षा सर्दी अथवा गर्मी हो।
स्नेह भावमय सुंदर जीवन
मन मानस नित नरमी हो।

ऋतु बरसात की जब आती
उपवन सारा खिल उठता है।
रिमझिम नीर बरसता भू पर
हसीं मौसम मन को छूता है।

शीतल नित चलते हैं झौखे
हाड़ कंपाती सर्दी गिरती।
हसीं मौसम खिल उठता है
रवि किरणें जाड़े को हरती।

ऋतुराज धरती पर आता
मौसम हसीन संग में लाता।
कलियां चटके फूल महकते
मृदु गीत भंवरा खुद गाता।

भीषण गर्मी पड़े धरती पर
अग्नि बनकर चले हवाएँ।
वातानुकूलित पंखे चलते हैं
हसीं मौसम आ मन लुभाये।

सुंदर जीवन सद्कर्म निर्भर
तब हसीं मौसम बनता है।
स्नेह भाव हँसी मय जीवन
सब विपदाएँ जग हरता है।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।



"भावों के मोती"
26/12/2019

🌹हसीं मौसम 🌹
***************
मौसम ने ली अंगड़ाई
फिर याद तुम्हारी
आई
नैनो के कोरों से
टपके
दो बूंद गर्दिश की थी
कुनकुनी धूप का
हसीं मौसम
करता है मन को
उदास
जब याद दिलाती
है तुम्हारी बाहों की
गर्माहट
फिर मुझमे भर जाती
उफ़ ये कैसा सर्द
हसीं मौसम
ये कैसा मंजर
ढँक लिया कोहरे
ने सबको
ज्यूँ अम्बर ने समा
लिया हो धरा को
अपनी आगोश में
ये सनसनाती हवा
न मानेगी बिना आलिंगन
न जुड़ जाये ये
मौन कंपकपाते अधर मौसम ने
ठाना है
क्यों नही करता
ये मौसम दस्तूर
ऐसा ही हमे
मिलाने का ।।।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना


26/12/2019
बिषय,, हंसी मौसम

ए सर्दी गुनगुनी धूप ए हंसी मौसम
सर्द हवाएं गुनगुनाती हैं सरगम
शबनमी बूंदों ने मोती बिखराए
पत्ता पत्ता डाली डाली को है सजाए
ओढ़ी धरा ने हरित चुनरिया
लगती है मानो अल्हड़ गुजरिया
मौसम पर पूर्ण यौवन है छाया
प्रकृति ने स्वयं हाथों से सजाया
हरितिमा चारों ओर है छाई
ठंड ने ली है यौवनी अंगड़ाई
सभी स्वस्थ रहें तन मन को सजाऐं
हंसी मौसम को और भी हंसी बनाएं
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार




नमन :"भावों के मोती "मंच
दिनांक 26/12/2019

विधा:मुक्तक
विषय हंसी मौसम

चलो संग सैर को चलते,हंसी मौसम सुहाना है।
यह वादी और यह पर्वत ,लगे सूरज सुहाना है।
मिले जब संग साथी से ,नयी ऊर्जा प्रवाहित हो
नदी भी बह रही गा के,नया सरगम सुहाना है।

ये सर्दी का हंसी मौसम, रजाई मे बिठाता है।
घरों मे तापते बीते, अलाव संग बिठाता है।
अलाव के भुने आलू ,शकरकंद और ये बुजिया
अदरक की चाय पी पीकर परिवार संग बिठाता है।

स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव

विषय:-हंसी मौसम

हंसी मौसम जो छाया है,
लगा है तूफान आया है,
फिजा कुछ शबनमी सी हैं,
लगा आफताब आया है ।

चहकती मन कली ऐसे,
बनी हो पंक्षी वो जैसे ,
उडकर बादलों के पास,
पी ने घर बसाया हो ।

लगे हो लाख पहरे हों,
समंदर भी जो गहरे हो,
उड़ा ले जा रहा है वो ,
बड़ा ही बाबरा मन वो।

स्वरचित
नीलम शर्मा #नीलू



26/12/2019
विषय-हसीं मौसम

कितना हसीं है मौसम
इस सुहाने मौसम में
सफर का मज़ा ही कुछ और है
बदले से हैं नज़ारे
कुदरत में छाए रंग प्यारे प्यारे
मदहोश मनवा हिलोर मारे
धरती अम्बर लगते कुछ और हैं

शायराना मिज़ाज़ में डूबे हैं आज सारे
आसमां में गुम हुए सूरज,चाँद, तारे
बटोही पपीहा चाँद को पुकारे
यूँ लगता है जैसे आशिकी का दौर है

श्यामल मेघ हरित बसुंधरा पर
अपना नेह बरसाए
धुली धुली सी धरा
स्व-रूप देख शरमाए
पुष्पित सुमनों पर
तितली,भँवरे मंडराए
मधुर संगीत का गुंजन फैला चहुँ ओर है

हसीं मौसम में सफर का मज़ा ही कुछ और है।।

**वंदना सोलंकी**©स्वरचित



26/12/2019
"हसीं मौसम"
नवगीत
################
याद जो आए मन को तड़पाए
खो गया है कहीं वो हसीं मौसम

रंग-बिरंगे फूलों से भरा था....
भँवरा आ गुनगुनाया करता था
अब आ गया है पतझड़ का मौसम
खो गया है कहीं वो हसीं मौसम

फूल डालियों पे थे मुस्कुराते
पत्ते भी हवाओं संग इठलाते
बदल गये हैं नजारे बेमौसम
खो गया है कहीं वो हसीं मौसम

कलियाँ थी खिलने को बेताब
देख मचला करता था महताब
आज बेनूर हुआ है वो मौसम
खो गया है कहीं वो हसीं मौसम

सब को लुभाते वहाँ के नजारे
पलभर में बिता ज्यूँ सपने सुहाने
मन में बसा है वो हसीं मौसम
खो गया है कहीं वो हसीं मौसम

याद जो आए मन को तड़पाए
खो गया है कहीं वो हसीं मौसम।।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।

26/12/19विषय..... हसीन मौसम
सर्द सी सिहरन से मन को तुम याद आये मेरे मन को तुम इस हसीं मौसम में.. तुम बहुत याद आये.. की जानती हूँ.. तुम को बस महसूस ही कर सकती हूँ मैं.......इस जिंदगी के सफर में देखे कितने पतझड़ और बसंत... लेकिन जाने क्यूँ लगा की काश तुम भी होते संग... जब भी किसी लम्हे को मैंने यादों में ढालना चाहा.. हर हसीन मौसम को मैंने... दो पल भी खुल कर जीना चाहा.....यकीं मानो की हर कहीं फिज़ा में वज़ूद तुम्हारा घुला पाया....आखिर यही सोचती हूँ कि तुम शायद कस्तूरी हो.... जिसकी महक आती है मेरे ही वज़ूद से..... लेकिन यूँ महसूस होता है तुम....हो.... कहीं.. किसी बारिश कि छम से खनकती बूँद में... या फिर हो सर्द सी हवा में जिसकी सिहरन अभी तो सर्र से मेरे अंतर को छू कर कम्पित कर गई.. या फिर वसंत की उस ह्रदय आनंदित करती.... पुष्पावली में जो पोर पोर में अमृत बन संचार करती है आनंद का... बस यहीं कहीं... तो हो.. अरे हाँ वो तो अंदर बसी तुम्हारी कस्तूरी की महक है और मृग की तरह तलाश करती मेरी यात्रा... जिसका कोई अंत नहीं... बस किसी दिन.... अंतहीन यात्रा और सुगंध का वो पिटारा मेरी साथ... हर मौसम को हसीन बना दिया जिसने... वो कस्तूरी है मेरी पास पर तुम नहीं...... कुछ काश कभी ख़त्म नहीं होते पर फिर भी अजीज होते हैं..... है ना.... पूजा नबीरा काटोल
नागपुर

आज का विषय
"हसीं मौसम"
दिनांक👉२६ /१२/२०१९
दिवस👉गुरूवार
विधा👉स्वैच्छिक
🌾🌾🌾🌾🌻🌻🌻
हर हसीं का हसीं मौसम,
बहु रंगौ की कतार का भरता रंग ,
ललाट पर चमकता स्वर्ण हसीं मौसम ।
फूल -फूल प्रेम भरी मधुर गुंजन,
भारत धरणी का अलबेला रंग भरा हसीं मौसम ।
कभी दुग्ध सौ श्वेत हिम श्रृंग,
पतझर वसंती बयार ग्रीष्म ताप सावन फुहार
दिखलाता हसीं मौसम ।।
लालों के ललाट को राष्ट्र रक्षित कर्ता हसीं मौसम,
धन्य भारत वसुंधरा अनेको पुष्पो को खिला अखंड एकता का पाठ पढ़ाता हसीं मौसम ।।

गौरीशंकर बशिष्ठ निर्भीक हल्द्वानी


दिनाँक-26/12/2019
शीर्षक-हसीं मौसम
विधा-हाइकु

1.
सावन मास
रिमझिम फुहार
हसीं मौसम
2.
खिले कुसुम
महका उपवन
हसीं मौसम
3.
छाये बादल
हसीं हुआ मौसम
आई बौछारें
4.
बसंत ऋतु
फूली पीली सरसों
हसीं मौसम
5.
हटा कोहरा
हसीं हुआ मौसम
चमकी धूप
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया





विषय, हसीं मौसम
गुरुवार

26,12, 2019.

सहारा प्यार का जिसे मिल गया हो,
फूल विश्वास का मन में खिल गया हो।

हर मौसम उसके लिए हो जाता हंसी है,
दुनियाँ उसके लिए जन्नत से कम नहीं है।

सदा बहती रहे गंगा प्यार की उसके द्वारे,
मिल जाया करते वहाँ बेसहारों को सहारे।

सदियों से धरती हमारी बांटती प्यार ही है,
मुहब्बत से हुआ करती दुनियाँ गुलजार है।

स्वरचित, मधु शुक्ला .
सतना, मध्यप्रदेश 

Meena Tiwari .
26/12/19

छाया है धुंआ धुंआ।
देखो मौसम अजब सा।

मौसम भी बे मौसम सा।
सब कुछ है बदला बदला सा।

न करे फिक्र कोई किसी की।
मौसम की तरह बेपरवाह सा।

प्रकृति को जब हम बदले।
तो प्रकृति हमे क्यो न बदले।

अपनी ही अजब करतूतों से।
बदलते हम मौसम का मिजाज।

पहले की तरह अब न रहे।
जाड़ा गर्मी और बरसात।

देखो देखो मौसम के तेवर।
कभी उतारे कभी पहने जेवर।

अपने निजी स्वार्थ में होकर।
हमने ही गवाए हसी मौसम।

स्वरचित
मीना तिवारी

शीर्षकः- हंसी मौसम

हंसी हो मौसम और हो हंसीन सनम।
फिर करें क्यों कल्पना स्वर्ग की हम।।

न जाड़ा ही पड़े न सड़ी गर्मी में सड़ें ।
मौसम हमारा तो सदा ही सुहाना रहे।।

थोड़ी गर्मी हो जाये शीतल समीर चले।
हल्के जाड़े पड़े साथ हलकी धूप मिले।।

न ही हम चिलचिलाते जाड़ों में ठिठरें।
न कभी कड़कड़ाती धूप में ही हम भुनें।।

हंसी हो मौसम और हो हंसीन सनम।
फिर करें क्यों कल्पना स्वर्ग की हम।।

डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित






हसीं मौसम

रहें सब
प्रसन्न घर में
साथ बैठे हो
बच्चे बुजुर्ग सब
चलती रहें
हँसी ठिठोली
खाये
भजिये पकौड़े
जल रहीं हो
अंगीठी पास
मंद मंद
हो गरमी
मुँह में
हो चाय
की चुस्की
यहीं तो हैं
हसीं मौसम
के जलवे

निकले घुमने
कहीं दूर
संग जीवनसाथी
समुद्र किनारे या
हों सुहानी वादियां
मुस्कुराहट हो
चेहरों पर
सफर बनेगा
सुहाना
उत्साह उमंग
लायेगा
जीवन में
हसीं मौसम
सुहाना

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल





विषय -हसीं मौसम
दिनांक 26- 12- 2019
हसीं मौसम का आनंद,आप अपनों संग लिजिए।
गैरों संग मजे कर,अपनों को दर्द कभी ना दीजिए।।

मौसम कोई भी हो,उसे हसीं मौसम बना लीजिए।
ठंड बहुत ज्यादा हो,अलाव जला आनंद लीजिए।।

इसी बहाने कुछ पल,अपनों से आप बातें कीजिए।
बड़े बुजुर्गों के अनुभव को,साझा आप कीजिए।।

जिंदगी में कभी भी,उदास आप ना रहा कीजिए।
है बहुत छोटी,हर पल आनंद से जिया कीजिए।।

कुछ यादें जाने से पहले,आप अमिट छोड़ दीजिए।
जग याद करें,ऐसा कुछ तो आप काम कीजिए।।

सुबह शाम चक्कर में,जिंदगी तमाम ना कीजिए।
मिला है अनमोल जीवन, इसे सार्थक कीजिए।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली


दिन :- गुरुवार
दिनांक :- 26/12/2019

शीर्षक :- हसीं मौसम

जिनके बलिदानों से..
भारत आजाद दिखाई देता है..
खून से सींचा है जो..
चमन आबाद दिखाई देता है..
उधमसिंह के उमध से..
लड़खड़ा गया था तब लंदन..
जनरल डायर के घर में..
पसरा दिया था जिसनें क्रंदन..
देशभक्त दीवाना था वो...
माँ भारती की आजादी का...
पहन लिया था जामा..
जिसने स्वंतत्रता की क्रांति का..
सर पर बांध कफन जो...
शेर जैसा तनकर चलता था..
मातृभूमि के लिए जो...
हरपल जीता हरपल मरता था..
नमन करें उस वीर को..
जिनकी आज जन्म जयंती है..
धन्य धरा माँ भारती की..
जहाँ माएँ ऐसे ही वीर जनती है..
ऐसे बलिदानों से ही..
भारत आबाद दिखाई देता है..
गुलामी के मौसमों से..
"हसीं मौसम"आज दिखाई देता है..

स्वरचित :- राठौड़ मुकेश

तिथि -26/12/2019/गुरुवार
विषय -*हंसी मौसम*

विधा॒॒॒- गजल

ये मौसम हंसी सुहाना है।
तुमसे मिलने का बहाना है।

कभी तो आओगे तुम सजकर,
सजनवा को गले लगाना है।

हंसी मौसम हंसी हैं दिलवर।

हंसी हरदम हंसी रहें रहवर।

कभी हमारी बात मानोगे,
खुशियां हमें तुम्हें मिलें जमकर।

सचमुच सुखद सरदी का मौसम।

ये तुम्हारी चाहत का मौसम।

नजराना मिला कहीं से प्यारे,
हंसी सुख सरकार का मौसम।

स्वरचितःः
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना मध्य प्रदेश
जय श्रीराम रामजी

*हंसी मौसम*गजल
सो 26/22)2019/गुरुवार





दिनांक २६/१२/२०१९
शीर्षक_हसीं मौसम

विधा-हाइकु
१)
हसीं मौसम
लुभा गई धरा को
चहके सृष्टि।
२)
बादल ओट
सूर्य रश्मि बिखरे
हसीं मौसम।
३)
सर्द की धूप
उतरी धरा पर
हसीं मौसम।
४)
सुहानी भोर
मंद बहे समीर
मौसम हसीं
५)
चहके पक्षी
बसंत का भोर
हसीं मौसम।


स्वरचित आरती श्रीवास्तव

दिनांक 26/ 12/ 19
विषय - " हसीं मौसम '

*******************
1/ हसीं मौसम
जगाता है ये प्यार ,,,
समझा करो ,,,।
2/ बिखरी छटा
बना मौसम हंसी ,,,,
दिल दिवाना ,,,,।
3/ बर्फीली बर्षा ,,,
हंसी हुई मौसम,,
खिली वादियाँ,,,।
स्वरचित - विमल
26/12/19
विषय-हसीं मौसम

विराने समेटे कितने पद चिन्ह
अपने हृदय पर अंकित घाव
जाता हर पथिक छोड छाप
अगनित कहानियां दामन में
जाने अन्जाने राही छोड जाते
एक अकथित सा अहसास
हर मौसम गवाह बनता जाता
बस कोई फरियादी ही नही आता
खुद भी साथ चलना चाहते हैं
पर बेबस वहीं पसरे रह जाते हैं
कितनो को मंजिल तक पहुंचाते
खुद कभी भी मंजिल नही पाते
कभी किनारों पर हरित लताऐं झूमती
कभी शाख से बिछडे पत्तों से भरती
कभी बेरंग , कभी "हसीं मौसम"
फिर भी पथिक निरन्तर चलते
नजाने कब अंत होगा इस यात्रा का
यात्री बदलते रहते निरन्तर
राह रहती चुप शांत बोझिल सी।

विराने समेटे..।
स्वरचित
कुसुम कोठारी ।


यह ठिठुरता हुआ आलम,
और भटकता हुआ सा मन
जाने क्या हुआ कि,
लब गुनगुनाने लगा।

शर्माने लगी नजरें
दिल धड़कने लगा
सुन पपीहे की पुकार
मन और तड़पने लगा
मन में आग लगाता मौसम
दिल की प्यास जगाता मौसम
ऐसी छाई बेखुदी
,कि बंद पलकों में
मोती समाने लगा।

कोई गीत गुनगुनाता मौसम
हृदय तार छेड़ जाता मौसम
सीने में मीठा मीठा दर्द
तड़पन को बढ़ाता मौसम
अरमां जाग उठे दिल के
हर फूल मुस्कराने लगा
ऐसे नजरों में समाया कोई
अंग अंग मुस्कराने लगा।

आँखों में सुनहरे सपनें
पागल मन भटकने लगा
बाहों में नभ समेटने
क्षितिज में दौड़ने लगा
भीगा भीगा सा माहौल
तन मन में छाने लगा।
मन ऐसा पागल हुआ कि
मौसम को चुराने लगा।

सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़


विधा-छंद मुक्त
विषय- हसीं मौसम


कितना हसीं है मौसम
कितना कमाल है ये
साथी जो आ गया है
कितना जवान है ये
यूँ ही गुजर न जाये
रुत है ये प्यार की
कितनी सुहानी हैं ये
घड़ियाँ बहार की
अब चाँदनी है बिखरी
खामोश इस धरा पर
सागर का है किनारा
हम तुम भी हैं यहाँ पर
आओ चलें सजन अब
ठंडी सी रेत पर हम
हाथों में हाथ लेकर
सौ जन्म साथ में हम
यूँ ही गुजर न जाये
मौसम हसीं सुहाना
मुझको गले लगा लो
अब मेरे जानेजाना
खो जाएं इस धरा पर
न कोई ढूंढ पाये
बहती हैं दिल में अपने
मदहोश ये हवायें
हो जायें एक जानम
कितना हसीन मौसम
हम भूल जाये दुनिया
हो जायें एक हम तुम

सरिता गर्ग













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