Tuesday, December 31

"बीता साल "30दिसम्बर 2019

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ब्लॉग संख्या :-611
30/12/19
बीता साल

छन्द मुक्त
***
बीता साल
बीता ,पर
बीतने के लिए नहीं बीता!
चलता रहा ,
लड़खड़ाता ,गिरता ,संभलता
कभी सही कभी गलत।
पर
ठहरा नहीं
ठिठका नहीं
डरा नहीं !
कभी शून्यता में अटका नहीं।
भटकाव लिए भटका नही
सहता रहा वार
सामने ,कभी पीछे से
रुका नहीं सहमा नही
बीता साल बस चलता रहा ।
दुश्मन के घर तक गया ।
प्रचंड आंधी चली
तिनका तिनका सब बिखर गये ।
लड़ता रहा अधिकार के लिए
धारा से लड़ा
कुछ डरे कुछ डराये।
बीता साल मंदिर गया
निर्णय लेता रहा।
बीता साल
चलता रहा ,दौड़ता रहा !
इस दौड़ने में कुछ धीरे धीरे
सुलगता रहा
और जाते जाते जलता रहा ।
आने वाला साल
भी चलता रहे ,दौड़ता रहे ,
सड़ा गला हटाना है
शिखर तक जाना है ।

स्वरचित
अनिता सुधीर

विधा काव्य
30 दिसम्बर 2019,सोमवार

बीते साल ईमानदार छवि से
नायक बन संसद में आया।
प्रिय विश्व विख्यात सभी का
सेवक बन नयी क्रांति लाया।

अब तक जो हो न सका था
बीता साल रहा सुखकारी।
मर्यादा पुरूषोत्तम फैसला
जन जन हेतु बना हितकारी।

माँ बहिनों का मान बढ़ाया
तीन तलाक कलंक मिटाया।
धारा तीन सौ छीन्तर हट गई
बीते साल कश्मीर सजाया।

सबका साथ सबका विकास
नारी बचाओ नारी पढ़ाओ।
स्वच्छता को अभियान बनाया
आओ मिल सब देश सजाओ।

बीता साल रहा कल्याणमयी
दुश्मन को घर मे घुस मारा।
आतंकवाद का किया खात्मा
उपद्रव कर्ता गये कारावासा।

महाशक्तियो से हाथ मिलाया
सबको अपना मित्र बनाया।
देश विकास के महामन्त्र से
बीता साल सुख शांति लाया।

बीता साल बना ऐतिहासिक
नए नए इतिहास बना दिये।
हम सब मित्रों भाग्यशाली हैं
असंभव भी संभव देख लिये।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
दिनांक 30-12-19
विषय-बीता साल


अलविदा ऐ जाते हुए वर्ष,
नमन तुझे आखिरी सलाम ।
दिल की गहराइयों से प्रिय,
लिखती तुम्हें भावुक कलाम ।

हे वर्ष उन्नीस बहुत दिया तूने,
हँसी, खुशी,वेदना का मिश्रण।
सर्वोपरि मानती हूँ तुझको,
किन शब्दों में करूं मैं चित्रण ।

मुकाम दिए हैं कई तूने ही,
कुछ ग़म के सागर पाए हैं ।
कैसे तुझे आखिरी सलाम कहूं,
पल ऐसे जीवन में नहीं आए हैं ।

लेखनी को नई पहचान दी तूने,
माँ वाणी का मृदु आशीष मिला।
धरा से नभ भी दिया है तूने,
शब्द सुमन उपवन वागीश मिला।

वतन को भी तू याद रहेगा,
पाई विजय कहीं लाल गँवाए ।
घर से सरहद तक देखो,
दीप जले कहीं मातम छाए ।

उपलब्धियां अगणित दी तूने,
असफलताएं थी किसी ओर ।
पतझड़ को मधुमास बनाया,
ग़म की सांझ खुशी की भोर।

चिर प्रतीक्षित आशाएं कुछ,
पूर्ण कर गया प्रिय उन्नीस,
नए आयाम स्थापित करना,
हे प्रिय आने वाले नव बीस ।

जाते जाते दो हज़ार उन्नीस ,
उम्मीदों के फूल खिला दे ।
नूतन जोश उमंग से भरना,
ग़म का पारावार मिटा दे ।

आखिरी सलाम तुझे नत हूँ,
बन नववर्ष नवरूप में आना ।
खुशी न हो चाहे, दर्द न देना,
देहरी पर प्रेम की जोत जलाना ।

कुसुम लता पुंडोरा
नई दिल्ली

30/12/2019
"बीता साल"

1
विभिन्न रंग
दिखा जीवन अंग
बीता जो साल
2
बीता जो साल
जीवन अनुभव
देके जा रहा
3
भ्रम को तोड़ा
सच्चाई दिखा कर
बीता ये साल
4
कटुता संग
बहुमूल्य सीख दे
बीता ये साल
5
खट्टे व मिठे
पल क्षण गुजार
बीता जो साल
6
मन आँगन
अधूरे ही सपनें
बीता ये साल
7
आशा,निराशा
हमेशा रहा नाता
बीता जो साल
8
वक्त का मोल
बीता साल सीखाया
किमती पाठ

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।

30/12/2019
💐बीता साल
**********💐

बीते साल या बीते सालों
की कहानी
लम्हाँ लम्हाँ गुजरती जिन्दगानी

पलकों के चिलमन पर
ठहरे कुछ ख्वाब बनकर
तो कुछ गिरे बन कर पानी ।

तेरी मुठ्ठी में कुछ लम्हें
खुशी के
तो खुली हथेली पर बिखरे
हो जैसे हो गमों की निशानी ।

मन की मिट्टी से उठती सोंधी खुशबू ज्यूँ
मेरे अपनों के प्यार की बदरी गुजरी हो मुझ पर से ।

बीता एक पल ज्यूँ बीता साल
न जाने कितने बीते सालों की
कहानी ।

मोम से पिघलते लम्हों के साथ पिघलता वक्त
तो वक्त के साथ पिघलती
जिंदगानी की रवानी ।

रेत की मानिंद फिसलन को जुबां देते पल
कुछ तन्हाँ कुछ खिलखिलाते
रूह को छूकर खामोश रह जाते
मैं खुद सिमट रह जाऊँ इनमें
या सहेज कर रख लूँ सारे ।

बीते साल या बीते सालों की कहानी
लम्हाँ लम्हाँ गुजरती जिंदगानी ।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर

 साल 2019
💘💘💘💘

भा
षणों में उठा उबाल
भाषणों में मचा बवाल
अच्छे शब्दों का पडा़ अकाल
भाषा का बुरा हो गया हाल।

अन्तरिक्ष में बढे़ अच्छे पग
पर होती होती रुक गई जगमग
निर्भीक निर्भीक निर्णय हुए
राष्ट्र प्रेमियों के जिसने हृदय छुए।

राष्ट्र प्रेम की अलग तलब जगी
राम राम की सब ओर अलख जगी
गँगा जी पर भी मंथन सफल हुआ
निर्मल जल खुश हो छल छल हुआ।

राष्ट्रीय सम्पत्ति की भी जली होली
प्रशासन की भी गूँजी दृड़ बोली
पूरी वसूली होगी नुकसान की
यह सम्पत्ति नहीं कोई दान की।

राजनीतिक चूनर हो रही तार तार
मर्यादायें बिखरती रहतीं बार बार
स्वीकार अस्वीकार में उलझ गया है सार
आपसी मतभेदों ने कर दिया देश बीमार।

कारखाने विकास की सुदृड़ रीढ़ हैं
कारखाने अर्थ प्रणाली की सुन्दर नींव हैं
कारखाने रोज़गारों के भव्य हस्ताक्षर
कारखाने तो विकास के चित्र सजीव हैं।

लेकिन कारखाने कई बन्द हैं
अलग अलग लफडे़ हैं द्वन्द हैं
कारखाने उदास हैं ग़मगी़न हैं
रो रहे इनके हर छन्द हैं।

दिनांक-30/12/3019
विषय-बीता साल

जो बीत गई सो बीत गई
तकदीर से शिकवा कौन करें।
पतझड़ की जो साल बीत गई
उड़ते पत्तों का पीछा कौन करें।।

कर्मभूमि सुरभित करके
दिग- दिगंत में छा जाये।
बीते साल के घोर तिमिर को
नभ, जल, थल, से दूर भगाएं।।

कुछ ऐसा कर नश्वर काया
नाम जग मे अमर हो जाए।
है महान व्यक्ति वही जो
बीते साल को भूल जाए।।

वह क्या जाने दर्द भला
क्या भूख और क्या प्यास।
बीता साल में हर एक पल
जीवन का हास और परिहास।।

मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज

भावों के मोती
विषय-बीता साल
विधा-कुंडलियाँ छंद
३०/१२/२०१९

बीता अब ये साल भी,देकर कुछ सौगात।

कठिन ‌‌‌‌‌‌‌‌घड़ी से जूझते,बीते दिन अरु रात।

बीते दिन अरु रात,मिले हैं अनुभव हमको।

धीरज से लें काम,रहे ये कहते सबको।

कहती अभि निज बात,खुशी का घट था रीता।

जैसा भी रहा ये,साल पर अच्छा बीता।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
30 /12/2019
बिषय,, बीता साल
उतार चढ़ाव में बीता साल
कभी भरा कभी रीता साल
खुशियों से नौंक झौंक होती रही
कभी अश्रुधारा दामन भिगोती रही
मिलने की खुशी बिछड़ने का गम
रिश्तों के टकराव से आँखें हुई नम
अपना सा कोई मिल गया राह
दुआएं मांगी पुनः मिलने की चाह में
बीता हुआ साल भावों के मोती का खजाना दे गया
जीने बेहतरीन ठिकाना दे गया
प्यारे प्यारे साथियों से मुलाकात हो गई
मानो जीवन की सारी सौगात मिल गई
छोटे बड़े सभी जो देतें हैं आदर प्यार
हृदय में भर जाती खुशियों की बौछार
इसी तरह का प्यार मिलता रहेगा
मेरी लेखनी का सिलसिला चलता रहेगा
सभी को यथायोग्य प्रणाम नमस्कार
प्रभु खुशियों से भर दें आपका संसार
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार

नया साल मुबारक

सन 2019 बीत गया, अब 2020 आया है।
नववर्ष नया उल्लास घर-घर जश्न मनाया है।

नई उमंग व नई तरंग आज मन हर्षोल्लास है,
नई साल का आगमन घर दीपों से सजाया है।

मंगलमय सुखद अनुभव प्रफुल्लित है मेरा मन,
श्रंगार सुशोभित धरा देख मन मेरा हर्षाया है।

हरियाली से शोभित क्यारी, सुंदर हरे-भरे हैं पेड़,
नवपल्लव सुशोभित, बागों में पुष्प खिलाया है।

गुलाब, गेंदा, गुड़हल, जूही खिल रहे हैं सुंदर फूल,
रंगीन तितलियाँ गुँजन करती भौरा गुनगुनाया है।

सौंदर्य पूर्ण वातावरण और रंगीन है फ़िज़ाएँ,
पीली मिट्टी सौंधी खुश्बू सारा जहां महकाया है।

आशा की किरणें लेकर घर-घर दीप जलाना है,
स्वर्णिम प्रकाश की किरणें पेड़ों की शीतल छाया है।

छोड़कर गिले-शिकवे, एक-दूजे को माफ करें,
द्वेष-घृणा,ईष्या त्यागकर सबको गले लगाया है।

मन-मुटाव छोड़कर प्यार के फूल खिलाएँ हम,
जन--जन में प्यार का, नव संचार जगाया है।

ऐसी पावन भारत भूमि पर हमको है अभिमान,
नये पथ पर बढ़ चले हम यही पैग़ाम लाया है।

सुमन अग्रवाल " सागरिका"
आगरा

दिनांक ३०/१२/२०१९
दिवस सोमवार
शब्द शिरोमणि दुष्यंत जी को
विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर्ता हूँ
🌾🌺🌾🌺🌾🌺🌾
शब्द शिरोमणि दुष्यंत सौ जीवन पथ को हृदय माना,
स्मरण ता में उभर आती दुख की बदली,
दुष्यंत के शब्द वाणी का हृदय में निस्पंद वसा,
सिसकियो के क्रंदन से आहत मैं,मृत्यु लोक हसा।
छबि छाया के नयनो में जलते दीप,
हृदय पलकों में नीर झरणी उपजी ,
देह से विधि-विधान का मकरंद पराग विखरा,
हिंदी साहित्य का दुष्यंत संगीत उभरा,
शब्द शिरोमणि दुष्यंत सौ जीवन पथ को हृदय माना! !

मन हृदय के नभ में फिरसे प्रगटते नव रंग,
चित्र छाया से शब्द मलय की बयार चली,
मैं भी जीवन क्षितिज की भृकुटी पर हो जाऊंगा धूमिल,
चीर-चितवन में चिन्ता भय-भार क्यो है अविरल,
नित कर्ता भोर रजनी के दर्शन क्योंकर मन जलकण वर्षे,
लेकर मार्गदर्शिता जीवन पद चिन्ह देकर ही जाना,
देह पदों की सुधि मेरे आनेसे हर्षित हुव़ी ये माना,
कहे जीवन पथ भोरको रजनी की क्षितिज पर जाना,
हर्षित हो सुख की किरण दुष्यंत भाव खिली,
सत पथ सत्य कर्म से क्यो रीता हृदय का कोना,
शब्द शिरोमणि दुष्यंत सौ जीवन पथ को हृदय माना! !
मद भाव के घेरे में मैं मेरा कभी"ना" अपना होना,
परिचित नही अपने ही इतिहास से कोई,
पुष्प पंखुड़ी जो उभरी आज विखर कर धूमिल होना,
शब्द शिरोमणि दुष्यंत सौ जीवन पथ को हृदय माना! !
गौरीशंकर बशिष्ठ निर्भीक हल्द्वानी

दिनांक- 30/12/2019
शीर्षक-"बीता साल"
िधा- छंदमुक्त कविता
******************
बीता साल बहुत याद आयेगा,
नये साल में सब नया हो जायेगा,
खट्टी-मीठी यादों का ये कारवां,
साथ हमारे यूँही चलता जायेगा |

भूल जाना तुम सब खता हमारी,
रिश्तों की ये माला हमको है प्यारी,
"भावों के मोती" से खास रिश्ता हमारा,
अपनी कलम का ये एकमात्र सहारा |

लिखना इसने हमको सिखाया,
ज्ञान का सागर हम में जगाया,
बीते साल में खूब सम्मान दिलाया,
मैं दिल से मानूँ इसका बेहद आभार |
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

स्वरचित- *संगीता कुकरेती*

तिथि-30/12/19
विषय-बीता साल

बीत गई बिसराइये , हुआ पुराना साल ।
नये साल का कीजिये,फिर से इस्तकबाल।।

हाड़-तोड़ महनत करी, न कर पाये कमाल।
हमें न कुछ हासिल हुआ,प्रियवर बीते साल।।

महक गुजरते साल की,सदा रहेगी साथ
पाया है सौगात में , प्रिया तुम्हारा हाथ।।

लेखा पिछले साल का,करिए सोच-विचार
काँटों की शैया मिली ,या फूलों के हार।।

सरिता गर्ग

दिनांक ३०/१२/२०१९
दिवस सोमवार
नया साल
आया नव वर्ष लेकर शिशिर चीर प्रभात :
🌺🍁💜🌺🍁💜🌺🍁💜🌺🍁💜
मनारही धरणी हर्ष भरा उज्ज्वलित पर्व ,
बीस-बीस के आगमन पर गारही धरणी हर्षों का आलोक छंद ।
सहस्रदलों का शब्द अंधकार खण्डित होगा,
मानव मनो को चहुंदिशि से घेर रहा जो चक्रवात ,
धरती के तृण,कणो को केशर कुंज करेगा,
नव वर्ष का प्रेम मधुरिम प्रभात :
बीस-बीस की निधियाँ भरी लौ करेगी जीवन उद्धार ।
धरणी पर विचर रहे वाणी के धूम पंखभरे नर विषाद,
मानव अलियों से भरे बृन्द- बृन्द ,
नव वर्ष में धरती गाती हर्षों का आलोक छंद।
मन भावना शब्द वाणी का लहरा रहा विषाद,
धर्म जाती के तट डुबोने को विषफनौ का उत्पात ,
एक लव्य है राष्ट्र रक्षित को प्रयत्न रत रक्षायाय ,
मानव तिरती लपटों की शब्द वाणी को रहा तान,
उपज रही बीस-बीस की ज्योतिर्स्पन्दन भरी अलंद,
ज्ञान वर्धा की वाणी से भरती विस्व पटल पर भारतीयता स्पंदन ।
हिम के कण धरा मानव को भेदरहे,
हृदय चितवन को झीनरहे विषाद कण स्पंदन,
उन्नीस के संग विषैले कणों को भेद,
बीस-बीस में होंगे उजले पथ रंगीले ।
वर्षेगे प्रेम आभा के जीवन श्रृंगार ।
नर इंद्र के मष्तिष्क अंगारक पाटल से मोती सा चमकेगा भारतीय विकास का मकरंद ।
क्षीण होगी विपक्ष की विघटन रूपी ज्वाला से उपजी विषाद।
भारत भूमि पर मर्यादा की होगी नवनीत प्रात:
बीस-बीस में सत्कर्म के अर्जित शाखाओं की पुलकित प्रात :
आया नव वर्ष लेकर अपना शिशिर चीर प्रभात ।
नापाक अलक्तारण भावना मिटेगी,
भारत भूमि पर बीस-बीस में आयेगी हर्षित भावना की अलकंद प्रभात ।।
सभी के स्वर ताल होंगे बीस इक्कीस सुखद ।
धरणी-धरा की औ-अक्ष बजायेगी लय भाव स्वर ।
जीवन गति होगी रश्मि सौ सौरभ सजग,
बीस के कण-कण अक्षर- अक्षर होंगे अजर,
प्रगति का दीपक नभ में चमकेगा,
होगा धरणी पर हर्षित गीतों का नर्तन का अमिट स्पंदन ।
सौहार्द भरे दीपों का स्नेह अमर,
विष- विषाक्त ज्वलंत ज्वाला जायेगी जर ।
होगा मधुरिम प्रेम दीपों का अक्षर क्षार अजर,
अग्नि शलभों को प्रेम क्षार कर्ता एक,
अग्नि भरी सांसौ का मिटेगा कलिष वेष,
जीणक्षीण होगा विघटन ज्वाला कारी द्वन्द । आया नव वर्ष लेकर अपना शिशिर चीर प्रभात ।
गौरीशंकर बशिष्ठ निर्भीक हल्द्वानी

30/12/2019
विषय-बीता साल


किशोरावस्था खत्म हुई
आने लगी है अब जवानी
उन्नीस की उम्र पीछे छूटी
अब सुनाऊं बीस की कहानी।

उतार चढ़ाव भरा रहा सफर
कभी सुख का तो कभी दुख का मेला
कभी रोके,कभी हँसके
जीवन का हर संकट हमने मिलकर झेला।

बीता बरस बहुत कुछ दे गया
अब आया है नया साल
अच्छा बुरा फिर दोहरायेगा
आने वाला नया साल।

अब ये हम पर निर्भर है
कैसे इसे निभाएंगे
सकारात्मक दृष्टिकोण से
जीवन बगिया महकायेंगे।

गम और चिंता तो आते ही हैं
कभी न कभी हर जीवन में
धीरज रख के जो जी ले
सार्थक वही है जग उपवन में।

आओ मिलकर करें स्वागत
नव वर्ष का हर्षोल्लास से
विचलित न होंगे कदापि हम
दिल खुश हो गया इसी आभास से।।

*वंदना सोलंकी*©स्वरचित
दिनांक-30/12/2019
विषय-बीता साल

***********************
कुछ खट्टी मीठी यादें लिए,
यह बीता साल निराला,
कहीं रहा गम का अंधेरा,
कहीं खुशियों का उजाला!

कई नामवर अलविदा हुए,
वतन से अपने जुदा हुए !
कहीं खुला शिक्षा का मंदिर,
तो कहीं पर लगा है ताला!
कुछ खट्टी मीठी यादें लिए,
यह बीता साल निराला !

कहीं पर बेटियां सताई गई,
कहीं हैदराबाद जैसी जलाई गई!
मौसम की ताबड़तोड़ झड़ियाँ,
तो प्याज ने रुला आंखों को धो डाला!
कुछ खट्टी मीठी यादें लिए,
यह साल बीता निराला!
कश्मीर में 370 धारा हटी,
कहीं छोटी- बड़ी घटना घटी!
नागरिकता बिल पर कुछ राजी ,
तो कुछ ने गांव शहर फूंक डाला!
कुछ खट्टी मीठी यादें लिए,
यह बिता साल निराला!
***********************

रचना-राजेन्द्र मेश्राम "नील"
शीर्षक .. बीता साल
**********************


साल पुराना बीत रहा है, बस कुछ पल के बाद।
आने वाले साल का करो, दिल से इस्तकबाल।
खट्टी- मीठी यादों का था 2019 का यह साल।
मधुकर रस झलकायेगी अब आने वाला साल।
**
विश्व पटल के जन मानस पर उत्तीर्ण बीता साल।
ईश्वर की महिमा से सुन्दर बीते 2020 का साल।
खेतों मे हरियाली फैले , देश का हो विकास।
सीमा रहे सुरक्षित अपनी, भारत का हो नाम।
**
हिन्दू मुस्लिम साथ रहे, न हो कोई तकरार।
दुष्टों और निशाचर का हो, भारत मे संहार।
मानव मानव एक रहे न, हो कोई भेद भाव।
औरत बच्चे रहे सुरक्षित, निश्छल हो मनभाव।
**
प्राणी मात्र की भूख मिटे, अन्याय का हो प्रतिकार।
भारत अपने पुनः पुरातन, गौरव को करे स्वीकार।
आंग्ल विदेशी वर्ष में भी हो सर्व धर्म संम्भाव।
शेर की कविता पढो साथ में, बोलो जय श्री राम।
**

स्वरचित ... शेर सिंह सर्राफ

दि-सोमवार/30.12.19
शीर्षक --बीता साल

विधा --दोहे

1.
बीता साल घटा गया, मेल जोल व्यवहार।
जाते जाते दे गया ,तोड़ फोड़ किरदार ।।
2.
सतर तीन सौ हट गई, खुश खुश है कश्मीर।
अंत झील डल जम गई, बढ़ी शीत से पीर ।।
3.
लॉक तीन तलाक हुआ, खुशहाली का गान ।
भय का चाबुक टूटकर, बढा बहन सम्मान ।।
4.
बीत गया जु बीत गया, नए से नई आस।
नया वर्ष स्वागत करें, राष्ट्र प्रगति विश्वास ।।

******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'

विषय -बीता साल
दिनांक 30-12-2019
बीता साल,कुछ यादें छोड़ गया।
खट्टे मीठे अनुभव,कुछ यूं दे गया।

कुछ रह गई,मेरी जो बातें अधूरी।
उन्हें पाने का, एक लक्ष्य दे गया।

जिंदगी, एक वर्ष कम करके भी।
कुछ गैरों को,वो करीब कर गया।

अधूरे ख्वाबों को, पूरा कर गया।
मीठी याद दे,अलविदा कह गया।

जाते जाते,एक सबक वो दे गया।
कल काम आज करो,कह गया।

अनुभवों से, आज संवार लिया।
हर वर्ष अच्छा गुजरे, कह गया।

वीणा वैष्णव
कांकरोली

तिथि- 30/12/2019/सोमवार
विषय-*बीता साल *

विधा॒॒॒- काव्य

बीत रहा है भले २०२० पर,
अभी कब आया है नया साल।
चैत्र प्रतिपदा आऐगी तब,
हम सब मनाऐंगे नया साल।

शुभ परंम्पराऐं भारत की,
हम इन सबका सम्मान करें।
अपनी रीति को न छोडें हम,
नहीं कभी अब अपमान करें।

शुद्ध जलाऐं तब अगरबत्तियां,
सबजन विविध पटाखे फोडें।
अनार जलाऐं मिलजुल हम,
और धर्मावलंबी जोडें।

चैत प्रतिपदा पूजन करते,
सभी हिंदू सनातनी भाई।
जुडे पश्चिमी सभ्यता से हम,
मानो इनके बने जमाई।

नहीं मनाऐं अपने मनसे,
यहां ऐसा कोई त्योहार।
निभाऐं भारतीयता अपनी,
दिखाऐं सच्चे सदव्यवहार।

स्वरचितःः
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना मध्य प्रदेश

भावों के मोती दिनांक 30/12/19
बीता साल


रफ्ता रफ्ता
गुजर रहा है
बीता साल
यादें हैं
कुछ खट्टी
कुछ मिट्ठी
कुछ खोने की
कुछ पाने की

कुछ देश की
कुछ परदेश की
कुछ समाज की
कुछ परिवार की

है अगर खट्टा
कड़वा, दुःखद
तो भूल जाये उसे
रखें याद
प्यार, मोहब्बत
इन्सानियत
भाईचारा
अपनापन

बस है
यहीं दौलत
इन्सान की
करें कुछ
और अच्छा
आने वाले
साल में
जो बीता
उसे भूले
बीते साल में

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल केम्प पुणे
विषय, बीता साल
30,12,2019.


कभी खुशी तो कभी गम कहानी दोहराई गई ,

धीरे - धीरे चाल अपनी जिंदगी चलती रही।

कुछ ऐतिहासिक फैसलों की दास्तां लिखी गई ,

विरोध की आवाज भी दिल को दहलाती रही।

हो जायेगा तय हमारी एकता से हारना शत्रु का,

आजमाई हुई ये बात है हमेशा एकता भारी रही ।

मुश्किलों के दौर से हँस कर निकलते आये हम ,

हम भारतीयों की नीव तो हर समय पक्की रही।

स्वरचित , मधु शुक्ला .
सतना, मध्यप्रदेश .

30.12.2019
सोमवार

प्रदत्त विषय - बीता साल
विधा - पद्य

बीता साल

बीत गया लो #बीता साल
कर गया सबको मालामाल।

संशोधन हुए ,संविधान में
नए नियम ,आए विधान में
मुक्ति मिली ,गया तीन सौ सत्तर
दे गया ख़ुशियाँ,किया निहाल।।

‘अभिनंदन’ करते हम वंदन
हर शहीद पर ,करते क्रंदन
सरहद को सशक्त कर डाला
सर्जिकल स्ट्राइक से बेहाल

ख़ुशी दे गया,हँसी दे गया
नई-नई ,ज़िन्दगी दे गया
पीड़ा-वेदना,पतझड़-सावन
हर रंग दे कर,किया ख़ुशहाल ।।

भारत को ,सबने पहचाना
देश-विदेश ने ,लोहा माना
नभ-थल-जल के ,विविध क्ष्त्र में
नए मिले हल, नए सवाल।।

स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘उदार 

दिनांकः-30-12-2019
शीर्षकः-बीता साल 2019

नाम तुम्हारा यों रहा है सन दो हज़ार उन्नीस।
रहे न तुम किन्तु किसी वर्ष से कभी उन्नीस।।

क्रिकेट के खेल के लिये, रहे तुम पूरे ही बीस।
कारोबार घटाने तथा मंहगाई बढ़ाने में इक्कीस।।

राजनीती में दिखाई तुमने, अपनी अजीब धमक।
चढ़ाया जिसे आकाश में, दिया उसको ही पटक।।

365 दिन हमारे जीवन में रहे बहुत महत्वपूर्ण।
बिना तुमको याद करे रह जायगा जीवन अपूर्ण।।

बीते हुये वर्षो की भांति ले रहो हो तुम भी विदा।
मिलोगे नहीं फिर कभी तुम, अलविदा अलविदा।।

हो रहे हो तुम भी अब हमसे सदा के लिये जुदा।
बीती हुई घटनायें तुम्हारी आती रहेंगी याद सदा।।

कटु स्मृतियां भी तुम्हारी सकेंगे नहीं कभी मुला
जारहे हो तुम. जाने वाले से कैसा गिला अलविदा।।

मधर स्मृतियां भी दिलायेंगी याद तुम्हारी ही सदा।
जाने वाले दो हज़ार उन्नीस हमारी लो अलविदा।।

रहे हो 365 दिवस हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण।
बिना तुम्हारे याद करे रह जायगा जीवन ही अपूर्ण।।

डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित

दिनांक - 30/12/019
शीर्षक - बीता साल

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३१ दिसम्बर की रात,
खुशीयों की लाई है सौगात।
अलविदा कहने को
ऐ बीतते हुए साल,
है स्वागत तेरा
ऐ नया साल।

पर इस चकाचौंध में
है मेरा दिल उदास,
कवित्री हूँ, शायद इसलिए
हो रहा फिर उस दर्द का एहसास।

बस बदले जाएँगे कलेण्डर
और नही बदलेगा कुछ यहाँ,
होगी फिर वही दरिंदगी,
वही भुखमरी, वही महँगाई यहाँ।

आखिर कितने कलेण्डर बदलोगे?
कभी खुद को भी बदलो,
जो बीत गये दर्द के पल
उसे न फिर खोलो।

नये साल में आओ
कुछ नये वादे करें,
अन्याय के खिलाफ खड़े हो
न्याय के लिए लड़ें।
रह न पाएँ
कोई भूखा
बस एक मुट्ठी अन्न
दान करें,
फटेहाल जीवन में
कुछ अपनत्व का रंग भरें।

अपने ही घर में
बन रहे पड़ोसी
उस दीवार को ध्वस्त करें,
बुजुर्गों का सम्मान
और बच्चों से प्यार करें।

स्वरचित: - मुन्नी कामत।

30/12/2019प्रेम भाव को थाम कर,भूलो बीता साल।
दो दिन की ये जिंदगी,मिलकर पूछो हाल।।

बहुत हो गई दुश्मनी,त्यागो मिलकर बैर।
लम्हे बीते याद कर, प्रेम गली की सैर।।

गांठ बाँध कर आज हम,छोड़े मन की खार।
बीते पल को भूल कर,सोचे नवल विचार।।

क्रमश:...
वीणा शर्मा वशिष्ठ
Damyanti Damyanti

बीता साल दे गया अगिनीत
कई खटृी मीठी यादे हमे |

समय चक्र सजोता इतिहास मे |
फिर भी यादे समय समय पर आती
मन मस्तिष्क से हृदय पटलपर |
कुछ पूरी कुछ अधूरी के साथ बीता |
सपनो की तरह ही तो बीत गया |
बस इसी आस अलविदा हम कहते
प्रेम सौहार्द के दीप जलाते जाना |
सब रहे सदाचार व सदगुणौ से पूर्ण |
न आये आपदाऐ शुद्ध हो भावनाऐ |
स्वरचित_ दमयंती मिश्रा

विषय- बीता साल
30/12/19

सोमवार

नयी चेतना शक्ति ,नवल रस, नव लय ,नूतन भाव भरें ,
नये वर्ष की शुभ - बेला में अंतर्मन के कलुष हरें ।

बीत गया जो साल , उसी से चिंतन-मनन हमें करना ,
जीवन के विकास हित सत्यं- शिवं- सुंदरम् गान करें ।

जर्जर व खोखली प्रथाएं, जो समाज को तोड़ रहीं ,
उनका उन्मूलन कर फिर से नव समाज की नींव रखें।

विषम वेदना से आहत जो जीवन की गति भूल रहे ,
उनमें नयी कल्पनाओं की मधुर -मृदुल मुस्कान भरें।

वृद्ध और मासूमों की पीड़ा मन को आहत करती ,
उनके संरक्षण पर भी हम मिलकर गहन विचार करें ।

राष्ट्र-देवता के साधक बन नित्य देश-हित कर्म करें ,
मातृभूमि की सेवा में हम प्राणों का बलिदान करें ।

नये वर्ष में नव उमंग जन-जन में उद्भित हो जाए ,
उसके लिए स्वयं आगे बढ़ हम प्रेरक आदर्श बनें ।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर

विषय-बीता साल
विधा-कविता

दिनांकः 30/12/2019
सोमवार

कई सौगातें और पुरस्कार
दे गया पुराना साल
कुछ खट्टी कुछ मीठी
बस जाती जेहन में
करना कोई नहीं मलाल
पिछले अनुभव से होती है
आगे की मंजिल तय
भूल जाओ तुम बीता साल
अब ध्यान रहे आने वाला
जो बीत गया सो चला गया
अब वो क्या देने वाला
नये साल की नयी किरण
नयी उमंगें लेकर आयी
अब नये साल में
नये नये सपने होंगे
नयी उमंगें नयी मंजिलें
पाओ नये हौसलों से
पाओ अपने लक्ष्य सभी
जैसे अर्जुन ने साधा
कोई कसर अब रहे नहीं
यही बीते साल का फल सफा

स्वरचित एवं स्वप्रमाणित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर 'निर्भय

30/12/19

आया नया वर्ष हर वर्ष की तरह इसबार।
दे रहा दस्तक औऱ खड़ा मुस्करा रहा द्वार।

प्रेम भर नमस्कार कर लो सभी स्वीकार।
नव वर्ष की शुभकामनाएं सहित परिवार।

आपस मे प्रेम का बांटे हम एक दूजे को उपहार।
भेद भाव मिटा कर मिलजुल कर रहे हम यार।

कुछ नया कर करे दूषित समाज का सुधार।
दायित्यों को निभाने का संकल्प ले हम आज।

प्रेम शब्दो को पिरो कर बनाये प्रेम हार।
उपवन की तरह महके ये खुशनुमा संसार।

जो बीत गया वो अब न आएगा द्वार।
भूल जाये उसको जो था एक सपना सार।

स्वरचित
मीना तिवारी

दिनांक 30/12/2019
विधा:कविता

विषय:बीता साल
👋👋👋👋👋👋👋👋👋
आज तीस दिसम्बर जाने को है
और फिर इक्कत्तीस आने को है।
इन जाने आने के सिलसिले मे
बीतते जाते है महीने व साल सब।
दो हजार उन्नीस अब जाने को है
और फिर यह बीता साल हो जायगा।
आज तीस दिसम्बर जाने ...
इस बदलाव मे कुछ यादे बीते साल की होगी
कुछ हसायगी तो कुछ रूला जायगी।
कई सीख दे जायगा, कुछ अधूरा रह जायेगा
कुछ सपने पूरे हुए, कुछ संकल्प अधूरे।
पर जो हर साल एक सा होगा
वह होगा मेरा मुझ पर विश्वास
मेरा मेरे बच्चों से प्यार, पति पर विश्वास
माँ का खयाल, और अपनो का मुझे पर विश्वास ।
आज तीस दिसम्बर जाने ..
इक्कत्तीस दिसम्बर की रात मे
रजाई का साथ होगा
परिवार संग पकवान बना
टीवी चैनलो का साथ होगा
जैसे ही चमकेंगे घडी मे बारह
हो जायगा दो हजार उन्नीस बीता साल।
पर फिर एक कविता कोई नई विधा पूजी
चलता रहेगा अनवरत् सिलसिला ।
नया साल आने हो है....
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव
30/12/2019::सोमवार
विषय-- बीता साल

विधा-- निश्चल छन्द (16/7)

एक नई पहचान दे गया, बीता साल
और कई उपमान दे गया, बीता साल

कभी खड़ा ये बना हठीला, बीता साल
था कुछ अद्भुत और सजीला, बीता साल

मीठी मीठी यादें बोता, बीता साल
कुछ अनुपम पल साथ सँजोता, बीता साल

कुछ पराए साथ ले आया, बीता साल
कुछ अपनों को दूर ले गया, बीता साल

नए नए अरमान सजाए ,बीता साल
धीरे धीरे सरका जाए, बीता साल
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली

शीर्षक बीता साल
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क्या-क्या नहीं सिखा गया यह बीता साल

कुछ मीठी सी बातें थी
कुछ गहरी सी घातें थी
मन से मन को एक किया
कुछ बातों को रोक लिया
क्या-क्या सिखा गया यह बीता साल।

खुशियों के गाने ,ग़म तराने ,
प्रेम कहानी नफरत के गाने ,
कुछ बोये थे , कुछ काटे थे ,
फूलों संग रहे सदा कांटे थे ,
क्या क्या सिखा गया यह बीता साल ।

शर्ते तो थी प्यारी प्यारी,
कुछ अनुबंध हुए कटारी,
यूँ जीवन को बिता लिया ,
मीठा खट्टा सा चखा दिया ,
क्या क्या सिखा गया यह बीता साल ।

गुनगुनी धूप की चाहत थी ,
कहीं प्यार की आहट थी ,
पतझड़ का राग जगा गया
कभी गीत सावनी सुना गया,
क्या क्या सिखा गया यह बीता साल।

मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित

दिनांक ३०/१२/२०१९
शीर्षक_बीता साल।


कुछ ख्वाब पूरे हुए,
कुछ रह गये अधुरे
बीते साल न रीते गये
दे गये कुछ सौगात सुनहरे।

कुछ जगबीती, कुछ आपबीती
दे गये नई अनुभूति
क्षण क्षण बदलते हो मंजर जहाँ
क्या कुछ नहीं बदला साल भर यहाँ

कुछ मीठी, कुछ खट्टी
बीते साल क्या खूब बीती
कभी आहृलाद,कभी अंहकार
कई संवेदना ने ली आकार।

बीते साल तुझे बहुत आभार
सौगात दिये तुने अनेक प्रकार
आनेवाला साल हो सुखद
तुम दे जाओ कुछ ऐसा सौगात।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव।

दिंनाक ... 30/12/2019
*********************

🍁
गुजर रहा है फिर इक साल,
तुम्हारी यादों मे।
नही एहसास है मेरा अब भी,
तुम्हारी साँसो मे॥
🍁
गुजरता है अभी भी वक्त,
थोडा थम- थम कर।
नजर आती हो तुम मुझको,
हमेशा रह-रह कर॥
🍁
गुजरते वक्त मे यादों का ,
आना जायज है।
वो लम्हे शेर के साँसो मे,
आना शायद है॥
🍁
मिले मौका तो मुझको,
याद तुम भी कर लेना।
सुनहरी यादों को आँखो में,
भर के जी लेना ॥
🍁

स्वरचित ... शेर सिंह सर्राफ

30/12/19
बीता साल....

बस बीत गया एक और साल....
पंख लगा कर जाने कैसे... बस पल भर में.... कई उम्मीदों के साथ तुम भी आये थे.... पास..संजोये थे कुछ...सुनहरे से ख्वाव.... कुछ हुए पूरे कुछ रहे अधूरे.... फिर से जिंदगी ने दिये कितने ही सबक जिनके चिन्ह अंकित हैं मेरे मन पर.. फरेब से वो बाज नहीं आये... मेरे साथ वही किस्से दोहराये....
जाने कितनी बार मन को..... समझाया.. लेकिन हर बार उन्होंने मुझे आजमाया... चलो चालाकिया नहीं आती मुझे... पता है न ..लेकिन...मन पर लगे घाव कभी कभी रिसने लगते हैं..... सूखे घाव भी रिसने लगते हैं...... हजारों लम्हों में मैंने जिंदगी को भी जिया मन भर कर खुशियों को..... अपनी
झोली में भरा..... कई बार मुस्कुराई..... कितनी बार खुल कर जी आई..... हाँ तुम कितने ही खुशनुमा लम्हे मेरी झोली में भर गये.... अरे बीते बर्ष तुम मेरे लिये बहुत कुछ कर गये
पूजा नबीरा काटोल

👊नव वर्ष हाइकु पंच👊
बीता जो साल।
यादें है बेमिसाल।।
क्या दूं मिसाल।

वक़्त की चाल।
तारीखें मिलकर।।
बदलें साल।

रखना ख्याल।
इस साल जिनका।।
जीना मुहाल।

नूतन वर्ष।
सबके जीवन में।।
फैलेगा हर्ष।

नये बरस।
खुशियां फ़ैले "ऐश"।।
हर तऱफ।

©ऐश...
🍁अश्वनी कुमार चावला,अनूपगढ़ ,श्री गंगानगर


बीता साल
बीता साल कुछ खुशियाँ तो कुछ वहम दे गया।
मन-मानस में तरह तरह के भ्रम वहम दे गया।
किसे याद करें किसे भूल जाए आत्ममंथन का यह विषय दे गया।
कभी मोदी-योगी का वह प्रचंड बहुमत याद आता है।
तो कभी धारा तीन सौ सत्तर और पैतीस ए की याद दिलाता है।
सारे शिकवे और सारे गम दे गया, बीता साल ये भरम दे गया।
कभी तीन तलाक पर बहस तो कभी पुलवामा काण्ड दे गया।
बीता साल कुछ खुशियाँ तो कुछ वहम दे गया।
अटल जेटली तो सुषमा स्वराज को हमसे ले गया।
मन-मानस में तरह तरह के भ्रम वहम दे गया।
राम मंदिर मुद्दे पर हमें यह अच्छी नसीहत दे गया।
कैब एन आर सी पर देश जलाने का सबब दे गया।
जाते जाते सत्तानसीनों सरयू की धारा में रघुवर को डूबकी दे गया।
बीता साल कुछ खुशियाँ तो कुछ वहम दे गया।
स्वरचित
डॉ कन्हैया लाल गुप्त शिक्षक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय ताली, सिवान, बिहार 841239

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