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ब्लॉग संख्या :-599
दिनांक-18/12/2019
शीर्षक-सलाह/सुझाव
विधा-मुक्तक
====================
🌹सलाह🌹
ये है चालोचलन उनका निवाह देते हैं हिचकिचाते हैं।
मैं उनको क्या कहूँ यारो! सलाह देते हैं हिचकिचाते हैं।।
पड़ गया साबिका ऐसा कि तंगी छा गई दिल पर ,
लगी है प्यार पर बाज़ी गवाह देते हैं हिचकिचाते हैं ।।
🌹सुझाव🌹
सिम्त उल्फ़त झुकाव देता हूँ ।
ये तुमको मैं सुझाव देता हूँ ।।
अलग दुनिया से वास्ता करके,
सिर्फ़ हम तुम चुनाव देता हूँ ।।
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'अ़क्स ' दौनेरिया
शीर्षक-सलाह/सुझाव
विधा-मुक्तक
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🌹सलाह🌹
ये है चालोचलन उनका निवाह देते हैं हिचकिचाते हैं।
मैं उनको क्या कहूँ यारो! सलाह देते हैं हिचकिचाते हैं।।
पड़ गया साबिका ऐसा कि तंगी छा गई दिल पर ,
लगी है प्यार पर बाज़ी गवाह देते हैं हिचकिचाते हैं ।।
🌹सुझाव🌹
सिम्त उल्फ़त झुकाव देता हूँ ।
ये तुमको मैं सुझाव देता हूँ ।।
अलग दुनिया से वास्ता करके,
सिर्फ़ हम तुम चुनाव देता हूँ ।।
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'अ़क्स ' दौनेरिया
सुझाव नहीं देना है
जीवन के किसी पथ पर
जब जरूरत पडे तो
लेते रहो सुझाव अपने
स्वविवेक से
होजायेगा सफल जीवन
अपने अपने विवेक से
आजकल की दुनियाँ
अपने हिसाब से चलाओ
तो पार हो सकेगी
यह जीवन की नाव
नहीं तो सलाह कभी कभी
जीवन को कष्ट दे सकती है
स्वरचित एस डीशर्मा
जीवन के किसी पथ पर
जब जरूरत पडे तो
लेते रहो सुझाव अपने
स्वविवेक से
होजायेगा सफल जीवन
अपने अपने विवेक से
आजकल की दुनियाँ
अपने हिसाब से चलाओ
तो पार हो सकेगी
यह जीवन की नाव
नहीं तो सलाह कभी कभी
जीवन को कष्ट दे सकती है
स्वरचित एस डीशर्मा
दिनांक 18 दिसंबर 2019
विषय : सलाह / सुझाव
विधा : पद (छंदबद्ध कविता)
योग करो रहो तंदुरुस्त
व्यस्त रहोगे, स्वस्थ रहोगे ,
देता आज मशवरा मुफ्त।
सौ बातों की बात एक है ,
योग करो रहो तंदुरुस्त ।।
जीवन में है खिचम खिंचाई ,
सब लेते हर रोज दवाई।
रोगों से यूँ लड़ते - लड़ते,
सारी जिंदगी व्यर्थ गवायी।।
हम बनें रहे सदा अज्ञानी,
नहीं समय की कीमत जानी।
दशा नशे ने ऐसी कर दी ,
दे दी यौवन की कुर्बानी ।।
अब भी वक्त है सोच समझलो,
बचा बुढ़ापा करलो दुरुस्त।
सौ बातों की बात एक है ,
योग करो रहो तंदुरुस्त।।
कब खाना है , क्या खाना है ,
कितना खाना ,कितनी बार?
किसके संग में,क्या खाना है,
क्या नहीं खाना किस के बाद?
जब तक इसका ज्ञान न होता ,
देख कभी आराम न होता।
बकरी की ज्यों खाने से ,
कभी कोई पहलवान ना होता ।।
कर लो वादा , खाएँ सादा ,
तले , भुने से हो कर मुक्त ।
सौ बातों के बाद एक है ,
योग करो रहो तंदुरुस्त ।।
शुद्ध हवा माहौल शांत बिन ,
कभी न मन को मिलता चैन ।
बुद्धि को विद्या मिले खाना ,
और आँखों को निंद्रा रैन ।।
बरसे दिल सहयोग, सहायता ,
भरता जो तन मन में ताकत।
स्वच्छ सोच उपज हो उर की,
ये ही योग की अलग नजाकत।।
आसन , प्राणायाम ,ध्यान से ,
मार आलस्य करो तन चुस्त ।
सौ बातों की बात एक है ,
योग करो रहो तंदुरुस्त ।।
आँखों पर सम्मान बिठाकर ,
मानवता की सैर कराए।
बौध्दिकता में नैतिकता भर ,
शिक्षा संग संस्कार सजाए।।
कर में थमाँ ज्ञान का दीपक ,
भटकों को यह राह दिखाए।
मन से मारे क्रोध और घृणा ,
सबको प्रेम पाठ सिखाए ।।
करे नफरत नष्ट"नफे" नर की ,
योग विद्या में होकर लुप्त ।
सौ बातों की बात एक है ,
योग करो रहो तंदुरुस्त ।।
नफे सिंह योगी मालड़ा ©
स्वरचित कविता
मौलिक
विषय : सलाह / सुझाव
विधा : पद (छंदबद्ध कविता)
योग करो रहो तंदुरुस्त
व्यस्त रहोगे, स्वस्थ रहोगे ,
देता आज मशवरा मुफ्त।
सौ बातों की बात एक है ,
योग करो रहो तंदुरुस्त ।।
जीवन में है खिचम खिंचाई ,
सब लेते हर रोज दवाई।
रोगों से यूँ लड़ते - लड़ते,
सारी जिंदगी व्यर्थ गवायी।।
हम बनें रहे सदा अज्ञानी,
नहीं समय की कीमत जानी।
दशा नशे ने ऐसी कर दी ,
दे दी यौवन की कुर्बानी ।।
अब भी वक्त है सोच समझलो,
बचा बुढ़ापा करलो दुरुस्त।
सौ बातों की बात एक है ,
योग करो रहो तंदुरुस्त।।
कब खाना है , क्या खाना है ,
कितना खाना ,कितनी बार?
किसके संग में,क्या खाना है,
क्या नहीं खाना किस के बाद?
जब तक इसका ज्ञान न होता ,
देख कभी आराम न होता।
बकरी की ज्यों खाने से ,
कभी कोई पहलवान ना होता ।।
कर लो वादा , खाएँ सादा ,
तले , भुने से हो कर मुक्त ।
सौ बातों के बाद एक है ,
योग करो रहो तंदुरुस्त ।।
शुद्ध हवा माहौल शांत बिन ,
कभी न मन को मिलता चैन ।
बुद्धि को विद्या मिले खाना ,
और आँखों को निंद्रा रैन ।।
बरसे दिल सहयोग, सहायता ,
भरता जो तन मन में ताकत।
स्वच्छ सोच उपज हो उर की,
ये ही योग की अलग नजाकत।।
आसन , प्राणायाम ,ध्यान से ,
मार आलस्य करो तन चुस्त ।
सौ बातों की बात एक है ,
योग करो रहो तंदुरुस्त ।।
आँखों पर सम्मान बिठाकर ,
मानवता की सैर कराए।
बौध्दिकता में नैतिकता भर ,
शिक्षा संग संस्कार सजाए।।
कर में थमाँ ज्ञान का दीपक ,
भटकों को यह राह दिखाए।
मन से मारे क्रोध और घृणा ,
सबको प्रेम पाठ सिखाए ।।
करे नफरत नष्ट"नफे" नर की ,
योग विद्या में होकर लुप्त ।
सौ बातों की बात एक है ,
योग करो रहो तंदुरुस्त ।।
नफे सिंह योगी मालड़ा ©
स्वरचित कविता
मौलिक
विषय सलाह,सुझाव
विधा काव्य
18 दिसम्बर,2019 बुधवार
मात पिता गुरुजन पूजनीय
सदा सुझाव देते अति प्यारे।
वे जीवन नित राह दिखाते
प्रिय सुझाव होते नित न्यारे।
सलाहकार बहुत मिलते हैं
एक मांगते सौ हमें देते।
कोई हमें सदमार्ग दिखाते
बिन कारण संकट को लेते।
सलाह व्यर्थ बर्बाद मत करो
सुनते सब हैं करते कम हैं।
सत्य सुझाव कडुवे ही होते
वे लेते जिनमे कुछ दम है।
जीवन चलता प्रिय सुझाव
जो अपने अपनों को देते।
सदा मज़ाक उड़ाती दुनियां
दूर खड़े रह मज़े ही लेते।
दानव से मानव बनते नर
श्रेष्ठ सलाह उनको मिलती।
पतझड़ मुरझाई सुखी डाली
स्नेह नीर कलियां खिलती।
स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विधा काव्य
18 दिसम्बर,2019 बुधवार
मात पिता गुरुजन पूजनीय
सदा सुझाव देते अति प्यारे।
वे जीवन नित राह दिखाते
प्रिय सुझाव होते नित न्यारे।
सलाहकार बहुत मिलते हैं
एक मांगते सौ हमें देते।
कोई हमें सदमार्ग दिखाते
बिन कारण संकट को लेते।
सलाह व्यर्थ बर्बाद मत करो
सुनते सब हैं करते कम हैं।
सत्य सुझाव कडुवे ही होते
वे लेते जिनमे कुछ दम है।
जीवन चलता प्रिय सुझाव
जो अपने अपनों को देते।
सदा मज़ाक उड़ाती दुनियां
दूर खड़े रह मज़े ही लेते।
दानव से मानव बनते नर
श्रेष्ठ सलाह उनको मिलती।
पतझड़ मुरझाई सुखी डाली
स्नेह नीर कलियां खिलती।
स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
शीर्षक-- सलाह / सुझाव
प्रथम प्रस्तुति
रूह दी सदा सलाह
करती रही आगाह ।।
हम नही माने उसकी
नही की कोइ परवाह ।।
रहे भटके इधर-उधर
होते रहे गुमराह ।।
बदलते रहे रहबर
औ बदलती रही राह ।।
रूह अब भी रखे है
हरेक कर्म पर निगाह ।।
रोया करती है वो
जब करते हम गुनाह ।।
अफसोस 'शिवम' सुनें हम
उसकी सीख उसकी चाह ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 18/12/2019
प्रथम प्रस्तुति
रूह दी सदा सलाह
करती रही आगाह ।।
हम नही माने उसकी
नही की कोइ परवाह ।।
रहे भटके इधर-उधर
होते रहे गुमराह ।।
बदलते रहे रहबर
औ बदलती रही राह ।।
रूह अब भी रखे है
हरेक कर्म पर निगाह ।।
रोया करती है वो
जब करते हम गुनाह ।।
अफसोस 'शिवम' सुनें हम
उसकी सीख उसकी चाह ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 18/12/2019
18/12/2019
सलाह/सुझाव
************
अक़्सर वो कहता
मुझको सुझाव देता ,दुनिया के
लिए दूर जाते हैं
एक दूजे को भूल
जाते हैं,
सुनो.....
कुछ सलाह दूँ?
तुम चुप मुझमें
रहो मैं तुममें रहूंगी
न तुम कुछ करो
मुझसे ख्वाईश
न मैं करूँगी,
यूँ
ही कदम ताल
मिलाकर सदा
तुम चलना मेरे
साथ मैं संग संग
तुम्हारे साथ चलूंगी ।।।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर
सलाह/सुझाव
************
अक़्सर वो कहता
मुझको सुझाव देता ,दुनिया के
लिए दूर जाते हैं
एक दूजे को भूल
जाते हैं,
सुनो.....
कुछ सलाह दूँ?
तुम चुप मुझमें
रहो मैं तुममें रहूंगी
न तुम कुछ करो
मुझसे ख्वाईश
न मैं करूँगी,
यूँ
ही कदम ताल
मिलाकर सदा
तुम चलना मेरे
साथ मैं संग संग
तुम्हारे साथ चलूंगी ।।।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर
18 /12/2019
बिषय,, सलाह ,सुझाव
हम बीमार क्या हुए
पूछने लोग हाल चाल
बिन पैसे के डाक्टरों ने कर दिया कमाल
देने लगे लोग अपनी अपनी सलाह
फलां डाक्टर को और दिखा दो मेरी यही राय
सभी देने लगे अनेकानेक सुझाव
कोई कहता आपने कर लिया तनाव
कोई कहता पचा नहीं पाए ज्यादा खा लिया
कोई कहता। सब्जी में ऊपर से नमक मिला लिया
कोई कहता आप पैदल नहीं चलते
कोई कहता आप आराम नहीं करते
कोई कहता आपकी चुप्पी ही बीमारी है
कोई कहता ज्यादा बोलने की खुमारी है
बिन मांगी सलाह किस किस की मानूं
हे ईश्वर तू ही बचा तुम्हें ही सब कुछ जानूं
स्वरचित,,, सुषमा ब्यौहार
बिषय,, सलाह ,सुझाव
हम बीमार क्या हुए
पूछने लोग हाल चाल
बिन पैसे के डाक्टरों ने कर दिया कमाल
देने लगे लोग अपनी अपनी सलाह
फलां डाक्टर को और दिखा दो मेरी यही राय
सभी देने लगे अनेकानेक सुझाव
कोई कहता आपने कर लिया तनाव
कोई कहता पचा नहीं पाए ज्यादा खा लिया
कोई कहता। सब्जी में ऊपर से नमक मिला लिया
कोई कहता आप पैदल नहीं चलते
कोई कहता आप आराम नहीं करते
कोई कहता आपकी चुप्पी ही बीमारी है
कोई कहता ज्यादा बोलने की खुमारी है
बिन मांगी सलाह किस किस की मानूं
हे ईश्वर तू ही बचा तुम्हें ही सब कुछ जानूं
स्वरचित,,, सुषमा ब्यौहार
18/12/2019
"सलाह/सुझाव"
छंदमुक्त(1)
################
माता-पिता की सलाह पे
बच्चे ध्यान देते नहीं...
स्वास्थ्य धन को समझ कर भी
समझते नहीं ......
आदतें अपनी सुधारते नहीं..
मनमानियों को छोड़ते नहीं..।
गलत खान-पान से स्वास्थ्य अपनी बिगाड़ते.......
चॉकलेट,फास्ट फूड न छोड़ पाते
फल-मूल को साधुओं का आहार
यही तो है कहते.......
आहार-विहार की समझ..
समझ कर भी नहीं समझते.।
अपनों सा ही उन्हें लगता सारा जहांन
अपने-पराये की समझ होती कहाँ....
बड़ों की सलाह को अनसुना करते....
बुरी संगति से जब पल्ला पड़ता....
नानी-दादी का सुझाव याद आता..
अपने अनुभवों की सलाह जो देते रहते
फिर तो यह कहते न थकते...
""""बड़ों का सुझाव अनमोल है""""
-----------------------------------
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
"सलाह/सुझाव"
छंदमुक्त(1)
################
माता-पिता की सलाह पे
बच्चे ध्यान देते नहीं...
स्वास्थ्य धन को समझ कर भी
समझते नहीं ......
आदतें अपनी सुधारते नहीं..
मनमानियों को छोड़ते नहीं..।
गलत खान-पान से स्वास्थ्य अपनी बिगाड़ते.......
चॉकलेट,फास्ट फूड न छोड़ पाते
फल-मूल को साधुओं का आहार
यही तो है कहते.......
आहार-विहार की समझ..
समझ कर भी नहीं समझते.।
अपनों सा ही उन्हें लगता सारा जहांन
अपने-पराये की समझ होती कहाँ....
बड़ों की सलाह को अनसुना करते....
बुरी संगति से जब पल्ला पड़ता....
नानी-दादी का सुझाव याद आता..
अपने अनुभवों की सलाह जो देते रहते
फिर तो यह कहते न थकते...
""""बड़ों का सुझाव अनमोल है""""
-----------------------------------
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
विषय -सलाह
दिनांक १८-१२-२०१९बुजुर्ग से सलाह ले, तू निश्चय मंजिल पाएगा।
अनुभव उनके पास बहु,तू सफल हो जाएगा।।
छोटी सोच त्याग,निर्मल जीवन बन जाएगा।
कल किसने देखा, तू आज को जी पाएगा ।।
सुख घड़ी गुजर गई,दुख भी ठहर न पाएगा ।
सुख दुख तो आने जाने,पर तू निखर जाएगा।।
नेक सलाह लें,काम जो नित करता जाएगा।
कठिन परिश्रम कर, राह आसान बनाएगा ।।
जैसी सोच रखेगा,फल उसी अनुरूप पाएगा।
बोया पेड़ बबूल का,तोआम कहाँ से आएगा।।
अहम दीवार बीच आई,तो रिश्ता टूट जाएगा।
फासला इतना ना बढ़ा,फिर मिल ना पाएगा।।
मन भेद जो रखा,तो देख मनमुटाव बढ़ जाएगा।
समझौते का फिर कोई,द्वार नजर ना आएगा।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
दिनांक १८-१२-२०१९बुजुर्ग से सलाह ले, तू निश्चय मंजिल पाएगा।
अनुभव उनके पास बहु,तू सफल हो जाएगा।।
छोटी सोच त्याग,निर्मल जीवन बन जाएगा।
कल किसने देखा, तू आज को जी पाएगा ।।
सुख घड़ी गुजर गई,दुख भी ठहर न पाएगा ।
सुख दुख तो आने जाने,पर तू निखर जाएगा।।
नेक सलाह लें,काम जो नित करता जाएगा।
कठिन परिश्रम कर, राह आसान बनाएगा ।।
जैसी सोच रखेगा,फल उसी अनुरूप पाएगा।
बोया पेड़ बबूल का,तोआम कहाँ से आएगा।।
अहम दीवार बीच आई,तो रिश्ता टूट जाएगा।
फासला इतना ना बढ़ा,फिर मिल ना पाएगा।।
मन भेद जो रखा,तो देख मनमुटाव बढ़ जाएगा।
समझौते का फिर कोई,द्वार नजर ना आएगा।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
विषय - सलाह /सुझाव
18,12,2019.
बुधवार,
दुनियाँ में कमी भले ही हुई हो प्यार और विश्वास की,
लेकिन कमी नहीं बिलकुल भी बिन माँगी सलाह की ।
दुःखी व्यथित लाचार को दरकार हो जब सहायता की,
उसकी झोली भर जाया करती जो सलाहें मिलतीं मुफ्त की ।
बड़े काम का है वो मशविरा बुजुर्ग हमें जो देते हैं ,
अपने अनुभवों के आधार पर ही वे बच्चों की चिंता करते हैं।
होता परामर्श लेना अच्छा है यदि हमें जरूरत कभी पड़े ,
बेवक्त और बिन माँगे हम सलाह हमेशा देने से बचें ।
आपसी सलाह मशविरा से ही गुत्थियाँ बड़ीं बड़ी सुलझ जातीं हैं,
कई बार लिए गए सुझावों से ही विपरीत दिशाएं बदल जातीं हैं।
मेलजोल और आपसी सामंजस्य ही विकसित समाज को करता है,
तालमेल और सुझाव मशविरा सब उन्नत मानवता को करता है।
स्वरचित, मधु शुक्ला.
सतना, मध्यप्रदेश.
18,12,2019.
बुधवार,
दुनियाँ में कमी भले ही हुई हो प्यार और विश्वास की,
लेकिन कमी नहीं बिलकुल भी बिन माँगी सलाह की ।
दुःखी व्यथित लाचार को दरकार हो जब सहायता की,
उसकी झोली भर जाया करती जो सलाहें मिलतीं मुफ्त की ।
बड़े काम का है वो मशविरा बुजुर्ग हमें जो देते हैं ,
अपने अनुभवों के आधार पर ही वे बच्चों की चिंता करते हैं।
होता परामर्श लेना अच्छा है यदि हमें जरूरत कभी पड़े ,
बेवक्त और बिन माँगे हम सलाह हमेशा देने से बचें ।
आपसी सलाह मशविरा से ही गुत्थियाँ बड़ीं बड़ी सुलझ जातीं हैं,
कई बार लिए गए सुझावों से ही विपरीत दिशाएं बदल जातीं हैं।
मेलजोल और आपसी सामंजस्य ही विकसित समाज को करता है,
तालमेल और सुझाव मशविरा सब उन्नत मानवता को करता है।
स्वरचित, मधु शुक्ला.
सतना, मध्यप्रदेश.
दिनांक:18/12/2019
विषय:सुझाव/सलाह
विधा:स्वतंत्र कविता
अच्छी सलाह कड़वी होती है
किन्तु शहद की मानिन्द मीठी होती है
वक्त पर हमेशा काम आती है
अंजान रिश्तों में भी फरिश्ता होती है
स्वजनों की सलाह जिन्दगी सवाँरती है
मेहंदी की तरह रंग लाती है
वक्त बेवक्त सबको सलाह अच्छी नही होती है
सलाह लेने वाले की भी अहमियत होती है
सलाह की जरूरत कद्रदान को होती है
उचित अनुचित का विचार होती है
गुरु के सुझाव से जिंदगी आसान होती है
माता पिता की छत्रछाया आसमान होती है
मनीष कुमार श्रीवास्तव
स्वरचित
रायबरेली
विषय:सुझाव/सलाह
विधा:स्वतंत्र कविता
अच्छी सलाह कड़वी होती है
किन्तु शहद की मानिन्द मीठी होती है
वक्त पर हमेशा काम आती है
अंजान रिश्तों में भी फरिश्ता होती है
स्वजनों की सलाह जिन्दगी सवाँरती है
मेहंदी की तरह रंग लाती है
वक्त बेवक्त सबको सलाह अच्छी नही होती है
सलाह लेने वाले की भी अहमियत होती है
सलाह की जरूरत कद्रदान को होती है
उचित अनुचित का विचार होती है
गुरु के सुझाव से जिंदगी आसान होती है
माता पिता की छत्रछाया आसमान होती है
मनीष कुमार श्रीवास्तव
स्वरचित
रायबरेली
18/12/19
वो आये मेरे द्वार
ढेरो लिए सुझाव
बिना कुछ सुने
दे रहे है सलाह
जब हमने किये सवाल
वो हो गए नाराज
फिर दे रहे है
हिदायतों के राज
हम पर है क्या गुजरी
कैसी थी हादसों की रात
वो ले चले आये
सुझावों की बारात
दिल मेरा सुलग रहा है
नही रही कोई आस
वो दे रहे मुझको
मुस्कराने की सलाह
मिट गया है मेरा
खुद का आशियाना
वो कह रहे मुझसे
घर दूसरा बसाना
आते शोक जताने
दे जाते सलाह मुँहमाँगे
नही सूख पाई आंखे
नही मिट पाई आहे
आकर वो दिखा ते
ढेरो सब्जबाग राहे
स्वरचित
मीना तिवारी
वो आये मेरे द्वार
ढेरो लिए सुझाव
बिना कुछ सुने
दे रहे है सलाह
जब हमने किये सवाल
वो हो गए नाराज
फिर दे रहे है
हिदायतों के राज
हम पर है क्या गुजरी
कैसी थी हादसों की रात
वो ले चले आये
सुझावों की बारात
दिल मेरा सुलग रहा है
नही रही कोई आस
वो दे रहे मुझको
मुस्कराने की सलाह
मिट गया है मेरा
खुद का आशियाना
वो कह रहे मुझसे
घर दूसरा बसाना
आते शोक जताने
दे जाते सलाह मुँहमाँगे
नही सूख पाई आंखे
नही मिट पाई आहे
आकर वो दिखा ते
ढेरो सब्जबाग राहे
स्वरचित
मीना तिवारी
विषय-सलाह (सुझाव)
विधा -छंद मुक्त
दिनांकः 18/12/2019
बुधवार
बुद्धि मान और ज्ञान वान की ,
सलाह सदा अच्छी होती ।
यह मूर्ख,अनुभव हीन की ,
नुकसान देह साबित होती ।।
सलाह सदा सोच समझकर लें,
तुम्हें यह पहुँचा दे कभी अर्श पर ,
यदि आकलन आपका सही न हो ,
यही सलाह ला पटके फ़र्श पर ।।
ज्ञानी,गुणी अनुभवी सलाह,
सदा लाभ दायक होती ।
हो दुष्ट कुचाली सलाहकार,
यही घातक जीवन को होती ।।
यदि आप अनुभव हीन हों ,
सलाह अवश्य लेना चाहिए ।
सलाह दाता सज्जन ,गुणी हो,
उसमें अनुभव ज्ञान चाहिए ।।
स्वरचित एवं स्वप्रमाणित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर' निर्भय,
विधा -छंद मुक्त
दिनांकः 18/12/2019
बुधवार
बुद्धि मान और ज्ञान वान की ,
सलाह सदा अच्छी होती ।
यह मूर्ख,अनुभव हीन की ,
नुकसान देह साबित होती ।।
सलाह सदा सोच समझकर लें,
तुम्हें यह पहुँचा दे कभी अर्श पर ,
यदि आकलन आपका सही न हो ,
यही सलाह ला पटके फ़र्श पर ।।
ज्ञानी,गुणी अनुभवी सलाह,
सदा लाभ दायक होती ।
हो दुष्ट कुचाली सलाहकार,
यही घातक जीवन को होती ।।
यदि आप अनुभव हीन हों ,
सलाह अवश्य लेना चाहिए ।
सलाह दाता सज्जन ,गुणी हो,
उसमें अनुभव ज्ञान चाहिए ।।
स्वरचित एवं स्वप्रमाणित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर' निर्भय,
तिथि-18/12/2019/ बुधवार
विषय -*सलाह/ सुझाव*
विधा॒॒॒ -काव्य
मै नित फोकट में सलाह बांटता।
सब साथियों को बुलाकर फांकता।
सच सुझाव देना बुरी बात नहीं
लेकिन मैं सगा बनाकर हांकता।
आजकल मै फुरसत में रहता हूं।
यूंही सबको अपना समझता हूँ।
मांगे या नहीं मांगे मगर यार
मुफ्त की चीज बांटकर अकडता हूँ।
जबतक राय न दूं कुछ नहीं पचता।
जो सलाह न लें उन्हें नहीं जमता।
क्यों गधे घोडे खल समान दिखते
देखो सिब्बल बिन काम नहीं चलता।
हम लूटें खाऐं मूर्ख बनाऐं ।
रोज रूखी रोटियां
चुपडबाऐं।
बरसों हम इंन्हें टांग कर रखेंगे
तभी लोग शुभ सुझाव लेन आऐं।
विषय -*सलाह/ सुझाव*
विधा॒॒॒ -काव्य
मै नित फोकट में सलाह बांटता।
सब साथियों को बुलाकर फांकता।
सच सुझाव देना बुरी बात नहीं
लेकिन मैं सगा बनाकर हांकता।
आजकल मै फुरसत में रहता हूं।
यूंही सबको अपना समझता हूँ।
मांगे या नहीं मांगे मगर यार
मुफ्त की चीज बांटकर अकडता हूँ।
जबतक राय न दूं कुछ नहीं पचता।
जो सलाह न लें उन्हें नहीं जमता।
क्यों गधे घोडे खल समान दिखते
देखो सिब्बल बिन काम नहीं चलता।
हम लूटें खाऐं मूर्ख बनाऐं ।
रोज रूखी रोटियां
चुपडबाऐं।
बरसों हम इंन्हें टांग कर रखेंगे
तभी लोग शुभ सुझाव लेन आऐं।
दिनांक १८/१२/२०१९
शीर्षक_सलाह/सुझाव
सलाह देने का अभ्यासी मैं
देने चला सलाह,
सुबह से शाम तक
न जाने कितनो को
दे डाली सलाह।
घंमड सर चढ़ बोलने लगा
मैं काबिल इंसान।
मैं गर नही दूं सलाह तो,
न जाने क्या हो सबका हाल।
सदैव रहा घमंड में चूर
लिया नहीं किसी से सलाह
लेकिन जब पड़ी विपत्ति अपने ऊपर,
हुआ हाल बेहाल।
रब ने दिया सबको मौका
दौड़े आए देने सलाह
खोल कर अपने पिटारा
निकाले मन गुब्बार।
दूसरों के मामले में
देते सभी सलाह
जब आये विपत्ति
अपने ऊपर
सुझे न कोई उपाय।
कहे,कवि समुझाये,
ये दुनिया ऐसे ही चलती,
लीजिए एक दूजे का सलाह
करे न मनमर्जी।
सभी दे गलत सलाह
ये जरूरी तो नही
स्वजन व शुभमित्र देंगे
जरूर उचित सलाह
फिर पहचानिए रब की मर्जी,
होंगे सब सफल काम।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
शीर्षक_सलाह/सुझाव
सलाह देने का अभ्यासी मैं
देने चला सलाह,
सुबह से शाम तक
न जाने कितनो को
दे डाली सलाह।
घंमड सर चढ़ बोलने लगा
मैं काबिल इंसान।
मैं गर नही दूं सलाह तो,
न जाने क्या हो सबका हाल।
सदैव रहा घमंड में चूर
लिया नहीं किसी से सलाह
लेकिन जब पड़ी विपत्ति अपने ऊपर,
हुआ हाल बेहाल।
रब ने दिया सबको मौका
दौड़े आए देने सलाह
खोल कर अपने पिटारा
निकाले मन गुब्बार।
दूसरों के मामले में
देते सभी सलाह
जब आये विपत्ति
अपने ऊपर
सुझे न कोई उपाय।
कहे,कवि समुझाये,
ये दुनिया ऐसे ही चलती,
लीजिए एक दूजे का सलाह
करे न मनमर्जी।
सभी दे गलत सलाह
ये जरूरी तो नही
स्वजन व शुभमित्र देंगे
जरूर उचित सलाह
फिर पहचानिए रब की मर्जी,
होंगे सब सफल काम।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
सलाह /सुझाव
18/12/19
सुझाव यही सर्वोत्तम
नेक और गंभीर है ।
कितने दुख हो जीवन में
अपनी व्यथा का जिक्र न करना ।
सारे कांधे एक से नहीं होते
कुछ आपके गम में भी
मुस्कुरा लेते हैं,
जिसके पैर न फटी बिवाई
वो क्या समझे पीर पराई।
राह निकल आएगी
मंजिलें अपनी खुद तलाश लेना।
स्वरचित
अनिता सुधीर
18/12/19
सुझाव यही सर्वोत्तम
नेक और गंभीर है ।
कितने दुख हो जीवन में
अपनी व्यथा का जिक्र न करना ।
सारे कांधे एक से नहीं होते
कुछ आपके गम में भी
मुस्कुरा लेते हैं,
जिसके पैर न फटी बिवाई
वो क्या समझे पीर पराई।
राह निकल आएगी
मंजिलें अपनी खुद तलाश लेना।
स्वरचित
अनिता सुधीर
सलाह /मशविरा
पता ठिकाना आम न करना।
ऐसा कोई काम न करना।
घर की इज्जत घर में रखना।
चौराहे पर नीलाम न करना।
मंजिल गर पानी है तुझको।
रस्ते में आराम न करना।
दिल के बदले दिल देना।
इससे कम दाम न करना।
उनके लब तक ना पहुंचे जो।
पेश कभी वो जाम न करना।
दिल की बातें दिल में रखना।
इनका चर्चा आम न करना।
मिलने का वादा था सुबह।
देखो तुम अब शाम न करना।
अभी है बाकी खूब जिन्दगी।
बातें अभी तमाम न करना।
दौलत और मुहब्बत दोनों।
कभी मंजरे आम न करना।
उलझ न जाएं हम दोनों ही।
इतने सारे झाम न करना।
उठ जाग सफर कर बाकी।
हसरत कोई नाकाम न करना।
इक दिन जान खुदा को देनी।
तू उल्टे सीधे काम न करना।
सेवा मातु - पिता की करना।
चाहे तू चारों धाम न करना।
विपिन सोहल
पता ठिकाना आम न करना।
ऐसा कोई काम न करना।
घर की इज्जत घर में रखना।
चौराहे पर नीलाम न करना।
मंजिल गर पानी है तुझको।
रस्ते में आराम न करना।
दिल के बदले दिल देना।
इससे कम दाम न करना।
उनके लब तक ना पहुंचे जो।
पेश कभी वो जाम न करना।
दिल की बातें दिल में रखना।
इनका चर्चा आम न करना।
मिलने का वादा था सुबह।
देखो तुम अब शाम न करना।
अभी है बाकी खूब जिन्दगी।
बातें अभी तमाम न करना।
दौलत और मुहब्बत दोनों।
कभी मंजरे आम न करना।
उलझ न जाएं हम दोनों ही।
इतने सारे झाम न करना।
उठ जाग सफर कर बाकी।
हसरत कोई नाकाम न करना।
इक दिन जान खुदा को देनी।
तू उल्टे सीधे काम न करना।
सेवा मातु - पिता की करना।
चाहे तू चारों धाम न करना।
विपिन सोहल
18/12/2018
"सलाह/सुझाव"(2)
दोहे
################
गुरु दें अनमोल सलाह,सदा रखो तुम पास।
राह कभी न भटगोगे,जीवन जागे आस।।
सुझाव बड़ों का मानों,आयेंगें वो काम।
कदम चूमती सफलता,जग में होगा नाम।।
सुझाव होते अनमोल,उधेड़ो न तुम खाल।
बड़ों का ये अनुभव है,यूँ पके नहीं बाल।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
"सलाह/सुझाव"(2)
दोहे
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गुरु दें अनमोल सलाह,सदा रखो तुम पास।
राह कभी न भटगोगे,जीवन जागे आस।।
सुझाव बड़ों का मानों,आयेंगें वो काम।
कदम चूमती सफलता,जग में होगा नाम।।
सुझाव होते अनमोल,उधेड़ो न तुम खाल।
बड़ों का ये अनुभव है,यूँ पके नहीं बाल।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
विषय-सलाह/सुझाव
दिनांक-१८/१२/२०१९विधा-दोहा
सलाह उन्ही की लीजिए,जिनके मन नही द्वेष।
उत्तम जिनका ध्येय है, उजले जिनके भेष।।
सलाहगीर मिल जाएंगे,जग में तुम्हें अनेक।
जो दे नेकी की सलाह,ऐसे सौ में एक।।
किस-किस की मानूं सलाह,चला सलाह का दौर।
मां बोले कुछ और कर,पिता कहे कुछ और।।
दोनों के मन साफ हैं,हित की करते बात।
दोनों की अपनी सलाह,सच ज्यों दिन औ रात।।
स्वरचित रचना-चरण सिंह 'प्रजापति'
दिनांक-१८/१२/२०१९विधा-दोहा
सलाह उन्ही की लीजिए,जिनके मन नही द्वेष।
उत्तम जिनका ध्येय है, उजले जिनके भेष।।
सलाहगीर मिल जाएंगे,जग में तुम्हें अनेक।
जो दे नेकी की सलाह,ऐसे सौ में एक।।
किस-किस की मानूं सलाह,चला सलाह का दौर।
मां बोले कुछ और कर,पिता कहे कुछ और।।
दोनों के मन साफ हैं,हित की करते बात।
दोनों की अपनी सलाह,सच ज्यों दिन औ रात।।
स्वरचित रचना-चरण सिंह 'प्रजापति'
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