Wednesday, December 18

"घटना "17दिसम्सबर 2019

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ब्लॉग संख्या :-598
दिनांक : 17.12.2019
विषय : घटना

विधा : पद (छंदमुक्त कविता)

तैयार रहना

जब बिना प्रयास
परिश्रम
त्याग व तकलीफ के
कुछ भी हासिल होता हो
जब जिंदगी
अत्यधिक आराम
मौज ,मस्ती
व नींद के दौर से गुजर रही हो
जब मुफ्त का मिलने पर
खुशी मिलती हो
बिना संघर्ष किये
नाम व सौहरत प्राप्त होता हो
जब सफलता के मार्ग में
ठोकरों से स्वागत नहीं होता हो
तो याद रखना
सब कुछ विपरीत चल रहा है
तैयार रहना
कभी भी
कहीं भी
कोई भी
घटना घटित हो सकती है
जिसे....
हमेशा दुर्भाग्य समझा जाता है

नफे सिंह योगी मालड़ा ©
स्वरचित कविता

17/12/2019
मंगलवार

विषय -घटना

बस यही एक है
जिस पर मानुष
विजय प्राप्त
नहीं कर सका
नहीं बंद कर
सका जरा सा
भी मुट्ठी में
अगर कर लेता
इसे भी काबू
तो घटना
मुक़्क़मल
होती क्या कभी
शायद नहीं
हमेशा चयन
करता वो
सुख का
दोषारोपण का
अहंकार का
जब मान
ली जाती
सारी बातें
तो कुछ
घटित नहीं
होता कभी
न उचित
न अनुचित

स्वरचित
शिल्पी पचौरी

विषय घटना
विधा काव्य

17 दिसम्बर 2019,मंगलवार

असावधानी दुर्घटना घटती
घटना आती जाती रहती।
समय सरिता कब रूकती
यह सदा रहती है बहती।

घटना सीख सिखाती हमको
हर घटना को ध्यान से पकड़ो।
स्नेह सुधामयी है यह जीवन
बनो विनम्र कभी न झगड़ो।

बनता है इतिहास घटना से
शुभ अशुभ बनता संकेतक।
भावी उज्ज्वल इस जीवन में
कभी बनो मत तुम उत्तेजक।

घटना तो घटकर रहती नित
कौन हुआ जो रोक सका है?
मर्यादा पुरूषोत्तम राम को
उनको वन में जाना पड़ा है।

नियति का है खेल निराला
सब घटनाएँ नाच नचाती।
कभी हँसाती कभी रुलाती
धूप छांव बन आती जाती।

क्या घबराना घटनाओं से
घटना तो होकर ही रहती।
सावधान बनो नित जीवन
सद्कर्मों की गति है महति

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

शीर्षक --घटना / हादसा
विधा-- ग़ज़ल

प्रथम प्रयास

हादसे कुछ अँदरूनी बता नही सकते
घाव भी कुछ अँदरूनी दिखा नही सकते ।।

समझ जाओ दिल का ये दर्द दूर से
पास हम अभी फिर हाल आ नही सकते ।।

दर्द लिखे कलम जो कहे न जुबाँ से
और अब दर्द दिल में छुपा नही सकते ।।

हादसों का शहर है दुखी हर बशर है
हैं कितने दुखी यहाँ गिना नही सकते ।।

मिलना बिछुड़ना तुमसे था इक हादसा
चोट गहरी अहसास करा नही सकते ।।

जब मिलो तभी बतायेंगे दिल का दर्द
तमाशा दर्द का 'शिवम' बना नही सकते ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 17/12/2019

विषय, घटना .
मंगलवार .

17, 12, 2019.

होनी और अनहोनी जीवन में आतीं और जातीं रहतीं हैं ,

स्मृति पटल पर वे सबके घटना या दुर्घटना बनकर रहतीं हैं ।

कभी रोमांचक कभी प्रेरणादायी घटनायें घटतीं रहतीं हैं ,

अक्सर ही ये हमको अनुभव उपयोगी देतीं रहतीं हैं।

जो बुद्धिमान हैं वो सीखकरय इनसे रंग जीवन में भरते हैं,

कुछ लोग सदा ही घटनाओं से बचकर ही रहना चाहते है ।

अकस्मात ही कभी-कभी जीवन में पल खुशियों के आते हैं,

स्वागत हम सब हरदम उनका बाहें फैलाकर के करते हैं ।

पथ प्रदर्शक है वक्त हमारा सब इसके अनुरूप ही जीते हैं,

अपनी सूझबूझ से हम संकट की भी घड़ियाँ सह लेते हैं ।

सुख दुःख का मेला जीवन हैं हम इसे घटना या दुर्घटना कहते हैं,

जब भाग्य विधाता है ईश्वर अपना फिर हम इनसे क्यों डरते हैं ।

स्वरचित, मधु शुक्ला.
सतना, मध्यप्रदेश .

'भावों के मोती"
17/12/2019

घटना
*******
जो बाहर दिख रहे
हैं घटते हुए वे हादसे
है अच्छे या बुरे
लेकिन जो तुम्हारे
घट,में घट रहा है
वो एक सुंदर घटना
हो सकती है
तुम्हारे मन के कोने
में ,तुहारा मन बिखर
जाता है मनकों की
माला की तरह,एक -एक
मनका दूर दूर जा गिरता
है कैसे समेटूँ इनको ,तुम
देखते रहते हो उसे
अनवरत,अविचल से
अचानक मन शांत
हो जाता है बहती
नदी सा जैसे पा लिया
हो तुमने कुछ ,जैसे
थाम लिया उसने
तुम्हारा हाथऔर
जुड़ गए एक सेतु
की तरह उससे तुम
सन्तुष्ट हो,अब कोई
बेचैनी नहीं, जिंदगी
का हर फैसला जो
वो करे तुम्हें मंजूर
और अब जीवन चल
रहा है बिना घटनाओं
के ,बिना किसी हलचल ।।।।

स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर

17 / 12/ 2019
बिषय,, घटना

इंसान को हर घटना के लिए तैयार रहना चाहिए
शत्रु से भी समानता व्यवहार रहना चाहिए
कौन सी घटना कब घट जाए हमने भविष्य न जाना है
पल की तो खबर नहीं फिर भी सब कुछ अपना माना है
जीवन के इस उतार चढ़ाव में
गिरना और संभलना है
कदम कदम पर कांटे पत्थर
हमें संभलकर चलना है
टेढ़े मेढ़े मार्ग बहुत पर चलते ही जाना है
हर घटना से सीख सबक ले
मंजिल हमको पाना है
बस चलते ही जाना है
बस चलते ही जाना है
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
दिनांक - 17/12/2019
विषय-घटना


सिंहासन पर बैठे वह घटना.
पढ़ते ही वह करुण गाथा
झुक जाता है लज्जा से माथा
नहीं चाहिए ऐसा सिंहासन
जिसकी इतनी क्रूर नियति हो
जहां सत्ता की इतनी दुर्गति हो
लोकतंत्र की अंतिम गति हो
अयोध्या तो जरूर ही प्रकाश पुंज
की नीर सरोवर सरयू नदी है
कहने वाले आज भी कहते हैं
सोने की लंका से अधिक दिव्य है
बाबर पर जो थे पत्थर फेंके
आधी रात की छ दिसंबर को
इतिहास की वह काली घटना
शायद ना होती इतनी वो बर्बर
भारत पाक पड़ोसी हैं......
हमको साथ-साथ है रहना
प्यार करे या वार करे
रुसी बम हो या और अमेरिकी
हम दोनों को है सहना

स्वरचित
सत्य प्रकाश सिंह
प्रयागराज
Damyanti Damyanti

विषय_ घटना |
दिनांक17/12/2019

घट रही घटना दुर्घटनाऐ हर पल
चंहू ओर कुघ आगे निकलने की चाह
कुछ कर्ज के बोझ तले दम घुटने से
कुछ लूट अस्मिता हवस के मद मे
कुछ बेरोज गारी से लूटते राहगिरो को |
कुछ अपनो से तो कुछ स्वंय की मर्यादा हीनता से |
आतंरिक बाहरी घट रही घटना ऐ
प्रकृति भी पीछे नही हे रही पीछे |
प्रदुषण जल वायु करते हे अजीब से उपद्रव मिटते क ई नगर गाँव |
कहते सभी गुणीजन रहो चलो संभलकर |
कब नियती के चक्र मे फंस हो जाये घटना |
जीवन हे तो सघर्ष भी ये सब आनी जानी छाया हे |
स्वरचित_दमयंती मिश्रा
दिनांक १७/१२/२०१९
शीर्षक"घटना"

संस्मरण

घटना शीर्षक से मुझे एक बहुत पुरानी घटना याद हो आई।बात बहुत पुरानी है तब मैं इंटर की छात्रा थी।हम सब सहेलियां बस की भीड़ से बचने के लिए कभी कभी घर से काँलेज पैदल ही चले जाते थे,उस समय बस और रिक्सा की मात्रा बहुत कम थी,दस पन्द्रह लड़कियों की झुंड के साथ पांच किलोमीटर पैदल चलना सहज बात थी।
एक दिन की वह घटना मुझे आज भी याद है,मई की वह चिलचिलाती धूप और दुपहर के एक बज रहे थे, मैं अपनी सहेलियों के साथ काँलेज से घर के लिए पैदल ही निकल पड़ी थी,रास्ते में मैंने देखा कि, एक रिक्साचालक जैसे ही अपनी रिक्सा लेकर बाहर रोजी रोटी के लिए निकलने को उद्धत हुआ (शायद दुपहर का खाना खाने घर आया था) , वैसे ही उसका दो बर्षिय बेटा बापू बापू कहकर चिल्ला उठा,वह अपनी माँ के गोद में झोपड़ी के अंदर था,तभी मैंने देखा कि वह रिक्साचालक अपनी रिक्सा को वही छोड़कर, अपने बेटा को पुचकारने चला गया,दो मिनट के बाद जैसे ही वह रिक्सा के पास वापस आता,वह बच्चा पुनः बापू बापू की रट लगाने लगता,इस तरह से हर बार वह रिक्साचालक अपनी रिक्सा जो झोपड़ी से थोड़ी दूर पर था, छोड़ कर वापस जाता,ये क्रम करीब आधा घंटा तक चला,गरज यह की वह रिक्साचालक करीब आधा घंटा तक चिलचिलाती धूप में वात्सल्य के कारण खड़ा रहा, क्यों कि वह नही चाहता था की उसका बेटा धूप में झोपड़ी से बाहर आये।

वैसे तो यह कोई खास घटना नहीं है,हर पिता अपनी संतान को बहुत प्यार करता है, परन्तु न जाने क्यों उस बाप बेटे का प्यार मुझे अपूर्व लगा,आज ३०साल बाद भी वह घटना मेरे मन मस्तिष्क में इस तरह से कैद है जैसे वह कल की ही घटना हो।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव।

17/12/2019
"घटना"
*************
जीवन संगिनी हैं घटनाएं
गतिशील जीवन का एहसास है घटनाएं
अच्छे -बुरे,सुख- दुख की
पक्की लकीर हैं घटनाएं।
कहीं मखमली चादर का बिछोना
कहीं कांटों से उपजा दर्द हैं घटनाएं
घटनाएं जीवंतता की निशानी है
यथार्थ झिलमिलाता कामरानी है।
गाय़बाना घटनाएं असीमित हैं
मानो न मानो सर्वथा नही अहित है
दुखद घटना जीवन मजबूती सिखाती है
सुखद घटना नव उजास दिखाती है।
घटनाएं तो मानो जीवन मेला है
बिन इसके बेरंगा ठेला है
चहरे मुस्कान से सरोबार रखा करो
कांटे की भनक दिल मे रखा करो।
हौसलों की उड़ान घटनाओं से है
मुकम्मल जहां भी घटनाओं से है
लिए हौसलों के परवाज रुकना नही
मिल जाएगा ठिकाना भी यहीं-कहीं।

स्वरचित
वीणा शर्मा वशिष्ठ

1712/19

नित प्रति होती घटनाये
आसपास ओर यही कही
हम देख रहे बेबस से
करते प्रश्नों पर प्रश्न सभी
है नही कोई समाधान
विरोध आक्रोश है निराधार
बेटियों के उत्तर नही आसान
इन दानव रूपी मानव का
कोई नही जात पात
सब भूल चुके है संस्कार
करते है जिस्म तार तार
बच्चियों की गूंजती चीत्कार
फिर करते धर्मो की पुकार
ले घूम रहे विरोधावाद
मच रही चारो तरफ उछल कूद
पढ़ रहे सभी है अखबार
आज घटी कल फिर घटेगी
फिर गर्म होगा घटनाओं का बाजार
ऐसे ही फलता फूलता रहेगा
न्यायालय का भी ब्यापार
फिर कोई सिरफिरा
देगा घटनाये बलात्कार
मीडिया फिर से उछ।लेगी
समाचार पर समाचार
दोषारोपण का होगा उछाल
मन फिर आशंकित होगा
बेटियों के प्रति आपार

स्वरचित
मीना तिवारी

दिनाँक:17/12/2019
विषय:घटना

विधा:स्वतंत्र काव्य

घटना घटी
अखबारों में छपा
सुबह ही हड़कंप मचा

बुरी घटना
दिल दहल गया
दुष्कर्म से देश हिल गया

आधी आबादी
महफ़ूज नही घरों में भी
त्रासदी या बुरी घटना

झूठी नैतिकता
दिखावटी सभ्यता
अबूझ हिँसा

कोरे वादे
विफल प्रशासन
अनगिनत दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं

अच्छी घटना
ब्रम्हाण्ड का ज्ञान
विजित विज्ञान

समय का फेर
घटनाओं का चक्र
विकास या विनाश

साहित्य और समाज
सभ्यता का दर्पण
घटनाओं का पुंज

जीव जन्म
नवीन रचना
सृष्टि की सुखद घटना

मृत्यु का हार
दुःखद चीत्कार
प्रकृति का उपहार

मानवता
घटनाओं की घटना
विश्व विकास की अवसंरचना

घटनाओं से घिरा
विश्व का विस्तार
नूतन सत्य विचार

मनीष कुमार श्रीवास्तव
स्वरचित
रायबरेली
शीर्षक -- हादसा घटना
द्वितीय प्रस्तुति


हादसों से हर एक शय अब घबड़ायी है
रात बिल्ली रोने की आवाज आयी है ।।

चार दिन हुए नही रामू काका को गुजरे
ठीक है वो मौत बुढ़ापे की कहायी है ।।

पर जो ऐक्सीडेन्ट हुआ अभी हाल
उसकी गमगीनी अभी तक छायी है ।।

अब तो कोई बीमार भी न मुहल्ले में
जाने अब किसके घर ये शामत आयी है ।।

अनहोनी घटना घटना शहर का नसीब
शहरीकरण भी नई मुसीबत लायी है ।।

भीड़ में लूट की घटनायें 'शिवम' आम
ये मानवता पर कालिख कहलायी है ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 17/12/2019
विषय-घटना
चलते-चलते यूं ही अनायास

अरसे बाद जो मिल गये हम।
अश्रुपूर्ण हो गई अंखियां
अपलक बस तुम्हें देखते रह गए हम।।

माना कि यह बेहद सुखद घटना थी।
हर्ष की मेरे न कोई इंतहा थी।
मगर आया यादों का सैलाब ऐसा
अनचाहे ही जिसमें बह गए हम।।
स्वरचित-निलम अग्रवाल,खड़कपुर
17/12/2019
विषय-घटना


घटना

कितना कुछ
घटित होता है जीवन में
कभी खुशी की बात
कभी भीगे जज़्बात
कुछ न कुछ
अनवरत चलता रहता है मन में

एक घटना की सुन खबर
दिल रोया फूट फूट कर
तभी सुनी कोई
अनचाही घटना
हलचल मची आक्रोशित दिल में

मेरा मन-घट भर आया
तब अंतर्मन से इक सन्देशा आया
प्रयास कर ,,सायास कर
अन्याय का तू सामना कर
पर देख के विभिन्न घटनाएं
तेरा दिल जाए घट ना ।।

*वंदना सोलंकी*स्वरचित©
विषय-घटना
मंगलवार

17/12/19
विधा- हाईकु

दिल सहमा
दर्दनाक घटना
बहती आँखें

मिलते नैन
सपने हैं सजाती
घटना प्यारी

दुख बादल
बिजली सी घटना
जले जीवन

मोड़ घटना
बदलता जीवन
संघर्ष संग
**
स्वरचित रेखा रविदत्त
विषय :-"घटना"
दिनांक :- 17/12/19.

विधा :- "दोहा"

1.
घटना दर घटना घटीं, पर ना घटा गुरूर।
सूखे तरु देखे गए, होते चकनाचूर।
2.
सी.ए.बी.लागू हुआ, ये घटना ना आम।
राजनीति चमका रहे, भूले बिसरे नाम।
3.
घटना कैसी भी घटे, सभी रहो तैयार।
घटनाएं करतीं नहीं, कभी किसी से प्यार।
4.
एक अजब घटना घटी, सूखे अरि के प्राण।
यारो अपना देश क्यूँ, बना रहे मैदान।
5.
क्रूर नीच था लुटेरा, उसको कहें महान।
घटना मेरे देश की, जाने सकल जहान।
**************0****************
स्वरचित व मौलिक,
एल.आर.राघव"तरुण"
बल्लबगढ, फरीदाबाद।

घटना कब कैसे कहाँ होती है,
कुछ कहा नहीं जा सकता है,

घटनाएं सबक भी देती है।
घटनाओं में इतिहास छुपा होता है।
दुखद घटनाएं मानवी चूक से हो जाती है।
सिस्टम की कुव्यवस्था से त्रस्त हो जनता घटनाओं पर उतारू हो जाती है।
याद है सन् सत्तावन की घटना जब अंग्रजों के कुव्यवस्था से त्रस्त हो मंगल पांडे ने बगावत का सिंहनाद कर दिया था।
जब झांसी की रानी मर्दाना बनकर अंग्रेजों से लड़ने के लिए युद्ध के मैदान में डट गयी।
तब भारतीय इतिहास में एक स्वर्णिम पृष्ठ अंकित हो गया।
जो युगों युगों तक मानवतावादी सबक बन गया है।
सहस्त्रों वर्षों की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की दास्ताँ बन गयी है।
घटनाएं केवल दुखद ही नहीं होती बल्कि उनकी कोख से भविष्य का तारा भी टिमटिमाता है।
दुखद घटनाओं की कोख से सुखद भविष्य की नींव रखी जाती है।
आज मानवता जिस पराकाष्ठा पर पहुँची है।
वह घटनाओं का ही तारतम्य है।
स्वरचित कविता प्रकाशनार्थ
डॉ कन्हैया लाल गुप्त 'शिक्षक'
उत्क्रमित उच्च विद्यालय ताली सिवान, बिहार
पता- आर्य चौक- बाज़ार, भाटपाररानी, देवरिया, उत्तर प्रदेश 274702
दिनांक 17/12/2019
विषय:घटना

विधा: दोहा

बैठी आकर चाय पी,सोचा दिन के काम।
सुबह कि घटना याद कर,रोयी दिल को थाम।।
मनन कर शर्मिंदा हुई, मन से थी लाचार ।
मात पिता की याद में, करने लगी विचार ।।
वृद्धावस्था है कठिन, बुद्धि न देती साथ ।
चलना भी मुश्किल हुआ, कापने लगे हाथ ।।
छोटी छोटी चीज पर,निर्भरता हो जाय।
किससे कहे वह दिल की,सभी दूर हो जाय।।
जीवन के इस ढाल पर,बच्चे भी थक जाय।
कई बार अनजान में ,दिल से निकले हाय।।
घटना से सीखे सबक,हर घटना सिखलाय।
हम सब संयत से रहे,भेद यही सिखलाय।।
बड लोगों के पास है,अनुभव का भंडार ।
जब बैठो उनके संग,भर लीजो भंडार ।।

स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव

१७/१२/२०१९ मंगलवार
आज का शीर्षक:घटना

विधा:-कुंडली
हाल देश का देखकर, हो गया मैं गमगीन।
देश मेरे के साथ क्या,घटना घटी नवीन।।
घटना घटी नवीन, कहाँ का बिल ये आया।
शांत पड़े पूरब में क्या ,कोहराम मचाया।
पूरब क्या दिल्ली तक फैली ये चिंगारी।
दहक रहा है देश, मुसीबत में नर-नारी।
'प्रजापति को लेख,दोष व्यक्ति विशेष का।
हाथ में लें कानून, बिगाड़ा हाल देश का ।
मौलिक रचना-
स्वरचित- चरण सिंह 'प्रजापति'
घटना

यों ही नहीँ
हो जाती
घटना कोई
कहीं विवाद
कहीं संवाद
कहीं घोटाले
कहीं चौपाले
कहीं अफवाहें
कहीं नेट
कहीं इन्टरनेट
चल रहा है
दुर्घटनाओं
का दौर
संवेदनशील है
परिवेश आज

करों बात
न्याय की
हितेशी बनों
देश,समाज
परिवार के
बनेंगी जब
सकारात्मक
धारणा
हर एक की
नहीं होंगी
घटना कोई
दुर्घटना कोई

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

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