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ब्लॉग संख्या :-608
नेतृत्व
अब मेरे नेतृत्व मुझसे प्रश्न करते हैं
जो कभी थे कचरे के कनस्तर
वो अब मुझ पर तंज कसते हैं
आंखें हैं नम , खादी मे है उमंग
मेरे अधर हंस के कहते हैं
वो मुझ पर वार तो नहीं करते
बल्कि असह्य व्यंग कसते हैं
वाणी उनके भुजंग डसते हैं
उनकी काया छिन्न भिन्न होती हैं
फिर भी हम लाल रुधिर के संग रहते हैं।
फिर भी वो हमारे अंतर्मन में रहते हैं
स्वरचित
मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज
अब मेरे नेतृत्व मुझसे प्रश्न करते हैं
जो कभी थे कचरे के कनस्तर
वो अब मुझ पर तंज कसते हैं
आंखें हैं नम , खादी मे है उमंग
मेरे अधर हंस के कहते हैं
वो मुझ पर वार तो नहीं करते
बल्कि असह्य व्यंग कसते हैं
वाणी उनके भुजंग डसते हैं
उनकी काया छिन्न भिन्न होती हैं
फिर भी हम लाल रुधिर के संग रहते हैं।
फिर भी वो हमारे अंतर्मन में रहते हैं
स्वरचित
मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज
विषय नेतृत्व
विधा काव्य
27 दिसम्बर 2019,शुक्रवार
जग नियन्ता पालन करता
प्रिय सदा नेतृत्व तुम्हारा।
सर्वशक्तिमान आप हमारे
मिलता रहे जीवन सहारा।
सद नेतृत्व के बल पर जग
सदा विकास राष्ट्र का होता।
नायक बन सदा देश हित
प्रिय बीज प्रगति के बोता।
नैया पार लगाता है मांझी
करे नेतृत्व सदा सर्वोत्तम।
नैया बढे ले पतवार सहारा
मंजिल मिले सदा ही उत्तम।
नेतृत्व कार्य आसान नहीं
वह होता सभी का रक्षक।
भेदभाव कभी न करे वह
राष्ट्रद्रोही का होता भक्षक।
जग विकास नेतृत्व निर्भर
परहित नित जीवन जीता।
वह परमार्थ करता सबका
सदा रहे जीवनभर रीता।
सर्व सुखाय सर्व हिताय
जग में नित मङ्गल होता ।
बुरा स्वार्थ नेतृत्व सदा ही
अंत समय वह खुद रोता ।
चन्द्रगुप्त अशोक नेतृत्व ने
सुखमय दिया शांतिजीवन।
जय जवान जय किसान से
लाल बहादुर सींचा उपवन।
स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विधा काव्य
27 दिसम्बर 2019,शुक्रवार
जग नियन्ता पालन करता
प्रिय सदा नेतृत्व तुम्हारा।
सर्वशक्तिमान आप हमारे
मिलता रहे जीवन सहारा।
सद नेतृत्व के बल पर जग
सदा विकास राष्ट्र का होता।
नायक बन सदा देश हित
प्रिय बीज प्रगति के बोता।
नैया पार लगाता है मांझी
करे नेतृत्व सदा सर्वोत्तम।
नैया बढे ले पतवार सहारा
मंजिल मिले सदा ही उत्तम।
नेतृत्व कार्य आसान नहीं
वह होता सभी का रक्षक।
भेदभाव कभी न करे वह
राष्ट्रद्रोही का होता भक्षक।
जग विकास नेतृत्व निर्भर
परहित नित जीवन जीता।
वह परमार्थ करता सबका
सदा रहे जीवनभर रीता।
सर्व सुखाय सर्व हिताय
जग में नित मङ्गल होता ।
बुरा स्वार्थ नेतृत्व सदा ही
अंत समय वह खुद रोता ।
चन्द्रगुप्त अशोक नेतृत्व ने
सुखमय दिया शांतिजीवन।
जय जवान जय किसान से
लाल बहादुर सींचा उपवन।
स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
आज का विषय "नेतृत्व"
दिनांक २७ /१२/२०१९
दिवस शुक्रवार
विधा स्वैच्छिक "माँ"शारदे का नेतृत्व
"माँ" "शारदे" स्वर्ण शब्द उभारे "हृदय"भाव़ो के मंड़ल पर,
विचलित थी प्राण विहीन सी यह देह,
मध्यम गति से उदयमान होना शब्द प्रकाश बन "माँ" शारदे का ।
आगमन हुआ सुन्दर सुप्रभात,
अज्ञान की रजनी धूमिल होरही ज्यों विदा होरही तारों की बारात,
"माँ"शारदे का नेतृत्व अटल,
निहार रही सरिता एक टक अटल शांत अपने स्थल,
"माँ" के नेतृत्व से धीरे-धीरे खुलरहा मेरे हृदय का पटल ।
भोर ऐसी,निशांत खड़ी वृक्षपात,
सुनहरी हो प्रेणा भरी बात ।
अज्ञान की कालिमा होरही दूर,
धरणी पर रंगित हर कली हर्षित हुव़ी भरपूर ।
नेतृत्व लिए "माँ"की वात्सल्यता विराजमान सर्व के घर,
अब भय नही अज्ञानता चली गई उधर,
नही दिखता निर्जन,हर देह की भावना हुव़ी सुन्दर ।।
गौरीशंकर बशिष्ठ निर्भीक हल्द्वानी नैनीताल
दिनांक २७ /१२/२०१९
दिवस शुक्रवार
विधा स्वैच्छिक "माँ"शारदे का नेतृत्व
"माँ" "शारदे" स्वर्ण शब्द उभारे "हृदय"भाव़ो के मंड़ल पर,
विचलित थी प्राण विहीन सी यह देह,
मध्यम गति से उदयमान होना शब्द प्रकाश बन "माँ" शारदे का ।
आगमन हुआ सुन्दर सुप्रभात,
अज्ञान की रजनी धूमिल होरही ज्यों विदा होरही तारों की बारात,
"माँ"शारदे का नेतृत्व अटल,
निहार रही सरिता एक टक अटल शांत अपने स्थल,
"माँ" के नेतृत्व से धीरे-धीरे खुलरहा मेरे हृदय का पटल ।
भोर ऐसी,निशांत खड़ी वृक्षपात,
सुनहरी हो प्रेणा भरी बात ।
अज्ञान की कालिमा होरही दूर,
धरणी पर रंगित हर कली हर्षित हुव़ी भरपूर ।
नेतृत्व लिए "माँ"की वात्सल्यता विराजमान सर्व के घर,
अब भय नही अज्ञानता चली गई उधर,
नही दिखता निर्जन,हर देह की भावना हुव़ी सुन्दर ।।
गौरीशंकर बशिष्ठ निर्भीक हल्द्वानी नैनीताल
27 /13/2019
बिषय,, नेतृत्व,,
किसी ने बात सच ही कही है
मंजिल मिल जाएगी गर नेतृत्व सही है
मेरे नेतृत्व जब मुझसे हिसाब मागेंगे
क्या कहूंगी जब जबाव मागेंगे
कोरा ही कागज रही जिंदगी मेरी
कुछ उसूलों में ही रही वंदगी मेरी
सीमित रह गया बाल बच्चे घर परिवार
शून्यता की ओर लौटा मिला न कुछ आखिरकार
सोचतीं हूँ ऐसा भी क्या जीना है
जो पल पल घुट घुट के जहर पीना है
जितना भी समय है जीवन जिया जाए
सटीक नेतृत्व में निखार क्यों न आए
स्वरचित,, सुषुमा ब्यौहार
बिषय,, नेतृत्व,,
किसी ने बात सच ही कही है
मंजिल मिल जाएगी गर नेतृत्व सही है
मेरे नेतृत्व जब मुझसे हिसाब मागेंगे
क्या कहूंगी जब जबाव मागेंगे
कोरा ही कागज रही जिंदगी मेरी
कुछ उसूलों में ही रही वंदगी मेरी
सीमित रह गया बाल बच्चे घर परिवार
शून्यता की ओर लौटा मिला न कुछ आखिरकार
सोचतीं हूँ ऐसा भी क्या जीना है
जो पल पल घुट घुट के जहर पीना है
जितना भी समय है जीवन जिया जाए
सटीक नेतृत्व में निखार क्यों न आए
स्वरचित,, सुषुमा ब्यौहार
विषय , नेतृत्व .
शुक्रवार .
2 7,12,2019.
कुशल नेतृत्व ही घर को हमेशा नई दिशायें देता है,
बर्बादी तय हो जाती है जब नेतृत्व ही भटकता है।
देशभक्त व ईमानदार जब नेतृत्व देश का होता है,
चहुँमुखी विकास तब ही तो राष्ट्र कोई कर पाता है।
सर्वशक्तिमान है जो नियंता नेतृत्व हमारा करता है,
सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन वो सम भाव से करता है।
हर युग में संसार में काबिल नेतृत्व वही कहलाया है ,
सद्भावना व समानता का जो दृष्टिकोण अपनाया है ।
घर, समाज, या कार्यस्थल पर सफल वही नेतृत्व हो,
दूरदर्शिता,बुद्धिमत्ता,एकता,बलकौशल सब साथ हो।
निर्भीक निडर नेतृत्व जनमन को जो समझ पाता है,
राष्ट्र समाज या हो फिर घर सुख संतोष वहीं होता है।
स्वरचित, मधु शुक्ला .
सतना, मध्यप्रदेश .
शुक्रवार .
2 7,12,2019.
कुशल नेतृत्व ही घर को हमेशा नई दिशायें देता है,
बर्बादी तय हो जाती है जब नेतृत्व ही भटकता है।
देशभक्त व ईमानदार जब नेतृत्व देश का होता है,
चहुँमुखी विकास तब ही तो राष्ट्र कोई कर पाता है।
सर्वशक्तिमान है जो नियंता नेतृत्व हमारा करता है,
सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन वो सम भाव से करता है।
हर युग में संसार में काबिल नेतृत्व वही कहलाया है ,
सद्भावना व समानता का जो दृष्टिकोण अपनाया है ।
घर, समाज, या कार्यस्थल पर सफल वही नेतृत्व हो,
दूरदर्शिता,बुद्धिमत्ता,एकता,बलकौशल सब साथ हो।
निर्भीक निडर नेतृत्व जनमन को जो समझ पाता है,
राष्ट्र समाज या हो फिर घर सुख संतोष वहीं होता है।
स्वरचित, मधु शुक्ला .
सतना, मध्यप्रदेश .
दिनाँक:-27/12/2019
विषय:-नेतृत्व
विधा:-हाइकु
राजनीति में
बढ़ा नारी 'नेतृत्व'--
संसद हाल
भारत मान--
कुशल 'नेतृत्व' में
इसरो कार्य
मैत्री प्रोजेक्ट
भारत का 'नेतृत्व'--
वर्फ की वादी
'नेतृत्व' गुण---
तीन सौ सत्तर भी
हुई समाप्त
राज्य की नीति---
कुशल 'नेतृत्व' से
देश विकास
स्वरचित
मनीष कुमार श्रीवास्तव
विषय:-नेतृत्व
विधा:-हाइकु
राजनीति में
बढ़ा नारी 'नेतृत्व'--
संसद हाल
भारत मान--
कुशल 'नेतृत्व' में
इसरो कार्य
मैत्री प्रोजेक्ट
भारत का 'नेतृत्व'--
वर्फ की वादी
'नेतृत्व' गुण---
तीन सौ सत्तर भी
हुई समाप्त
राज्य की नीति---
कुशल 'नेतृत्व' से
देश विकास
स्वरचित
मनीष कुमार श्रीवास्तव
27/12/2019
विषय-नेतृत्व
क्या नेता ही नेतृत्व किया करता है
योग्यता प्रछिप्त होती है हर व्यक्ति में
गुणहीन नहीं होता कोई भी जगत में
जो समाज को सही दिशा दिखाए
कुशल नेतृत्व उसी का होता है
जो ले सूझबूझ से काम,
सफलता वही पाता है
जो लेता समय की नब्ज़ पहचान,
सही निर्णय सही वक्त पर लेताहै
सफल नेता वही कहलाता
जो समाज का नेतृत्व दिया करता है
आगे बढ़ कर संकट झेला करता
देश समाज हित कार्य उपयोगी करता है
सजग ,सतर्क रह वह सबको
सङ्ग ले अगुआई करता है
वतन की आन-वान की खातिर
वह निज जान भी दे सकता है ।
नेतृत्व न करता लच्छेदार
और झूठी बातें या वादे
निज स्वार्थ छोड़कर वह
सुंदर भाव दिलों में भरता है।
*वंदना सोलंकी*©स्वरचित
विषय-नेतृत्व
क्या नेता ही नेतृत्व किया करता है
योग्यता प्रछिप्त होती है हर व्यक्ति में
गुणहीन नहीं होता कोई भी जगत में
जो समाज को सही दिशा दिखाए
कुशल नेतृत्व उसी का होता है
जो ले सूझबूझ से काम,
सफलता वही पाता है
जो लेता समय की नब्ज़ पहचान,
सही निर्णय सही वक्त पर लेताहै
सफल नेता वही कहलाता
जो समाज का नेतृत्व दिया करता है
आगे बढ़ कर संकट झेला करता
देश समाज हित कार्य उपयोगी करता है
सजग ,सतर्क रह वह सबको
सङ्ग ले अगुआई करता है
वतन की आन-वान की खातिर
वह निज जान भी दे सकता है ।
नेतृत्व न करता लच्छेदार
और झूठी बातें या वादे
निज स्वार्थ छोड़कर वह
सुंदर भाव दिलों में भरता है।
*वंदना सोलंकी*©स्वरचित
नेतृत्व
देश का नेतृत्व ऐसे हाथों में होना चाहिए।
जो बेरोजगारों को रोजगार दे।
गरीबों की गरीबी मिटाए।
वृद्धों का सम्मान बढ़ाए।
रुग्णों की रुग्णता मुक्त करे।
और मेरे देश को जगमग कर दे।
देश का नेतृत्व ऐसे हाथों में होना चाहिए।
जो देश में दंगा भड़काने का काम न करे।
हिंदू-मुस्लिम, सिख ईसाई में भाईचारा बढ़े।
हमारे ही मुसलमान भाईयों को पाकिस्तान भेजने का ऐलान न करे।
धार्मिक उन्माद फैलाने का काम न करे।
शांति-अमन का देश में पैगाम भरे।
देश का नेतृत्व ऐसे हाथों में होना चाहिए।
जो देश के व्यापारियों का संरक्षण करे।
जीएसटी का संत्रास उनके व्यापार में न भरे।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भारत में शोषण के लिए मुक्त न करें।
छोटे छोटे दुकानदार भी सरलता से अपने परिवार का पेट भर सके।
देश का नेतृत्व ऐसे हाथों में होना चाहिए।
जिसमें अन्नदाता, भाग्य विधाता हमारे देश का किसान खुशहाल रहे।
इसकी धरती सोना उगले।
नहरों में पानी भर हो।
गाँव बिजली की रौशनी से जगमग हो।
चलने के लिए राह सुपथ हो।
गाँवों से कस्बों को जोड़ने वाली सड़कें हो।
धरती धानी चुनर ओढ़े शस्यश्यामला हो।
स्वरचित कविता प्रकाशनार्थ
डॉ कन्हैया लाल गुप्त " शिक्षक "
देश का नेतृत्व ऐसे हाथों में होना चाहिए।
जो बेरोजगारों को रोजगार दे।
गरीबों की गरीबी मिटाए।
वृद्धों का सम्मान बढ़ाए।
रुग्णों की रुग्णता मुक्त करे।
और मेरे देश को जगमग कर दे।
देश का नेतृत्व ऐसे हाथों में होना चाहिए।
जो देश में दंगा भड़काने का काम न करे।
हिंदू-मुस्लिम, सिख ईसाई में भाईचारा बढ़े।
हमारे ही मुसलमान भाईयों को पाकिस्तान भेजने का ऐलान न करे।
धार्मिक उन्माद फैलाने का काम न करे।
शांति-अमन का देश में पैगाम भरे।
देश का नेतृत्व ऐसे हाथों में होना चाहिए।
जो देश के व्यापारियों का संरक्षण करे।
जीएसटी का संत्रास उनके व्यापार में न भरे।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भारत में शोषण के लिए मुक्त न करें।
छोटे छोटे दुकानदार भी सरलता से अपने परिवार का पेट भर सके।
देश का नेतृत्व ऐसे हाथों में होना चाहिए।
जिसमें अन्नदाता, भाग्य विधाता हमारे देश का किसान खुशहाल रहे।
इसकी धरती सोना उगले।
नहरों में पानी भर हो।
गाँव बिजली की रौशनी से जगमग हो।
चलने के लिए राह सुपथ हो।
गाँवों से कस्बों को जोड़ने वाली सड़कें हो।
धरती धानी चुनर ओढ़े शस्यश्यामला हो।
स्वरचित कविता प्रकाशनार्थ
डॉ कन्हैया लाल गुप्त " शिक्षक "
"भावों के मोती"
27/12/2019
नेतृत्व
*****
नेतृत्व तुम्हारा है
इस विश्व को
सो सम्रद्ध हुआ
सब संसार
धरती आकाश
सब संतुलित रहें
जीव जंतु आधार
जो समझ इस
नेतृत्व को रखे
तुम पर विश्वास
सदा सजग सन्तुष्ट
रहे पाए हमेशा सर
तुम्हारा आशीर्वाद।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर
27/12/2019
नेतृत्व
*****
नेतृत्व तुम्हारा है
इस विश्व को
सो सम्रद्ध हुआ
सब संसार
धरती आकाश
सब संतुलित रहें
जीव जंतु आधार
जो समझ इस
नेतृत्व को रखे
तुम पर विश्वास
सदा सजग सन्तुष्ट
रहे पाए हमेशा सर
तुम्हारा आशीर्वाद।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर
तिथि- 27/12/2019/शुक्रवार
विषय -*नेतृत्व *
विधा॒॒॒- काव्य
देश और समाज का विकास।
कुशल नेतृत्व हो अगर पास।
वरना ताकते रहें यूंही,
खोते रहेंगें कहीं विश्वास।
बुद्धिमान नेता जरूरी नहीं।
चालाक होए जरूरी नहीं।
किलेबंदी करना जानता है,
मिले हमेशा जरुरी नहीं।
कुशलता से साथ लेकर चलें।
जहां जगह मिले वैसा ढले।
राष्ट्रहित ही उर में हो निहित,
तभी भारत फूले और फले।
नेतृत्वहीन देश आगे न बडे।
चाहे वीर संग में हों खडे।
दृढता भी है इसे जरूरी,
नहीं ये फूंक से उडाने खडे।
अभी नेतृत्व यही चाहिऐ।
कहीं डिगे जो नहीं चाहिऐ।
मोदी सा हमें कौन मिलेगा,
अभी ये लगातार चाहिऐ।
स्वरचितःः
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना मध्य प्रदेश
विषय -*नेतृत्व *
विधा॒॒॒- काव्य
देश और समाज का विकास।
कुशल नेतृत्व हो अगर पास।
वरना ताकते रहें यूंही,
खोते रहेंगें कहीं विश्वास।
बुद्धिमान नेता जरूरी नहीं।
चालाक होए जरूरी नहीं।
किलेबंदी करना जानता है,
मिले हमेशा जरुरी नहीं।
कुशलता से साथ लेकर चलें।
जहां जगह मिले वैसा ढले।
राष्ट्रहित ही उर में हो निहित,
तभी भारत फूले और फले।
नेतृत्वहीन देश आगे न बडे।
चाहे वीर संग में हों खडे।
दृढता भी है इसे जरूरी,
नहीं ये फूंक से उडाने खडे।
अभी नेतृत्व यही चाहिऐ।
कहीं डिगे जो नहीं चाहिऐ।
मोदी सा हमें कौन मिलेगा,
अभी ये लगातार चाहिऐ।
स्वरचितःः
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना मध्य प्रदेश
विधा: स्वतंत्र
दिनांक:27/12/2019
शीर्षक : नेतृत्व
कुशल नेतृत्व करना सीखिए,
छोटे बड़े को सम्मान दीजिए।
कार्य कुशल प्रबंधन कीजिए,
मानव सेवा कल्याण कीजिए।
कुशल नेतृत्व करना सीखिए,
जीत का बल दल को दीजिए।
खेल नियमाें पर ध्यान दीजिए,
खेल को विरोधियों से जीतिए।
कुशल नेतृत्व करना सीखिए,
युद्ध विजय शंखनाद कीजिए।
पापियों का सर्वनाश कीजिए,
धर्म की जय हो नाम कीजिए।
कुशल नेतृत्व करना सीखिए,
गुरू बन ज्ञान प्रदान कीजिए।
अनुशासन व संस्कार दीजिए,
बाल भविष्य निर्माण कीजिए।
कुशल नेतृत्व करना सीखिए,
देश को नई पहचान दीजिए।
जनता को सुशासन दीजिए,
'रिखब' विनती सुन लीजिए।
रिखब चन्द राँका 'कल्पेश'
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित
जयपुर राजस्थान
दिनांक:27/12/2019
शीर्षक : नेतृत्व
कुशल नेतृत्व करना सीखिए,
छोटे बड़े को सम्मान दीजिए।
कार्य कुशल प्रबंधन कीजिए,
मानव सेवा कल्याण कीजिए।
कुशल नेतृत्व करना सीखिए,
जीत का बल दल को दीजिए।
खेल नियमाें पर ध्यान दीजिए,
खेल को विरोधियों से जीतिए।
कुशल नेतृत्व करना सीखिए,
युद्ध विजय शंखनाद कीजिए।
पापियों का सर्वनाश कीजिए,
धर्म की जय हो नाम कीजिए।
कुशल नेतृत्व करना सीखिए,
गुरू बन ज्ञान प्रदान कीजिए।
अनुशासन व संस्कार दीजिए,
बाल भविष्य निर्माण कीजिए।
कुशल नेतृत्व करना सीखिए,
देश को नई पहचान दीजिए।
जनता को सुशासन दीजिए,
'रिखब' विनती सुन लीजिए।
रिखब चन्द राँका 'कल्पेश'
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित
जयपुर राजस्थान
दिनांक २७/१२/२०१९
शीर्षक-नेतृत्व
निर्मल मन से करे नेतृत्व
मन मलिन न करे नेतृत्व
हो नेतृत्व ऐसा
जो रखे ख्याल सबका।
हो नेता धीर गंभीर
न रहे अपने में तल्लीन
कठोरता व सौम्यता का हो तालमेल
बुद्धि विवेक का हो सुन्दर मेल।
बाहर भीतर हो एक समान
वही नेतृत्व करें ,जो हो सही इंसान
प्रतिभा व शक्ति का करे सही इस्तेमाल।
वही नेतृत्व करे ,समाज कल्याण।
ईर्ष्या नही ,जो ईमानदारी से करें काम
वही नेतृत्व करें समाज कल्याण
करे निवारण जो सभी समस्याओं का
ले परामर्श सभी सदस्यों का।
सबका साथ ले करे जगत कल्याण
वही है सफल नेता,है वह महान,
उन्ही का नेतृत्व का हम करें सम्मान
सफल नेतृत्व करें , सफल इंसान।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
शीर्षक-नेतृत्व
निर्मल मन से करे नेतृत्व
मन मलिन न करे नेतृत्व
हो नेतृत्व ऐसा
जो रखे ख्याल सबका।
हो नेता धीर गंभीर
न रहे अपने में तल्लीन
कठोरता व सौम्यता का हो तालमेल
बुद्धि विवेक का हो सुन्दर मेल।
बाहर भीतर हो एक समान
वही नेतृत्व करें ,जो हो सही इंसान
प्रतिभा व शक्ति का करे सही इस्तेमाल।
वही नेतृत्व करे ,समाज कल्याण।
ईर्ष्या नही ,जो ईमानदारी से करें काम
वही नेतृत्व करें समाज कल्याण
करे निवारण जो सभी समस्याओं का
ले परामर्श सभी सदस्यों का।
सबका साथ ले करे जगत कल्याण
वही है सफल नेता,है वह महान,
उन्ही का नेतृत्व का हम करें सम्मान
सफल नेतृत्व करें , सफल इंसान।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
27/12/19
नेतृत्व वही कर सकता है।
जो अनुशासित जीवन जीता है।
श्रम को पूंजी मान सदा।
सहचरों को प्रेरणा देता है।
उत्तरदायित्व के भाव जगा
विस्वास सभी का जीतता है।
निष्पक्ष सोच को धारण कर
वास्तुनिष्ठता को अपनाता है।
साहस को धारण करता है।
चुनौतियों को स्वीकार करता है।
वाणी पर संयम होता जिसके
मर्यादित होकर जो रहता है।
निष्पक्ष दूरदर्शिता संदिध रहे
दूरद्रष्टा बन कर जो रहता है।
शालीन व्यक्तितव वा मृदुभाषी
नेतृत्व के भावो को जगाता है।
औपचारिक संबंध रखता है।
सहानुभूति भाव जो रखता है।
स्पस्ट निष्पक्ष समर्पण भाव
एक कुशल नेतृत्व को दरसाता है।
स्वरचित
मीना तिवारी
नेतृत्व वही कर सकता है।
जो अनुशासित जीवन जीता है।
श्रम को पूंजी मान सदा।
सहचरों को प्रेरणा देता है।
उत्तरदायित्व के भाव जगा
विस्वास सभी का जीतता है।
निष्पक्ष सोच को धारण कर
वास्तुनिष्ठता को अपनाता है।
साहस को धारण करता है।
चुनौतियों को स्वीकार करता है।
वाणी पर संयम होता जिसके
मर्यादित होकर जो रहता है।
निष्पक्ष दूरदर्शिता संदिध रहे
दूरद्रष्टा बन कर जो रहता है।
शालीन व्यक्तितव वा मृदुभाषी
नेतृत्व के भावो को जगाता है।
औपचारिक संबंध रखता है।
सहानुभूति भाव जो रखता है।
स्पस्ट निष्पक्ष समर्पण भाव
एक कुशल नेतृत्व को दरसाता है।
स्वरचित
मीना तिवारी
विषय-नेतृत्व
________________
स्वागत करने नववर्ष का
सजग हो सभी उठी दिशाएं
कुछ खट्टी-मीठी यादे देकर
चली दिसम्बर की सर्द हवाएं
नेतृत्व करने मानव मन का
सजग हो रहा वर्ष बीसवाँ
वक़्त उड़ा पँछी के जैसा
कोहरे की चादर में लिपटा
कदम बढ़ाता सूरज होले
जैसे धरती से कुछ बोले
कुछ लम्हे फाँसों से चुभते
मन के जाते घाव दुखाते
उम्मीद मन में नयी जगी
साल नयी हो खुशियों भरी
गुनगुनी धूप ठिठुरी रातें
दिसम्बर देके चला सौगातें
वर्ष एक जीवन से छीन
जाते-जाते कहता जाए
उम्र के पँछी के उड़ने से पहले
जीवन से सुंदर लम्हे चुन
नवीन वर्ष खड़ा फैलाएं बाहें
बीस वर्ष के युवा जैसा
आँखों में नए स्वप्न जगाए
झर न जाए जीवन के मोती
जगा आशा की दीप ज्योति
मन में कोई क्लेश नहीं हो
कपट भरा परिवेश नहीं हो
जीवन में हो सुख भरी बातें
मिटे कलह सुखद हो रातें
सुख भरी हो सबकी दुनिया
नववर्ष ले आए खुशियाँ
***अनुराधा चौहान***स्वरचित
________________
स्वागत करने नववर्ष का
सजग हो सभी उठी दिशाएं
कुछ खट्टी-मीठी यादे देकर
चली दिसम्बर की सर्द हवाएं
नेतृत्व करने मानव मन का
सजग हो रहा वर्ष बीसवाँ
वक़्त उड़ा पँछी के जैसा
कोहरे की चादर में लिपटा
कदम बढ़ाता सूरज होले
जैसे धरती से कुछ बोले
कुछ लम्हे फाँसों से चुभते
मन के जाते घाव दुखाते
उम्मीद मन में नयी जगी
साल नयी हो खुशियों भरी
गुनगुनी धूप ठिठुरी रातें
दिसम्बर देके चला सौगातें
वर्ष एक जीवन से छीन
जाते-जाते कहता जाए
उम्र के पँछी के उड़ने से पहले
जीवन से सुंदर लम्हे चुन
नवीन वर्ष खड़ा फैलाएं बाहें
बीस वर्ष के युवा जैसा
आँखों में नए स्वप्न जगाए
झर न जाए जीवन के मोती
जगा आशा की दीप ज्योति
मन में कोई क्लेश नहीं हो
कपट भरा परिवेश नहीं हो
जीवन में हो सुख भरी बातें
मिटे कलह सुखद हो रातें
सुख भरी हो सबकी दुनिया
नववर्ष ले आए खुशियाँ
***अनुराधा चौहान***स्वरचित
नेताओं के आजकल बदले भाव है।
सूखी बातों के मरहम तले घाव है।
घास खा रहे किस तरह से भेड़िये।
लगता है इन दिनो आ गये चुनाव है।
जनता के मन में क्या कोई न जाने।
डगमग होती अच्छे अच्छे की नाव हैं।
दूर अभी अंजाम उम्मीदो की शाम।
खाली मूछों में यूँ ही दे रहे ताव है।
तडप रहे सत्ता का करने रसपान।
बैरी करें गठबंधन हो कैसे निभाव है।
स्वरचित विपिन सोहल
सूखी बातों के मरहम तले घाव है।
घास खा रहे किस तरह से भेड़िये।
लगता है इन दिनो आ गये चुनाव है।
जनता के मन में क्या कोई न जाने।
डगमग होती अच्छे अच्छे की नाव हैं।
दूर अभी अंजाम उम्मीदो की शाम।
खाली मूछों में यूँ ही दे रहे ताव है।
तडप रहे सत्ता का करने रसपान।
बैरी करें गठबंधन हो कैसे निभाव है।
स्वरचित विपिन सोहल
विषय- नेतृत्व
दिनांक -27-12-2019
नेतृत्व करना,बहुत ही कठिन काम होता है।
कोई एक बिरला ही, नेतृत्व कर पाता है।।
अंधा नेतृत्व करे,तो वो खाई में गिराता है।
उस पार तो, दिमाग वाला ही ले जाता है ।
साहस धैर्य व आत्मविश्वास, उसमें होता है।
सच्चा नेतृत्व कर्ता,गुणों से परिपूर्ण होता है।।
कठिन परिस्थितियों में,वो निर्णय लेता है।
इमानदारी पूर्वक कार्य कर,आगे बढता है।।
शक्ति का नहीं,दिमाग का खेल ये होता है।
ज्ञान के बिना,बस यह एक मखोल होता है।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
दिनांक -27-12-2019
नेतृत्व करना,बहुत ही कठिन काम होता है।
कोई एक बिरला ही, नेतृत्व कर पाता है।।
अंधा नेतृत्व करे,तो वो खाई में गिराता है।
उस पार तो, दिमाग वाला ही ले जाता है ।
साहस धैर्य व आत्मविश्वास, उसमें होता है।
सच्चा नेतृत्व कर्ता,गुणों से परिपूर्ण होता है।।
कठिन परिस्थितियों में,वो निर्णय लेता है।
इमानदारी पूर्वक कार्य कर,आगे बढता है।।
शक्ति का नहीं,दिमाग का खेल ये होता है।
ज्ञान के बिना,बस यह एक मखोल होता है।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
विषय-नेतृत्व
विधा-मुक्तक
दिनांकः 27/12/2019
शुक्रवार
(1)
नेतृत्व कुशल वही होता,जो दिशा समाज को सही देता,
रहें जब समता और सदभावना,राष्ट्र सदा प्रगति करता ।
वह सबके दुख अपने समझे,निस्वार्थ राष्ट्र सेवा करें,
सारी दशा देश की बदलकर,यहाँ नव निर्माण विकास करें ।।
(2)
हो वह दूर दृष्टा और बुद्धि मान,कुशल,निडर ,निर्भीक रहे ।
सुख,समृद्धि ,शाॅति बयार बहे,सदा विकास मान देश रहें ।
वह सूझ बूझ का धनी हो,सही वक्त पर सही निर्णय करता,
नहीं झूठे थोथे वादे हों,सदा तीसरी आॅख खुली रहे ।।
स्वरचित एवं स्वप्रमाणित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर' निर्भय,
विधा-मुक्तक
दिनांकः 27/12/2019
शुक्रवार
(1)
नेतृत्व कुशल वही होता,जो दिशा समाज को सही देता,
रहें जब समता और सदभावना,राष्ट्र सदा प्रगति करता ।
वह सबके दुख अपने समझे,निस्वार्थ राष्ट्र सेवा करें,
सारी दशा देश की बदलकर,यहाँ नव निर्माण विकास करें ।।
(2)
हो वह दूर दृष्टा और बुद्धि मान,कुशल,निडर ,निर्भीक रहे ।
सुख,समृद्धि ,शाॅति बयार बहे,सदा विकास मान देश रहें ।
वह सूझ बूझ का धनी हो,सही वक्त पर सही निर्णय करता,
नहीं झूठे थोथे वादे हों,सदा तीसरी आॅख खुली रहे ।।
स्वरचित एवं स्वप्रमाणित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर' निर्भय,
नेतृत्व
हो परिवार में
नेतृत्व बुजुर्गों का
रहते हैं सुकुन से
छोटे बड़े सब सदस्य
मजबूत नेतृत्व
देश का उन्नति
विकास शांति
है चहुंओर
बने सहयोगी
सभी नागरिक
सिखायें कुशल
नेतृत्व , प्रबंधन
बचपन से बच्चों को
होंगे सफल अपने
कार्य क्षेत्र में सदैव
करें सम्मान
कुशल नेतृत्व का
करें मजबूत हाथ
फैलाओ मत अफवाहें
रुकावटें डालो मत
लाओ अमन चैन देश में
खुशहाली हो जीवन में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
हो परिवार में
नेतृत्व बुजुर्गों का
रहते हैं सुकुन से
छोटे बड़े सब सदस्य
मजबूत नेतृत्व
देश का उन्नति
विकास शांति
है चहुंओर
बने सहयोगी
सभी नागरिक
सिखायें कुशल
नेतृत्व , प्रबंधन
बचपन से बच्चों को
होंगे सफल अपने
कार्य क्षेत्र में सदैव
करें सम्मान
कुशल नेतृत्व का
करें मजबूत हाथ
फैलाओ मत अफवाहें
रुकावटें डालो मत
लाओ अमन चैन देश में
खुशहाली हो जीवन में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
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