Sunday, January 26

"भारतीय गणतंत्र/संविधान"'26जनवरी 2020

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ब्लॉग संख्या :-637

कशमकश में संविधान

७० बरस का हो गया,

हमारा संविधान ।
फिर भी,
कशमकश में हैं,
आज संविधान ।
करें अपना गुणगान,
या रो रोकर ,
उठाए आसमान ।
सदियों से जकड़ा था,
गुलामी के जंजीरों में ।
हमारा हिंन्दुस्थान ।
आजादी ने मांगा,
वीरों का बलिदान ।
आजादी तो मिली,
पर ना मिला जीने का,
मान, अधिकार ,सम्मान ।
तो बना हमारा संविधान ।
संविधान से मिले,
हमें अपने अधिकार ।
अब हम अधिकारों में,
हो गये हैं मशगूल ।
संविधान क्या हैं,
अब गये भूल ।
बात बात पर अब,
उसे सड़कों पर लाते ।
बात बात पर उसे,
बदलने की बात कहकर,
उसे ड़राते ।
उसके सम्मान की,
करता हर कोई बात ।
लेकिन भीतर से,
जात-पात, धर्म से,
करते हैं अाघात ।
कशमकश में हैं,
आज संविधान ।
जो बसता हैं,
भारत माता के,
गुल,बहार,चमन,
फूलो की कलियों में ।
वह जलता हैं अब,
चौक और गलियों में ।
मेरे भारतवासियों ।
एक बात का रखना,
सदा ध्यान.।
संविधान का करना,
सम्मान ।
संविधान ही देता हैं,
जीने का मान, सम्मान ।

प्रदीप सहारे
विषय संविधान,26 जनवरी
विधा काव्य

26 जनवरी 2020,रविवार

संविधान लोकतंत्र आत्मा है
संविधान अधिकार कर्तव्य।
संविधान नीति निर्देशक तत्व
संविधान जन हित मन्तव्य।

कटी बेड़ियां पराधीनता की
भारत स्वतंत्र हुआ हमारा।
स्वतंत्रता की श्वास ली सबने
जनतंत्र जन बना सहारा।

केसरिया श्वेत हरियाला ध्वज
लहर लहर नभ में लहराया।
सर्व प्रथम लाल किले प्राची से
पण्डित नेहरू ने इसे फहराया।

जो उत्सर्ग हो गये देश हित
उनको हिय से नमन हमारा।
छबीस जनवरी सन पचास से
सँविधान बना न्याय सहारा।

श्रीभीम राव अम्बेडकर नेतृत्व
उच्च आदर्श समाहित इसमें।
हर सविंधान को परखा जांचा
श्री आदर्श संविधान है जग में।

सुख शान्ति के दीप जलाओ
अब विकास की गंग बहाओ।
गणतंत्र दिवस सदा अमर हो
भारत माँ नित मान बढाओ।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विषय: संविधान
दिनांक :26/01/2020

विधा: कविता

हिंदुस्तान के गगन से आयेगी आवाज
मधुर गीतों को दे देना अच्छे से साज ।

कई हमदम कई मसीहा याद आयेंगे
लोग गणतंत्र पर उनकी इरशाद बताये गें,

देके गये जो तुमको नियमों का परिधान
कानून की भाषा मे कहते हो संविधान,

याद आयेंगे बापू पटेल जवाहर अम्बेडकर
कड़ी मेहनत से जो बनाये संविधान
साथ दिये अय्यर,
विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र
जो दे रहा खुशहाली भरा विकास का मन्त्र,

नागरिकों को मिला मौलिक अधिकार
स्वतंत्रता तन मन धन अवसर का पकड़ाती तार,

है हम सब को इन पर नाज
हिंदुस्तान के गगन से आयेगी आवाज।।
उमाकान्त यादव उमंग
26 /01/2020

दिनांक -26/01/2020
विधा -कविता

विषय -गणतंत्र
===============================
(रचना भारत प्यारा)
मिलकर आओ जग में हम सब,
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।....
माँ भारती के सब भारतवासी ,
सदा सदा गुण गाते हैं।।
जब आजादी की अलख जगी,
वीरों ने प्राण गवाये थे।
यह मातृभूमि की रक्षा को,
वे बलिदानी कहलाये थे।।
पावन गणतंत्र यह अपना,
कर्तव्यों को भी निभाते हैं।.......
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं...भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं ....
मिलकर आओ जग में हम सब,
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।...
शीश हिमालय मुकुट बना,
सागर भी पाँव पखारे हैं।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
सुशोभित प्रांत ये प्यारे हैं।।
यह सर्व धर्म का राष्ट्र सदा,
हम पुष्प सभी एक उपवन में।
यहाँ एकता का दीप जले,
सदा हम सब के ही तन मन में।।
हम अपने राष्ट्र की रक्षा को,
अब एकता जग को दिखाते हैं।...
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं...भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं ....
मिलकर आओ जग में हम सब,
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।
सजी सुंदर धरा खलिहानों से,
पावन सरिता की धारा है।
परंपराओं का नित नित संगम,
सभ्यता को भी सवाँरा है।।
मातृभूमि की सेवा हम करते,
सदा तिरंगे का मान बढ़े।
रक्षा भारत भूमि की होवे तब,
जन जन का सम्मान बढ़े।।
मातृभूमि की चरण धूलि हम,
सदा ही शीश लगाते हैं।
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं...भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं ....
मिलकर आओ जग में हम सब,
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।...
...........भुवन बिष्ट
रानीखेत (उत्तराखंड)
दिनांक 26/01/2020
विषय-गणतंत्र

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
🌷मित्रों नमस्कार 🌷
गणतंत्र दिवस की बधाई
==============
गणतंत्र दिवस है सबसे प्यारा
समान भाव रखता देश हमारा
करे इसका सम्मान जग सारा
तरल है इसकी न्याय की धारा

ले सभी को साथ चलने वाला
बातें कहने की आजादी वाला
नहीं करें परेशान ये मतवाला
यह जीवन रक्षा सूत्र देनेवाला

गणतंत्र मना रहा देश हमारा
राजपथ से देखो सैन्य नज़ारा
समझ लो तिरछी नज़र वालों
क्या होगा हाल जान लो तुम्हारा

स्वरचित
मुकेश भद्रावले
हरदा मध्यप्रदेश
26जनवरी

नमन मंच भावों के मोती समूह।गुरूजनों, मित्रों।

26जनवरी को हम सभी गणतंत्र दिवस मनाते हैं।
दिल्ली में लालकिले पर झंडा हम फहराते हैं।

देश में हर जगह गणतंत्र दिवस मनाते हैं।
सुन्दर सुन्दर झांकी इसमें निकाले जाते हैं।

कितने वीर शहीद हुए हैं।
तब कहीं जाकर देश हुआ आजाद।

इसकी खुशियां हम देशवासी।
हर नगरों में मनाते हैं।

सारे बच्चे स्कूल के।
झंडा लेकर जाते हैं।

सभी बच्चे साथ में मिलकर।
झंडा को सम्मान देते हैं।

देश की खुशियों में शरीक होकर।
हम झंडे का मान बढ़ाते हैं।

जय हिन्द......
जय भारत.......

....... वीणा झा.......
बोकारो स्टील सिटी
....... स्वरचित...

26/01/2020
शीर्षक - संविधान/गणतंत्र

विधा - दोहा

तिरंगा लाज देश की, है आन बान शान ।
जनतंत्र की चाशनी , हमारा संविधान ।

वतन के नौजवान से, जुड़े हुए हैं तार ।
हर अक्षर में बसा हुआ,संविधान का सार ।

राजनीति की ठोकरें, करें घात-प्रतिघात ।
एकता में पड़ा दखल, बने न बनती बात ।

संप्रभुता निरपेक्षता, संविधान पहचान । बनी रहे बस एकता, मिलता रहे सम्मान ।

जाति, धर्म के भेद से, आहत है इंसान ।
दृढ़ करे जो एकता, ढूँढो वो भगवान ।

-- नीता अग्रवाल

विधाः-छन्द मुक्त

शीर्षकः- शत्रु की हस्ती है मिटाना ।।

जा का शत्रु बार बार पीटे, नहीं उसे जीने अधिकार ।
ऐसे शत्रु को जिन्दा छोड़े वा के जीने को धिक्कार।।

भारत माता हम भारतवासी , बहुत ही शर्मिन्दा है।
बार बार वार करे तुम पर, फिर भी वह जिन्दा है।।

यह जीवन हमारा माँ बस आपकी ही है अमानत ।
शत्रु मूछों पर देवे ताव, जीने पर हमारे है लानत ।।

यह करा वो करा हम शान से बहुत रहते फरमाये।
हाय मार डाला, यह शत्रु पर किंचित न चिल्लाये।।

बहुत बजा लिया गाल अब नहीं गाल बजाना है।
लक्ष्य अब एक ही हमारा, शत्रु को धूल चटाना है।।

छिप कर जो करता रहता वार वह कायर है होता ।
होता है वह भी कायर सामने लड़ने से जो है डरता।।

हमारे जवानों को शत्रु कायरता से मारता है रहता।
उस नापाकिस्तानको सबक सिखाना है अब बनता।।

बहुत बार करी बात, बातों का दौर नहीं है चलाना ।
करनी नहीं बात कोई ,हस्ती ही उसकी है मिटाना ।।

खौल रहा रक्त हमारा, बदला भयंकर अब है लेना ।
हटे पीछे जो, उसे चुल्लू भर पानी में है डूब मरना ।।

वन्दे मातरम् अब तो शत्रु को धूल हमको है चटाना।
काश्मीर ही नहीं पाक पर भी अब तिरंगा है फहराना।।

जय हिन्द ,जय हिन्द, जय जय हिन्द ,जय जय हिन्द।
करना है वार कसकर उस पर पड़ना नहीं अब मन्द।।

डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
जन-जन में भरने जोश नया
गणतंत्र दिवस फिर आया है
भारत माँ का स्वागत करने
ऋतुराज बसंत मुस्काया है।

तीन रंग का पहने तिरंगा
देता विजयी संदेश सदा
धरती अपनी अम्बर अपना
अमर है हमारी अखंडता

बैर भुला दो,भूलो झगड़े
बुझा दो नफ़रत की चिंगारी
कोई छोटा-बड़ा नहीं है
सब अपने हैं बहन-भाई

उठो युवाओं आँखें खोलो
किस पथ आकर खड़े हुए
कुर्बानी वीरों की याद करो
जो इस धरती पर शहीद हुए

कितनी पीड़ा सही उन्होंने
तब हम जाकर आजाद हुए
भारत की गरिमा के लिए
बच्चे-बूढ़े भी संघर्ष किए

क्या भविष्य को सीख हम देंगे
जब देश जला रहे हम अपना
मानव का मानव हो साथी
यही शहीदों का था सपना

अपने मन को आज जगालो
हृदय भरे प्रीत की ज्वाला से
मिट जाए अज्ञान का अंधेरा
यही लक्ष्य हमारा सपना हो
***अनुराधा चौहान***स्वरचित 


दिनांक .. 26/01/2020
शीर्षक .. गणतंत्र
*****************

नमन राष्ट्र गणतंत्र देश,
भारत तेरा अभिनन्दन है।
सत्तर सालों से संविधान,
सर्वोच्च तेरा अभिनन्दन है।
है विविध रंग भारत भूमि,
भाषा शैली है अलग मगर।
सम्पूर्ण समाहित है जिसमें,
भारत तेरा अभिनन्दन है।
**
पृथ्वी के तुम ही प्रथम राष्ट्र,
जिसपर हरि ने जीवन दी थी।
सभ्यता निरन्तर विकसित की,
मानव जीवन को कडी दी थी।
जय विजय पराजय को देखा,
झेला है दासता भी जिसने।
फिर तोड पराभव की बेडी,
मेरा देश तेरा अभिनन्दन है।
**
हे शस्य श्यामला माँ तेरी,
गणतंत्र रूप का दर्शन है।
जो बढे बढे निरन्तर गंगा सा,
तू उस सौन्दर्य का दर्पण है।
आभा माँ तेरी बढे सदा,
सतंति का ये ही कर्म रहे।
इस शेर के शब्द व कर्मो से,
जननि तेरा अभिनन्दन है।
**
आओ मिलकर गुणगान करे,
सम्मान बढे वह काम करे।
जो सोच तोडने की रखे,
उस सोचका हम प्रतिकार करे।
जो झेला है इस धरती ने,
उसका न पुनः आगाज करे।
आओ मिल साथ कहे दिल से,
माँ पुनः तेरा अभिनन्दन है।
**
शेर सिंह सर्राफ

विषय-संविधान 26 जनवरी
विधा- काव्य


26 #जनवरी
#गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ,,
🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁
देश -तिरंगा
÷÷÷÷÷÷÷÷
विधाता छंद में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
( 1222 1222 1222 1222
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
दिवस गणतंत्र का न्यारा,विजय-पहचान है मेरा!
ध्वजा फहरा रहा देखो,वतन की आन है मेरा!!

सदा ऊंचा रहेगा ये,हिमालय सा अडिग रहकर,
कभी झुकने नही देंगे,यही अरमान है मेरा !!

हमारे देश की माटी,,,,,,हमारे माथ का चंदन,
अगर कु्र्बानियाँ माँगे,समर्पित- प्राण है मेरा।!

तिरंगे की पहन सारी ,चली दुल्हन लगे न्यारी,
पिया तो देश है तेरा,,सजनि,वो जान है मेरा ।!

दुश्मनों की कुचालों को,जतन से हम मिटा देंगे,
शिखर को ये ध्वजा छूले,,,,,,,,,यही सम्मान है मेरा ।

सरहदों पर खड़े सैनिक,लुटाते जिंदगी अपनी ,
अगर वो वक्त भी आया,,जिया कुर्बान है मेरा ।

बजी"वीणा"हमारी ये,नमन कर लो शहीदों को,
जयति जय देश है अपना,यही बस गान है मेरा।!

***************************************


भावों के मोती समूह
दिनांक-26-1-2020
विषय-भारतीय गणतंत्र

26 #जनवरी गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर _,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, आप सभी साहित्यिक मित्रों व देश वासियों को हार्दिक बधाई व अनंत शुभकामनाएँ, ,,

अपना देश ,,,अपनी धरणी भारत माता की प्रतिष्ठा में नव निर्मित रचना,,,,,,
* वंदे मातरम् * नव गीत
~~~~~~~~~~~~~
**** भारत माते ,,,,,,,,,,/
**** माँ,, चरण वंदे ,,,,,
**** जन गण भाग्य विधाते /
**** सुजलाम् सुफलाम्
**** धरणी शश्य श्यामलाम्
**** हिन्दी की बिंदिया चमके
**** देश की गौरव गाथा गाए /
**** विजयी विश्व तिरंगा
**** हस्त ध्वजा फहराए /
**** हिम किरीट सिरमौर धरे
**** उतंग हिमालय खड़ा /
**** बन स्वदेश का रक्षक प्रहरी
**** शत्रु विनाश को अड़ा /
**** चरणों में नित गंगा यमुना
**** पावन नदियाँ लहराएँ /
**** सबसे प्यारा ,,,सबसे न्यारा
**** भारत देश हमारा(,,,,,,,,,,
**** सब धर्मों की करे सुरक्षा
**** मानव धर्म निभाए /
**** हिन्दू मुस्लिम,सिख , इसाई
**** सब इनके गुण गाएँ /
**** नमन स्वदेश है /,
**** नमन वसुंधरा ,
**** नमन है मातृभाषा ,
**** जय हो भारत माता //
************************************************
= ब्रह्माणी 'वीणा' हिन्दी साहित्यकार
************************************************
विशेष आयोजन -भारतीय गणतंत्र / संविधान
विधा- दोहा गीतिका
सादर मंच को समर्पित -

🇮🇳🌸 महान गणतंत्र पर्व पर बधाइयाँ 🌸🇮🇳
🌹🇮🇳 दोहा गीतिका 🇮🇳🌹
****************************
 महान गणतंत्र/संविधान 
🌺🍀 आधार- छंद दोहा 🍀🌺
समान्त- ऊल , अपदांत
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

तपोभूमि यह देश है , हम भारत के फूल ।
चन्दन माटी रज बढ़ें , राष्ट्र भक्ति है मूल ।।

मातृभूमि की गोद में , खेलें कूदें वीर ,
भारत माँ जयकार से , चूमें पावन धूल ।

अनेक भाषा जाति हैं , फिर भी रहते एक ,
यही एकता मंत्र है , अखण्ड राष्ट्र कबूल ।

एक तिरंगा राष्ट्र ध्वज , संविधान है एक ,
एक नियम कानून अब , विकास मुख्य उसूल ।

शौर्य विश्व विख्यात है , कूटनीति से पस्त ,
समझ गया यह शत्रु भी , विनाश होगी भूल ।

आतंकी खुद कुंद हैं , दुश्मन भी भयभीत ,
छिपे हुये गद्दार जो , करने हैं निर्मूल ।

जान बूझ बोते नहीं , शूल शान्ति के मार्ग ,
शत्रु न माने रार बिन , घर तक चलें त्रिशूल ।

अखण्ड भारत गर्जना , अमर तिरंगा शान ,
काश्मीर लद्दाख सम , एक गूँज अनुकूल ।

मात भारती पूज्य हैं , चहुँमख विकास ध्येय ,
चन्द्र यान की कोशिशें , जायें नहीं फिजूल ।।

🌺🍀🍊🌷

🌴🌸**.... रवीन्द्र वर्मा मधुनगर आगरा
विषय -- गणतंत्र
प्रथम प्रस्तुति

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गणतंत्र की गरिमा बनानी होगी
संपूर्ण निष्ठा हमें लगानी होगी।।

खा चुके हैं चोट कइयों अब तक
और चोट नही अब खानी होगी।।

सोचो उन शहीदों के रूहों की
न समझी से कितनी ग्लानि होगी।।

किसलिए हँसते हुएचढ़े वो शूली
भूल से व्यर्थ वो कुर्बानी होगी।।

बाहरी दुश्मन से न खतरा उतना
अन्दर के शत्रु से बड़ी हानि होगी।।

कसम खाओ मेरे देशवासियों
गंदी सियासत हमें भुलानी होगी।।

संकीर्ण सोच का न पिटारा हो
उच्च सोच की सुखद कहानी होगी।।

शुभ अवसर है आज 'शिवम' लो कसम
गणतंत्र को सच्ची सलामी होगी।।

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 26/01/2020

विषय - गणतंत्र संविधान
द्वितीय प्रस्तुति


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संविधान की हर शर्तों पर
हम खरे क्यों नही होते हैं।
कितनी लालच में डूबे हम
बस कुर्सी को ही रोते हैं।

कमी भी रह जाती है कहीं
सुधार भी उसमें होते हैं।
अब शोर शराबा करके हम
चलती नैया को डुबोते हैं।

भँवर से जो इसे लाए थे
वो वीर आज अब रोते हैं।
भूल गये वो लहु की कीमत
झूठे मद में हम होते हैं।

निज स्वारथ ने काम बिगाड़े
बने कितने ही पनोते हैं।
सत्ता के लोलुपो समझो
आत्मालोकन भी संजोते हैं।

देश धर्म ही बड़ा धर्म है
उस धर्म में शूल चुभोते हैं।
ऐसी भूलें बड़ीं 'शिवम' ये
गुलामी के खुले न्योते हैं।

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 26/01/2020
आज का विषय विशेष
**भारतीय गणतंत्र/संविधान/ गणतंत्र दिवस/26जनवरी**********

जय ऊर्जा देवा सूर्या देवा संचित ऊर्जा दीजिए।
बनें शांतिदूत हम नहीं रक्त रंजित ऊर्जा दीजिए।
रहें सदैव वैभवशाली भारत ऐसा कर दीजिए।
हो विश्व विजयी तिरंगा प्यारा ऐसा ही वर दीजिए।

हैं गणतंत्र संविधान का विलक्षण रक्षक बन जाए।
नहीं गद्धार देश का कोई इसका भक्षक बन पाए।
झंडा ऊंचा रहा हमारा और यही हमेशा फहराऐ।
बोलें जय भारत जय भारती यही तिरंगा लहराऐ।

श्रीराम का मंदिर चमके न मस्जिद भी कहीं गिरे।
न बिगड़े सौहार्द यहां पर न पत्थर ही कभी गिरे।
शपथ सभी लें आज हम झंडा ऊंचा सदा रखेंगे।
भारत का है मान तिरंगा इसको ऊंचा सदा रखेंगे।

वीर शहीदों का बलिदान कभी व्यर्थ न जाने देंगे।
सम्मान संविधान भारत का हम कभी न मिटने देंगे।
छांट छांटकर जयचंदों को हम यहां से मार भगाऐं।
छिपे हुए गद्दारों को अब यहां से शीघ्र स्वर्ग पहुंचाएं।

जात पात भूलें हम सब हिलमिल रहें भारतवासी।
रखें सहनशीलता मानवता मिलजुल रहें सुखरासी।
देश प्रेम उपहार सभी जब हमने विरासत में पाया,
सभी रहें उन्मुक्त हृदय से हम चाहे हों भारतप्रवासी।

स्वरचित,
इंजी शंम्भू सिंह रघुवंशी अजेय
मंगलाना, गुना म प्र

दिनांक 26-01-2020
विषय- भारतीय गणतंत्र
विधा- छंदमुक्त

नतमस्तक नमन उन वीरों को,
जो जान की बाजी लगा गए ।
स्वयं मर मिटे वतन पर लाल,
देशभक्ति हम में जगा गए ।

पराधीन भारत को जिन्होंने,
सौगात स्वाधीनता की दे दी ।
नभ में तिरंगा लहरा कर,
चढ़े थे मौत की बलिवेदी ।

चिरकाल संघर्षों में जलकर,
देश ने आजादी थी पाई ।
रणबांकुर वीर सपूतों ने फिर,
संविधान निर्माण मशाल जलाई ।

उन वीरों की ही याद दिलाने,
आज हमारा गणतंत्र है आया,
स्वतंत्रत भारत का जिन्होंने,
सार्वभौम संविधान बनाया।

भीमराव अंबेडकर में फिर,
ज्योतिपुंज था एक दिखा ।
अथक बुद्धि बल से जिसने ,
भारत का संविधान लिखा ।

लोकतंत्र गणराज्य का सपना ,
सच करके था दिखलाया ।
भेदभाव,अस्पृश्यता रहित
विशाल,श्रेष्ठ संविधान बनाया।

धर्मनिरपेक्ष,संप्रभुत्वसंपन्न,
सार्वभौमिक है संविधान।
मूल अधिकार कर्तव्यों का
समदर्शी है लिखित विधान ।

आओ गणतंत्र दिवस पर हम,
श्रद्धानत यह शपथ उठाएँ ।
प्रजातांत्रिक संविधान हमारा,
निष्ठापूर्वक पालन कर पाएँ ।

सहस्र नमन संविधान निर्माता,
भारत के अंबेडकर लाल ।
हौसला और कर्मठता की थे,
जीती जागती एक मिसाल ।

कुसुम लता 'कुसुम'
नई दिल्ली

दिनांक-26/01/2020
विषय-भारतीय गणतंत्र

तिथी जनवरी 26 की लाती लगन इतिहास है।
स्वाधीनता जनतंत्र का हमने रचा नवहास है।
फूटे स्वतंत्रता का अंकुर महके लोकतंत्र का उपवन।
प्रगति और परिवर्तन से आह्लालादित हो सबका का जीवन।।
लिखूँ जब मैं कभी, इश्क की एक इबादत।
लिख जाए मेरी कलम से ,शहीदों की शहादत।।

आजादी की शाम को कभी ढलने ना देंगे।
शहीदों की कुर्बानी को बदनाम ना होने देंगे।।
बची हो लहू की एक बूंद जब तक।
भारत मां तेरा आँचल नीलाम ना होने देंगे।।
मुकुट हिमालय का ,हृदय में हो तिरंगा।
कुर्बानी मे रंगा संवैधानिक चोला आंचल में हो माँ गंगा।।
प्रदीप्ति दीप्तिमान हो, मस्तक ललाट कीर्तिमान हो।
तिरंगा प्रकाशमान हो, इंकलाब जग में गुणगान हो।।
चतुर्दशिक यशगान हो, प्रकाश पुंज अभयदान हो।
आहुति प्राणवान हो, लहू की बूंद बलिदान हो।
कस्तूरी से प्यारी लगे इस देश की माटी
केसर की क्यारी लगे कश्मीर की घाटी।।

स्वरचित
सत्य प्रकाश सिंह
इलाहाबाद

"भावों के मोती"
26/1/2020
गणतंत्र /सँविधान 💐💐💐
**************
ये गणतंत्र हमारा
दिया इसने सँविधान न्यारा
है ये सँविधान हमारा
है ये सौभाग्य हमारा ।

मिले एक सम्पूर्ण
प्रभुत्व समाजवादी
देश यही इसकी
प्रस्तावना ।

हो पंथ निरपेक्ष
लोकतंत्र गणराज्य
देश वासियों को हो
समाजिक,आर्थिक,राजनैतिक, न्याय एवं विचार
अभिव्यक्ति ।

हो विश्वास, धर्म
और उपासना की
स्वतंत्रता
प्रतिष्ठा और समान जीवन जीने को समरूपता ।

हो प्रत्येक नागरिक की गरिमा
हो राष्ट्र की सुनिश्चित
अखंडता ,एकता ।

हो आपसी प्यार ,
सौहार्द्र एवम बंधुत्व बढ़ाने का
दृढ़ संकल्प।

आओ इस सँविधान
सभा मे इस सँविधान को
करें पूर्ण स्वीकृति और सम्मानित ।।।।

स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर

विषय-गणतंत्र दिवस
दिनाँक-16/1/2020

नवीन जोश को भर लो सब ,
गणतंत्र दिवस अब आया है।
मधुर बसंती राग छिड़ रहा है ,
देखो शीत अब मुरझाया है।

धरा सजी है रंग -बिरंगी ,
सरसों के पीले फूल खिले।
पहने हम आज तिरंगे कपड़े ,
देश- भक्ति के हैं रंग मिले ।

नवल उमंग से लिए तिरंगा,
हम फहराते हैं अरमान से ,
विजय केतु बन नभ मे फहरे,
पूरी आन-बान और शान से ।

अपने देश की खातिर कितने,
वीरों ने निज प्राण गवाँए हैं ।
गणतंत्र दिवस के इस दिन को,
तब जाकर कहीं ला पाए हैं ।

इस गर्व को बनाए रखना,
हम सब का अब धर्म है।
मिलकर प्रण करते हैं हम ,
सर्वोच्च यही अब कर्म है।

वंदेमातरम वंदेमातरम ,
रचें हमारे तन मन में।
जयति जय भारत माता,
जय हिंद हमारे जीवन में।

आशा शुक्ला,शाहजहाँपुर
उत्तरप्रदेश
भावो के मोती
26/1/20

थे आजादी के मतवाले।
धरती माँ के प्यारे प्यारे।

आजादी का विगुल बजाके।
रहते थे सीना वो ताने।

आजादी के थे दीवाने।
सरहद पर मिटने वाले।

संविधान के थे रखवाले।
कर्तव्यों के शहजादे।

गणतंत्र को पहचाने।
भेद भाव को न माने।

हम माने उनकी राहे।
जो दे गए वो दीवाने।

स्वरचित
मीना तिवारी


झूम रहा है
देश हमारा
फिर से सजा
प्यारा प्यारा
आजादी का
विगुल बजाने
जन समूह का
जन समाया
पहन बसन्ती
रंग का चोला
हर एक का
तन मन डोला
देखो देखो
धरती अम्बर
सजे हुए
आनंदित सारे
गीत जश्न के
गाते सारे
तिरंगा फहरा
रहे है।
आओ सारे
मिलकर गाये
तिरंगे का
सम्मान बढ़ाये।

स्वरचित
मीना तिवारी

26/01/2020रविवार
विषय-भारतीय गणतंत्र,संविधान,26 जनवरी
विधा-तुक्तक कथा
💐💐💐💐💐💐
15 अगस्त
स्वतंत्रता दिवस
अमर रहे
26जनवरी
गणतंत्र दिवस
अमर रहे
महात्मा गाँधी की जय...👌
ओ!बापू ...
तुम तो मरकर भी
अमर हो गए
हम तो जीते जी
मर रहे...👍
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श्रीराम साहू अकेला

गणतंत्र दिवस,संबिधान और स्वतंत्रता सेनानी
****************
26 जनवरी भारत की बात पुरानी है,
जल रहा देश,मुगलों से मिली गुलामी थी,
अंग्रेजों ने राज किया,शहीदों ने दी कुर्बानी थी।
लिखा संबिधान अम्बेडकर ने,डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जुबानी थी।
अधिकार दिया सबको जीने का,दी देश की कुर्बानी थी।
कर विभाजन राष्ट्र का,संबिधान की लिखी कहानी थी।
संबिधान की धर्मनिरपेक्ष नीति ने अल्पसंख्योंकों की भर दी झोली थी।
ले अधिकार हिंदुस्तानी,पाकिस्तान की, की रखवाली थी।
फिर भी कश्मीरी पंडितों का बलात धर्मपरिवर्तन कर डाली थी।
संविधान हमारा लचीला है,सबको एक माना था,
'वसुधैव कुटुम्बकम्'की नींव डाली थी।
कुछ गद्दारों ने मिलकर संबिधान से की मनमानी थी।
अब वक्त है आया देश की रक्षाकर,संबिधान की करनी रखवाली है।
न झुकने देंगें,न टूटने देंगें,देश की शान निराली है।।
गीतांजली वार्ष्णेय

आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाई 🌹🌹🇮🇳🇮🇳🌹🌹
दिनांक- 26/01/2020
शीर्षक- भारतीय गणतंत्र/संविधान/26जनवरी
विधा- छंदमुक्त कविता
******************

संविधान! संविधान! संविधान!
हाँ मैं हूँ भारत का संविधान,
जिसमें लिखा कानूनी विधान,
भीमराव अम्बेडकर थे महान,
संविधान लिखने में दिया योगदान,
गणतंत्र भारत की,मैं पहचान,
हाँ मैं हूँ भारत का संविधान |

मौलिक अधिकार तुम्हें दिये मैंने,
स्वतंत्रता के पहनाये गहने,
मान मेरा क्यों घटा रहे हो?
दिशाहीन तुम होते जा रहे हो,
न्याय व्यवस्था बेच रहे हो,
गुनाहों की रोटी सेक रहे हो,
ले रहे एक-दूजे की जान,
रो रहा भारत का संविधान |

संसद पर तुम हंगामा पीटकर,
दिल मेरा छलनी करते हो,
हो जाता हूँ मैं तब लाचार,
क्योंकि भूल गए तुम संस्कार,
गणतंत्र दिवस में याद करोगे,
बस एक दिन का मेरा मान,
बेबस हूँ, मैं भारत का संविधान |

26जनवरी, ये सुनहरी तारीख ,
देश में उत्सव मनता जब भारी,
हर दिन उत्सव यूँ मनता रहेगा,
नियम से हर कोई चलता रहेगा,
हम सब है भारत माँ की संतान,
घटने नहीं देगें हम इसकी शान,
हमको प्यारा है ये संविधान |
🇮🇳जय हिंद जय भारत🇮🇳

स्वरचित,अप्रेषित एंव अप्रकाशित
*संगीता कुकरेती*

दिनांक २६/१/२०२०
शीर्षक-भारतीय गणतंत्र


गणतंत्र देश के हम निवासी
हमको प्यारा अपना संविधान
भारत देश है सबसे न्यारा
भारत का गणतंत्र हमको प्यारा।

संवैधानिक जागरूकता हम फैलायेंगे
उत्सव नही महोत्सव के रूप में
इसे मनायेंगे
चहुं ओर विकास के हम अभिलाषी
प्रेम व सहिष्णुता की धारा हम बहायेगें।

एकता न हो खंडित हमारा
घर घर शिक्षा के अलख हम जगायेगें
क्षेत्रियता व सांम्प्रादायिकता को
जड़ से हम मिटायेगे।

जिस देश में हम जन्म लिए
उसके लिए कुछ तो अच्छे कर्म करें हम
रुग्न नही स्वस्थ मानसिकता हो हमारा
निर्मल मन से करे देश की उत्थान।
मजबूत करें हम अपना संविधान
जागृत करें हम देश प्रेम को
याद करे हम उन शहीदों को
जिसने सौंपा तन-मन धन देश को।

ईश्वरीय गुण है देशभक्ति
इसको जागृत करें हम
क्षणिक सुख को त्याग कर
आवहन करे देश प्रेम को।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
विषय- गणतंत्र दिवस
दिनांक-२६-१-२०२०
हर वर्ष की भांति गणतंत्र दिवस, हम हर्षोल्लास मनाएंगे।
भारत की अखंडता को,आँच कभी भी नहीं पहुंचाएंगे।।

हिंदू मुस्लिम सिख इसाई,सब मिलजुल शान बढ़ाएंगे।
युवा वर्ग सक्षम हाथों,गर्व से ध्वज आज फहराएंगे।।

अनेकता में एकता का,उदाहरण हम सब बन जाएंगे।
हम सब है भाई भाई,आज यह दुनिया को दिखाएंगे।।

कस ली है कमर कुछ करने को, तो हम कुछ कर जाएंगे।
आजादी के परवाने हैं हम,मौत को भी गले लगाएंगे।।

वीर शहीदों की शहादत में,हम नत मस्तक हो जाएंगे।
स्वतंत्रता उनका प्रतिफल,पावन पर्व आज मनाएंगे।।

शहीदों की कुर्बानी को,हम कभी भी ना भूला पाएंगे।
जरूरत पड़ी तो कर्तव्य राह पर, खुद शहीद हो जाएंगे।।

जातिवाद क्षेत्रवाद आतंकवाद को, देश से हम बिल्कुल हटाएंगे।
नेताओं की चाल समझ,अब हम चक्र से बाहर आ जाएंगे।।

अब भी समय है देखो उठ जाओ,वरना फिर पछताओगे।
समय निकल गया तो भाई,फिर हाथ मलते रह जाओगे।।

आसमान में आज तिरंगा,शान से एक हो हम फहराएंगे।
वसुधैव कुटुंबकम भावना,जन हृदय आज जगा जाएंगे।।

भेदभाव को भूल हम हिंदुस्तानी,अब एक हो जाएंगे।
गणतंत्र दिवस पर मिलजुल कर,शान से तिरंगा फहराएंगे।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली
6 जनवरी 2020

भारतीय गणतंत्र/संविधान/26 जनवरी
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^

आज भारतीय गणतंत्र 70 वर्ष का हो गया

बताइये कि इसने हमें क्या क्या नहीं दिया

अपने जन प्रतिनिधियों को चुनने के लिये मताधिकार का अधिकार दिया

जनता द्वारा जनता के लिये जनता को अपनी मर्ज़ी का अधिकार दिया

सरकार हमारी अच्छी और जन हितकारी हो जिसमें सद्चरित्र देशभक्त चुने प्रतिनिधियों की भागीदारी हो

जन सेवा हो मन में और काम करने में उनके हों खुशियाँ न कि कोई लाचारी हो

पर हममें से बहुत लोग अपने मताधिकार का बहुधा प्रयोग ही नहीं करते

या फिर जाति धर्म सम्प्रदाय का विचार या प्रलोभन पाकर अयोग्य भ्रष्ट व्यक्ति का ही चुनाव करते

फिर ऐसे ही लोगों द्वारा रचित तमाम दल भी मैदान में आ जाते

जो येन केन प्रकरेण आपको बहला फुसला अपना काम बना जाते

वही लोग जब सिद्धांतो को ताक पर रख नियम विरुद्ध काम धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार करते हैं

तब हम उनको गालियाँ देते जी भर के कोसते पर अपनी सही व्यक्ति न चुनने की गलती नज़रअंदाज़ करते हैं

पर भाई आपको क्या हक़ है कि आप उन्हें कुछ भी बोल पायें

मताधिकार का आपने उचित ढँग से प्रयोग न किया है यदि तो दोष उन पर क्यूँ जाये

इसलिये मेहरवानी से अब से ही सही अपने मताधिकार के हक़ का सही प्रयोग करिये

और देशहित समाजहित निजहित में केवल अच्छे चरित्रवान ईमानदार कैंडिडेट्स को अपना मत देकर प्रतिनिधि चुनिये

(स्वरचित)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव
गणतंत्र/संविधान
दिनांक-26.1.2020

विधा --दोहे
1.
तिरंगा हृदय में बसा,इकोत्तरी गणतंत्र।
समता का रंग निखरा,जन गण हुआ स्वतंत्र।।
2.
ग्यारा माह दिन अठरा, तथा पूर्ण दो वर्ष।
संविधान बनने लगे, मिला तभी ये हर्ष।।
3.
ये विकास की नींव है, भारतीय गणतंत्र।
ये समता के भाव का, उत्तम पावन मंत्र।।
4.
इस पावन गणतंत्र पर, करें प्रतिज्ञा खास।
घर घर में खुशियाँ उगें, बना रहे विश्वास।।
5.
देशभक्ति का भाव है, संविधान गणतंत्र।
प्रेमभाव सद्भाव है,राष्ट्र प्रगति का मंत्र।।
6.
हर्ष तथा उल्लास का ,गनतन्त्री आयाम ।
सुसज्जित संविधान से , समता भरा सलाम ।।
7.
ये विचार का वक्त है, हो निष्पक्ष विचार ।
देश विरोधी भाव औ, रहे न भ्रष्टाचार।।
8.
हम विकास के पक्षधर, करते गौरव गान ।
भारत माँ मुस्काय हो,सुनागरिक सम्मान।।

*****स्वरचित********
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '

विशेष आयोजन
विषय : संविधान

तिथि : 26.1.2020

बदल दो वह संविधान, जिसका न हो कोई सम्मान।

जो मिटा सके न भ्रष्टाचार
भूखों को न,दे सके आहार,
गरीबों को बनाएऔर गरीब
धनवानों को औ..र धनवान।

बदल दो वह संविधान, जिसका न हो कोई सम्मान।

ऐसे संविधान का क्या कीजे
जिसमें स्वदेश का हित रीते!
देश की प्रगति में बने बाधक
न करे कोई भी नव-निर्माण।

बदल दो वह संविधान, जिसका न हो कोई सम्मान।

जो बेरोजगारी को बड़ा रहा
दुख- संताप को न घटा रहा
असंतोष का जनक बना जो
ऐसे नियम का करो निर्वाण।

बदल दो वह संविधान, जिसका न हो कोई सम्मान।

शिक्षा को भी जो बड़ाए नहीं
नारी को भी जो बचाए नहीं
मुद्दों को बंद रखे फाइलों में
किसी ओर से भी नहीं महान-

बदल दो वह संविधान, जिसका न हो कोई सम्मान।

भाषणों की जो करे राजनीति
निभाए केवल कुर्सी से प्रीति
हर मोड़ पर जो बने है बिकाऊ
जग में बनाईअति हीन पहचान।

बदल दो वह संविधान, जिसका न हो कोई सम्मान।

संविधान बनाने वाले महारथिओ
दूरदृष्टि से रहित तुम छलियो-
क्यों कर रहे हो तुम खोखला
निज देश का तुम मान-अभिमान?

बदल दो वह संविधान, जिसका न हो कोई सम्मान।
-- रीता ग्रोवर
--स्वरचित

प्रस्तुती -1
विधा -हाइकु


हो उत्साहित
गणतंत्र दिवस
राष्ट्रिय पर्व

भारत देश
गणतंत्र मनाते
झाँकी निकली

सम्मान पाते
गणतंत्र दिवस
वीर बालक
**
स्वरचित- रेखा रविदत्त

🙏🏻 🙏🏻
दिनाँक-26/01/2020
शीर
्षक-भारतीय गणतंत्र , संविधान,26 जनवरी
विधा-हाइकु
1.
मिश्रित ज्ञान
हिन्द का संविधान
जाने जहान
2.
देश की शान
गणतंत्र दिवस
तिरंगा झंडा
3.
बड़ा गर्वीला
कठोर व लचीला
ये संविधान
4.
मान सम्मान
सबका अभिमान
है संविधान
5.
मेरा भारत
लोकतांत्रिक देश
सबसे अच्छा
6.
न्याय व्यवस्था
अधिकार कर्त्तव्य
संवैधानिक
7.
राष्ट्रीय गान
लिखित संविधान
देश का मान
8.
पावन पर्व
गणतंत्र दिवस
राष्ट्रीय गर्व
9.
देश की शान
अपना संविधान
नया विधान
10.
प्यारी आज़ादी
गणतांत्रिक देन
संवैधानिक
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
विषय , भारतीय गणतंत्र , संविधान, 26 जनवरी.
रविवार .

२६,१,२०२०.

शुभकामना शुभकामना सबको मिलें शुभकामना,
गणतंत्र दिवस मनायें और करें ध्वज की वंदना।

समर्पित हुआ संविधान जब अपना अपने देश को
देश धर्म निरपेक्ष बन गया अधिकार सबके एक से।

हुई भेदभाव की न बात रखी समानता हर एक में ,
बनी कार्यपालिका न्यायपालिका व व्यवस्थापिका।

हैं सभी के काम अलग और सबका है एक दायरा,
पहले राष्ट्र हित के लिए सभी सुनिश्चित कर दिया।

अधिकार मौलिक सबके लिए सबको मिले सुरक्षा,
विकास होगा देश का जब खुशहाल होगी जनता।

विचार बड़ा नेक था जब संविधान को लिखा गया,
सबके सर्वांगीण विकास का खयाल था रखा गया।

कर्तव्य को निभायें हम करें संविधान की आराधना,
प्रयास राष्ट्र के विकास हेतु और करें मंगल कामना।

स्वरचित , मधु शुक्ला.
सतना , मध्यप्रदेश .

विषय - भारतीय गणतंत्र/संविधान/26 जनवरी
26/01/20

रविवार
कविता

राष्ट्र का उत्थान ही हर नागरिक का धर्म हो ,
मातृ-भू कल्याण प्रेरित ही सभी का कर्म हो।

न कहीँ इस भूमि पर जयचन्द सा दुष्कार्य हो ,
न कहीँ रावण की लंका का यहाँ विस्तार हो।

राम की छवि हो सभी में ,कृष्ण सा सद्भाव हो ,
और महात्मा बुद्ध जैसा प्राणियों से प्यार हो।

हों सभी युवा विवेकानन्द जैसे देश के ,
चन्द्रशेखर और भगतसिंह सा हृदय में त्याग हो।

हों सभी बच्चे भरत से वीर ,निर्भय ,साहसी ,
और हर बेटी में लक्ष्मीबाई सी हुंकार हो।

गुरु सभी बन जाएँ विश्वामित्र और चाणक्य से ,
शिष्य भी एकलव्य और आरुणि के अवतार हों।

भारतीय - मूल्य ही पहचान हों इस देश के,
विश्व में भारत का गौरव- गान बारम्बार हो।

देश के गणतन्त्र का सम्मान हो हर दृष्टि से ,
तब हमारे देश का फिर से नवल उत्थान हो ।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
भारतीय गणतंत्र/ संविधान/ 26 जनवरी

भारतीय संविधान
है महान
दुनियां में है
एक मिसाल
सम भाव, एकता
है इसकी विशेषता
भारतीय गणतंत्र
लिए है विशिष्टता
जन मन से
करें वंदना
हर भारतवासी
के लिए
लिए हैं संवेदना

लड़ा देश की
आजादी
हर एक समुदाय का
है योगदान
हुआ जब स्वतंत्र
भारत महान
गाया सब ने
मिल कर यशोगान

करते
झंडावन्दन हम
गाते दिल से
जन गण मन
होता जोश में
हर भारतीय
गणतंत्र दिवस है
हर भारतीय के लिए
यादगार

लेते हैं
संकल्प हम
अजर अमर
रखेंगे संविधान
आंच न आने देंगे
आजादी पर
करेंगे नेक काम
ईमान और लगन से

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

आजादी की लड़ाई


हम भारत माँ के सपूत,
भारत गौरव के रक्षक है।
जैसे सतत हिमालय रक्षा करता।

खाके सौगंध माँ भारती के,
इसके ही निज चरणों में हम
अर्पण शीश का कर देगें।
ढोंगी, लोभी, भ्रष्टाचारी को
दलन चरणों में कर देगें।
माँ का गौरव अभिमान रहे
तेरे चरणों में ध्यान रहे।
हमें अपने देश पर मान रहे
संकल्प यही पर कर लेगे।
तेरा जल अमृत सा हो जाये
धरती धानी चुनरी ओढ़े।
है पवन चले यूँ मंद मंद
मन प्रफुल्लित हो जाए।
इतिहास की थाती न भूलें
अपना भी ये अभिमान रहे।
माँ के आंचल से जन्म लिया
माँ की गोदी में सो जाये।
कुछ काम हम ऐसा कर जाये
इस सारे जहाँ को याद रहे।
इस गौरव का नित ध्यान करें
आओ नवयुग निर्माण करें।।

स्वरचित कविता प्रकाशनार्थ डॉ कन्हैया लाल गुप्त शिक्षक उत्क्रमित उच्च विद्यालय ताली सिवान बिहार


लहराओं तिरंगा
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि देश हमारा गणतंत्र हुआ है।

लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि देश हमारा स्वतंत्र हुआ है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि अब देश में लोकतंत्र है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि अब देश साम्प्रदायिक नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश असहिष्णु नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में न्याय सस्ता है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में कट्टरता नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सर्वधर्म समभाव है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब बेटियां सुरक्षित है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सैनिक मारे नहीं जाते हैं।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सब पढ़ और बढ़ रहे हैं।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब निरक्षरता दूर हो गयी है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में गरीबी नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में भूखमरी नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब भाई भतीजावाद नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब जातिवाद, क्षेत्रवाद नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब भाईचारा, सद्भावना है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सनकी शासक नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश विश्वगुरू पुनः बना है।
वार - रविवार
तिथि - 26जनवरी 20

आज का आयोजन

ये वतन तो अमन ही सदा चाहता
प्यार से ही रहे सब दुआ चाहता।

बोलता भी नहीं वो कोई गैर है
वो सभी में खुशी देखना चाहता।

था बहा खून भी तो हजारों दफा
अब नहीं बूंद भी वो बहा चाहता।

दिल टूटा पड़ा कोइ बिछड़ा रहा
वो हमेशा सभी को मिला चाहता।

जो मिटे रंजिशे तो हटे बंदिशे
ये वतन तो सभी की रिहा चाहता।

शान भारत कि ऊंँची रखे सब सदा
ये वतन आपसे वायदा चाहता।

स्वरचित
गीता लकवाल
गुना मध्यप्रदेश

26/01/20
गणतंत्र

***
जयभारत जयहिंद का,सब मिल करिये गान ,
मातृभूमि अभिमान हो,अमर तिरंगा शान ।

मातृभूमि रज भाल पर ,वंदन बारम्बार,
लिये तिरंगा हाथ में,करते जय जयकार।

अखंडता अरु एकता ,भारत की पहचान।
विभिन्न संस्कृति देश की,इस पर है अभिमान।

जाति,धर्म निज स्वार्थ दे,गद्दारी का घाव ।
देशभक्ति ही धर्म हो ,रखें एकता भाव ।

सर्व धर्म समभाव हो ,करिये सभी विचार।
भारत के निर्माण में ,बहे एकता धार। ।

देशप्रेम की अग्नि में ,जीवन समिधा डाल।
तेल एकता का पड़े ,उन्नत होगा काल ।।

अपने हित को साधिये,सदा देश उपरान्त ।
जयभारत उद्घोष से ,हो एका सिद्धांत ।

देशप्रेम कर्तव्य हो ,देशभक्ति ही नेह।
पंचतत्व में लीन हों,ओढ़ तिरंगा देह।

स्वरचित
अनिता सुधीर

विषय-भारतीय गणतंत्र/संविधान/26जनवरी।
स्वरचित।
आजादी के बाद, देश चलाने को
और एक व्यवस्था बनाने को।
देश के पुनर्निर्माण कर्ताओं ने
बनाई एक संविधान सभा
उन्नीस सौ छियालीस में
राजेन्द्र प्रसाद थे बने
उसके अध्यक्ष।

फिर बनी प्रारूप समिति
अध्यक्ष बने थे अम्बेडकर।
कुल बनी तेरह समिति
तीन सौ नवासी हुये सदस्य।

अड़तालीस से शुरू चर्चा हुई
और बहुतों से बहुमूल्य विचार लिए।
फिर दो साल ग्यारह माह और
अठारह दिन बनाने में गये।

चौबीस जनवरी पचास को
सदस्यों ने हस्ताक्षर किये।
छब्बीस जनवरी पचास को
देश में संविधान लागू हुआ।

देश हुआ घोषित गणतंत्र
अपना स्वयं का राज हुआ।
सामंतवाद का गया जमाना
जनता का ही राज हुआ।।

हर एक को अधिकार मिले मौलिक
संग कर्त्तव्यों पर भी जोर दिया।
सभी पहलुओं को किया समाहित
सभी समस्याओं पर समाधान दिया।।

आओ हम सब मिलकर
लें शपथ फिर आज ये
संविधान का आदर करें।
है लचीला,समयानुकूल
ना उठायें बेबजह फायदा
ना इसका निरादर करें।।

प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
26/01/2020
गणतंत्र दिवस पर नेता सुभाष चंद्र बोस
को एक श्रद्धांजलि


सदा तुम ही ने देखे स्वप्न स्वाधीन ।
धूम्र रेख से तुम हुए कहाँ विलीन ।।

आजादी की परिभाषाएं रचीं नवल ,।
खिला दिए थे तुमने हर मन कमल ,
किया आजाद हिंद फौज़ का गठन ,
रहे थे बस तुम अपनी धुन में लीन ।
धूम्र रेख से तुम हुए कहाँ विलीन ।।

आजादी के तुम थे मलंग फ़कीर ,
खींची थी तुमने एक नई लकीर,
अपनी सेना,अपना पौरुष और पीर,
सुख-सुविधाओं के न हुए अधीन।
धूम्र रेख से तुम हुए कहाँ विलीन ।।

विचार शील और रहे मननशील ,
यूँ रहे सदा ही तुम संघर्षशील ,
जनमानस को किया गतिशील ,
कसम खाई ,नहीं रहेंगे पराधीन ।
धूम्ररेख से तुम हुए कहाँ विलीन।।

मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित

मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित

दिनांक : 26.01.2020
वार : रविवार

आज का आयोज :
भारतीय गणतंत्र
संविधान 26 जनवरी
विधा : मुक्त

गीत

आओ देश बचाना है !!

अधिकारों की मांग बड़ी है ,
वो राहें रोके बैठे हैं !
झुक जाये सरकार यहाँ पर ,
इसीलिये बस ऐंठे हैं !
कट्टरवादी सोच खड़ी है ,
बस विरोध ही करना है !
बच्चे , महिलाएं आगे हैं ,
अब वर्दी को डरना है !
सच को बार बार दोहराएं ,
पार झूँठ से पाना है !!

जिन्ना वाली आजादी का ,
अब उठता है शोर यहाँ !
अंधियारा मुट्ठी में चाहे ,
उजियाले की भोर यहाँ !
नासमझी है पैर पसारे ,
कौन यहाँ आगे आये !
सच्चाई तो सभी जानते ,
झूँठ जुगाली मन भाये !
गलत राह ना मन मुड़ जायें ,
इनको यह समझाना है !!

राजनीति ने बांट दिया है ,
यहाँ डराते हैं साये !
जाति , पाँति और धर्म खड़ा है ,
पगले मन को भरमाये !
पर काँधे बंदूक रखे हैं ,
नेता सबको भरमाये !
भोला है जनमानस ऐसा ,
बारंबार ठगा जाये !
खेल पुराना चला आ रहा ,
वोट इन्हें जो पाना है !!

तीन रंग में बसी विविधता ,
लहर लहर खुशियाँ लाती !
और वतन के नाम तराने ,
माटी चंदन बिखराती !
देशभक्ति हो घुली सांस में ,
रोम रोम जयकारे हों !
माँ की बलिवेदी चढ़ जायें ,
ऐसे मन झनकारे हों !
सबके दिल में हूक उठे यह ,
चाहें बस नज़राना है !!

स्वरचित /रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )
~~~~~~~~~~~~~~~

छव्वीस जनवरी का ये पर्व इस पर हमको
बड़ा है गर्व
हम सब इसको आज मनायैं,अब नव भारत-
वर्ष बनायैं।

इस नई सदी में हम सभी कुछ समय पूर्व घुस
आये हैं।
अब आओ सभी संकल्प लैं जो हमने विचार
बनाये हैं
कह लायैं हम सभी स्वदेशी रह न पाये कोई
विदेशी
हम कसम श्री राम की खायैं।।अब नव0।।

तुर्क बंगला के घुस पेठिये या इंगलिश व
पाकिस्तानी।
घुस कर के भारत देश में करने ना पाये
मन मानी।
जो भी इनको आश्रय देगा वो भारत में नहीं
रहेगा।
चाहे वे भारतीय कहलायै।।अब हम0।।

रहते तो भारत देश में पर गुण गाते
पाकिस्तान के।
हिन्दी के दुश्मन अंग्रेजो तुम सुनलो
हिन्दुस्तान के।
बोलो भारत माता की जय या अपना कर लो
रहना तय।
हम अब तुमको मार भगायैं।।अब नव0।।

परमाणु बम लिये हैं बना हमने ही अपने
बूतै पर।
नहीं लगा पाया पता अमरीका कितनेऊ
कूते पर
पृथ्वी अग्नि व त्रशूल बनाये इससे भी अब
आगे जायैं।
कर आगे भी और दिखलायैं।।अब नव0।।

दुनियां ने अब ये मान लिया कि न भारत का
कोई सानी।
मंगल पर फहरा तिरंगा जा चन्दा में ढूंड़ा
पानी।
डी.वी.डी.कम्पूटर टी.वी. अन्तरिक्ष को किया
करीवी।
अब सूरज को भी अजमायैं।।अब नव0।।

जो भारत मां को मां नहीं न वन्दे मातरम्
कहते हैं
ये ही तो देश के हैं दुश्मन जितने भारत में
रहते हैं।
वोट के पानी ने इन्हैं सींचा देश द्रोहिनि का
बना बगीचा।
अब हम इनको मार भगायैं।।अब नव0।।

कवि महावीर सिकरवार
आगरा (उ.प्र.)
विषय- भारतीय गणतंत्र/संविधान

26 जनवरी का पुनीत दिवस
गणतंत्र दिवस कहलाता है
पूरे देश में हर्ष,उल्लास,उमंग
एक पर्व राष्ट्रीय कहलाता है ।

देश के अलग अलग कोनों में
हिंद -तिरंगा फहराया जाता है
राष्ट्रगान के मधुरिम गायन से
मान-सम्मान बढ़ाया जाता है ।

राजपथ की शोभा सबसे न्यारी
करतब संग मनोरंजन करते हैं
जल,थल,वायु के सजग प्रहरी
निज दम-ख़म प्रदर्शन करते हैं ।

महामहिम राष्ट्रपति का अभिवंदन
21 तोपों की सलामी से करते हैं ।
राजपथ से इंडिया गेट तक आकर
परेड सलामी से जन-मन हरते है ।

देश के अलग अलग प्रांतों की
झाँकियों का नज़ारा दिखता है
ज्ञान-विज्ञान,तरक़्क़ी का भान
उजियारा दिखलाया करता है ।

मेरा भी कुछ कर्तव्य बनता है
इस गणतंत्र का सम्मान करूँ
विधि-विधान जो लिखे गए हैं
मैं ईमानदारी से निर्वहन करूँ ।

संतोष कुमारी ‘ संप्रीति 

विषय गणतंत्र
रविवार 26/01/2020


कितने सालो लडी जंग, तब जाकर अपना तंत्र बना
देश आजाद हुआ अंग्रेजो से तब जाकर गणतंत्र बना

अपना तंत्र हो, अपनी बात हो, अपना चुने जननायक
संविधान बनाया नया, अपना संविधान स्वतंत्र बना

हम सोचे कैसे हो विकास, सोचे कल का भारत नया
नया सूरज उगे भारत में, सबका यह एक मंत्र बना

सालो हुए आजादी को, कितनी बाधाओं से हम लडे
हुए नवाचार कई, हर गांव,हर शहर मे नया तंत्र बना

जय जवान जय किसान का नारा गुंजा फिजाओं मे
'समान मंत्र समिति समान' का सुंदर सर्वत्र मंत्र बना

जात -पात का नाम नही, ऊंच नीच का भेदभाव नही
धर्मनिरपेक्ष बना भारत , जन गण मन गणतंत्र बना

सबको मिली आजादी, बात कहने का हक मिला
द्वार खुले उन्नति के अनेक, नव उद्योग नव यंत्र बना

कर्तव्य हमारा याद रहे, बलिदान व्यर्थ न होने पाए
सपनो का बने फिर भारत, संविधान में जनतंत्र बना

काम अधूरे जो रह गए, वो पूरे हमे सब करना होगा
जनता चुने सच्चे नायक, जिस हेतु ये गणतंत्र बना

कमलेश जोशी
कांकरोली राजसमंद

आओ आज सुर मिलायें
गा रही माँ भारती।
मन का दीप हम जलायें,
सब उतारें आरती।
आओ--'

अभिन॔दन करे तिरंगा,
छू रहा है आसमां।
जन गण मन से अवगूंजित,
हो रहा सारा जहाँ।

स्वर लहरी गूंजे जग में,
सप्त सुर सँवारती
आओ-----

अनवरत ही जल रही है,
अब शहीदों की चितायें।
मातृभूमि की रक्षक बन,
सहर्ष प्राण गँवाए।

स्मृतियों के द्वार खोल माँ,
जख्म अयन उभारती।
आओ---

जागते रहना लाडलों,
मा का आहवान है।
पहनो केशरिया बाना,
तिरंगा परिधान है।

अमन शान्ति रहे चमन में,
फकत यही पुकारती।
आओ---

अब ना मिटा सकेगी हमें,
आए कभी आँधियाँ।
हम बना ले एकता की,
ऐसी सुदृढ़ आशियाँ।

कर्म पथ पर है सपूतों,
वह सदैव निहारती।
आओ---

कौन इसको है रुलाता,
नित बहाता रक्त है।
घड़ी परिक्षा की आई,
विकट आया वक्त है।

कुपित हो जाए माँ तो,
खड्ड फिर सँवारती।

आओ--

स्वरचित
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़

" हमारा देश-भारत "
============
भारत देश हमारा है
सब देशों से न्यारा है
हम सब इसके वासी हैं
कहलाते हैं हम भारतवासी
गाँधी जैसे महान नेता हुए
जो कहलाते हैं, राष्ट्रपिता
गणतंत्र मनाते हैं हम, अपना
क्योंकि...
लागू हुआ था, संविधान अपना
और मिला था मौलिक अधिकार
फहराते हैं, अपना राष्ट्र ध्वज तिरंगा
राष्ट्रपति जी शान से
आओ -हम सब गर्व करें
और मनायें राष्ट्र पर्व को.. ||

शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली, पंजाब
स्वरचित मौलिक रचना

मेरी जान, मेरी शान,
है प्यारा ये मेरा वतन,
रंग बिरंगे फूल यहाँ,
हरदम महके मेरा चमन,
प्राणों का देते बलिदान,
करते रक्षा प्रहरी बन,
शोर गोलियों का सहकर,
देश में रखते ये अमन,
अपनी खूबियों का ये,
लोहा मनवाते,
छब्बीस जनवरी के अवसर पर,
करतब अपने ये दिखलाते,
गणतंत्र दिवस पर,
तिरंगा लहराए,
देख हौंसलें वीरों के,
दुश्मन भी मुहँ की खाए।
**
स्वरचित-रेखा रविदत्त


गणतंत्र दिवस के अवसर पर मेरी प्रस्तुती-३
विधा- मुक्तक


ए देश मेरे, तू जान मेरी,
लुटा दूँ तुझपे अरमानों की ढ़ेरी,
तेरे सम्मान की खातिर,
जान लेने, देने में ना करूँ मैं देरी।
***

दिन प्यारा ये छब्बीस जनवरी,
लगी इस दिन संविधान की झरी,
देश मेरा है रंगीला इतना,
खुशियों की यहाँ झोली भरी।

शहीद हुए जो वीर जवान,
देश का हो तुम वीरों मान,
छब्बीस जनवरी के अवसर पर,
मिलता है उनको सम्मान ।
**
स्वरचित-रेखा रविदत्त


प्रस्तुती-२
विधा-वर्ण पिरामिड़

गणतंत्र दिवस के अवसर पर

है
देश
महान
प्रेम मंत्र
ये गणतंत्र
वीरों को सलामी
दुश्मनों पे सुनामी

है
मान
ललाट
ले सौगात
नव प्रभात
मिटाता तमस
संविधान दिवस
***
स्वरचित-रेखा रविदत्त
26 जनवरी 2020
गीत का प्रयास
गणतंत्र दिवस

शुभ गणतंत्र का पर्व मनाए,जन जन में खुशहाली हो
अधिकारों का समावेश है, कर्तव्यों की थाली हो।

संविधान की लिखी कहानी,भीमराव ने अगुआ बनकर
विविध राष्ट्र से चुने तत्व का समावेश है किया निरन्तर
सर्वधर्म सद्भाव भरे नित राष्ट्र वृक्ष की डाली हो।
अधिकारों- - - -

प्रस्तावना लिखी अति सुन्दर, राष्ट्र एकता मंत्र बना
जन जन की भागीदारी हो,लोकतंत्र गणतंत्र बना।
स्वतंत्रता को नई दिशा दे उगते रवि में लाली हो
अधिकारों- - - -

न्याय धर्म विश्वास सबलता,अखंडता अक्षुण्य रहे।
उर राष्ट्र धर्म बसता हो, जन कर्मों में पुण्य रहे।
पुष्पों ने ही जिसे चुना हो ऐसा उपवन माली हो।
अधिकारों- - - - - - - - - - - - - - -
स्वरचित
गीता गुप्ता 'मन'


विषय-संविधान ,गणतंत्र
26.1.2020


मेरा देश मेरी मिट्टी ,मेरा ये वतन है ,
सबसे प्यारा सबसे न्यारा ,मेरा ये चमन है।
कितनी बेड़ियों को तोड़कर हुआ स्वतंत्र ये ,
नाज है हमारा संविधान भी बुलन्द है।
अब न कोई भेद भाव न कोई परतन्त्र है
राष्ट्र ध्वज लहरा रहा ,यह वीरों का महा पर्व है।
बेड़ियों को तोड़कर ,सीने पर गोली खाकर,
लिख दिए लहू से अपने ,शहीदों ने गणतंत्र हैं ।
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स्वरचित -- निवेदिता श्रीवास्तव
जमशेदपुर ,झारखण्ड


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