Tuesday, January 7

"शौक "8जनवरी 2020

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ब्लॉग संख्या :-619
दिनांक-08/13/2020
विषय-शौक


यह किसी नायक की जीवन यात्रा नहीं, एक संपूर्ण युग की शौक के शौर्य की वीरगाथा है

यह स्त्री के रूप वैभव कि नहीं, उसके लौह भुज दंडों के शौक की गाथा है।............

शून्य के प्रखर प्रहर में अंगारों से लिपटा मेरे भारत का गौरव।
अनंत अस्तबल में बैठा मेरा शौक सूर्य के दमकते शौर्य से कहता....

देखा था ग्वालियर का वह गढ़
झांसी की वह शान नहीं।
दुर्गा दास ,प्रताप का बल
प्यारा वह राजस्थान नहीं।।
जलती नहीं चिता जौहर की मुट्ठी
में शौक का वह बलिदान नहीं।
टेढ़ी मूँछ लिए फिरना रण में अब
शौक राणा राजस्थान नहीं।
चढ़े अश्व पर दौड़े चेतक रण में
कर मे लिये भालो को राणा।
खोज रहा मेवाड़ आज उन अल्हड़ मस्तानों
को कब आएंगे सुरजन हाड़ा।।
समय मांगता मूल्य मुक्ति का
अब ऐसा संसार नहीं।
वैभव सजाए बैठे हैं तलवारों
की शौक में वह रसधार नहीं।।
प्रचंड जौहर की जलती चिंगारी
थार के रेगिस्तानो में।
मेवाड़ देता प्राणों की आहुति
शौक से सल्तनत के कब्रिस्तानों में।
सुंदरियों को सौंप अग्निपथ
पर निकल गए राजदुलारे।
बाल ,वृद्ध ,और तरुण खेले गए
शौक सेअग्नि के अंगारे- न्यारे ।
राजपूताना रोता रणबांकुरों की
आहुति पर टीलो के किनारे
शौक से ऋतुपति राणा के बहते है,
लाल रुधिर के दिव्य पनारे।।

सत्य प्रकाश सिंह
प्रयागराज
विषय शौक
विधा काव्य

08 जनवरी 2020,बुधवार

अलग अलग शौक सभी के
यह अभिरुचियों पर निर्भर।
वातावरण मिलता जीवन में
वही शौक बनता जीवन भर।

कोई संगीतज्ञ कोई वादक
कोई राष्ट्र भक्ति में तन्मय।
अलग अलग शौक सभी के
वह जीवन जीता है निर्भय।

मातपिता की सेवा शौक है
स्नेह सौहार्द बड़ा शौक है।
जीवजन्तु सेवा नित करना
स्वछ जल वायु शौक है।

कोई चित्र निर्मित करता
कोई अर्चन पूजन करता।
सबके अपने शौक निराले
कोई असहाय पीड़ा हरता।

जननी जन्मभूमि गरियसि
सुंदर जीवन मिला सुहाना।
उत्तम शौक को पूरा करलो
जीवन तो बस आना जाना।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
दिनांक- 8/01/2020
शीर्षक- ""शौक""
िधा- कविता (सायराना)
********************
जिन्दगी मिली हमें, इसे जीने का शौक रखते हैं,
शराब नहीं हम तो शरबत पिलाने का शौक रखते हैं |

चार अक्षर हमने भी पढ़े, लिखने का शौक रखते हैं,
कभी कविता तो कभी शायरी लिखने का शौक रखते हैं |

गमों को छुपाकर,हँसने-हँसाने का शौक रखते हैं,
परेशानियों में भी यारा जीने का शौक रखते हैं |

पुरानी यादों को संजोने का शौक रखते हैं,
तस्वीरों से जमी धूल हटाने का शौक रखते हैं |

नये-नये पकवान बनाने का भी शौक रखते हैं,
खाने व दूसरों को खिलाने का शौक रखते हैं |

स्वरचित- संगीता कुकरेती

शीर्षक- शौक
8/1/2020


मदरसे में नहीं सूखतीं अब तख्तियांँ,
बेशुमार मिलती कायदे में गलतियांँ।

तालीम की खुली चौराहों पर दुकानें,
जाहिल फिर भी रह गई हैं बस्तियाँ।

कुछ तो होंगी आपकी मजबूरियांँ,
इल्म से बनाईं है इन्सान ने दूरियांँ।

जहानत के लिए जरूरी सख्तियाँ,
शौक या खौफ से बनती हस्तियांँ।

शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
शीर्षक-- शौक
प्रथम प्रस्तुति


शौक सारे बताये नही जाते
गीत सारे सुनाए नही जाते।।

दोस्त बहुत मिलेंगे दुनिया में मगर
सभी से हाथ मिलाए नही जाते।।

नेक शौक पर नज़र रखें पर ये क्या
बुरे शौक भी मिटाए नही जाते।।

मोर मोर है पर भक्षण अजीब है
किस्से सारे दर्शाये नही जाते।।

बिडंबनाओं से भरा जग संसार
ज्यादा दिमाग खपाये नही जाते।।

शोहरत के लिए एक शौक काफी
पर पूरे जोर लगाए नही जाते।।

शौक को शौक रहने दें कितने ही
हुनर में परिणित कराए नही जाते।।

नेक शौक 'शिवम' रब के दिए सिक्के
अफ़सोस हमसे भुनाए नही जाते।।

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 08/01/2020
दिनांक ८/१/२०१९
शीर्षक-शौक


तज दिये जो अपने शौक,
गृहस्थी के खातिर
शिक्षा शक्ति सब रख दी ताक पर
बच्चों के खातिर।

नीरस हो गई जब जिंदगी
बच्चें भये विदेशी
शौक अपनी पूरा करने को
हुई प्रतिबद्ध वह नारी।

हर्ष, विषाद विस्मय
सबको लेकर साथ
शौक उसकी पूरा करने को जब
सबने बढ़ाये हाथ।

तज कर आशा व निराशा
बस शौक को रख आगे
निकल पड़ी वह शौक पूरा करने
विराम नहीं होगा अब आगे।

हुआ इंतजार खत्म,पूरा होगा सपना
कल तक थी जो घर की नारी
अब मिले प्रशंसा भारी
जब जागे घर की नारी।

सबकी शौक पूरा करने को
है जिसकी जिम्मेदारी
अब अपनी शौक पूरा करने को
निकली घर की नारी।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
दिनाँक ८/१/२०२०
शीर्षक

32.शौक
शौक समाज सेवा का भी रखिये हुज़ूर।
समाज की पीड़ा कु छ कम होगी हुज़ूर।
शौक बागवानी का भी कुछ रखिये हुज़ूर।
धरती की छाती के घाव कम होगे हुज़ूर।
शौक मित्रों से भी मिलने का हो हुज़ूर।
दृष्टि को नवीनता देखने को मिलेगी हुज़ूर।
शौक पुस्तकों के पढ़ने का भी हो हुज़ूर।
ज्ञान अनुभव में भी इजाफा होगा हुज़ूर।
शौक शेरों शायरी का भी रखिये हुज़ूर।
दिलों के दर्द कुछ कम हो जाएगें हुज़ूर।
शौक प्रकृति निरिक्षण का भी हो हुज़ूर।
दिलों में प्रसन्नता दुगुनी हो जाएगी हुज़ूर।
स्वरचित कविता प्रकाशनार्थ
डॉ कन्हैयालाल गुप्त" मीर"
शिक्षक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय ताली, सिवान, बिहार 

विषय - शौक
विधा - पद्य
***************
शौक

मेरा शौक न जाने क्यूं
अब तक मुझसे ही नाराज रहा

हाल जब भी पूछा हमने
अनमना सा जबाब रहा

कभी ताने कसे उसने
कभी मुझसे ही मुँह फेर लिया

मेरे शौक ने यूं मुझसे
नाता तोड़ लिया

मैंने कहा बोल सखी तू कैसी है
उसने पलट प्रतिघात किया

मैं कुचली गयी, कुर्बान हुई
दफ़न हुई, जिंदा थी मैं
सांसे क्यूं तुमने छीन ली

क्या मुझे एक स्त्री के शौक
होने का अभिशाप मिला

सहम गयी , ठिठक गयी
मानो जैसे मैं जम गयी

तभी जड़ से मैं चेतन हुई
पश्चाताप की अनुभूति हुई

मूक थी जो मैं अब बोल पड़ी
सुन मेरे शौक तू जीवित है मेरे संग

अब तक शिथिल पड़ी थी मैं
सुन्न पड़ा था अंग

" मेरे रगों में सृजन की
उत्कट अभिलाषा पलती है
लेखन है शौक मेरा
कलम मेरी पल प्रतिपल
मुझे प्रेरित करती है "

संगीता सहाय "अनुभूति"
स्वरचित
रांची झारखंड
Damyanti Damyanti

विषय_ शौक |
शौक भी अहम चीज है
ये भ्रम मात्र था बस

जब तक इसे पाला न था |
शौक सबके निराले इस धरा पर |
किसी को नाम कमाने तो किसीको खान|का
जूनन मुझे आगे बड मंजिल पाने का
पर किसी को गिराना मेरा शौक नही |
जूनन हे लक्ष्य ले अपनी मंजिल पाना |
किसी के सहारे पाने का मुझे शौक नही |
आज देखो गरीब ने शौक
मंहगे पाले है|
ऐ जिदंगी तेरे नखरे संभाले है |
जूनन है मुझे पेड पौधे लगाने का |
उनको काटना व काटने देने का शौक नही |
स्वरचित_ दमयंती मिश्रा
दिनांक-8/1/2020
विषय-शौक/रुचि

विधा-मुक्तछंद रचना

उन्हें शौक है आडंबर का
दिखावे का
धन दौलत जो भरपूर है

उनको शौक है लोगों को
नीचा दिखाने का
धन के नशे में वो चूर हैं

उन्हें शौक है झूठे वादे
करने का
वो सत्ता के मद में चूर हैं

उन्हें शौक है अर्धबदन
दिखाने का
फैशन में वो चूर हैं

उसे शौक नहीं है
अपना उधड़ा तन
दिखाने का
वो बेबस और मजबूर है।।

*वंदना सोलंकी*©स्वरचित

विषय-शौक/रूचि
विधा-कविता

दिनांक-8/1/2020
बुधवार

शौक सदा ऐसे रहें,जिससे आगे हम बढ जायें ।
अब ऐसे शौक कभी न हों,बर्बाद हमें कर जायें।।

रहें सारे शौक सेवा सदा,जब भला किसी का हो ।
यही सदा नेक रास्ता है,मानवता पहचान हो।।

शौक हो हमको यही,सब जिम्मेंदारी पूर्ण करें।
विमुख नहीं हों कभी हम,तत्परता से काम करें।।

हमें बुरे शौक ले जायें गर्त ,ये विकार से भरे पडे ।
कभी न उभर पाते इनसे,एक बार जो गले पडे।।

स्वरचित एवं स्वप्रमाणित
डाॅ एन एल शर्मा जयपुर' निर्भय ,

रास्ता मुश्किल था पर हम रूखे नहीं
दिल में दर्द था पर हमने अश्क बहाये नहीं
कोई नहीं हैं हमारा इस जमाने में

अब शौक शौक किसके लिए रखें हम .

ख्वाब जगे हैं अरमान जगे हैं मन में
टूटे हुए दिल में कुछ ख्वाब जगे हैं
बेदर्द भी हैं और हसीन भी हैं जिंदगी
सिमटी हुई जिंदगी में कुछ शौक और ख्वाहिश जगी हैं .

हो जाता हैं कभी कभी मन में वहम
कोई अपना सा लगता हैं
जीने की कुछ उम्मीद सी जग जाती हैं
जीने का एक नया शौक मन में उभर जाता हैं .
स्वरचित :- रीता बिष्ट
8/1/2020
शौक/रुचि
*********
शौक से
पहन पैजनीयां
चलती ,गोरी
इठला इठला ।

होती
स्वयं पर मुग्ध
रुनझुन रुनझुन
जब बजती
पैजनीयां ।

ज्यों चलती
हर सांस
साँसों के
साथ चलती
हिय की धड़कन।

पल भर को
सहम जाता
मन ।

धरेहाथ छाती
न न में सर
हिलाती ।

न जाने
कब रुक जाए
धड़कन ।

क्यूँ न वो
सत्य को
अपना पाती ।

छुटे
सांस टूट जाये
ये पायल पल
में यूँ जीवन
अंत ।

पूछे
खुद से
इतने शौक़
जीवन में
क्यों लगाती ।।।

स्वरचित

अंजना सक्सेना
इंदौर

शीर्षक शौक
8/1/20

................
कुछ शौक हम भी लाज़बाव रखते हैं.....फन हर हाल में मुस्कुराने का रखते हैं.....खेलते हैँ कुछ लोग मेरी सच्चाई से...बनाते हैँ कितनी ही साजिशें चतुराई से..... हम कितने शौक से सब सह जाते हैं.... वो खुश हैं जश्न मानते हैं... बेहयाई से मुस्कुराते हैं... अपनी जीत पर....
और.... जानते नहीं कभी न कभी पाप का घड़ा भर जाता है.... हाय दूसरों की उनको सताएगी. शौक इतना जो है....उनको दूसरों को गिराने का दर्द पर दूसरों के मुस्काने का... एक दिन ऐसा भी आएगा लोगों की हाय उनको सताएगी और..... उसकी आह की कीमत उनके द्वारा निश्चित ही चुकाई जाएगी......
पूजा नबीरा काटोल
नागपुर
शीर्षक --शौक
दि.बुधवार/8जन2020

विधा ---दोहे

1.
शौक कीजिए सोच कर,ताकि बने नहिं शोक।
ज्ञान युक्त आयाम को, सके न कोई रोक।।
2.
शौक करे ऊर्जा मिले, सदा कर्तव्य भान ।
जीवन में लें रस नहीं,ईश्वर का अपमान।
3.
संग्रह सिक्के अरु टिकिट,कुछ कतरन अखबार।
नोट छियांसी सात सौ, पेंटिंग का सँसार।।
4.
लिखना पढ़ना शौक हो, बढ़े ज्ञान भंडार।
हम बल पर इस शौक के,कर सकते उपकार ।।

*******स्वरचित**********
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र.)451551

हथेली पे फिर शौक से जान रख।
थोड़ा सा सब्र और इत्मीनान रख।


कोई शै नही दूर रहें पावं जमीं पे।
निगाहों में चाहे तो आसमान रख।

जन्नत कहां अगर जो नहीं है यहाँ।
तू बस एक ख्यालों में अमान रख।

नंगी है तो कभी भरोसा न करना।
साथ में ही तलवार के मयान रख।

ना कुछ न छिपेगा लाख छिपा ले।
तू सच्चा करम सच्चा बयान रख।

दोस्त को ये दुश्मन बना सकती है।
सोच ले फिर तोल कर जबान रख।

किससे निभेगी छोड तुझे सोहल।
ऐसे नामुराद का ना अरमान रख।

माना कि मुश्किल ठहरना हवा में।
हैं शर्त इरादों के आगे उडान रख।

स्वरचित विपिन सोहल
08/01/2019
"शौक/रूचि"


कल::----
शौकिया मिज़ाज़ हम रखा करते थे ,
यार- दोस्तों के जान हुआ करते थे।

गानें-बजाने के शौक रखा करते थे,
सारी रात महफ़िलें सजाया करते थे।

शौकीन जिंदगी हम गुज़ारा करते थे,
'यारों के यार' इक दूजे को कहा करते थे।

शौकीन मिज़ाजों से पहचाना करते थे,
लम्हा-लम्हा बेफिक्री से जिया करते थे।

आज::---
कड़कड़ाती ठंढ में भी रजाई छोड़ उठ जाते हैं,
सोने की शौकीन गृहिणी न हुआ करती हैं।

झुलसाती गर्मियों में भी चूल्हा-चौका में व्यस्त रहती,
एसी,कूलर की शौकीन से ग्रहस्थी न चलती है।

शाम को बच्चों और पतिदेव के लिए नमकीन बनानें में लगी रहती,
गृहिणियाँ शामे महफिलों की शौकिनें न हुआ करती ।।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
* नमन भावों के मोती
* दिनांक -08-01-20

* शीर्षक - शौक

शौक ही शौक में जो पीते चले गए।
इस कदर वो जमाने से नीचे चले गए।
नम्रता छोड़ दी,छोड़ दी हर कशिश,
वो कदरदान थे पर पीछे चले गए।
शौक का हश्र ऐसा हुआ जान लो,
धूल मुँह पर यूँही वो उलीचे चले गए।
ऐसा मारा शौक ने की बस जिन्दा थे,
मरे हुओं की ज़िंदगी जीते चले गए।
सोचना-विचारना गुम गया,बस
पीना-खाना दिन इसी में बीते चले गए।
जब होश आया तो होश न रहा,
अंतिम समय बस यूँही रोते चले गए।।
स्वरचित
चरण सिंह प्रजापति
हिण्डौन सिटी
राजस्थान
*भावों के मोती*
स्वरचित।
शीर्षक-शौक

शौक है मुझे भी कि
चर्चित हो जाऊं मैं।
मगर स्वाभिमान की कीमत पर नहीं।।
शौक है कि अखबारों में
छपबाई जाऊं मैं।
पर स्त्रीत्व पर सवाल,की कीमत पर नहीं।।
शौक है कि किसी दिन
टीवी पर आ जाऊं मैं।
पर देशद्रोही कार्यों की कीमत पर नहीं।।
शौक है सारी दुनिया
पर छा आऊं मैं।
सूरज पर ग्रहण बनने की कीमत पर नहीं।।

प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
08/01/2020
8/1/20
विषय शौक


बचपन की अधूरी कापियां
बचे हुए अधूरे पन्ने
मुझसे कहते है
हमे तेरा इंतज़ार है
जिंदा कर तू अपने
शौकों की बुनियाद
लफ्जो को बुनकर
कल्पनाओं का चित्रण कर
बादलों के अक्स में
ढूढ ले अपने अधूरे ख्वाब
लिख दे कोई अधूरी कहानी
अपने फुरसत के कुछ पल
एहसासों की दुनिया
खुद को जिंदा रखने के लिए
शब्दो के रिश्तों की तुरपाई
जिन शौकों को तूने
कभी ओढाई
जिम्मेदारी की रजाई

स्वरचित
मीना तिवारी
विषय:शौक।
8-12-2020.

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शौक था शान-ओ-शौकत का।
ऊंची अट्टालिकाओं में रहने का।
मज़लूमों, बेसहारों की मदद का।
मानवता की भरसक सेवा का।।
इसीलिए मुफलिसी से जंग लड़ी।
भूखे पेट शिक्षा अपार अर्जित की।
फिर तलाश शुरू हुई नौकरी पाने की।
हाथ में डिग्री,मुँह में प्यास,मन में आस।।
शहर दर शहर हर रोज भटकता रहा।
सुनहरे सपनों की खोज में खोया रहा।
जहाँ गया वहाँ सिफारिश और रिश्वत की मांग।
पतझड़ से स्वप्न झरे,मुँह के बल गिर पड़े।।
(स्वरचित) ***"दीप"***
08/01/20
शौक

**
बेहतर है शौक का शौक बने रहना
बदतर है शौक का शोक बन जाना
शौक भी अजीबोगरीब पालते है लोग
आदत में शुमार हो जाये तो काल बन जाये
शौकिया नशा दोस्तों संग एक बार किया
शनैः शनैः ये शौक कब आदत बन गया
तेज रफ्तार गाड़ी चलाने का शौक
कब हादसा बन सामने खड़ा हो गया
किसी को पब्जी का शौक ,लत बन
भविष्य को दाँव पर लगा गया ,
क्या कहा जाये ऐसे शौक को
जो जीवन को खोखला कर गया ।
शौक ही पालने हैं तो ऐसे पालें
जरूरतमंदो की दुनिया बदल डालें
दो जून की रोटी का माध्यम बन
उनकी झोली खुशियों से भर डालें
आदर्शों पर चलने का शौक पाल कर
जीवन को सुखमय शांत बना डालें।

स्वरचित
अनिता सुधीर
विषय , शौक / रुचि .
दिन, बुधवार .

दिनांक, ८,१,२०२० .

दिल दीवाना सा इक पंछी,
चुपके से आँचल में शौक भरे।
कहीं नजर न लग जाये किसी की,
वह छुपाता अपने शौक रहे।

पहले जरूरत घर परिवार की,
फिर अपने शौक पे ध्यान धरे।
जब जब बात चली रुचियों की,
किस्मत सबकी साथ न दे ।

विरले ही लोगों की छवि ऐसी ,
जो अपने शौक के लिए जिये ।
रुचि अच्छी लगती सदकर्मों की ,
देश भक्ति की चमक लिए ।

बात हुआ करती है शौक की,
यही सबके जीवन में रंग भरे।
खुशियाँ रूठें न किसी की ,
जीवन अपनी रूचियों से जिये

क्षमता जरूर हो इतनी सबकी ,
शौक किसी के अधूरे न रहें।
सोच बना के सबके हित की ,
यहाँ हर कोई शौक पूरा करे।

स्वरचित, मधु शुक्ला .
सतना , मध्यप्रदेश .
विषय-- शौक/रुचि
____________________
ज़िंदगी की उलझनों के
कुछ इस तरह उलझे
एक सिरा खींचा तो
दूसरे में जा उलझे
न मिला है कोई छोर
जो सुलझे हर डोर
बेवजह के पाले थे
शौक न जाने कितने
ज़िंदगी करदी अपनी
दिखावे के हवाले
रंग तो बहुत मिले
पर चैन अपनों का छूटा
साथी कई मिले
दिल अपनों का टूटा
ठोकरें जब मिली
तब ये होश आया
दिखावे ने कितना
अकेलापन दिलाया
चोट दिल पे लगाकर
अपनों को किया जुदा
चूर होकर घमंड से
खुद को समझ बैठे खुदा
आज खुद आ खड़े वही
जहाँ अपनों को छोड़ा
उलझनों के धागों ने
फिर इस दिल को तोड़ा
***अनुराधा चौहान*** स्वरचित 
विषय:08/01/2020
विधा:काव्य

विषय:शौक
काव्य रचने का नया शौक जागा है मुझमे
नित नई विधा की जानकारी लेती हूँ सबसे ।
सींखती हूँ रोज़ मैं रचनाकारो की रचनाओं से
किसी किसी के ब्लॉग से भी ज्ञान लेती हूँ ।
दिनो दिन शौक मेरा बढता जा रहा ....
समय चुरा चुरा के भी मै गान लिखती हूँ ।
अधूरा लगता है दिन जब मै कुछ लिख न पाऊ
यह नया शौक भर देता है मुझको नयी ऊर्जा से।
मात्राओं की गणना, तुकान्त व लय ताल मे
अभी भी मेरा ज्ञान अधकचरा है..
पर हर नयी रचना मै लिखू पूरे मनो भाव के साथ।
काव्य रचने का.....

स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव
दिनाँक-08/ 01/ 2020
विषय-शौक


शौक ही जान है
शौक ही शान है,
शौक पर ये अपनी,
जान ही कुर्बान है।

शौक है किसी
को कपड़ों का
किसी को शौक है
लफड़ों का।

कोई शौक में पीता है
तो कोई खोता है,
शौक रुलाता भी है
लुभाता भी है।

अशोक अलबेला है
शौक का एक मेला है
ये सुंदर मीनारें,
खूबसूरत दीवारें,
सुंदर चित्रकारी
मनभावन फुलवारी
देन है शौक की ही।

रूहानी है शौक
कहानी है शौक
मन बहलावों का अंबार
रंगबिरंगा संसार
शौक ने रचाया है
जग को भरमाया है।

आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश


08 जनवरी 2020


" शौक़/रुचि "

हर किसी का शौक़ उसका अपना होता है

जीवन जीने का उसका एक तरीक़ा होता है

शौक़ यदि आपका आपके रोज़गार से मैच करता है

तो जिंदगी में आनंद सोने पर सुहागा जैसा होता है

जीवन भी आनंदमय हो जाता है शौक़ भी पलता है और रोज़गार भी

और जिंदगी में भी बुलंदियों पर बुलंदियाँ मिलती हैं एक के बाद एक भी

इसलिये अपने शौक़ को सदा प्रभावी और जीवंत रखिये

और जिंदगी में एक के बाद एक सफलता की बुलंदियाँ चढ़ते रहिये

शुभकामना सहित..👍💐

(स्वरचित)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव
तिथि : 8.1 2020
विषय : शौक
विधा : कविता

भांति भांति के शौक-
सोच समझ कर भोग।
करते आकर्षित-
इन्हें बनाना मत रोग।
व्यायाम का शौक-
देता चुस्ती।
पाक कला शौक-
देता तंदुरुस्ती।
शौक गायन-
गम पलायन।
शौक चित्रकला-
जीवन में रंग मिला।
लेखन का शौक-
प्रसिद्धि हर चौक।
शौक काव्यकला-
निज भला-जग भला।
अति बोलने का शौक-
जैसे रोग।
शौक गाली गलौज-
रिश्तों में टोक।
शौक समाज सेवा-
मिले सदा मेवा।
चुन कर पाल शौक-
भटकन को रोक।
अति से भी बचना-
छवि सुंदर रचना।
रीता ग्रोवर
स्वरचित
शौक/रूचि

शौक जिन्दगी में ऐसे
ऐसे होना चाहिए
न करें बुरा किसी का
भला करना चाहिए

मत बनों मोहताज
किसी ऐसे शौक का
जो हो जुआ और शराब
घर द्वार बिक जाये
आ जाये सड़कों पर
ऐसा शौकिन

ईमानदारी से
जीना जिन्दगी
बनाओ शौक
होगी तारीफ
हर तरफ

बनों मत गुलाम
किसी शौक के
ढालो अपने को
हर हालात में

देते है माता पिता
शिक्षा अच्छी
बिगड़ते है बच्चे
बाहरी लोगों के
गलत शौक से

शौक बस शौक हो
आदत में न शुमार कीजिये
अपने घर परिवार के
साथ जिन्दगी का मज़ा लीजिये

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

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"अंदाज"05मई2020

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