Tuesday, January 7

"हुनर/कला "7जनवरी 2020

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ब्लॉग संख्या :-618
हुनर कला के आगे
नतमस्तक है हर नाम यहां
उसकी लीला वसुधा में

गुनगान करे संसार सदा
जिसके पास रहे यह
मंगल गान करे हरिद्वार सदा
सबकुछ मिल जाता है उसे
संसार का सारा सार सदा
हुनर कला के आगे
नत्मस्तक है सारा नाम यहां
स्वरचित एस डी शर्मा

विषय हुनर,कला
विधा काव्य

07 जनवरी 2020,मंगलवार

जिंदगी जीना कला है
और जीवन साधना है।
जिंदगी सोना नहीं है
जिंदगी नित जागना है।

श्रेष्ठ सङ्गत ज्ञानी गुरु से
गुर कला का मिलता है।
कीचड़ में रहकर मित्रों
प्रिय पंकज खिलता है।

छैनी और हतौड़ा सह
पाहन से मूरत बनती ।
कलात्मकता सज धज
भक्तों की विपदा हरती ।

सूक्ष्म दृष्टि बड़ी कल्पना
ये कला के साधन होते।
जन सामान्य से उठकर
नये बीज सृजन के बोते।

नव नित अनुसंधान करे
कला कभी भी नहीं मरती।
कला प्रदर्शन सर्व सुखाये
नयी खोज दुःख को हरती।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
7 /1/2020
बिषय,, हुनर ,,कला

जीवन जीने का हुनर आना चाहिए
हँसने हँसाने का बहाना चाहिए
.यूं तो जमाने में जी रहे हैं लोग
उठने बैठने का सही ठिकाना चाहिए
बात का बतंगड़ बनाने की कला बहुत पुरानी
बिगड़ी बनाने की कला भी आना चाहिए
चलो बैठकर करें दुख सुख की बातें
राजदार बन बात को पचाना आना चाहिए
नहीं कोई अपना न ही कोई पराया यहां
अपना दर्द हमको छिपाना आना चाहिए
चलो चलते हैं वहीं जहां मिल जाए अपना सा
ठहाका लगाने के लिए मौसम सुहाना चाहिए
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार

शीर्षक- कला /हुनर
सादर मंच को समर्पित -

🐚🐌🍲 कला / हुनर 🍲🍜🍃
***********************************
🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃

चुन चुन खोद कर ,
ठोक पीट मृदु कर ,
चाक पर खराद कर,
यंत्रवत देता आकार ,
सुन्दर दीप हजार,
वाह रे कला शिल्पी कुम्भकार..!

दीन बाल सुखा रहा,
अवली बिछा रहा,
विकृति तराश रहा,
धूप कडी़ सुखा रहा,
पावन दीप पसार ,
वाह रे कला शिल्पी कुम्भकार ..!

पका कर सजा दिये ,
श्रम बिन्दु मूल्य लिए ,
तम मिटाने के लिए ,
मातृभूमि माटी दिये ,
दीपावली त्यौहार ,
वाह रे कुम्भकार..!

भूख पापी पेट की ,
कुशल हस्तशिल्प की ,
रोटी रोजगार की ,
परिणिति अथाह श्रम की। ,
स्वदेशी दीप हमार ,
वाह रे कला शिल्पी कुम्भकार..!

उचित मूल्य तो मिले,
नयी तकनीक मिले ,
पूर्ण प्रोत्साहन मिले ,
हिल- मिल परिवार खिले ,
विदेशी का करें बहिष्कार ,
हँसे , कला शिल्पी शिल्पी कुम्भकार....!!
विषय, हुनर / कला
दिन , मंगलवार

दिनांक , ७,१,२०२० .

दुनियाँ में पहचान हमेशा हुनरमंद को मिलती है ,
कलाकार को सम्मानित हर एक निगाह करती है।

दौलत शौहरत की भूख कला को अपमानित करती है,
केवल निस्वार्थ लगन कलाकार को प्रतिष्ठित करती है।

जो कद्र दान रहते जग में वे इसे अवश्य बढ़ावा देते हैं,
रोजी रोटी में मशगूल लोग भी इसकी इज्जत करते हैं।

आजकल की दुनियाँ में अधिकतर दो दरवाजे होते हैं,
सीधे सच्चे रहते लाइन में और चालू प्रवेश पा जाते हैं।

ख्वाहिशें हमारीं हम सब को यूँ पीछे नहीं हटने देतीं हैं,
सदाआशाओं की रोशनी में मंजिल पर ही दम लेतीं हैं।

कितनी भी बुराई मुस्काये पर अच्छाई नहीं झुकती है,
बौना झूठ ही रहता है सदा सच्चाई बुलंदियाँ छूती है।

कलाकार मिटकर दुनियाँ में हुनर को जिंदा रखते हैं,
होते दीवाने कलाकार वे परवाह किसी की न करते हैं।

स्वरचित , मधु शुक्ला .
सतना , मध्यप्रदेश 
विषय - हुनर / कला
प्रथम प्रस्तुति


कुछ न कुछ हुनर हर शय में खास है
चिड़िया का घोंसला अच्छा प्रयास है।।

कोयल की वाणी पपीह का गीत
मोर का नाच सजाता मधुमास है।।

बाज का बच्चा ऊँची उड़ान भरे
श्रेय यह उसकी माँ के पास है।।

बचपन में माँ उसे कैसे सिखाती
डरती है पर यह पुस्तैनी साख है।।

हुनर को कैसे जगाया जाता है
हर हुनरमंद किसी गुरू का दास है ।।

हुनर को अपने जगाना समझना
जगको 'शिवम' आप से भी आस है।।

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'

स्वरचित 07/01/2020.
 🌳कला🌳
कला वही कलाकार वही।
त्रुटि रहे न कार्य में कोई।।
ो कार्य हाथ आऐ वही।
उम्दा सलीके से पूर्ण हो।
विद्यार्थी के हाथ पुस्तक।
स्वर्णकार के हाथ स्वर्ण।
मोची के हाथ पदावरण।
वस्त्राकार के हाथ कतर्नी।
ठीक वही है सदा से ही।
जो त्रुटि रहित कार्य करे।
वही कला है वही कलावान।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
स्वरचित
राजेन्द्र कुमार अमरा
7/1/2020
छंदमुक्त कविता
नमन मंच भावों के मोती।गुरूजनों, मित्रों।

कलाएं हैं अनन्त।
उसका कोई नहीं अन्त।
किसी को आता है गाना।
किसी को नाचना।
किसी को साथ बजाना।
किसी को वंशी बजाना।
वंशी की धुन की तो,
कोई बात हीं मत पूछो।
कृष्ण कन्हैया की वंशी,
कितनी मशहूर है।
कलाएं हो कोई भी।
मनुष्य का मन,
अनायास हीं खिंचता है।
उसकी ओर सब खींचे चले जाते हैं।
कला में भाव है।
जो कलाकार को हीं है पता।
कलाएं हैं अनन्त।
उसका कोई नहीं अन्त।

...... वीणा झा......
स्वरचित
बोकारो स्टील सिटी
दिनाँक-07 /01 /2020
विषय-हुनर/कला

कला बिना बेरंग है, यह सारा संसार।
हँसती -कण कण में कला,अद्भुत रचनाकार।

कला भरी खग-वृंद में,बना गजब का नीड़।
अच्छे नेता की कला ,पल में साधे भीड़।

सर्कस पूरा ही चले, हुनरमंद के काज।
आँखों के संकेत पर, नाच रहा वनराज।

मोची के जूते सिले, पहन रहे सब लोग।
कला वैद्य की है भली,भगा रही सब रोग।

दर्जी की सुंदर कला, अगर न होती आज ?
सिले नहीं मिलते वसन, नए नए अंदाज।

दीवाली के दीप में, चमके शुभ्र प्रकाश।
कला कुम्भकार की,तम को करे निराश।

आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश

दिनांक-07/01/2020
विषय-हुनर/कला

कुम्हार के कला आगाज........

पड़ी है मिट्टी के भीतर

एक सुषुप्त आवाज़।

आतुर है सच को जानने

कैसा है यह कला आभास।

चाहत है मन के अंदर

खोया है सहारे का विश्वास।

मिट्टी से कैसे दिया बनू

मेरे कला का क्या है राज।

इस आस की मिट्टी लेकर

मैं आशा के दिये बनाती।

हर दिवाली जर्रा- जर्रा

मैं कले में बिखर जाती।

कब सजेगी दिये की बारात ?

घर-घर दीप जले.....

हुनर का हमको है नाज।

स्वरचित
सत्य प्रकाश सिंह केसर
इलाहाबाद
दिनांक-7/1/2020
विषय-हुनर/कला

अपने शब्दों को भावों के धागे से
सिलने की कला सीख रही हूँ धीरे धीरे

कविता ग़ज़ल कहानियों में ही सही
अपनी बात कहना सीख रही हूँ धीरे धीरे

माना हुनरमंद नहीं हूँ औरों की तरह
एक एक कदम बढ़ाना सीख रही हूँ धीरे धीरे

रिश्तों की उधड़न को रफू करने का हुनर सयानों से सीख रही हूँ धीरे धीरे

रंगीन रेशमी धागों से स्नेह के फूल
काढ़ने की कला सीख रही हूँ धीरे धीरे

खरी बातों में मिश्री कैसे घोलें
ये अनमोल कला सीख रही हूँ धीरे धीरे।।

खाली पड़ी अपनी सोच की दीवार को
छंद,लय से सजाना सीख रही हूँ धीरे धीरे।।

माना सारी कलाएं सीखना है मुश्किल
मगर कुछ हुनर तो सीख रही हूँ धीरे धीरे।।

वंदना सोलंकी©स्वरचित
दिनांक ७/१/२०२०
शीर्षक-हुनर/कला

अनजान क्यों है हम अपनी कला से
एक मौका उन्हें दे जरूर
निखर जायेगी कला हमारी
पहुंच सकते हम शिखर पर।

हो न अधिर
सभी कलाकारों को
मिलेगा पहचान जरूर
बस सही दिशा में उठाये कदम
और बन जाये कला निपुण।

आशा और निराशा के बीच
रह न जाये कोई कला अधूरी
कला दिलाती ख्याति बड़ी
कला के है सभी पूजारी।

कलानिधि है कृष्ण मुरारी
जो है सृजन हार।
इस धरा पर सभी करते
अपनी कला से जीवन नैया पार।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव।

विषय ..........गीत
विधा - उपमान छंद
*******************************
*तुम गीत हो जीवन के,*
*मैं हर पल गाता।*

आधार छंद- उपमान(23मात्रा)
यति--(13,10),पदांत-- 22
(आता,पाता.... )
***********************************
सुन ले मेरे मीतवा,
है अपना नाता।
तुम गीत हो जीवन के ,
मैं हर पल गाता।
★★★★
धवल चाँदनी रात में,
शीत बड़ी भाती।
कुहासा भरा रोशनी,
सभी तन सुहाती।
शीतमास मधुरिम लगें,
मधु रस बरसाता।
तुम गीत हो जीवन के ,
मैं हर पल गाता।
★★★★★
जब मधुमास रंगीली,
लिए साथ बरखा।
खेत खलिहान औ बाग,
उर चित्त मन हरषा।
देख पुष्प बसंत भ्रमर,
खूब मंडराता।
तुम गीत हो जीवन के ,
मैं हर पल गाता।
★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
बलौदाबाजार भाटापारा
हुनर
7/1/20
हुनर आपका ये भी बहुत खूब है
सम्हाल लेते हैं बातों ही बातों में..
जब भी लगा की हुआ बहुत अब...
कि रुकने की कोई बजह नहीं...
पर तभी रोक लिया जाने कौन सी..
तुम्हारी वो बातों ने...
कि हुनर ये भी कोई कम तो नहीं..
मान जाती हूँ में मानाने से..
अपने दिल में चुभी फाँस को और .... हर बीती बात को भुला देती हूँ...
हुनर तुम्हारा ये... गजब सा है...
की... बातों को यूँ भरमाने का... फिर.... मैं मान जाती हूँ... इसी हुनर के
आगे मैं शायद.... सदा ही .. आपको सुनती आई हूँ...
पूजा नबीरा काटोल
विषय: हुनर/कला
दिनांक:07/01/2020

शीर्षक: 36 कलाएँ सृजन

विधाता की कला संसार
शारदे कला संगीत देवी
चाँद की कला घटना-बढ़ना
तारों की कला टिमटिमाना
सूर्य की कला तपना
नदी की कला बहना
पेड़ की कला बढ़ना
पक्षी की कला नीड़
कुम्हार की कला गढ़ना
नापित की कला कतरना
दर्ज़ी की कला सिलना
जुलाहा की कला बुनना
चर्मकार की कला गाँठना
किसान की कला उपज
शिक्षक की कला ज्ञान
कलाकार की कला मनोरंजन
मदारी की कला तमाशा
चोर की कला मौका तलाशना
इंजीनियर की कला निर्माण
वकील की कला दलील
वैद्यराज की कला नब्ज
न्यायाधीश की कला न्याय
डॉक्टर की कला उपचार
वैज्ञानिक की कला आविष्कार
निदेशक की कला निर्देशन
नेता की कला आश्वासन
जौहरी की कला परखना
शिकारी की कला निशाना
कामचोर की कला बहाना
माली की कला सींचना
मेहनती की कला लगन
साहित्यकार की कला सृजन
मानव की कला मानवता
संतों की कला जनकल्याण
भक्त की कला भक्ति भजन
'रिखब' की कला काव्य लेखन

रिखब चन्द राँका 'कल्पेश'
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित
जयपुर राजस्थान
विषय--हुनर/कला
विधा--काव्य

कला और काव्य
बक्से में भरे में नोट नहीं है
जो जब कब बिखरा दो
कला और काव्य
हृदय की गहराई से
होने वाली प्रक्रिया है
जो सच के अलावा
कुछ नहीं कहती
और रचती है
तो बस
मन में बसी तस्वीर
दरिंदों से तार तार होता चीर
तमाशा देखती भीर
कोई होता नहीं अधीर
कि उसकी फ़टी चीर
को जोड़े -सहलाए
कुछ तो कम हो
अनचाही पीर।

******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र.)451551
7/1/2020
विषय:कला/हुनर

विधा:-हाइकु
1
सृष्टि प्रकाश
कण-कण सृजन--
कला आधार
2
वर्तमान में
विकास कीर्तिमान---
मानव कला
3
दीवार पर
मधुबनी पेंटिंग---
हस्त हुनर
4
विद्युत आभा---
मनुष्य का हुनर
विज्ञान खोज
5
पर्दे पर सचित्र
जीवन की कहानी--
उन्नत कला
6
चांदनी प्रभा---
वास्तु कला नमूना
ताजमहल

@मनीष श्री

"भावों के मोती "
7/1/2020

हुनर
****
हुनर जो रखो तुम
जिंदगी जिंदादिली
से जीने का तो
जीने की कला मैं
माहिर हो ही
जाओगे ,न दोगे
गम गैरों को अपनों
के लिए भी सदा
मुस्कुराओगे ।।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर
विषय :- "हुनर /कला"
दिनांक :- 07/01/2020.


"गीत"

कला बिना रह जाता साथी सूना जगत पसारा....!

बिना कला ना भोजन मिलता,
बिना कला ना कपड़ा सिलता,
बिना कला के लगता साथी सारा जग आवारा....!

कला बिना ना दीपक जलते,
हाथ अंधेरे में ही मलते,
समय चक्र करते यारों तारों से निपटारा....!

टैंक तोपखाने ना होते,
सैनिक हिम में कैसे सोते,
होते कहाँ जहाज हवाई नापे नभ विस्तारा.....!

जल में नाव कहां से चलती,
जहाज बिना ना मिलती मछली,
बिजली आती नहीं घरों में मिलता ना उजियारा....!
कला बिना रह जाता साथी सूना जगत पासारा....!
विषय-हुनर / कला
विधा-मुक्त

दिनांक--07 / 01 / 2020

मुँह पर कर मेकअप
लोगों को हंसाने का हुनर जानते हैं
कितने आँसू हो आँखों में
कहकहा लगाने का हुनर जानते हैं
जी हाँ सर्कस की रिंग में
खतरनाक करतबों के
बाद बोझिल वातावरण
को हल्का करना जानते हैं
कद तो कुदरत की देन
होता है
मंझला भी ना सही नाटा ही सही
कद से ज्यादा कर्म का हुनर
जानते हैं हम
कहते हैं सभी जोकर हमें
रोते हुए को हंसाने का हुनर जानते हैं हम
खूबसूरत करतबों और कलाकारों के बीच
हम जोकर हैं,जीने की कला जानते हैं हम।

डा.नीलम
भावों के मोती
विषय--कला/हुनर

विधा--दोहे

1
कला कभी छुपती नहीं,बस चाहे आधार।
मन भीतर आशा जगी,मिल जाता विस्तार।

2
चाहे कितना भी दबा,फिर भी जागे आस।
मन के कोने में दबी,कलाकार की प्यास।

3

ऊपर वाले की कला,धरती अंबर गोल।
सागर की लहरें उठे,नदिया जल अनमोल

4
कोयल काली कूकती,कागा काल समान।
कला कोश की कामना, कलाकार का मान।

अनुराधा चौहान स्वरचित 
07/01/2020
"हुनर,कला"

################
दिल जीतनें की कला हमें न आया ..
दिल हारकर ही हमनें प्रीत निभाया..।

हुनर चालाकी सभी न जानते..
सरलता से ही वो जीवन हैं जीते..।

नेतागण सीयासी चाल हैं चलते..
हुनर कायदे से सभी को आजमाते...।

कलाकार अपनी कला से रंगमंच की शोभा बढ़ाते.
अपनें चहेतों के दिल में वो राज़ करते..।

जोकर अपनी कला करतब दिखलाते...
अपना दर्द छुपा कर दुनिया को हँसाते...।

स्वर्णकार सोने को तपाकर आभूषण बनाते..
काँच के टुकड़े को तरास कर कोहिनूर बनाते।

रंगों के कलाकार विविध रंगों एवं कल्पना से
कैनवस पर प्राकृतिक सौंदर्य को उकेरते....।

साहित्यकार भावनाओं को शब्दों से सजा कर..
गीत,ग़ज़ल एवं ग्रंथ की रचना हैं करते..।

मूर्तिकार पत्थर को काटकर ईश्वर सा स्वरुप देते..
लोग इसे आस्था व विश्वास से भगवान बनाते..।

अनुपम कलाकार है विधाता महान..
रच डाला ये दुनिया जहान....
हम तो निमित मात्र हैं .......
छोटे-मोटे कलाकृतियाँ दिखलाते हैं...।।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
विषय -हुनर/कला
दिनांक -७-१-२०२०
जमाने में लोगों को,बड़े हुनर आते हैं।
अपने ही अपनों से,जंग जीत जाते हैं।।

कामयाब होने के लिए,बेईमान बनते हैं।
चापलूसी कर,वो शिखर पहुंच जाते हैं।।

हुनरमंद लोग,सब को पागल बनाते हैं ।
चापलूसी से,हर दिल पर छा जाते हैं।।

चालाकी से वो, मंजिल तो पा लेते हैं।
पर ज्यादा दिन,वहाँ ठहर नहीं पाते हैं।।

हुनर प्रयोग जो, ईमानदारी से करते हैं।
वो काबिलियत से, पहचान बनाते हैं।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली
विषय-हुनर

जीने का हुनर जिसे आगया।
समझो वो मोक्ष ही पा गया।
आसान नहीं टिकना ,
इस मतलब की दुनिया में।
टिक जो पाया,मानो मोती पा गया।।
भले-बुरे के बीच रहा ,
बनकर कोरा कागज।
सचमुच में तो छन्द वही ही गा गया।।
हुनर नहीं जिसके अन्दर ,
वो भी क्या जीयेगा?
हुनरमंद हाथों में तो भविष्य भी आ गया।।
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
07/01/2020
07जनवरी2020मंगलवार
विषय-हुनर/कला

विधा-व्यंग्य
💐💐💐💐💐💐
(1)
थूककर
चाटने की
कला में,उन्हें
"#महारत"
हासिल है👌
छी...थू...
वे इसीके
काबिल हैं👍
🎂🎂🎂🎂🎂🎂
(2)
वे
थूककर
चाटने की
कला में
माहिर हैं👌
वो और
कोई नहीं
आधुनिक
राजनीति के
#चाणक्य#हैं
जग-जाहिर है👍
💐💐💐💐💐💐
श्रीराम साहू #अकेला#
विषय - हुनर/कला
07/01/20

मंगलवार
कविता

मेहनतकश को हुनर सदा प्राणों से प्यारा,
उससे ही चलती है उसकी जीवन धारा।

प्रातःकाल सभी यंत्रों की पूजा करता ,
अनगढ़ चीजों से वह सुन्दर साधन गढ़ता।

खून-पसीना बहा वह दिनभर मेहनत करता,
फिर भी सबके साथ वह हँसता ,बातें करता।

इतनी मेहनत पर भी जीवन शाप है इसका,
भूख, गरीबी का रहता संताप है इसका।

इसकी कला घरों को नव आकार में लाती,
जीवन यापन के साधन उपलब्ध कराती।

पर इसके श्रम का कुछ भी न मोल है लगता,
कोई अंतर की पीडा को नहीं समझता।

काश इसे भी जीवन के साधन मिल जाएँ,
जैसे सब सुख पाते , वैसे यह भी पाए।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
07/01/20
कला


अन्तःकरण की प्रस्तुति कला
अभिव्यक्ति की शक्ति है.कला
माध्यम व्यक्त करने के अनेक
संगीत साहित्य और चित्रकला
समाज को जागृत करती है.कला
संवेदनाएं चित्रित करती है कला
विद्यमान प्रत्येक मे कोई कला
कला से समाज,समाज से कला
समाज के शिल्पकार,ये कलासाधक
अपनी विधा से सजाते अपनी कला ।
स्वरचित
अनिता सुधीर
07/01/2020
हाइकु
विषय:-"कला"

(1)
दिलाये मान
"कला" भरती पेट
ईश सौगात
(2)
वोट तोलना
राजनीति की "कला"
झूठ बोलना
(3)
सुमन खिला
पत्थर में संघर्ष
जीवन कला
(4)
रोज़ बतायें
सुख-दुःख क्षणिक
चन्द्र कलाएँ
(5)
दोष नसीब?
भूख मारना कला
सीखे गरीब

स्वरचित
ऋतुराज दवे, राजसमंद(राज.)

कला/ हुनर

जिन्दगी में है
हर काम हुनर
पहुँचो मंजिल पर
और बनों सुपर

कलाकार का
अभिनय
कशीदाकार का
सृजन हो ऐसा
करें तारीफ
हो नाम सब तरफ

सिखता है इन्सान हुनर
जीविका चलाने के लिए
जरूरी है सीखे अच्छे हुनर

करते है उम्मीद
माता पिता
करेंगे नाम रोशन
बच्चे उनके
रूझान करें उनका
हुनर और कला
के लिए

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

विषय-हुनर/कला
विधा-कविता

दिनांक-7/1/2020
मंगलवार

हुनर ईश्वर की देन है,सबसे अलग जो होती।
जिसमें होती है कला,सबको चकित कर देती।

चमत्कार है कला में ,अनमोल हीरा वह होता।
अपनी कला से करता मुग्ध,सबको अपन फैन बना लेता।।

अपनी कल्पना को करे साकार,देता नित उसको नये आयाम।
दिन रात परिश्रम वह करे,चलता अविरल न करता विश्राम।।

अपनी इस विध्या में वह माहिर,कोई नहीं मुकाबला कर सकता ।
अच्छे अच्छे गश खाते,जब वह अपने जौहर दिखलाता ।।

है माॅ शारदा पुत्र वह,उसका आशीर्वाद उसे होता।
जिसके कारण पूजनीय ,वह भी जग में हो जाता।।

स्वरचित एवं स्वप्रमाणित
डाॅ एन एल शर्मा जयपुर' निर्भय ,
तिथि :7.1 2020
विषय : कला

विधा : कविता

ऊपर वाला, सर्वश्रेष्ठ कलाकार।
गुणगान उसका है अपरम्पार।

रची प्रकृती रंग अपार
भावनाएं रचीं बेशुमार
पशु पक्षी और इंसान
उदाहरणों की कतार।

ऊपर वाला, सर्वश्रेष्ठ कलाकार।
गुणगान उसका है अपरम्पार।

हरियाली की छटा निराली
हर मौसम देता खुशहाली
आकाश में भी रची दीवाली
कलाओं की रची बहार।

ऊपर वाला, सर्वश्रेष्ठ कलाकार।
गुणगान उसका है अपरम्पार।

हर कला में दिव्यता
हर कला में भव्यता
उसकी कला को नतमस्तक
है समस्त संसार।

ऊपर वाला, सर्वश्रेष्ठ कलाकार।
गुणगान उसका है अपरम्पार।
-- रीता ग्रोवर
स्वरचित
विषय- हुनर/कला
विधा-हाइकु

दिन-मंगलवार
तिथि-7/1/20
**

मन मोहना
अद्भुत है हुनर
मीठे वचन

श्रृंगार कला
नजरे ठहरती
देख मुस्कान

माँ का दुलार
गुरू का आशीर्वाद
निखरी कला
**
स्वरचित-रेखारविदत्त
विषय हुनर/कला
07//01/2020

✍️कला/हुनर✍️
```````````````````
जिंदगी में कला/हुनर का होना बहुत जरूरी है
वह इंसान कभी दुखी नहीं होता
जिसके अंदर कोई कला होती है
कोई हुनर होता है
वह इंसान कभी गलत नहीं होता
जो अपने हुनर में डूबा रहता है
गीत संगीत क्रिकेट
या डांस का शौक
कला कोई भी हो
अक्सर उसकी आजीविका का साधन भी बन जाती है
एक हुनर मंद और कलात्मक व्यक्ति
दिल से बहुत कोमल होता है
भावुक होता है
और भरोसे वाला होता है
कला आपको दिशा विहीन नहीं होने देती
गलत मार्ग अपनाने नहीं देती
और यह हुनर कला ईश्वर का प्रिय आपको बनाती है
क्योंकि ईश्वर भी उन पर अपनी कृपा की बारिश जरूर करता है
जो हुनरमंद है
जिनके अंदर कला है
जिनके अंदर मानवता के प्रति प्यार है
सच्ची मोहब्बत है
~विजय कांत वर्मा
07/01/2020

कला

हमारी बीटियां,

नाम उसका कला ।
जीसने कभी,
हमारे घर रसोई,
नहीं बनाई ।
ब्याही,
तो घर अायी ।
खुशी से,
रसोई घर गयी ।
चाँव से,
फुसफुसे,
लडडू बनाई ।
हम बोले,
बीटिया,
यह लड्डू की,
कला किसने सीखाई ।
वह बोले,
हमारे इनके हैं भाई,
सरकारी बांधकाम में,
लेते हैं ठेकाई ।
उन्होंन यह,
कला सीखाई ।
X प्रदीप सहारे

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"अंदाज"05मई2020

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