Wednesday, January 1

"नव/संकल्प "1जनवरी 2020

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ब्लॉग संख्या :-612
विषय नव,संकल्प
विधा काव्य

01जनवरी 2020,बुधवार

नव वर्ष वन्दन अभिनन्दन
बीस सौ बीस सुनहरा आया।
नवल रश्मि नव आलोक ले
विश्व पटल पर अति सुहाया।

नव विकासमान हो भारत
नव उत्साह नव पौरुष हो।
सुख शान्ति समूर्ण जगत में
नव ज्ञान भक्ति समुचित हो।

लो संकल्प मशाल उठाओ
जो सोया है उसे जगाओ।
पावनमयी भारत भूमि प्रिय
मातृभूमि को आज सजाओ।

लो संकल्प परोपकारमयी
दीन हीन की विपदा हर दो।
लालच त्याग करो मानस में
जंगल में शुभ मङ्गल कर दो।

वैभवशाली गौरवमयी भारत
सुख शांति घर घर नित फैले।
सभी संकल्प लो भारतवासी
हँसी खुशी हर हिय में खेले।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें सभी साथियों को ......जय हो lllll
अधरों पर नया गीत हो ,
हर जंग मे तुम्हारी जीत हो ।

टूटे सघन तम का डेरा ।
उगे सूरज, हो नया सबेरा ।
अरमानों को पंख लगे ,
दूर हो सब दुह्सवारिया ।
सपने सब हकीकत बने ,
जीत की हो तैयारियाँ ।
सतरंगी हो आकाश तुम्हारा ,
खुशियों भरा एहसास सारा ।
सफल हो संघर्ष सब ,
पूरा हो प्रयास तुम्हारा ।
नया साल दे तुझको ,
नया आसमान, नया विहान ।
नई सोच , नया परिधान ,
नई राह , नया पहचान ।।।।@#

शीर्षक- नव,संकल्प

नया साल है नये साल में
उम्मीदों को तुम बल देना।

चमक उठे तुम्हारी प्रतिभा
ध्यान उसमें प्रतिपल देना।

सीखो की जो बनी किताब
उसमें पूजा सा जल देना।

निज समस्या खुद सुलझाना
औरों को भी तुम हल देना।

साल तुम्हारा अच्छा है ये
खुशियों का इक कमल देना।

कहीं बुराई लिपटे गर जो
लिपटना नही बस चल देना।

दीन दुखी औ असहायो को
सहारा और संबल देना।

जाड़ो में ठिठुरते लोगों को
निज कमाई से कंबल देना।

अपना सम औरों का दुख है
किसी को नहि हलाहल देना।

समझो अगर शायर स्वयं को
सुन्दर सी 'शिवम' गज़ल देना।

नया साल है नये साल में
सभी को मीठा फल देना।

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 01/01/2020

अलविदा उन्नीस,
शुक्रिया उन्नीस,
तुम अमर हुए उन्नीस,

तुमने चमत्कार कर दिया,
देश के सारे कोढ़
लगभग धुल दिया,
चाहे वो तीन तलाक
की रही हो महामारी,
या काश्मीर के धाराओं
की बीमारी,
धन्य हुए तुम
सदियों पुराने मंदिर
विवाद को किया खत्म,
वाह तूने नागरिकता
संशोधन के सहारे,
एक नया आयाम रच दिया,
सर्जिकल स्ट्रायिकों से
विरोधियों में मचाया
कुहराम,
तुम्हें हृदय से
प्रणाम,
ये कुछ ऐसे
थे अहम मसले
जिन्हे तूने ही
हल किए,
हां अब आया है,
दो हजार बीस,
तूने दिया है
इसे जिम्मेदारी
कुछ अहम,
जैसे
जनसंख्या नियंत्रण,
एक राष्ट्र एक नियम,
पी ओ के का
अधिग्रहण,
एवम् प्रदूषण
नियंत्रण है सबसे
अहम,
अब तो
निश्चित होना
है ट्वेंटी ट्वेंटी,
क्यों कि आया है नव वर्ष
ट्वेंटी ट्वेंटी।।
भावुक

दिनांक - 1/01/020
विषय - नव/ संकल्प


अलविदा साल 2019

दौड़ते इस जीवन से
जिन्दगी के बंद मुट्ठी से
रेत की तरह
आज एक और साल
फिसल गया....!
अलविदा साल 2019
इसलिए अलविदा, कि,
अब तुम बनने
जा रहे हो इतिहास,
पलट दिए जाओगे और
धुंधली हो जाएगी सब याद.....!
पर, जब भी पलटूँगी मैं तुम्हें
सामने खड़े हो जाओगे
लेकर सारे एहसास,
खोलूँगी जब मैं
अपनी आलमारी
तो याद आओगे तुम
एल्बम में,
डायरी के पन्नों में,
कपड़ों के गट्ठरों में.....!
मनाया जाएगा हर वर्ष
तेरे खट्टे-मीट्ठे यादों के
सालगिरह
कहीं बहेगी आँसू
कहीं मुस्कुराएगी आँखें भी
पर तुम नहीं होगे
तुमसे शुरूआत होगी गिनती
और हर नए साल के नीचे
तुम दबते चले जाओगे
दबते चले जाओगे....!
पर,
जब तुम इतिहास बन
पलटकर ऊपर आओगे
तो मिलेगी प्रेरणा
तुझसे हमें
अपने संयम बनाए रखने की
और एक बड़ी सीख कि-
सबका आना-जाना तय है
पर जब भी
इतिहास के पन्नों से
पलटकर ऊपर आऊँ
तो स्वर्ण अक्षरों सा
चमक जाऊँ
खोकर, दबकर भी
जीवन्त हो जाऊँ....!

स्वरचित : - मुन्नी कामत।

दिनांक-01/01/2020
विषय-नव/संकल्प


व्योम का मै प्रेम लिखूं
या लिखूं मै दर्द भू का
शून्य मेरे सामने खड़ा
या हर्ष का संकल्प लिखूं।।

सिसकते चांद प्यासे रवि का
नाद वीणा का अर्ज लिखूं
मन पुलकित तन व्याकुल
स्पर्श का विकल्प लिखूं।।

संघर्षों की ज्वाला में जलकर
इच्छाओं का विकल्प लिखूं
अंगारों का प्रबल प्रहार सहकर
अधर्म का प्रश्न ज्वलंत लिखूं।।

आंधीयारों का जश्न लिखूं
या तड़प उजाले की लिखूं
व्यथित धरा है तीब्र तपन से
किसका मैं उदगार लिखूं।।

संकल्पों का इतिहास लिखूं
या लिखूं मैं स्वर्ग का प्यास
कलम तड़पती उद्गारो से
अभ्यासो का परिहास लिखूं।।

मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज

दिनांक - 1/01/020
विषय - नव/ संकल्प


नववर्ष का आगमन

नववर्ष का आगमन खुशियाँ मिले अपार।
गम कभी न साथ हो जिंदगी कटे मजेदार।

चेहरे पर मुस्कराहट, अच्छी हो शुरुआत,
जीवन में खुशियाँ मिले प्यार भरी सौगात।

श्रंगार धरा सौंधी मिट्टी सारा जहाँ महकाये,
नव वर्ष जीवन में खुशियों की बहार लाये।

सौंदर्यपूर्ण वातावरण खिलें उपवन में फूल,
मन में द्वेष-भाव न हो बस यही मेरा उसूल।

हिंसा का रास्ता छोड़ अहिंसा अपनाएं हम,
नफ़रत भुलाकर प्यार के फूल खिलाएँ हम।

आओ हम नई साल पर कुछ तो करें विचार,
कुछ तो ऐसा संकल्प लें मिले नवीन संचार।

सफलता मिले तुम्हें होकर घोड़े पर सवार,
मनोकामना पुर्ण हो जीवन में आये बहार।

सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा

दिनांक -- 01/01/2020
दिन --- बुधवार

★★★★★★★★★★★★★★★★★
" नये साल की शुभकामना ,
कीजिए स्वीकार ।"
विधान :--- सुगीतिका छंद ( 25 मात्रा )
आदि लघु (1)पदांत दीर्घ लघु (21)
यति (15,10 )
★★★★★★★★★★★★★★★★
अपनी यह मंगलकामना,
मिले सबका प्यार।
नये साल की शुभकामना,
कीजिए स्वीकार।
★★★★
मिलें अपनों का आषीश,
करें हम व्यवहार।
सर पर हाथ रहें बड़ों का,
करें हम सतकार।
नव वर्ष में मिलें सभी का,
खुशियाँ बेशुमार।
नये साल की शुभकामना,
कीजिए स्वीकार।
★★★★
नवीन वर्ष हो सुखद बड़ा,
लेकर नव विचार।
सपना तरूण साकार हो,
न हो चित्त विकार।
नवल शुभ प्रभात बिखराये,
विमल सा उपहार।
नये साल की शुभकामना,
कीजिए स्वीकार।
★★★★★★★★★☆★★★★★★

स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ. ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा

विषय -नव

खुशियां खोजे पता आपका, आपको खोजना ना पड़े,
मन की इच्छा कैसे पूरी हो ये भी सोचना ना पड़े,

जो बिछड़ा हो आपसे, वो मन का मीत मिल जाये,
सारी हार आपसे हार जाए और आपको जीत मिल जाये,

नववर्ष लेकर आये जीवन मे खुशियां अपार,
हर आरजू हो मुक्कमल, ओर मिले खूब सत्कार,

चिंताओं का बोझ आस पास में फटक ना पाए,
आप किसी की आंखों में कभी खटक ना पाए,

तो सारी चिंताओं को अपने कांधे से झटक डालिये,
ओर खुशियों के अखाड़े में गम को पटक डालिये,

फिर साथ मिलकर कुछ नए रिश्ते बनाते हैं,
जो अपने नाराज हो गए, उनको मनाते हैं,

मन की बातें जो बीते साल में रह गयी हो अधूरी,
आशा करता हूँ कि हो जाए वो सारी की सारी पूरी,

जो मन को खुशियां दे वह काम बार-बार करें
आप मेरी ओर से नववर्ष की बधाइयां स्वीकार करें।

स्वरचित:- 🖊️ #प्रकाश_जांगिड़_प्रांश 

विधा.................दोहा
★★★★★★★★★★★★★★★★

नवल समाज गढ़ने को,
आया नवल प्रभात।
कर्मशील समाज बने,
मिले ईश सौगात।
★★★★
नवल वर्ष में हो सदा,
खुशियों की बौछार।
नव प्रभात लाये सदा,
हर दिन नव त्यौहार।
★★★★
नित आभा नव भोर की,
कहती है नव बात।
शुभ कामना सब पर हो,
सीख दे नव प्रभात।
★★★★
मिटा तिमिर अज्ञान का,
आया नवल प्रभात।
नवल वर्ष के भोर में,
सबका मन हरषात।
★★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
दिनांक :01/01/2020
विषय :संकल्प

विधा: कविता
नववर्ष का आगमन
करते सब सत्कार।
हर वर्ष कुछ प्रण करे
पर रहे अपूर्ण हर साल।
इस वर्ष भी सोंचती हूँ
शुरू करू कुछ काम
नारी शक्ति के लिए
करू आज संकल्प ।
नववर्ष ....
पिछले वर्ष को याद कर
लेना चाहूँ कुछ सीख
गलत निर्णय भी दे जाते
जीवन मे कुछ सीख ।
नववर्ष ....
क्या बेटी को सीख दू
बन जाए वह सशक्त
क्या वह अश्त्र उठा ले
सोचू मै गम्भीर ....
पर जो हैवानियत हो रही
सामूहिक बलात्कार ...
किस किस से लड पायेगी
अकेली लाभों हर बार ।
माँ को सिखलाना होगा
बेटों मे संस्कार ...
घर मे करनी होगी पहल
बेटियों का समान अधिकार
कानून को भी करना होगा
और अधिक सम्पूर्ण .....
सोच कर किया संकल्प इस वर्ष
गोष्ठी करूगी हर वर्ग के युवाओं संग
कुंठा उनकी समझूगी
और दूँगी उनको हल....
इस वर्ष नव वर्ष पर
किया यही संकल्प ।

स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव

घडी़ दो घड़ी यूँही मिल-बैठे,पता ही न चला वक्त का,
पर करें मलाल,क्यों जी ,जो साथ-साथ चल दिये है ।

उन्नीस, बीस के चक्कर में ये रात यहाँ तक आ पहुँची,
उन्नीसी को आभार मेरा,बीसी को थमा कर चल दिये है।

शेष क्षणों को बस अब तो,आभार सहित शतशःवंदन,
भावी की शीतल-आभा को,अभिनंदन दें,लें,चल दिये है।
🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹
विगत का स्पर्श लेकर हम,नवल उत्साह भर लाए,
मृदु-कटु,अम्ल-क्षारित क्षण,मदिरता बीन भी लाए,
सुवासित हो सदा आँगन,मधुर चंदन सी खुशबू से,
करें उत्कर्ष भावी में,सदा आशीष पा जाए।

1/1/2020
संकल्प
*******
रख दृढ़ संकल्प
ह्र्दय में
न पाल अवसाद मन मे
चलता रह सूरज की कड़ी
लेकिन सुनहरी छांव में
ये छांव तुझे उर्ज़ा से भरेगी
बहएगी पसीना ,थका कर
चूर कर देगी ।

चलते चलते तुम थकना मत
आगे जाकर तुम्हे चाँद मिलेगा
वो अपनी शीतल चांदनी से तेरा
मन सुकून से भर देगा
उसकी ठंडी छांव में तुम
सो मत जाना हिम्मत कर
कदम बढ़ाते जाना ।

होगा सामना झाड़ झाँकड़ो से
कांटे भरी राहों से कर तुझे
वो लहूलुहान, तुझे आगे जाने
से रोकेंगी,हो जाएगा तेरा जीना
मुहाल ।

न देखना तुम उन जख्मों को
न भरना नीर आँखों मे
बस मंजिल पर रखना निगाह
आगे बढ़ते जाना ।

देखना पाओगे तुम मंज़िल
तुम भर जाओगे आत्म विश्वास
से जब चूमेगी सफलता तुम्हारे
कदम ।।।।

स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर

दिनांक 01-01-2020
विषय - नव संकल्प


नव वर्ष की पुण्य बेला पर ,
करें कुछ दृढ़ संकल्प ,
मानवता की राह चलें हम,
नहीं है जिसका अन्य विकल्प l

सौहार्द्र प्रेम अमन चैन का
आओ पावन दीप जलाएँ l
सत्यनिष्ठा,ईमान की राह पर,
जीवन बगिया को महकाएँ l

परोपकार हो अपकार नहीं,
असहाय दीनों को हँसाएँ।
कर्मठता पुरुषार्थ से हम ,
जीवन पथ खूब सजाएँ ।

नारी का सम्मान हो जग में,
संस्कारों से आँगन महकाएँ।
दुराचार न भ्रष्टाचार करें,
मिलजुल हम जग को बचाएँ।

आँखों में अश्क भरे हैं जिनके,
पोंछ उन्हें मुस्कान दे जाएँ ।
नवल वर्ष का दृढ़ संकल्प हो,
जीवन सफल श्रेष्ठ बनाएँ ।

कुसुम लता पुंडोरा
नई दिल्ली

दिंनाक .. 1/1/2020
दिन .. मंगलवार

विषय .. नववर्ष
**************************
🍁
नव भोर मे नव रश्मि ले,
नूतन सवेरा आया है।
नव वर्ष मे नव आस ले,
नव भास्कर फिर आया है॥
🍁
आनन्द मे हर एक कण है,
मन सृजन से भर आया है।
भावों के मोती छलक के,
कविता मे ही भर आया है॥
🍁
कविता के भावों मे मेरी,
फिर जोश सा भर आया है।
इस मंच के सब कवियो के,
अभिनन्दन मे शेर आया है॥
🍁
गत वर्ष के सब गलतियों,
को माफ कर देना मेरे।
आलोचना समलोचना से,
प्राण भर देना मेरे॥
🍁
उत्कर्ष की इस कामना के
साथ सबको है नमन।
महफिल मेरी परिपूर्ण हो,
इस शेर मन से है नमन॥
🍁

स्वरचित ... शेर सिंह सर्राफ

1/1/20

आया नया वर्ष हर वर्ष की तरह इसबार।
दे रहा दस्तक औऱ खड़ा मुस्करा रहा द्वार।

प्रेम भर नमस्कार कर लो सभी स्वीकार।
नव वर्ष की शुभकामनाएं सहित परिवार।

आपस मे प्रेम का बांटे हम एक दूजे को उपहार।
भेद भाव मिटा कर मिलजुल कर रहे हम यार।

कुछ नया कर करे दूषित समाज का सुधार।
दायित्यों को निभाने का नवसंकल्प ले हम आज।

प्रेम शब्दो को पिरो कर बनाये प्रेम हार।
उपवन की तरह महके ये खुशनुमा संसार।

जो बीत गया वो अब न आएगा द्वार।
भूल जाये उसको जो था एक सपना सार।

स्वरचित
मीना तिवारी

दिनांक -01/01/2020
विषय -नव /संकल्प

=====================
नूतन वर्ष लेकर आये,
नव आशाओं का संचार।
नई सोच व नई उमंग से,
मानवता की हो जयकार।।
संकल्प हो मन में साहस,
हर पथ का हम करें सामना।
खुशियाँ लेकर आये सन् बीस ।
नव वर्ष की शुभकामना।।
प्रेम भाव का दीप जले,
हो हर मन में उजियारा।
सारे जग में अब बन जाये,
अपना ही यह भारत प्यारा।।
जले ज्ञान का दीपक सदा,
मिटे जगत से अंधकार।....
नूतन वर्ष लेकर आये,
नव आशाओं का संचार।
नई सोच व नई उमंग से,
मानवता की हो जयकार।। .....
बँधे एकता सूत्र में हम सब,
नव वर्ष में मिले यही वरदान।
भारत भू की एकता जग में,
बन जाये सबकी पहचान।।
मिट जाये हर मन से अब,
राग द्वेष का मैल सारा।
किरणें फैले पावनता की,
हर आँगन खुशियों की धारा।।
अन्तः मन की जगे चेतना,
बहे मानवता की अब धार।।....
नूतन वर्ष लेकर आये,
नव आशाओं का संचार।
नई सोच व नई उमंग से,
मानवता की हो जयकार।। ......
(मौलिक /स्वरचित रचना)
..........भुवन बिष्ट
रानीखेत (उत्तराखंड )
दिनांक-१-१-२०२०
दिवस- बुधवार

आयोजन-नव संकल्प

√ नव संकल्प संकलन √
हो तरुअर की छाया तुझमें,
संकल्पित और सुचेता बन।

जो अंगुली थाम चलना सीखा,
श्रवण सम उनका बेटा बन।

मुझको भी तूँ ही प्रेरित कर ,
ध्रुव सम ब्रह्मांड प्रणेता बन।

गांधीगिरी से जब न बात बने ,
तब भगत सुबाष सम नेता बन।

दुस्मन भी थर-थर काँप उठे ,
धर गांडीव हाथ-विजेता बन।

समय-काल प्रतिष्ठित हो तुझमें,
तूँ सतयुग द्वापर अरु त्रेता बन।

अनुशरण करे दुनियाँ तेरी ,
कृतिपूरक तूँ अभिनेता बन।

इस राम-कृष्ण की धरती पर,
परिलक्षित लक्ष्य विजेता बन।

हो तरुअर की छाया तुझमें ,
संकल्पित और सुचेता बन ।
सन्तोष परदेशी

1 /1/2020
बिषय,, नव संकल्प

नए वर्ष में नव संकल्प लेकर आगे चलना
परिपूरित हों मनोकामना मन में.भाव.है रखना
पथ पर कठिनाई के कांटे अवश्य मिलेंगे
लाखों रोड़े बाधाएं संग संग चलेंगे
सच्चाई सत्कर्मों में दुनियां
झंझट डाले
न जाने कब पड़ जाए शैतानों से पाले
हो विनम्र मार्ग पकड़ कर
पीछे फिर न हटना
डूबना ,उतराना पर मिल जाता है किनारा
यदि सच्चे साथी का मिले सहारा
बीच भंवर में डाली नैेया लहरों से क्या डरना
भावों के मोती की माला पिरोते , रहना
बहुत मिलेंगे संगी साथी गुणीजन भाई बहना
दुख और सुख की सारी बातें शब्दों में सुनाते रहना
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार

विषय : नव/संकल्प
विधा: मुक्त

दिनांक 01/01/2020

नववर्ष में नई सोच संग,हम आशा के दीप जलाएँगे,
नव संकल्प नव चेतना से,हम नवीन पथ अपनाएँगे।

हिम्मत और मेहनत से हम,नई मंज़िल को पा जाएँगे,
नया जोश नए उत्साह से,हम नया कीर्तिमान बनाएँगे।

काँटों की राह पर चलकर,हम मिलकर कष्ट उठाएँगे,
नए सपने नई उड़ान से,हम क्षितिज पार कर जाएँगे।

नेकी की दीवार बनाकर,पर सेवा का यश फैलाएँगे,
सत्य वचन नेक इरादे,दीन दुखियों को गले लगाएँगे।

दृढ़ विश्वास की नींव पर‌ ही, आधार दीवार बनाएँगे,
मजबूत पाषाणों से हम,अपना आशियाना बनाएँगे।

पिछड़े कोई न साथी हो, हाथ पकड़ आगे बढ़ाएँगे,
परोपकार की भावना हो,मानव का फर्ज़ निभाएँगे।

'भावों के मोती' से हम, साहित्य मुक्ताहार बनाएँगे,
'रिखब' ऋतुराज संग मिल,माँ शारदे को पहनाएँगे।

रिखब चन्द राँका 'कल्पेश'
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित
जयपुर राजस्थान

विषय -नव /संकल्प
विधा -दोहे

दिनांक -1/1/2020
बुधवार

खुशहाली सबकी बढे,दिल में हो उल्लास।
काम मिले सबको यहाॅ ,होगा तभी विकास।।

आज हमारे देश में ,हिंसा क्यों आबाद।
हों अपराधी जेल में , निरपराध आजाद ।।

धर्मों में क्यों हो रहा ,झूठा माया जाल।
संकल्पों की बात पर लूट रहे क्यों माल ।।

साध रहे संकल्प जो ,उनका हो सम्मान।
संस्कारी न जब रहे ,जाने क्या अपमान।।

मन में निर्मलता बसे ,भले करें हम काम।
फल की इच्छा हो नहीं ,करो काम निष्काम।।

दीन दुखी की ये मदद ,सदा करें हम यार।
प्रेम भरे सदभाव हों ,रहे मधुर व्यवहार।।

मानवता को क्यों कहा ,तू मत रहना पास।
करते वे परहित नहीं , कैसे रहे सुवास।।

पुरूषार्थ से सब मिले ,तभी मिले ये हर्ष।
मिल जाते सब कुछ यहाॅ ,जो करते संघर्ष।।

ऐसा हम संकल्प लें ,मिटते भ्रष्टाचार।
अपराधी में खोफ हो ,तब खत्म दुराचार।।

भाईचारा हो यहाॅ, हो तभी अमन चैन।
हिलमिल कर सारे रहें ,नहीं रहें बेचैन ।।

स्वरचित एवं स्वप्रमाणित
डाॅ एन एल शर्मा जयपुर' निर्भय 
विषय, नव / संकल्प
बुधवार,

1,1,2020.

हमें नववर्ष दे रहा आमंत्रण,
संकल्प आओ ये कर लें हम।

कायम रखेंगे हम सदा एकता,
करेंगे असफल दुश्मन को हम।

यहाँ नफरत को न पनपने देगें,
सुदृढ़ बनायेंगे भाईचारे को हम।

होंगे देश हित में सब कर्म हमारे,
विकसित बनाएंगे राष्ट्र को हम।

सब रिश्तों में रंग भरेंगे प्यार के,
बेसहारा न करेंगे किसी को हम।

संकल्प करे बाँटते रहेंगे खुशियाँ,
सबके होंठों पे हँसी लायेंगे हम ।

स्वरचित , मधु शुक्ला .
सतना , मध्यप्रदेश .

1/12020
विषय-नव निर्माण

**************

जाओ बीते साल तुम, अलग दिशा की ओर।
देते हम तुमको विदा, भीगी अँखियाँ कोर।
भीगी अँखियाँ कोर, रहे तुम सुख की छाया।
करके नव संकल्प ,नया उल्लास जगाया।
तजके कुमति कुरीति, नई स्फूर्ति जगाओ ।
जागो नवनिर्माण, तमस आलस तुम जाओ।

आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश

नव / संकल्प

होता है
एक साल
तीन सो पैंसठ
दिन का
गुजरते हैं दिन
कुछ अच्छे
कुछ खराब
करते हैं काम
कुछ अच्छे
कुछ बुरे
मिलतीं हैं
कुछ खुशियाँ
कुछ गम
बढ़ता है
कहीं अपनापन
कहीं अलगाव
कहानी है
ये छोटी सी
वक्त की
अब छांटना है
हमें नव संकल्प
ले कर
करें अच्छा
बांटे खुशियाँ
हों सब तरफ
बस भाईचारा
और जज़्बा
देश प्रेम का

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

01/01/2020
"नव /संकल्प"


पुरानी यादें ले साथ चलें....
आ नव वर्ष का हम स्वागत करें।

नई उमंगें नई आशा हो.....
जीवन में भी नव सवेरा हो..
शिकवे गिले को हम भूल चलें
आ नव वर्ष का हम स्वागत करें।

अपनें जो रुठ गये हैं हमसे....
गलती जो हो गई हो हमसे...
गलतफ़हमी को हम दूर करें
आ नव वर्ष का हम स्वागत करें।

जीवन सफर में जो सीख मिला
आग में तपकर कुंदन वो बना
उस अनुभवों को ले साथ चलें
आ नव वर्ष का हम स्वागत करें।

मन निराशा को दूर भगाएँ...
स्फूर्ति और विश्वास को जगाएँ
चलो सपनों में फिर रंग भरें
आ नव वर्ष का हम स्वागत करें

जनहित,देशहित का संकल्प लें
घर-आँगन में खुशियाँ ही पलें
सामाजिक व्यवस्था उत्थान करें
आ नव वर्ष का हम स्वागत करें

पुरानी यादें ले साथ चलें........
आ नव वर्ष का हम स्वागत करें।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
विषय -नव/ संकल्प
दिनांक 1-1-2020
नव वर्ष की शुभ वेला पर,खुशी के गीत गाएंगे।
भूलाकर नफरत,हर दिल में प्यार हम जगाएंगे।।

कुछ नया करने का आगाज,उत्साहित हो करेंगे।
इरादों को रख मजबूत,लक्ष्य हम प्राप्त करेंगे।।

प्रकाश हो सबके जीवन में,ज्योति हम जलाएंगे।
हर चेहरे पर मुस्कान रहे,दुख में हाथ बटाएंगे।।

वसुधैव कुटुंबकम भावना,हृदय में फैलाएंगे।
बुझे हुए दीपक को,हम फिर से जगमगाएंगे।।

बैरभाव सब दूर हो,मिलकर प्रयास हम करेंगे।
सत्यम शिवम सुंदरम सजा धरा,नभ छू लेंगे।।

कुमार्ग चल,जिंदगी हम जहन्नुम नहीं बनाएंगे।
घर समाज देश से दूर,रह हमजी ना पाएंगे।।

तोड़ के सारे झूठे बंधन,अपनत्व भाव जगायेंगे।
नई पीढ़ी को नववर्ष पर,नई सौगात दे जाएंगे।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली

#संकल्प
नववर्ष में चलो हम
आज ले संकल्प कि
हम मुरझाए चेहरे पर
मुस्कान लाएंगे,हाँ हम
बेसहारों का सहारा बनेंगे
हाँ इस वर्ष हम कुछ अलग करेंगे।

वक्त ने बेवक्त जिन्हें दी
है दुख अपार,चलो आज
हम उन्हें अपने हिस्से की
कुछ खुशियाँ अर्पित करें
हाँ चलो हम उन बेसहारों का
सहारा बनें,इस वर्ष कुछ अलग करें।

नववर्ष का आना खुशियों की
सौगात है,पर जरा सोचिए
उन बेसहारों के विषय में
जिनका हर दिन रो रोकर
है गुजरात, चलो इस वर्ष
हम नववर्ष उनके साथ मनाएं।

नववर्ष हम कुछ इस तरह मनाएं
चलो आज हम उनका घर रौशन
करें,जिनके हिस्से में ईश्वर ने दी
है केवल अँधियारे ही अँधियारे
चलो हम अपने हिस्से की खुशियाँ
उन निर्धनों को अर्पित करें।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

नया साल आया
खुशियां अपार लाया।।


बड़ो का आशीष
छोटो को प्यार,

मिलकर बजाये साज।
ऐसे मनाये नववर्ष आज।

ना रहे कोई दुःखी
सब के घर आये खुशी।

भूखा ना कोई सोये,
अबला ना कोई रोये।।

रहे सम्रद्धि और खुशहाली
आली नववर्ष आली।।

हो देश की खूब तरक्की।
आगे बढे मिले प्रगति।।

हर दिल मे प्यार बढ़े
नफरत का बीज मिटे।

लोगो को नई राह मिले।
सब के चेहरे खूब खिले।।

संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात।

नव वर्ष के शुभागमन पर,,,,
नव निर्मित रचना
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हरिगीतिका छंद में,,,,
2212 ,2212,2212,2212 -मापनी मात्रा
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देखो धरा पे छा गई,,,,,,,,,,नव वर्ष की नव चाँदनी/
आभा लिए नव ज्योत की चमकी किरन मन भावनी//
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नव वर्ष का नव रवि उदय,ज्योतिर्मयी सुषमा लिए,
आओ मुदित मन हम मनाएं,,,हर्ष पल शुभ आवनी//
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जीवन खिले शतदल कमल सा,महक जाए जिंदगी,
स्वागत करें आगत बरष का,,जो जागरण दे पावनी//
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नव वर्ष है,उत्कर्ष है,,,,,,,,,उल्लसित है सारी धरा,
स॔कल्पना हिय मे जगे,,,,गुंजित हृदय में रागनी //
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जागो धरा के नौजवानों !आ गया नवरात्रि पर्व ये,
ले लो शपथ नव जोश से,कर दो धरा को सावनी//
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नव छंद हो संगीतमय,,,,सुर ताल भी नव रागमय,
रचती रहूँ कविता मधुर,दो ज्ञान " वीणा"- वादनी //
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ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार

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"अंदाज"05मई2020

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