Monday, November 4

"समाधान/हल"16अक्टुबर 2019

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ब्लॉग संख्या :-538
शीर्षक समाधान,हल
विधा लघुकाव्य

16 अक्टूबर 2019,बुधवार

बुद्धि चातुर्य कौशल से
हर समस्या समाधान है।
सदशिक्षा और सदवृति से
कठिनाइयों का निदान है।

खून पसीना श्रम के बल
हम सागर में डेम बांधते।
रेगिस्तानी मरु भूमि को
उत्पादन कर उसे साधते।

हर प्रश्नों का हल होता है
असंभव जग में न होता।
कर्महीन ही स्व जीवन में
फूट फ़ूट जगति में रोता।

स्व विज्ञान स्व बल मानव
आविष्कार नित नित करता।
अति दुष्कर जगत समस्या
पलक झपक हर जन हरता।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।


बचपन में बडी,
खूशी मिलती ,
छोटी छोटी बातो में ।
चवन्नी का मजा था,
लाखों में ।
पेपरमेंट की गोली देती,
आईसक्रीम का अहसास ।
मेहमान के दस पैसे,
बताते खूशी मनाएं कैंसे !
सब कुछ था,
बचपन था ,
समाधान से भरा ।
अब,
दिन को भागता हूं ।
रात को जागता हूं ।
सम्मान पड़ा हैं गिरवी ।
चेहरे की मुस्कराहट,
करती खोखली पैरवी ।
लाखों का मजा,
चवन्नी जैसा नही ।
ना जाने क्या हो गया?
ढुंडता हूं समाधान को,
ना जाने कहाँ,
कहाँ खो गया ..

#प्रदीप सहारे

प्रथम प्रस्तुति

खुद में ही समस्या इंसान
औ खुद में ही है समाधान ।।

इधर उधर मगर भटकता
कुछ न मिलता होता हैरान ।।

आत्मावलोकन कभी करे न
परावलोकन में सदा ध्यान ।।

कुप्रवृत्तियाँ सर चढ़कर बोलें
सदवृत्तियाँ हो जायँ पाषान ।।

भौतिकता की चकाचौंध में
अध्यात्मिकता का भूला ज्ञान ।।

हर हल इसमें छुपे हैं 'शिवम'
हर तरक्की के हैं सोपान ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 16/10/2019

 नमन मंच भावों के मोती
विषय-हल,समाधान
***********************

बदल दुश्मनी को मित्रता में,
आ खुद अपनी पहल करले!
अकड़ में घिर जायें उससे पहले,
अपनी समस्या हल कर ले!

अपनी समस्या हल करलें,
तो कुछ ऐसा काम बने,
मान बढ़े सम्मान बढ़े और,
इस सारे जग में नाम बढ़े!

राजेन्द्र मेश्राम "नील"

16/10:2019:: बुधवार
समाधान या हल

दूर !!!बहुत दूर
न जाने क्या निहारती
खामोश निगाहें......
बातें करतीं
अपने आप से
अपने अंतर्द्वंद से....
ढूँढती हैं "हल"
उन तमाम
अनचाहे मामलात का.....
सवालात का
जो खड़े हैं सामने
सुरसा से मुँह बाये......
अनजान अपरिचित
अजनबी भी नहीं
था यहाँ कोई......
अपनों के बीच
अपमान झेलती
जिंदगी की डोर.....
उलझती जा रही
सुलझाने की कोशिश में
रेशम के धागे सी....
मष्तिष्क में
उमड़ते घुमड़ते
संशय के बादल......
बरस जाते
बेमौसम बरसात से
तोड़ खामोशियों के मंज़र......
रजनी_रामदेव
न्यू_दिल्ली

भावों के मोती
बिषय- समाधान/ हल

इस जीवन के समीकरण का
कई कोशिशों के उपरांत भी
हल कोई नहीं निकला।
जहां घटाने की जरूरत है
वहां मैं जोड़ देती हूं
अपनी ख्वाहिशों की दिशा को
अक्सर ही मैं मोड़ देती हूं।
अपनी तकलीफों का भाग
नहीं करती मैं किसी के साथ
बढ़ जाती है वो सौ गुना
रहती हूं बैचेन मैं दिन-रात।
काश कि आ जाता कोई फरिश्ता
बस यूं ही बिन बुलाए
उतर कर नजरों से दिल में
समझ पाता मेरी उलझन अनकहे।
मैं हर दिन रोती हूं,
मैं हर रात सिसकती हूं
अपनी बेबशी, लाचारी पर।
भटक रही हूं नितान्त तन्हा
इस जीवन के भूलभूलैया में
ढूंढ़े से भी सही राह नही सुझती
जाऊं तो जाऊं भला किस ओर मैं।
हे प्रभु! हर ओर से होकर मायूस
जलाए उम्मीद की लौ,आई हूं तेरे दर
तु ही मेरी उलझनों का समाथान कर
वरना खत्म कर दूंगी इस जीवन का सफर।

स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर

16/10/19
समाधान
***

भटकाव लिये मन हुआ दिशाहीन,
बोझ इच्छाओं का अब अंतहीन ।
शक्ति ,धैर्य विवेक का हुआ ह्रास,
मद के नशे में जन अस्तित्वहीन।।

भ्रष्टाचार का बोलबाला आज,
बिना रिश्वत न कोई होता काज।
सिद्धान्तों की बलि चढ़े बार बार ,
कुटिल चालों से क्यों न आयें बाज ।।

आधुनिक युग में खो रहे संस्कार,
आवश्यक है अब इसका उपचार।
नैतिकता को बना के शस्त्र आज,
सभी बुराईयों पर करें प्रहार ।।

बने नहीं जो इच्छाओं का दास ,
विषम परिस्थिति में रखे रहे आस।
वो जग में कर जाते अपना नाम,
संस्कार के मान से रचें इतिहास ।।

स्वरचित
अनिता सुधीर


तिथि_26/10/2019/ बुधवार
बिषय_समाधान /हल
विधा _काव्य

अंतर्द्वंद जब उठता मन में
अनेक समस्याऐं होती हैं।
निकल सकें समाधान जब
जागृत भावनाऐं होती हैं।

मनसे परेशान हो कर हम
इनका समाधान ढूंढते हैं।
मनोचिकित्सक से हल पूछें
कारण व्यवधान ढूंढते हैं।

दूर रहें सभी झगडों से कहीं
नहीं वकील की हमें जरूरत।
गर रहें आपसी समझबूझ से
क्या समाधान की है जरूरत।

सुविचार उलझन सुलझाऐं।
अपना मानस प्रथम बनाऐं।
उचित सलाह सबको देकर
सबसे ही सामंजस्य बनाऐं।

स्वरचित
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय मगराना गुना मध्य प्रदेश

16/10/2019
"समाधान/हल"
################
अहंकार ही बड़ा फसाद है
समस्याएँ आते जो बहुतेरे है
विपदाओं से हमें ही जूझने हैं
समाधान तो खुद के पास है।

ईर्ष्या, जलन व द्वेष भावना
बहुत ज्यादा पाने की कामना
हाय-हाय !!इनका ही रोना है
शांति से जीने का सोचना है
हल निज अंतर्मन में ढूँढना है

समस्याएँ तो आनी-जानी है
दुनियादारी की ये कहानी है
इस जंजीर को ही काटनी है
विवेक से हल बुद्धिमानी है।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
16.10.2019
बुधवार
विषय -समाधान/ हल
विधा -ग़ज़ल
काफ़िया -‘अ ‘स्वर
रदीफ़ - नहीं होंगे

हल नहीं होंगे

यहाँ हम आज हैं, लेकिन यहाँ हम कल नहीं होंगे
हमारे इतने मसले हैं,कि मसले #हल नहीं होंगे ।।

रहो ख़ुश भीड़ में हो,ज़िन्दगी है , ज़िन्दगानी है
तनहाइयों में शोरगुल, हलचल नहीं होंगे ।।

एक ही पल, कौन जाने,कब यहाँ क्या हो
पल बदलते,ख़ुशनुमाँ ये पल नहीं होंगे ।।

बूँद सागर की पवन संग,
पहुँचती है आसमाँ में
नेह बन बादल बरसते,कल नहीं होंगे ।।

जहाँ में मुस्कुराने की,सज़ा मिलती ही रहती है
कमल भी खिल न पाएँगे,
अगर दलदल नहीं होंगे ।।

‘ उदार’यह ज़िन्दगी वरदान है,जी भर के जी लो तुम
भले ही वैर,ईर्ष्या,द्वेष और कम ,छल नहीं होंगे ।।

स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘


हुए बड़े परेशान तुम्हारी बातो से।
हर कोई हैरान तुम्हारी बातो से।।

सूझे ना कोई बात कटेगी अब कैसे।
मुश्किल में है जान तुम्हारी बातो से।।

गुब्बारे सा उडा दिया है हमें हवा में।
कुछ बदले दिनमान तुम्हारी बातो से।।

होश जोश दोनों ही मेरे हैं गायब ।
बिगडे बनते काम तुम्हारी बातो से।।

छू लेंगे आकाश जमीं पर बैठे- बैठे।
हम बन बैठे नादान तुम्हारी बातो से।।

फुर्सत ना पल भर ना कोई काम।
अपनी सुबह- शाम तुम्हारी बातो से।।

जिक्र तेरा हर ओर जिधर भी जाएं।
हम जैसे अन्जान तुम्हारी बातो से।।

कसम तुम्हे मेरी अब कुछ ना कहना।
क्यूं उठते हैं तूफ़ान तुम्हारी बातो से।।

कुछ हल न समाधान तुम्हारी बातो से।
मर गए मेरी जान तुम्हारी बातो से ।।

विपिन सोहल. स्वरचित

नमन मंच भावों के मोती
16 /10 /2019
बिषय, समाधान,, हल,
जहाँ समस्या है वहाँ समाधान भी है
कठनाइयों के पश्चात आराम भी है
बिषम परिस्थितियों का हल भी है
आज अंधकार तो नव किरणों का कल भी है
सुरसा सम मुख खोले परेशानियां खड़ी रहतीं हैं अक्सर
लेकिन बहुत कुछ सिखाता है हमको भास्कर
फैलाता है नित भोर की किरण प्रकाश
चमक उठते हैं धरती आकाश
चाहे कितना भी क्यों न करें बदली छाया
आसमान छटते ही पुन:निकल आया
इसी प्रकार मानव जीवन का आदान प्रदान
आज समस्या तो कल समाधान
स्वरचित,, सुषमा, ब्यौहार
.

सादर नमन मंच
ज्येष्ठ श्रेष्ठ आ0 शितिकण्ठ जी को सादर प्रणाम🙏🙏
एक प्रयास

समाधान
निविड़, विजन गहन कानन में
दिग्भ्रम हो भटके किस निर्जन में
सुन्न-सुन्न, साँय, गज का चिग्घाड़
गुर्र-गुर्र श्रृंगाल, शार्दूल की दहाड़
चिहुँक, चिहुँक कर उलूक बोलते
सर्र-सर्र समीर उद्वेलित पत्र डोलते
संवेदनशून्य, स्वेद से लथपथ तन
आकुल, भयाक्रांत भाव भीत मन
कुटिल कुपथ, कराल कलुषरात्रि
कौन, सुयत्न करे वह निरीह यात्री
मति विमूढ़, विलोपित सर्वभाव-बोध
विकल्प अभी तक रहे सभी अशोध
चपला चमके, कड़क नाद घन में
आस-किरण दीप्तित हुई क्षण में
सहसा विहंसा एकपदी सा गूढ़पथ
चल एकल, साध संबल सह शपथ
विभु-वश-अंतस, सत्कर्म-मर्म विधान
यह पथ सुपथ, संशय का समाधान
-©नवल किशोर सिंह
16-10-2019
स्वरचित

आज का विषय, समाधान, हल
दिनांक, 1 6,10,2019,
दिन, बुधवार

अपराध हुए अनजाने में जो,
हल उनका ढूँढ़ रहे हैं लोग ।
जानबूझ कर कब करते वो ,
हालत से होते मजबूर हैं लोग।
न्याय नहीं मिल पाता है जब ,
तब हो ही जाते हैं बागी लोग।
जब अधर्म हावी हो रहा हो ,
फिर धर्म हेतु लड़ते हैं लोग ।
ऊँच नीच कब क्या हो जाये ,
यही समझ नहीं पाते हैं लोग ।
अपराध बोध होता है बाद में ,
पहले तो गलत करते हैं लोग।
समाधान बस एक ही इसका,
समभाव समाज में लायें लोग।
कही झोपड़ी कही महल न हो,
खाली पेट न सोयें कभी लोग ।
सामंतवाद का अब विनाश हो,
बल प्रयोग न आजमायें लोग।
भ्रष्टाचार से दूर रहें यहाँ सब ,
ईमानदारी से जियें हम लोग ।
मुश्किल कुछ काम नहीं होता,
कोशिश तो करके देखें लोग ।

स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश


विषय- समाधान
दिनांक 16 -10- 2019
शंका का समाधान नहीं,बीज यह गहरा होता।
जितना समाधान करो,उतना उलझता जाता।।

समाधान नहीं इस समस्या का, दुखी बहुत करता।
ना वो चैन से रहता है,ना किसी को रहने देता ।।

निश दिन समाधान में लगा,हल वो खोज पाता।
क्यों छोटी-छोटी बातों से, तू परेशान होता।।

जैसा बोया वैसा काटा, फलसफा क्यों भूल जाता।
बड़ों से सलाह ले सदा, समाधान शीघ्र तू पाता।

अच्छा करने वाला, प्रेरणा सूत्र बन जाता।
आने वाली नस्लों के लिए, उदाहरण बन जाता।।

धैर्य से करे समाधान, सफलता वह जरूर पाता।
ऐसी कोई समस्या नहीं, जिसका समाधान नहीं होता।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली 

16/10/2019
विषय-समाधान
================
हे बंदे!इस जीवन से क्यों तू परेशान होता है
यदि समस्या है तो उसका समाधान भी होता है

सुख -दुख ,कष्ट ,संताप हर जीवन के पहलू हैं
कभी रात होती है तो कभी सूर्य उदीयमान होता है

किस समस्या का निराकरण कैसे करना है
ये व्यक्ति विशेष को स्वयं निर्धारित करना है
निज सुख दुख का कारण मानव स्वयं ही है
कर्मों के निष्पक्ष न्याय का फ़लसफ़ा हमें समझना है
जो जैसा करता है वैसा ही फल पाता है ये विधि का विधान होता है

जीने का ढ़ंग बदल कर,बुराइयों से दूर रहकर ही इंसान सुख से रह पाता है
जैसी संगत में जो रहता है वैसी ही रंगत पाता है
फूलों की सुगंध जीवन में घुल जाती है
काँटों के संग जीवन लहूलुहान ही होता है..।!

**वंदना सोलंकी**©स्वरचित

दिनांक-16/10/2019
विषय- समाधान

हर समस्या का है हल , समाधान
हे मनुज.....
तेज सूर्य का है तेरे उदयमान
प्रदूषण की समस्या मुख्य वर्तमान
नशाखोरी है समाज में विद्यमान
युवा पीढ़ी जल रही इन बस्तियों में
आलिंगन व्याकुल इनका दीप्तिमान
हे प्रभु कर दे समस्या का समाधान

व्यथित धरा है तीब्र तपन से......
जनसंख्या विस्फोट निरंतर वरदान
परिवार नियोजन है एकमात्र निदान
हे प्रभु कर दे समस्या का............

भ्रष्टाचार कई सिरो वाला दैत्य
दरिद्रो के दीपक का थकान
हे प्रभु कर दे समस्या का ...........

..
मानवता का हो रहा है ह्रास
दानवता है क्यों आवेश में
हे प्रभु समस्या का ............
धरा के इस धूमिल परिवेश मे
पश्चिमी सभ्यता समस्या का जड़
अभिजन सामंती है अगुवाई
हीरे की चट्टाने मिलती हैं
पागल धरती के अवशेष में।।
पूजे जाते पाखंडी
पुजारी के भेष में
विषमता की जलकुंभी
फैली सारे देश में.............
हे प्रभु इस समस्या...........

मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज।

भावों के मोती
विषय=समाधान/हल
=============
काँधे पर अनगिनत
फरमाइशों का बोझ
चिंता में तिल-तिल जलते
और धुआँ होती ख्वाहिशें
दफ़न हो जाते सपने
दिन-रात यही सोच-सोचकर
कैसे हो सबके पूरे सपने
पिता के लिए नई लाठी
माँ का टूटा चश्मा
गुड़िया बैठी दरवाजे पर
आज आएगा नया बस्ता
एक नया पैबंद झलक उठा
मुस्काती पत्नी की साड़ी में
दिन भर भीगता रहा यह सोच
छतरी लूँगा अबकी बारिश में
खत्म हो गई मुन्ने की दवाई
कमर तोड़ रही यह महंगाई
हर बार होती यही कोशिश
इस बार होंगे सपने पूरे
समस्या रहती वहीं के वहीं
मिलता नहीं समाधान कोई
अरमान हर बार जल जाते
छुप जाते आँसू भी धुएं में
***अनुराधा चौहान***स्वरचित

दिनांक १६/१०/२०१९
शीर्षक-समाधान/हल

तू मत निराश हो मनुज
हर समस्या का समाधान है
असंतोष को दूर भगाये,
सभी समस्याओं की यह जड़ है।

संतोष को हम जब अपनाये
समस्या हो जाये स्वंय कम
स्वास्थ्य समस्या जन्म ना ले
रखे हम दिनचर्या नियमित।

जब विचलित हो जाये मन,
समस्यायें जब करें परेशान
गीता का एक एक श्लोक
देते हर समस्याओं का समाधान।

जब तक है धरा पर जीवन
समस्याएँ तो आनी जानी है
"समस्या है तो समाधान भी है"
ये बात बहुत पुरानी है।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।

विषय-समाधान
दिनांकः 16:10:2019
बुधवार
आज के विषय पर आधारित मेरी रचना:

है अज्ञान और तृष्णा कारण,
ये जब तक जीवन में होते ।
तब तक ही रहते दारूण दुख,
कोई समाधान नहीं तब होते।।

जब आता संतोष और ज्ञान,
हमको तब सुख शाॅति मिलती ।
समाधान सभी हो जाते ,
सहज ही मंजिल मिलती ।।

मुश्किल जब आ जाये,
नहीं कभी हम घबरायें ।
करें सामना सोच समझ,
हल सभी समस्या हो जाये ।।

रख धैर्य और साहस भी तू ,
डरकर मुश्किल से नहीं भागेगा ।
बचकर भागें कभी नहीं,
हल एक न एक दिन निकलेगा ।।

जितनी घनी रात होती,
चमके उतना अधिक सवेरा ।
उजाला अवश्य होगा इक दिन,
रहेगा यूँ सदा नहीं अंधेरा ।।

स्वरचित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर
(डॉ नरसिंह 'शर्मा निर्भय ,जयपुर)

विषय :- "समाधान/ हल"
दिनांक :- 16/10/2019.
विधा :- "मुक्त छन्द"

घिर गया हूं व्याधि में, मैं जगत की।
आश का सूरज कहीं दिखता नहीं।
पात-सम रहे काँपते मेरे कदम,
आलोड़ित स्थिर जमीँ।
काम की कुछ, लोभ की, कुछ मोह की।
जंजीरें पड़ी राह रोके हर घड़ी।
दीवार से आदमीयत,
वो खड़ी है कोसों दूर।
दिख रही बीमार सी यहाँ,
खड़ी खलकत सभी।
कुछ तो हल होगा विपति का,
आन जो सम्मुख खड़ी।
समाधान कर दो समय पर,
निस्तार गर चाहो।
गर मानवता, सद्भाव का विस्तार चाहो।.


16/10/19
विषय-हल ,समाधन

मुश्किल हो कैसी भी
दीवारें न चुन लो,
"हल "की कुछ
छोटी खिड़कियां खोल लो,
नेकियाँ करते चलो
दरिया में डाल दो ,
जीवन को बहती
मौजों मे ढाल दो,
जहाँ दिखावे करने तय हो
तो करते चलो ,
जहाँ मौन से काम हो
वहां मौन रहो,
हौसलों की कस्तियों
पर सवार चलो,
छोटी सी जिंदगी है
भाई हंसी खुशी जीलो।

स्वरचित

कुसुम कोठारी।



दिनांक-16/10/2019
विधा-हाइकु (5/7/5)
िषय:-"समाधान/हल"
(1)
ढूँढता कौन
समाधान भीतर
बाहर खोज
(2)
गरीबी प्रश्न
ज़माने लगा दिए
ढूँढ़ते हल
(3)
बड़ा सवाल
साहस, इच्छाशक्ति
हल तैयार
(4)
प्रश्न हज़ार
समाधान ढूँढ़ता
तंत्र बीमार
(5)
फैला जहर
निगलता प्लास्टिक
न कोई हल

स्वरचित
ऋतुराज दवे

दिनाँक-16/10/2019
शीर्षक-हल , समाधान
विधा-हाइकु

1.
प्रश्न अनेक
समाधान निकालो
भ्रष्टाचार क्यों
2.
मोदी ने किया
कश्मीर समाधान
देश के नाम
3.
कौन चाहता
समाधान दिल से
मिटे आतंक
4.
ढूंढो उपाय
बढ़े नहीं आतंक
अमन वास्ते
5.
आतंकवाद
करता है बर्बाद
समाधान क्या
6.
रिश्वतखोरी
सबकी कमजोरी
हल बताओ
7.
प्रश्न कठिन
समाधान आसान
करके देखो
8.
कौन ढूंढता
समाधान दिल से
मिटे गरीबी
9.
उलझी गूंथी
कश्मीर की समस्या
सुलझ गई
10.
देश हित में
कश्मीर समाधान
बढ़िया हुआ
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

16/10/19
विषय समाधान/हल

अन्तस खोज
हल करे समस्या-
जीवन लक्ष्य

परीक्षा कक्ष-
गणित पेपर का
'हल 'कठिन

मुसीबतों का
'समाधान' कठिन-
जीव संघर्ष

सरल 'हल'
मन पे नियंत्रण-
दर्शन मार्ग

प्रेम व दया
समस्याओं के 'हल'-
जीवन ज्ञान

आतंकवाद
'समाधान' कठिन-
जैसे को तैसा

मन्दी बयार-
आर्थिक सुधार का
'हल' मुश्किल

मनीष श्रीवास्तव
स्वरचित
रायबरेली

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