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ब्लॉग संख्या :-553
दिनांक-१-११-२०१९
विषय- प्रार्थना
मुक्तक
आदरणीय श्री मंच को निवेदित
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
*************************************
कर रहे खिलवाड़ जो भी बच्चियों की आन से।
बस चले मेरा तो उनको मार दूँ मैं जान से।
क्या बिगाड़ा था किसी का जो सजा ऐसी मिली-
हो किसी के साथ यूँ मत प्रार्थना भगवान से।
प्रार्थना है ईश से सबको मिले खुशियाँ यहाँ।
गम न हो कोई कभी सुख से खिले अखियाँ यहाँ।
दरमियाँ शिकवे-गिले जो फाँसले सब दूर हो-
मित्र मित्रों संग औ' सब संग हो सखियाँ यहाँ।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट (म.प्र.)
विषय- प्रार्थना
मुक्तक
आदरणीय श्री मंच को निवेदित
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
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कर रहे खिलवाड़ जो भी बच्चियों की आन से।
बस चले मेरा तो उनको मार दूँ मैं जान से।
क्या बिगाड़ा था किसी का जो सजा ऐसी मिली-
हो किसी के साथ यूँ मत प्रार्थना भगवान से।
प्रार्थना है ईश से सबको मिले खुशियाँ यहाँ।
गम न हो कोई कभी सुख से खिले अखियाँ यहाँ।
दरमियाँ शिकवे-गिले जो फाँसले सब दूर हो-
मित्र मित्रों संग औ' सब संग हो सखियाँ यहाँ।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट (म.प्र.)
विषय प्रार्थना
विधा काव्य
01 नवम्बर 2019,शुक्रवार
जग बैठा परमाणु बम पर
बस,चिंगारी अब शेष है।
जग नियन्ता पालन कर्ता
सद्प्रेरणा की जरूरत है।
सर्वे भवन्तु सुखिनःवादी
नहीं चाहते जग विनाश हो।
सत्य अहिंसा के रक्षक हम
अहिंसा परमोधर्म वास हो।
मन निर्मल हो दर्पण जैसा
अंधकार अज्ञान को हर दो।
दैहिक दैविक विपदा न हो
सुख शांति जीवन भर दो।
तेरे कर में जन्म मृत्यु है
विश्व शांति जग में लाना।
एक विनम्र प्रार्थना तुमसे
भवसागर से पार लगाना।
स्वरचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विधा काव्य
01 नवम्बर 2019,शुक्रवार
जग बैठा परमाणु बम पर
बस,चिंगारी अब शेष है।
जग नियन्ता पालन कर्ता
सद्प्रेरणा की जरूरत है।
सर्वे भवन्तु सुखिनःवादी
नहीं चाहते जग विनाश हो।
सत्य अहिंसा के रक्षक हम
अहिंसा परमोधर्म वास हो।
मन निर्मल हो दर्पण जैसा
अंधकार अज्ञान को हर दो।
दैहिक दैविक विपदा न हो
सुख शांति जीवन भर दो।
तेरे कर में जन्म मृत्यु है
विश्व शांति जग में लाना।
एक विनम्र प्रार्थना तुमसे
भवसागर से पार लगाना।
स्वरचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
शीर्षक-- प्रार्थना / अर्ज़
प्रथम प्रस्तुति
बड़ी कठिन माया नगरी
क्या क्या खेल ये खिलाये ।
इक आसरा प्रभु तुम्हारा
जो नैया पार लगाये ।
क्या माँगू मैं तुमसे प्रभु
कुछ भी न छुपा कहाए ।
तुम्ही बाहर तुम्ही अन्दर
पर दरश न तुम दिखाये ।
हरेक क्रियाकलापों में
हो नजरें तुम टिकाए ।
हम ही तुम से दूर हों
ये भूल क्यों हो जाए ।
एकाकार हम क्यों न हों
हो दूरी क्यों बनाये ।
कुछ पल को तो हुआ करो
इक अर्ज़ यही कहलाये ।
तुम्हे पाया जिसने 'शिवम'
उसे कामना न सताये ।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 01/11/2019
प्रथम प्रस्तुति
बड़ी कठिन माया नगरी
क्या क्या खेल ये खिलाये ।
इक आसरा प्रभु तुम्हारा
जो नैया पार लगाये ।
क्या माँगू मैं तुमसे प्रभु
कुछ भी न छुपा कहाए ।
तुम्ही बाहर तुम्ही अन्दर
पर दरश न तुम दिखाये ।
हरेक क्रियाकलापों में
हो नजरें तुम टिकाए ।
हम ही तुम से दूर हों
ये भूल क्यों हो जाए ।
एकाकार हम क्यों न हों
हो दूरी क्यों बनाये ।
कुछ पल को तो हुआ करो
इक अर्ज़ यही कहलाये ।
तुम्हे पाया जिसने 'शिवम'
उसे कामना न सताये ।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 01/11/2019
सब कुछ तो बख्शा है तूने खुदा।
मै मांगू भी क्या अब तू ये बता।
पडी नजर है जब गुनाहों पे।
मेरा झुका सर तेरी पनाहों मे।
शर्मसार हूँ यह अब कैसे कहूं।
मेरी तू सब माफ कर दे खता।
सब कुछ तो बख्शा है तूने खुदा।
मै मांगू भी क्या अब तू ये बता।
मै सोया रहा ख्वाब में झूठ के।
खोया रहा खामख्वाह रूठ के।
मुझे होश आया बहुत देर में ।
मेरे दिल से उठती है ये सदा।
सब कुछ तो बख्शा है तूने खुदा।
मै मांगू भी क्या अब तू ये बता।
दीनो - ईमां हमेशा दिल में रहे।
कदम तेरी राहे - मंजिल में रहे।
मुझे चैन और बस सुकूं चाहिए।
सबकुछ किया सबको तूने अता।
सब कुछ तो बख्शा है तूने खुदा।
मै मांगू भी क्या अब तू ये बता।
विपिन सोहल
मै मांगू भी क्या अब तू ये बता।
पडी नजर है जब गुनाहों पे।
मेरा झुका सर तेरी पनाहों मे।
शर्मसार हूँ यह अब कैसे कहूं।
मेरी तू सब माफ कर दे खता।
सब कुछ तो बख्शा है तूने खुदा।
मै मांगू भी क्या अब तू ये बता।
मै सोया रहा ख्वाब में झूठ के।
खोया रहा खामख्वाह रूठ के।
मुझे होश आया बहुत देर में ।
मेरे दिल से उठती है ये सदा।
सब कुछ तो बख्शा है तूने खुदा।
मै मांगू भी क्या अब तू ये बता।
दीनो - ईमां हमेशा दिल में रहे।
कदम तेरी राहे - मंजिल में रहे।
मुझे चैन और बस सुकूं चाहिए।
सबकुछ किया सबको तूने अता।
सब कुछ तो बख्शा है तूने खुदा।
मै मांगू भी क्या अब तू ये बता।
विपिन सोहल
1/11/2019
विषय-प्रार्थना
विधा-काव्य
🙏🙏🙏🙏
हर जगह,
हर पल हर घड़ी
वो मेरे साथ है
ये मैं जानती हूँ
ईश्वर की प्रार्थना
मेरी भक्ति है
क्योंकि शब्दों में
अपार शक्ति है
ये मैं मानती हूँ
शब्द फलित होते हैं
बुरे हो या भले
वो अपना कार्य करते हैं
जैसे ही मुख से निकले
ये मैं जानती हूँ
जो आप देते हैं
वही आप पाते हैं
प्रकृति के नियमों से
देवता भी न बच पाते हैं
ये मैं जानती हूँ
नौकायें डूब जाती है
जब हिम्मत हार जाती है
तब ईश प्रार्थना से
जीवन नैया पार लग जाती हैं
ये मैं मानती हूँ।।
**वंदना सोलंकी**©स्वरचित®
विषय-प्रार्थना
विधा-काव्य
🙏🙏🙏🙏
हर जगह,
हर पल हर घड़ी
वो मेरे साथ है
ये मैं जानती हूँ
ईश्वर की प्रार्थना
मेरी भक्ति है
क्योंकि शब्दों में
अपार शक्ति है
ये मैं मानती हूँ
शब्द फलित होते हैं
बुरे हो या भले
वो अपना कार्य करते हैं
जैसे ही मुख से निकले
ये मैं जानती हूँ
जो आप देते हैं
वही आप पाते हैं
प्रकृति के नियमों से
देवता भी न बच पाते हैं
ये मैं जानती हूँ
नौकायें डूब जाती है
जब हिम्मत हार जाती है
तब ईश प्रार्थना से
जीवन नैया पार लग जाती हैं
ये मैं मानती हूँ।।
**वंदना सोलंकी**©स्वरचित®
नमन मंच भावों के मोती समूह गुरूजनों,मित्रों।
प्रार्थना
🌺🌺🌺
शक्ति है बहुत प्रार्थना में।
प्रभु की प्रार्थना किया करो।
असंभव भी हो जाता है संभव।
प्रभु का नाम लिया करो।
नतमस्तक होते हैं सभी।
प्रभु की कृपा के आगे।
तभी तो करते हैं प्रार्थना।
ईश्वर की मूर्ति के आगे।
सुनते हैं जो प्रार्थना वो।
सुधर जाती है किस्मत।
नमन करते हैं सभी।
झुकाकर अपना मस्तक।
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
प्रार्थना
🌺🌺🌺
शक्ति है बहुत प्रार्थना में।
प्रभु की प्रार्थना किया करो।
असंभव भी हो जाता है संभव।
प्रभु का नाम लिया करो।
नतमस्तक होते हैं सभी।
प्रभु की कृपा के आगे।
तभी तो करते हैं प्रार्थना।
ईश्वर की मूर्ति के आगे।
सुनते हैं जो प्रार्थना वो।
सुधर जाती है किस्मत।
नमन करते हैं सभी।
झुकाकर अपना मस्तक।
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
विषय -प्रार्थना
दिनांक-1-11-2019
🙏🙏🌹🌹🌹🌹🙏🙏
शब्दों में सामर्थ्य बस, इतना मुझे देना प्रभु।
प्रार्थना मन से करूँ, तुम तक वह पहुँचें प्रभु।।
धर्म जाति से परे हो, जीवन सदा मेरा प्रभु।
किसी का दर्द समझू,ऐसा जीवन मेरा प्रभु।।
कर्म कांड पाखंड से, सदा दूर में रहूँ प्रभु ।
किसी की मदद करू,इतनी शक्ति देना प्रभु।।
सज्जन व्यक्ति बन, जीवन यापन करुँ प्रभु।
दिल में जगह मिले, यही प्रार्थना करूँ प्रभु।।
नहीं चाहिए धन दौलत,दीन बन रहूँ प्रभु।
सेवा दीन की करुँ तो,जीवन सफल हो प्रभु।।
प्रार्थना बस यही, तुझसे मैं सदा करूँ प्रभु।
कोई गरीब भूखा उठे,पर भूखा ना सोए प्रभु।।
जब जाऊ इस जहां से, याद में आऊँ प्रभु।
कर्म कुछ ऐसे करूं,ठौर चरण पाऊँ प्रभु।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
दिनांक-1-11-2019
🙏🙏🌹🌹🌹🌹🙏🙏
शब्दों में सामर्थ्य बस, इतना मुझे देना प्रभु।
प्रार्थना मन से करूँ, तुम तक वह पहुँचें प्रभु।।
धर्म जाति से परे हो, जीवन सदा मेरा प्रभु।
किसी का दर्द समझू,ऐसा जीवन मेरा प्रभु।।
कर्म कांड पाखंड से, सदा दूर में रहूँ प्रभु ।
किसी की मदद करू,इतनी शक्ति देना प्रभु।।
सज्जन व्यक्ति बन, जीवन यापन करुँ प्रभु।
दिल में जगह मिले, यही प्रार्थना करूँ प्रभु।।
नहीं चाहिए धन दौलत,दीन बन रहूँ प्रभु।
सेवा दीन की करुँ तो,जीवन सफल हो प्रभु।।
प्रार्थना बस यही, तुझसे मैं सदा करूँ प्रभु।
कोई गरीब भूखा उठे,पर भूखा ना सोए प्रभु।।
जब जाऊ इस जहां से, याद में आऊँ प्रभु।
कर्म कुछ ऐसे करूं,ठौर चरण पाऊँ प्रभु।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
न कोई कमी मैंने की तेरी पूजा आराधना,प्रार्थना में।
फिर क्यों रूठ कर है बैठा तु मुझसे ओ भगवान मेरे।
हर एक दिन गुजरता है तेरे ही आराधना प्रार्थना में।
कुछ कर ऐसी कृपा देखते रह जाए कायनात भी तेरे।
न कोई चाह न कोई ख्वाब फिर भी क्यो बेचैनी है हमें।
हर रोम रोम में तेरी ही छवि मार रहा हिलोरें भगवन मेरे।
न कोई किया हवन न कोई आडम्बर न ढेर लगाये चढ़ावे।
मैंने तो श्रद्धा के पुष्प ही बस अप्रित है हर वक्त ही किये।
🌹🌹शुभम्वदा पाण्डेय 🌹🌹
फिर क्यों रूठ कर है बैठा तु मुझसे ओ भगवान मेरे।
हर एक दिन गुजरता है तेरे ही आराधना प्रार्थना में।
कुछ कर ऐसी कृपा देखते रह जाए कायनात भी तेरे।
न कोई चाह न कोई ख्वाब फिर भी क्यो बेचैनी है हमें।
हर रोम रोम में तेरी ही छवि मार रहा हिलोरें भगवन मेरे।
न कोई किया हवन न कोई आडम्बर न ढेर लगाये चढ़ावे।
मैंने तो श्रद्धा के पुष्प ही बस अप्रित है हर वक्त ही किये।
🌹🌹शुभम्वदा पाण्डेय 🌹🌹
सुप्रभात बंधुजनों
है नाथ मुझ दीन पर कुछ तो कृपा प्रभु कीजिए।
लीजिए मुझको शरण मे ज्ञान थोड़ा दीजिए।
पापी हूंअधमी हूं अज्ञानी औऱ हूं सिरफिरा।
जैसा भी हूं प्रभु हूं पर तेरा मुझ पर दया प्रभु कीजिये।
न ताल है ना सुर ही है न शब्दो का कुछ ज्ञान है।
तेरी शरण मे आ गया हूं अब ज्ञान मुझको दीजिए।
दुनिया के हर दर्द सह कर गम से मैं प्रभु चूर हूं।
हे विधाता गले लगा कर राह सुरक्षित कीजिये।
नाव मेरी है पड़ी मझधार मे कब से
प्रभु।
आ गया तेरे दर पे दूर विपदा प्रभु कीजिये।
आप दाता हो जगत के मैं भिखारी हूं तेरा।
क्या समर्पित करू तुमको बंदन स्वीकार कीजिये।
पास मेरे नही है वस्तु उपहार जो तुमको मैं दू।
अश्को के प्यालो का जल स्वीकार प्रभु कीजिए।
दीन हु तुम दिन रक्षक दीनता मेरी हरो।
ज्ञान का दीपक जला प्रभु अज्ञान को हर लीजिए।
स्वरचित
मीना तिवारी
है नाथ मुझ दीन पर कुछ तो कृपा प्रभु कीजिए।
लीजिए मुझको शरण मे ज्ञान थोड़ा दीजिए।
पापी हूंअधमी हूं अज्ञानी औऱ हूं सिरफिरा।
जैसा भी हूं प्रभु हूं पर तेरा मुझ पर दया प्रभु कीजिये।
न ताल है ना सुर ही है न शब्दो का कुछ ज्ञान है।
तेरी शरण मे आ गया हूं अब ज्ञान मुझको दीजिए।
दुनिया के हर दर्द सह कर गम से मैं प्रभु चूर हूं।
हे विधाता गले लगा कर राह सुरक्षित कीजिये।
नाव मेरी है पड़ी मझधार मे कब से
प्रभु।
आ गया तेरे दर पे दूर विपदा प्रभु कीजिये।
आप दाता हो जगत के मैं भिखारी हूं तेरा।
क्या समर्पित करू तुमको बंदन स्वीकार कीजिये।
पास मेरे नही है वस्तु उपहार जो तुमको मैं दू।
अश्को के प्यालो का जल स्वीकार प्रभु कीजिए।
दीन हु तुम दिन रक्षक दीनता मेरी हरो।
ज्ञान का दीपक जला प्रभु अज्ञान को हर लीजिए।
स्वरचित
मीना तिवारी
1.11.2019
शुक्रवार
विषय-प्रार्थना
विधा -ग़ज़ल
अंधेरों से कर दो
🌹🌹🌹
अँधेरों से कह दो,यहाँ अब न
आएँ
जलाया है मन दीप, ख़ुशियाँ मनाएँ ।।
करें #प्रार्थना,तन से और अपने मन से
ये जीवन सदा,औरों के काम आए।।
जला कर दिया,एक मन का ही अपना
जग का कलुष तम,अँधेरा मिटाएँ ।।
सजे नेह बाती,सभी के हृदय में
मुहब्बत का पैग़ाम,सब तक ले जाएँ ।।
जिधर सादगी हो, जिधर ज़िन्दगी हो
जिधर मुफ़लिसी हो,उधर आप जाएँ ।।
सभी को मिले,ज़िन्दगी की ये ख़ुशियाँ
‘उदार’ दर से कोई भी,भूखा न जाए।।
स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘
शुक्रवार
विषय-प्रार्थना
विधा -ग़ज़ल
अंधेरों से कर दो
🌹🌹🌹
अँधेरों से कह दो,यहाँ अब न
आएँ
जलाया है मन दीप, ख़ुशियाँ मनाएँ ।।
करें #प्रार्थना,तन से और अपने मन से
ये जीवन सदा,औरों के काम आए।।
जला कर दिया,एक मन का ही अपना
जग का कलुष तम,अँधेरा मिटाएँ ।।
सजे नेह बाती,सभी के हृदय में
मुहब्बत का पैग़ाम,सब तक ले जाएँ ।।
जिधर सादगी हो, जिधर ज़िन्दगी हो
जिधर मुफ़लिसी हो,उधर आप जाएँ ।।
सभी को मिले,ज़िन्दगी की ये ख़ुशियाँ
‘उदार’ दर से कोई भी,भूखा न जाए।।
स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘
1 /11/2019
बिषय ,प्रार्थना,
विश्व विजयी देश हो मेरा
सर्वत्र शांति का हो डेरा
नित नव किरणों से हो सबेरा
शांति सद्भावना का हो बसेरा
परस्पर हो भाईचारा
फहरता रहे तिरंगा प्यारा
राग द्वेष से दूर सभी हों
आनंद से भरपूर सभी हों
पड़े न अमावस की काली छाया
रहे निरोगी सबकी काया
रोज रहे पूनम की रात
दुख सुख में हो इक दूजे का साथ
पूर्ण हो सभी की मनोकामना
प्रभु जी तुमसे यही प्रार्थना
मेरे मन की यही अभिलाषा
कोई भूखा नंगा न हो प्यासा
भाई,भाई में बहे प्रेम रस धारा
सारी दुनिया में श्रेष्ठ हो देश हमारा
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
बिषय ,प्रार्थना,
विश्व विजयी देश हो मेरा
सर्वत्र शांति का हो डेरा
नित नव किरणों से हो सबेरा
शांति सद्भावना का हो बसेरा
परस्पर हो भाईचारा
फहरता रहे तिरंगा प्यारा
राग द्वेष से दूर सभी हों
आनंद से भरपूर सभी हों
पड़े न अमावस की काली छाया
रहे निरोगी सबकी काया
रोज रहे पूनम की रात
दुख सुख में हो इक दूजे का साथ
पूर्ण हो सभी की मनोकामना
प्रभु जी तुमसे यही प्रार्थना
मेरे मन की यही अभिलाषा
कोई भूखा नंगा न हो प्यासा
भाई,भाई में बहे प्रेम रस धारा
सारी दुनिया में श्रेष्ठ हो देश हमारा
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
दिनाँक-01-11-2019
विषय-प्रार्थना
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
करूँ प्रार्थना हर क्षण प्रभु से
शुद्ध चरित्र ,आचार हो
परोपकार ही लक्ष्य हो अपना
ऐसा मन में विचार हो।
इतना दो सामर्थ्य भुजा में
जैसे यह पतवार हो
करूँ आकलन स्वयं, स्वयं का
भूल हमें स्वीकार हो।
रखूँ संतुलन सुख -दुःख में
त्याग,धैर्य हथियार हो
राग -द्वेष मिट जाए जग से
सबको सबसे प्यार हो।
सुंदर तन हो सुंदर मन हो
सुंदर वाणी व्यवहार हो
व्याकुलता भी शांत हो सके
ऐसी वीणा की झंकार हो।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सर्वेश पाण्डेय
स्वरचित
विषय-प्रार्थना
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
करूँ प्रार्थना हर क्षण प्रभु से
शुद्ध चरित्र ,आचार हो
परोपकार ही लक्ष्य हो अपना
ऐसा मन में विचार हो।
इतना दो सामर्थ्य भुजा में
जैसे यह पतवार हो
करूँ आकलन स्वयं, स्वयं का
भूल हमें स्वीकार हो।
रखूँ संतुलन सुख -दुःख में
त्याग,धैर्य हथियार हो
राग -द्वेष मिट जाए जग से
सबको सबसे प्यार हो।
सुंदर तन हो सुंदर मन हो
सुंदर वाणी व्यवहार हो
व्याकुलता भी शांत हो सके
ऐसी वीणा की झंकार हो।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सर्वेश पाण्डेय
स्वरचित
01/11/2019
"प्रार्थना"
################
श्रद्धा-भक्ति संग प्रार्थना हो..
आस्था संग विश्वास हो........
धरा-गगन का कोई स्थान हो.
प्रार्थना से दिन की शुरुआत हो...
प्रार्थना से दिवस समाप्त हो.
प्रार्थना पश्चात रात्रि विश्राम हो....
प्रार्थना में मन का अर्पण हो..
प्रार्थना ऐसी होते हैं स्वीकार...
अनजाना भय मन में डेरा न डाल पाता
बिगड़ा भाग्य भी सँवर जाता
प्रार्थना दिव्य ज्योति है.....
अंतर्मन में लाती शक्ति है...।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
"प्रार्थना"
################
श्रद्धा-भक्ति संग प्रार्थना हो..
आस्था संग विश्वास हो........
धरा-गगन का कोई स्थान हो.
प्रार्थना से दिन की शुरुआत हो...
प्रार्थना से दिवस समाप्त हो.
प्रार्थना पश्चात रात्रि विश्राम हो....
प्रार्थना में मन का अर्पण हो..
प्रार्थना ऐसी होते हैं स्वीकार...
अनजाना भय मन में डेरा न डाल पाता
बिगड़ा भाग्य भी सँवर जाता
प्रार्थना दिव्य ज्योति है.....
अंतर्मन में लाती शक्ति है...।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
नमन भावों के मोती मंच
विषय-प्रार्थना
विधा-पद्य
दिनांकः 1: 11 :2019
शुक्रवार
आज के विषय पर मेरी रचना:
है प्रार्थना हे प्रभु आपसे,
बुद्धि,ज्ञान हमें देना ।
हर लेना विकारों को,
हमें सदाचारी बना देना ।।
जब संकट में फॅस जायें,
आकर हमें बचा लेना ।
जब धर्म संकट आ जाये,
युक्ति,राह दिखा देना ।।
सदा सत्य के मार्ग पर,
चलता रहूँ निरंतर ।
अन्याय को नहीं सहूं,
कभी करूँ नहीं मैं अंतर।।
सुख साधन को पाकर ,
गर्वित न हो जाऊँ मैं ।
सारी दुनियां छोड़ कर,
भक्त तेरा बन जाऊं मैं ।।
सदा चलूँ ईमान पर,
करूँ झूठ का तिरस्कार ।
जो हों मुझ से बडे यहाँ,
उनको करूँ मै नमस्कार ।।
माता पिता और गुरु जनों का ,
सदा ही मै सम्मान करूँ ।
उनके सेवा आदर में,
सदा समर्पित रहा करूँ ।।
हो नहीं स्वार्थ किंचित मुझको,
परोपकार का ध्यान रहे ।
निर्धन,निर्बल का सदा,
हरदम मुझको भान रहे ।।
दे देना ऊॅचा औहदा ,
पर अह॔कार मत देना ।
देता रहूँ सदा ओरों को,
नहीं आस हो लेना ।।
देशभक्ति का जज़्बा हो,
जो करूँ देश के लिए करूँ ।
याद करें मुझको वतन,
अपने प्राणों का उत्सर्ग करूँ ।।
स्वरचित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर
डॉ नरसिंह शर्मा' निर्भय ,जयपुर
विषय-प्रार्थना
विधा-पद्य
दिनांकः 1: 11 :2019
शुक्रवार
आज के विषय पर मेरी रचना:
है प्रार्थना हे प्रभु आपसे,
बुद्धि,ज्ञान हमें देना ।
हर लेना विकारों को,
हमें सदाचारी बना देना ।।
जब संकट में फॅस जायें,
आकर हमें बचा लेना ।
जब धर्म संकट आ जाये,
युक्ति,राह दिखा देना ।।
सदा सत्य के मार्ग पर,
चलता रहूँ निरंतर ।
अन्याय को नहीं सहूं,
कभी करूँ नहीं मैं अंतर।।
सुख साधन को पाकर ,
गर्वित न हो जाऊँ मैं ।
सारी दुनियां छोड़ कर,
भक्त तेरा बन जाऊं मैं ।।
सदा चलूँ ईमान पर,
करूँ झूठ का तिरस्कार ।
जो हों मुझ से बडे यहाँ,
उनको करूँ मै नमस्कार ।।
माता पिता और गुरु जनों का ,
सदा ही मै सम्मान करूँ ।
उनके सेवा आदर में,
सदा समर्पित रहा करूँ ।।
हो नहीं स्वार्थ किंचित मुझको,
परोपकार का ध्यान रहे ।
निर्धन,निर्बल का सदा,
हरदम मुझको भान रहे ।।
दे देना ऊॅचा औहदा ,
पर अह॔कार मत देना ।
देता रहूँ सदा ओरों को,
नहीं आस हो लेना ।।
देशभक्ति का जज़्बा हो,
जो करूँ देश के लिए करूँ ।
याद करें मुझको वतन,
अपने प्राणों का उत्सर्ग करूँ ।।
स्वरचित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर
डॉ नरसिंह शर्मा' निर्भय ,जयपुर
1/11/19
विषय-प्रार्थना
प्रार्थना की खुशबू पहुँचे तुझ तक
ऐसा एक दृढ़ विश्वास कर लूँ ,
आज मैंं अपने आंसू को गंगा
और भक्ति को पुराण कर दूँ ,
दीप जलाऊ निज मन आस्था का
सभी हल्के कर्मो को धूप कर दूँ
मन प्राण में आह्लाद जगा लूं
आत्मा को जोत कर लूं ।
स्वरचित
कुसुम कोठारी ।
विषय-प्रार्थना
प्रार्थना की खुशबू पहुँचे तुझ तक
ऐसा एक दृढ़ विश्वास कर लूँ ,
आज मैंं अपने आंसू को गंगा
और भक्ति को पुराण कर दूँ ,
दीप जलाऊ निज मन आस्था का
सभी हल्के कर्मो को धूप कर दूँ
मन प्राण में आह्लाद जगा लूं
आत्मा को जोत कर लूं ।
स्वरचित
कुसुम कोठारी ।
तिथि_1/11/2019/शुक्रवार
विषय_"प्रार्थना "
विधा॒॒॒_मुक्तक( मात्रा भार -21)
प्रार्थना दिवाकर आप से हमारी।
याचना प्रभाकर तुम्हीं से हमारी।
रहें दैदीप्यमान हम यहां कभी तो
यहीआरजू भास्कर तुम से हमारी।
सूर्यवंश का दिया दमकेगा तबतक।
भक्त प्रार्थना मन से करेगा तबतक।
सूर्यास्त भारत का क्या कभी होगा
गगन में सूरज चांद रहेगा तबतक।
प्रार्थना सदैव भगवान से करना।
नहीं कभी कोई इंसान से डरना।
चमकता रहे सदा सितारा हमारा,
करें काम सभी शुभ महान से करना।
स्वरचित
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना मध्य प्रदेश
94257-62471
जय जय श्रीराम रामजी
भा " प्रार्थना "
मुक्तक( मात्रा भार -21)
1/11/2019/शुक्रवार
विषय_"प्रार्थना "
विधा॒॒॒_मुक्तक( मात्रा भार -21)
प्रार्थना दिवाकर आप से हमारी।
याचना प्रभाकर तुम्हीं से हमारी।
रहें दैदीप्यमान हम यहां कभी तो
यहीआरजू भास्कर तुम से हमारी।
सूर्यवंश का दिया दमकेगा तबतक।
भक्त प्रार्थना मन से करेगा तबतक।
सूर्यास्त भारत का क्या कभी होगा
गगन में सूरज चांद रहेगा तबतक।
प्रार्थना सदैव भगवान से करना।
नहीं कभी कोई इंसान से डरना।
चमकता रहे सदा सितारा हमारा,
करें काम सभी शुभ महान से करना।
स्वरचित
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना मध्य प्रदेश
94257-62471
जय जय श्रीराम रामजी
भा " प्रार्थना "
मुक्तक( मात्रा भार -21)
1/11/2019/शुक्रवार
दिनांक 1-11-2019
विधाः- छन्द मुक्त
आज का विषय वैज्ञानिक गण से प्रार्थना
समस्त वैज्ञानिक गण को करता हूँ प्रणाम ।
करता हूँ सभी से, जोड़ कर हाथ राम राम ।।
करता हूँ एक बार मैं, आप सभी की वन्दना ।
है छोटा सी आपसे प्रार्थना, करना नहीं मना ।।
कर रहा हूँ आपसे, एक बार मैं अपना निवेदन।
कर रहा हूँ प्रस्तुत, यह छोटा सा ही प्रतिवेदन।।
करे आविष्कार अनेकों आपने,थे जो असम्भव ।
प्रयासों से अपने,बनाया उन्हें सरल व सम्भव ।।
वर्तमान में करे हुये आपके समस्त आविष्कार ।
मचा रहे है धमाल, समझे जाते कभी चमत्कार।।
किये हैं विकसित आपने, ऐसे अद्भुत टैलीफोन ।
करना बात प्रिय से अपने, है नहीं कहीं कठिन ।।
आती है उन पर तो अब, बात करती हुई तस्वीर ।
बैठे हों समक्ष हमारे, हों चाहे वह कितनी ही दूर ।।
करिये आविष्कार श्रीमन्, आप अब ऐसा टैलीफोन ।
करना बात प्रिय से,दूसरे लोकों में हो जाये आसान।।
उस टेलीफोन पे,चित्र यदि दिलबर का भी देखें हम ।
होगा दीदार प्रिय का,मिट जायेंगे फिर सारे ही गम ।।
करता हूँ आप महानुभावों से फिर कर बध्द प्रार्थना ।
चाहे इस उपकरण को,मिलकर आप सब दीजये बना।।
हो जायगी सफल तब व्यथित हृदय की कातर प्रार्थना।
छोटा सा यह आविष्कार ही, देगा आपको महान बना।।
डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव“
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित
विधाः- छन्द मुक्त
आज का विषय वैज्ञानिक गण से प्रार्थना
समस्त वैज्ञानिक गण को करता हूँ प्रणाम ।
करता हूँ सभी से, जोड़ कर हाथ राम राम ।।
करता हूँ एक बार मैं, आप सभी की वन्दना ।
है छोटा सी आपसे प्रार्थना, करना नहीं मना ।।
कर रहा हूँ आपसे, एक बार मैं अपना निवेदन।
कर रहा हूँ प्रस्तुत, यह छोटा सा ही प्रतिवेदन।।
करे आविष्कार अनेकों आपने,थे जो असम्भव ।
प्रयासों से अपने,बनाया उन्हें सरल व सम्भव ।।
वर्तमान में करे हुये आपके समस्त आविष्कार ।
मचा रहे है धमाल, समझे जाते कभी चमत्कार।।
किये हैं विकसित आपने, ऐसे अद्भुत टैलीफोन ।
करना बात प्रिय से अपने, है नहीं कहीं कठिन ।।
आती है उन पर तो अब, बात करती हुई तस्वीर ।
बैठे हों समक्ष हमारे, हों चाहे वह कितनी ही दूर ।।
करिये आविष्कार श्रीमन्, आप अब ऐसा टैलीफोन ।
करना बात प्रिय से,दूसरे लोकों में हो जाये आसान।।
उस टेलीफोन पे,चित्र यदि दिलबर का भी देखें हम ।
होगा दीदार प्रिय का,मिट जायेंगे फिर सारे ही गम ।।
करता हूँ आप महानुभावों से फिर कर बध्द प्रार्थना ।
चाहे इस उपकरण को,मिलकर आप सब दीजये बना।।
हो जायगी सफल तब व्यथित हृदय की कातर प्रार्थना।
छोटा सा यह आविष्कार ही, देगा आपको महान बना।।
डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव“
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित
आज का विषय, प्रार्थना ,
दिन , शुक्रवार,
दिनांक , 1,11,2019,
प्रभु प्रार्थना के सुर हमारी धड़कनों से हों प्रवाहित ,
विश्व बंधुत्व भाव के संग सर्व मंगल कामना हो समाहित ।
अपने शब्दों का हमें एहसास रहे मात्र जिह्वा पर न रहे,
हो असर वाणीं में प्रभु वो तू प्रार्थना मेरी सुन के रहे ।
कभी न झुके मेरा सर कहीं भी बस तेरे आगे ही झुके ,
बस आरजू इतनी ही है मेरी संवेदना के घट को भर दे ।
नयन पट मेरे प्रभु तू ओतप्रोत करुणा रंग से कर दे ,
ममतामयी सागर को सीने में भगवन् अविरल वहा दे ।
जीवन मेरा मेरे प्रभु तू फूलों सा महकता कर दे ,
वरदान खुशियों का भारत के हर जन मन को दे दे ।
एकता और प्रेम से जीने का सबको सम्मान दे दे ,
उजास सद्भावना का सबके हृदय में अपरिमित जगा दे ।
हे प्रभु सबके विधाता बस ये प्रार्थना मेरी स्वीकार कर ले ,
गरीब दीन हीन जैसे शब्दों को सदा के लिए जग से हर ले ।
स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश ,
दिन , शुक्रवार,
दिनांक , 1,11,2019,
प्रभु प्रार्थना के सुर हमारी धड़कनों से हों प्रवाहित ,
विश्व बंधुत्व भाव के संग सर्व मंगल कामना हो समाहित ।
अपने शब्दों का हमें एहसास रहे मात्र जिह्वा पर न रहे,
हो असर वाणीं में प्रभु वो तू प्रार्थना मेरी सुन के रहे ।
कभी न झुके मेरा सर कहीं भी बस तेरे आगे ही झुके ,
बस आरजू इतनी ही है मेरी संवेदना के घट को भर दे ।
नयन पट मेरे प्रभु तू ओतप्रोत करुणा रंग से कर दे ,
ममतामयी सागर को सीने में भगवन् अविरल वहा दे ।
जीवन मेरा मेरे प्रभु तू फूलों सा महकता कर दे ,
वरदान खुशियों का भारत के हर जन मन को दे दे ।
एकता और प्रेम से जीने का सबको सम्मान दे दे ,
उजास सद्भावना का सबके हृदय में अपरिमित जगा दे ।
हे प्रभु सबके विधाता बस ये प्रार्थना मेरी स्वीकार कर ले ,
गरीब दीन हीन जैसे शब्दों को सदा के लिए जग से हर ले ।
स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश ,
विषय --प्रार्थना
दि. शुक्रवार/1-11-19
विधा --मुक्तक
1.
पूजन और उपासना,हों खुद के आराध्य।
यही प्रार्थना की घड़ी, शुभ हो जीवन साध्य ।
मिले प्रार्थना से सदा, मन को सद्य सुकून --
उपासना से ही मिले, सौख्य शांति का राज्य।
2.
दर्द हैं अनगिनत कब तक गिनती कीजिए।
ईश्वर से प्रार्थना सतत विनती कीजिए ।
छोड़ आलस जूझ जाएँ गर हम कर्म से---
बस इस तरह से बढ़ चढ़ दुरुस्ती कीजिए।
*****स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551
दि. शुक्रवार/1-11-19
विधा --मुक्तक
1.
पूजन और उपासना,हों खुद के आराध्य।
यही प्रार्थना की घड़ी, शुभ हो जीवन साध्य ।
मिले प्रार्थना से सदा, मन को सद्य सुकून --
उपासना से ही मिले, सौख्य शांति का राज्य।
2.
दर्द हैं अनगिनत कब तक गिनती कीजिए।
ईश्वर से प्रार्थना सतत विनती कीजिए ।
छोड़ आलस जूझ जाएँ गर हम कर्म से---
बस इस तरह से बढ़ चढ़ दुरुस्ती कीजिए।
*****स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551
भावों के मोती
शीर्षक- प्रार्थना
कहते हैं प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है।
जहां दवा काम नहीं आती है,
अक्सर दुआएं काम कर जाती हैं।
इसलिए दीन-दुखी, असहाय लोगों की
तन-मन-धन से सहायता करो और
बेशकीमती दुआएं बटोरो।
क्या पता, कब कहां कैसे
काम आ जाएंगी ये दुआएं।
हां मगर भूल कर भी कभी किसी की
मत लेना बद्दुआ,
वरना मिट जाएगा तुम्हारा नामोनिशां।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर
शीर्षक- प्रार्थना
कहते हैं प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है।
जहां दवा काम नहीं आती है,
अक्सर दुआएं काम कर जाती हैं।
इसलिए दीन-दुखी, असहाय लोगों की
तन-मन-धन से सहायता करो और
बेशकीमती दुआएं बटोरो।
क्या पता, कब कहां कैसे
काम आ जाएंगी ये दुआएं।
हां मगर भूल कर भी कभी किसी की
मत लेना बद्दुआ,
वरना मिट जाएगा तुम्हारा नामोनिशां।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर
नमन "भावों के मोती"🙏
01/11/2019
हाइकु (5/7/5)
विषय:-"प्रार्थना"
(1)🙏
छलके भाव
उतरती प्रार्थना
भरते घाव
(2)🙏
प्रार्थना आशा
ईश्वर से संवाद
मन की भाषा
(3)🙏
प्रार्थना गंगा
अहं का विसर्जन
हृदय चंगा
(4)🙏
छूटे आसक्ति
निर्मल करे मन
प्रार्थना शक्ति
(5)🙏
शांति प्रकट
प्रार्थना के जादू से
अहं गायब
✍️स्वरचित
ऋतुराज दवे
01/11/2019
हाइकु (5/7/5)
विषय:-"प्रार्थना"
(1)🙏
छलके भाव
उतरती प्रार्थना
भरते घाव
(2)🙏
प्रार्थना आशा
ईश्वर से संवाद
मन की भाषा
(3)🙏
प्रार्थना गंगा
अहं का विसर्जन
हृदय चंगा
(4)🙏
छूटे आसक्ति
निर्मल करे मन
प्रार्थना शक्ति
(5)🙏
शांति प्रकट
प्रार्थना के जादू से
अहं गायब
✍️स्वरचित
ऋतुराज दवे
विषय - प्रार्थना
1
प्रभु प्रार्थना
अहिल्या के अंतस
उतरे स्वर
2
भक्ति लगन
शबरी की प्रार्थना
राम मगन
3
मंत्रों की शक्ति
प्रार्थना व विश्वास
सँवारे काज
4
बचायी लाज
द्रोपदी की प्रार्थना
कृष्ण के नाम
5
हिरण्य मोक्ष
प्रह्लाद की प्रार्थना
नृसिंह हाँथ
(स्वरचित )सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
1
प्रभु प्रार्थना
अहिल्या के अंतस
उतरे स्वर
2
भक्ति लगन
शबरी की प्रार्थना
राम मगन
3
मंत्रों की शक्ति
प्रार्थना व विश्वास
सँवारे काज
4
बचायी लाज
द्रोपदी की प्रार्थना
कृष्ण के नाम
5
हिरण्य मोक्ष
प्रह्लाद की प्रार्थना
नृसिंह हाँथ
(स्वरचित )सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
विधा: हाइकु
१.
प्रार्थना योग
भावों से भरे भोग
प्रभु मिलन
२.
प्रार्थना क्षेम
पञ्च भूत वियोग
प्रभु का प्रेम
३.
यम के द्वार
प्रार्थना सम्प्रेषित
सती पुकार
II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II
०१.११.२०१९
१.
प्रार्थना योग
भावों से भरे भोग
प्रभु मिलन
२.
प्रार्थना क्षेम
पञ्च भूत वियोग
प्रभु का प्रेम
३.
यम के द्वार
प्रार्थना सम्प्रेषित
सती पुकार
II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II
०१.११.२०१९
01/11/2019
"प्रार्थना"
1
नित्य प्रार्थना
शुद्ध मंत्रोच्चारण
हरे विपदा
2
प्रार्थना संग..
दिवस शुभारंभ
कार्य संपन्न
3
प्रार्थना शक्ति...
विज्ञान अचंभित
अंतस भक्ति
4
आँखों ने देखा
कुदरत करिश्मा
शक्ति प्रार्थना
5
"बापू" निष्प्राण
प्रार्थना के पश्चात..
मुख में "राम"
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
"प्रार्थना"
1
नित्य प्रार्थना
शुद्ध मंत्रोच्चारण
हरे विपदा
2
प्रार्थना संग..
दिवस शुभारंभ
कार्य संपन्न
3
प्रार्थना शक्ति...
विज्ञान अचंभित
अंतस भक्ति
4
आँखों ने देखा
कुदरत करिश्मा
शक्ति प्रार्थना
5
"बापू" निष्प्राण
प्रार्थना के पश्चात..
मुख में "राम"
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
01-11-2019
विषय:-प्रार्थना
विधा :- विजात छंद
~~~~~
करें हम प्रार्थना सारे ,
रहें मिल जुल यहाँ सारे ।
दया सब पर करें भगवन ।
बने ख़ुशहाल ये जीवन ।
नहीं झगड़ा करे कोई ,
बुरा मज़हब नहीं कोई ।
जहाँ विश्वास हो जिसका ,
वही दिखता खुदा उसको ।
करें सब प्रार्थना ऐसी ,
सुने ईश्वर वहाँ वैसी ।
बड़ी कल्याणकारी हो ,
वही आह्लादकारी हो ।
भगायें हम ग़रीबी को ,
बुलायें खुश नसीबी को ।
मसीहा बन सभी जायें ,
सभी ख़ुशियाँ सभी पायें ।
पढ़ें बच्चे यहाँ सारे ,
नहीं वो जिंदगी हारे ।
उठायें बोझ ख़ुद अपने ,
करें सब पूर्ण सब सपने ।
सवेरा प्रार्थना से हो ,
निशा भी अर्चना से हो ।
करें हम काम लोगों के ,
रहें हम दूर रोगों से ।
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा
विषय:-प्रार्थना
विधा :- विजात छंद
~~~~~
करें हम प्रार्थना सारे ,
रहें मिल जुल यहाँ सारे ।
दया सब पर करें भगवन ।
बने ख़ुशहाल ये जीवन ।
नहीं झगड़ा करे कोई ,
बुरा मज़हब नहीं कोई ।
जहाँ विश्वास हो जिसका ,
वही दिखता खुदा उसको ।
करें सब प्रार्थना ऐसी ,
सुने ईश्वर वहाँ वैसी ।
बड़ी कल्याणकारी हो ,
वही आह्लादकारी हो ।
भगायें हम ग़रीबी को ,
बुलायें खुश नसीबी को ।
मसीहा बन सभी जायें ,
सभी ख़ुशियाँ सभी पायें ।
पढ़ें बच्चे यहाँ सारे ,
नहीं वो जिंदगी हारे ।
उठायें बोझ ख़ुद अपने ,
करें सब पूर्ण सब सपने ।
सवेरा प्रार्थना से हो ,
निशा भी अर्चना से हो ।
करें हम काम लोगों के ,
रहें हम दूर रोगों से ।
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा
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