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ब्लॉग संख्या :-546
विषय धन ,धन्वन्तरि, यम,कुबेर
विधा काव्य
25 अक्टूबर 2019,शुक्रवार
शुभ धनतेरस अभिनन्दन
धन्वन्तरी का जन्म दिवस है।
भाव भक्तिमय अर्चन करते
वैभव स्वीकार्य सुअवसर है।
मान सम्मान धन आधारित
जग जीवन के रिश्ते निर्भर।
सुबह शाम भगते फिरते हम
जग विकास होता धन पर।
अहं भाव न हो हृदय में
यह धन्वन्तरी की माया है।
पैसा चल अचल जगत है
किसकी हुई यँहा काया है?
धन्वन्तरि की कृपा बरसती
जन खुद जग कुबेर कहाता।
धन तो जग में आता जाता
क्यों नहीं दीन गले लगाता?
स्वरचित मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विधा काव्य
25 अक्टूबर 2019,शुक्रवार
शुभ धनतेरस अभिनन्दन
धन्वन्तरी का जन्म दिवस है।
भाव भक्तिमय अर्चन करते
वैभव स्वीकार्य सुअवसर है।
मान सम्मान धन आधारित
जग जीवन के रिश्ते निर्भर।
सुबह शाम भगते फिरते हम
जग विकास होता धन पर।
अहं भाव न हो हृदय में
यह धन्वन्तरी की माया है।
पैसा चल अचल जगत है
किसकी हुई यँहा काया है?
धन्वन्तरि की कृपा बरसती
जन खुद जग कुबेर कहाता।
धन तो जग में आता जाता
क्यों नहीं दीन गले लगाता?
स्वरचित मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
प्रथम प्रस्तुति
जब करते हैं कृपा कुबेर
धन दौलत के लगते ढेर ।।
मगर अहं भी परममित्र है
आय कुबेर की करे न देर ।।
बात हकीकत वेद बखानी
सबने है जानी पहचानी ।।
ज्ञानी लोग भक्ति वर माँगे
मुक्ति की जो डगर सुहानी ।।
पर धन बिन कहाँ चले काम
घर गृहस्थी का पहिया जाम ।।
कुबेर महाराज कृपा करें
हाथ जोर हम करें प्रणाम ।।
श्री गणेश को लाऐं साथ
शुभ काम की हो शुरूआत ।।
डावाँडोल न होय नैया
यह एक 'शिवम' फ़रियाद ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 25/10/2019
जब करते हैं कृपा कुबेर
धन दौलत के लगते ढेर ।।
मगर अहं भी परममित्र है
आय कुबेर की करे न देर ।।
बात हकीकत वेद बखानी
सबने है जानी पहचानी ।।
ज्ञानी लोग भक्ति वर माँगे
मुक्ति की जो डगर सुहानी ।।
पर धन बिन कहाँ चले काम
घर गृहस्थी का पहिया जाम ।।
कुबेर महाराज कृपा करें
हाथ जोर हम करें प्रणाम ।।
श्री गणेश को लाऐं साथ
शुभ काम की हो शुरूआत ।।
डावाँडोल न होय नैया
यह एक 'शिवम' फ़रियाद ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 25/10/2019
25/10/2019::शुक्रवार
विषय-- धन, धनतेरस, यम
दीपावली की शुभकामनाएं
भेद भाव को दूर भगाकर, गले मिलो दीवाली में
मिट्टी वाले दिये जलाकर, मनन करो दीवाली में
पंच दिवस त्योहार दीवाली, सुकातिक मास में है आता
बच्चे बूढ़े या जवान हों , सबके मन को है भाता
बड़े प्यार से पर्व मनाते, खुश होकर दीवाली में
#धन_तेरस पे पूजा होती, पूजत हैं सारे #यम को
द्वार जलाकर तेरह दीपक, दूर भगाते हैं तम को
मन सागर का मंथन करके, पियो सुधा दीवाली में
रात अमावस की काली में, रहें प्रकाशित दीपक सारे
प्रथम पूज्य गनपत अरु लछमी,साथ में शुभ लाभ पधारे
रिद्धि सिद्धि सँग चरण पखारो , अपने घर दीवाली में
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
विषय-- धन, धनतेरस, यम
दीपावली की शुभकामनाएं
भेद भाव को दूर भगाकर, गले मिलो दीवाली में
मिट्टी वाले दिये जलाकर, मनन करो दीवाली में
पंच दिवस त्योहार दीवाली, सुकातिक मास में है आता
बच्चे बूढ़े या जवान हों , सबके मन को है भाता
बड़े प्यार से पर्व मनाते, खुश होकर दीवाली में
#धन_तेरस पे पूजा होती, पूजत हैं सारे #यम को
द्वार जलाकर तेरह दीपक, दूर भगाते हैं तम को
मन सागर का मंथन करके, पियो सुधा दीवाली में
रात अमावस की काली में, रहें प्रकाशित दीपक सारे
प्रथम पूज्य गनपत अरु लछमी,साथ में शुभ लाभ पधारे
रिद्धि सिद्धि सँग चरण पखारो , अपने घर दीवाली में
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
धन,धन्वन्तरी,यम, कुबेर
नमन मंच भावों के मोती, गुरूजनों,मित्रों।
जिसपर कुबेर हुए प्रसन्न।
उनके घर में बरसे धन।
धनतेरस है आज।
खरीदो सोना,चांदी।
पीतल या फिर मिट्टी के बर्तन।
खरीदो धनतेरस के इस दिन।
निकालो बाहर पूराने बर्तन।
नये,नये खरीद लो बर्तन।
दीवाली है पैसेवालों की।
जितना चाहे खर्चा कर लें।
घटनेवाला है नहीं धन उनका।
चाहे जितनी भी उड़ा लें।
गरीबों के घर में जले।
मिट्टी के दीए।
उनके घर में सोने के दीए जले।
दिन-रात दीवाली मने।
जैसी जिसकी औकात।
खुशियां मनाओ जमकर आज।
धनतेरस की करो खरीदारी।
एक साल बाद आई इसकी बारी।
....... वीणा झा.......
.... बोकारो स्टील सिटी....
........ स्वरचित.......
नमन मंच भावों के मोती, गुरूजनों,मित्रों।
जिसपर कुबेर हुए प्रसन्न।
उनके घर में बरसे धन।
धनतेरस है आज।
खरीदो सोना,चांदी।
पीतल या फिर मिट्टी के बर्तन।
खरीदो धनतेरस के इस दिन।
निकालो बाहर पूराने बर्तन।
नये,नये खरीद लो बर्तन।
दीवाली है पैसेवालों की।
जितना चाहे खर्चा कर लें।
घटनेवाला है नहीं धन उनका।
चाहे जितनी भी उड़ा लें।
गरीबों के घर में जले।
मिट्टी के दीए।
उनके घर में सोने के दीए जले।
दिन-रात दीवाली मने।
जैसी जिसकी औकात।
खुशियां मनाओ जमकर आज।
धनतेरस की करो खरीदारी।
एक साल बाद आई इसकी बारी।
....... वीणा झा.......
.... बोकारो स्टील सिटी....
........ स्वरचित.......
तिथि_25/10/2019/शुक्रवार
विषय_धन,धनवंतरी ,यम ,कुबेर
विधा॒॒॒ _ काव्य
धन कुबेर हमें धनबर्षा करते
धनतेरस हो धन संपत्ति पूजा।
लक्ष्मी माता हम सभी बुलाऐं
होए नहीं काम बिन धन दूजा।
है आरोग्य देव प्रभु धनवंतरी
हम पूजनअर्चन इनका करते।
सबकी हो जाऐ निरोगी काया
यही भगवान हम मन्नत करते।
रोग कष्ट कभी निकट न आऐ
दूर रहें हम सभी विपदाओं से।
बुलाऐं यमदेव तब जाना होगा
तब तक बचें दुष्टआत्माओं से।
न हो आवश्यकता हमें वैद्य की
हमें पहलवान भगवान बना दें।
स्वस्थ तनमन हो निरोगी काया
ऐसे ही प्रभु हमें धनवान बना दें।
स्वरचित
इंजीशंम्भूसिंह रघुवंशीअजेय
मगराना गुना मध्य प्रदेश
जय जय श्री राम रामजी
1भा "धन,धनवंतरी,यम,कुबेर"
25/10/2019/ शुक्रवार
(काव्य )
विषय_धन,धनवंतरी ,यम ,कुबेर
विधा॒॒॒ _ काव्य
धन कुबेर हमें धनबर्षा करते
धनतेरस हो धन संपत्ति पूजा।
लक्ष्मी माता हम सभी बुलाऐं
होए नहीं काम बिन धन दूजा।
है आरोग्य देव प्रभु धनवंतरी
हम पूजनअर्चन इनका करते।
सबकी हो जाऐ निरोगी काया
यही भगवान हम मन्नत करते।
रोग कष्ट कभी निकट न आऐ
दूर रहें हम सभी विपदाओं से।
बुलाऐं यमदेव तब जाना होगा
तब तक बचें दुष्टआत्माओं से।
न हो आवश्यकता हमें वैद्य की
हमें पहलवान भगवान बना दें।
स्वस्थ तनमन हो निरोगी काया
ऐसे ही प्रभु हमें धनवान बना दें।
स्वरचित
इंजीशंम्भूसिंह रघुवंशीअजेय
मगराना गुना मध्य प्रदेश
जय जय श्री राम रामजी
1भा "धन,धनवंतरी,यम,कुबेर"
25/10/2019/ शुक्रवार
(काव्य )
विषय-धन यम कुबेर धन्वन्तरि
दिनांकः 25:10:2019
शुक्रवार
विधा-पद्य
आज के विषय पर मेरी रचना:
भाव भक्ति मय पूजा से,
माॅ लक्ष्मी झोली भरती।
मान सम्मान मिले धन से,
रिश्ते की शान भी निभती ।।
होते विकास धन से सभी,
कुबेर ही हमें धन देते ।
माॅ की कृपा से ही कुबेर,
हमारे धन भंडार भरते ।।
घर परिवार भी सारा ,
सदा चलता है धन से ।
ज्ञान बुद्धि अति आवश्यक,
जो मिले श्री गणेश से ।।
वे ही शुभ लाभ के दाता हैं,
नहीं उनके बिना कोई शुरुआत ।
जो उनको नहीं श्रद्धां से पूजें ,
बिगड़े बनी बनाई बात ।।
वैभव और ऐश्वर्य भी,
धन माया से ही आते ।
जब माँ की कृपा बरसे,
तब ही सब घर आते ।।
पाकर माता हम धन को,
करें पुण्य और परोपकार ।
नहीं मन डोले निज स्वार्थ में,
न रहे संचय से सरोकार ।।
करें मदद पुरूषार्थ हम,
निर्धन पर उपकार करें ।
कहीं किसी पीड़ित को देख,
हम भी उस पर तरस करें ।।
स्वरचित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर
(डॉ नरसिंह शर्मा 'निर्भय, जयपुर)
दिनांकः 25:10:2019
शुक्रवार
विधा-पद्य
आज के विषय पर मेरी रचना:
भाव भक्ति मय पूजा से,
माॅ लक्ष्मी झोली भरती।
मान सम्मान मिले धन से,
रिश्ते की शान भी निभती ।।
होते विकास धन से सभी,
कुबेर ही हमें धन देते ।
माॅ की कृपा से ही कुबेर,
हमारे धन भंडार भरते ।।
घर परिवार भी सारा ,
सदा चलता है धन से ।
ज्ञान बुद्धि अति आवश्यक,
जो मिले श्री गणेश से ।।
वे ही शुभ लाभ के दाता हैं,
नहीं उनके बिना कोई शुरुआत ।
जो उनको नहीं श्रद्धां से पूजें ,
बिगड़े बनी बनाई बात ।।
वैभव और ऐश्वर्य भी,
धन माया से ही आते ।
जब माँ की कृपा बरसे,
तब ही सब घर आते ।।
पाकर माता हम धन को,
करें पुण्य और परोपकार ।
नहीं मन डोले निज स्वार्थ में,
न रहे संचय से सरोकार ।।
करें मदद पुरूषार्थ हम,
निर्धन पर उपकार करें ।
कहीं किसी पीड़ित को देख,
हम भी उस पर तरस करें ।।
स्वरचित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर
(डॉ नरसिंह शर्मा 'निर्भय, जयपुर)
दिनांक 25/10/2019
विधा :छंद मुक्त
विषय:दीप/धन/धनवंतरि
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
त्योहारों का मौसम आया
लेकर सारी खुशियाँ आया।
🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊
देखो कैसी सामाजिक रीति
स्वागत करने लक्ष्मी जी को
करते घर बाहर पूरा साफ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
मौसम भी अब बदल रहा है
मच्छर कीडे फैल रहै है
गुलाबी ठंडा मौसम का रूख।
🦟🐜🐝🐜🐜🐜🐜🐜
धनवन्तरि का दिन है आज
स्वस्थ जीवन जिनका है पाठ
घर का पुराना सामान बदलकर
नया नया सामान लाकर
घर को ऊर्जावान बनाओ।
💥💥💥💥💥💥💥💥
त्योहारों का...
💥💥💥💥💥💥💥💥
दीपो का यह पर्व महान
पाँच दिनो का यह त्योहार
हर दिन की होती पूजा विशष।
धन की वर्षा देने वाला यह पर्व
व्यवसाइयो में हो बहुत उल्लास
कोई खरीदे नये-नये वाहन
किसी को भाती पोशाक नई
नये व्यवसाय शुरू करने का
आज होता शुभ मुहूर्त फलदायी।
गहनों की बिक्री भी होती
देते प्रियतम प्रिय को भेट अनेक ।
आओ मिलकर करे स्वागत
बाँटे फल ,मिठाई ,उपहार
करे जतन कुछ ऐसा मिलकर
हो जाए उजियारा हर घर मे।
कर्म के दीपक को प्रेम की बाती
सौहार्द का तेल भर का करे
रौशन पूरा संसार
आओ सब मिल कर मनाएं
दीपो का त्यौहार ।
स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव
विधा :छंद मुक्त
विषय:दीप/धन/धनवंतरि
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
त्योहारों का मौसम आया
लेकर सारी खुशियाँ आया।
🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊
देखो कैसी सामाजिक रीति
स्वागत करने लक्ष्मी जी को
करते घर बाहर पूरा साफ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
मौसम भी अब बदल रहा है
मच्छर कीडे फैल रहै है
गुलाबी ठंडा मौसम का रूख।
🦟🐜🐝🐜🐜🐜🐜🐜
धनवन्तरि का दिन है आज
स्वस्थ जीवन जिनका है पाठ
घर का पुराना सामान बदलकर
नया नया सामान लाकर
घर को ऊर्जावान बनाओ।
💥💥💥💥💥💥💥💥
त्योहारों का...
💥💥💥💥💥💥💥💥
दीपो का यह पर्व महान
पाँच दिनो का यह त्योहार
हर दिन की होती पूजा विशष।
धन की वर्षा देने वाला यह पर्व
व्यवसाइयो में हो बहुत उल्लास
कोई खरीदे नये-नये वाहन
किसी को भाती पोशाक नई
नये व्यवसाय शुरू करने का
आज होता शुभ मुहूर्त फलदायी।
गहनों की बिक्री भी होती
देते प्रियतम प्रिय को भेट अनेक ।
आओ मिलकर करे स्वागत
बाँटे फल ,मिठाई ,उपहार
करे जतन कुछ ऐसा मिलकर
हो जाए उजियारा हर घर मे।
कर्म के दीपक को प्रेम की बाती
सौहार्द का तेल भर का करे
रौशन पूरा संसार
आओ सब मिल कर मनाएं
दीपो का त्यौहार ।
स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव
विषय-धन,धनवंतरी, यम ,कुबेर
दिनांक 25-10 -2019
कार्तिक मास की तेरस को,हम धन त्रयोदशी पर्व मनाते हैं।
भगवान धन्वंतरि की पूजा,कर दीपावली आगाज करते हैं।।
प्रसाद काल में हम सदा,माँ लक्ष्मी पूजा करते हैं ।
मुख्य द्वार दिए जला, सोने चांदी आभूषण खरीदते हैं ।।
गहने रतन धातु खरीद,घर लाना शुभ माना करते हैं।
इन सब की पूजा कर,माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं ।।
क्षीर सागर अमृत निकला, सेहत के लिए अच्छा माना करते हैं।
आज के दिन पूजा कर, सेहतमंद जीवन कामना करते हैं।।
साफ-सफाई घर आंगन कर,गणेश धन्वंतरी कुबेर सजाते हैं।
माँ लक्ष्मी साथ द्वार पर, यमराज पूजा करते हैं ।।
धन देवता कुबेर को, फूल फल मिष्ठान भोग लगाते हैं।
इनकी पूजा से घर में ,कभी धन अभाव ना आते हैं ।।
दीपावली का शुभारंभ, आज से ही हम करते हैं ।
खुशी मल्हार गीत गा, धनतेरस त्यौहार मनाते हैं।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
दिनांक 25-10 -2019
कार्तिक मास की तेरस को,हम धन त्रयोदशी पर्व मनाते हैं।
भगवान धन्वंतरि की पूजा,कर दीपावली आगाज करते हैं।।
प्रसाद काल में हम सदा,माँ लक्ष्मी पूजा करते हैं ।
मुख्य द्वार दिए जला, सोने चांदी आभूषण खरीदते हैं ।।
गहने रतन धातु खरीद,घर लाना शुभ माना करते हैं।
इन सब की पूजा कर,माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं ।।
क्षीर सागर अमृत निकला, सेहत के लिए अच्छा माना करते हैं।
आज के दिन पूजा कर, सेहतमंद जीवन कामना करते हैं।।
साफ-सफाई घर आंगन कर,गणेश धन्वंतरी कुबेर सजाते हैं।
माँ लक्ष्मी साथ द्वार पर, यमराज पूजा करते हैं ।।
धन देवता कुबेर को, फूल फल मिष्ठान भोग लगाते हैं।
इनकी पूजा से घर में ,कभी धन अभाव ना आते हैं ।।
दीपावली का शुभारंभ, आज से ही हम करते हैं ।
खुशी मल्हार गीत गा, धनतेरस त्यौहार मनाते हैं।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
नमन "भावों के मोती"
25/10/2019
"धन/धन्वंतरि/यम/कुबेर"
चोका
################
काशी के राजा
महान धन्वंतरि
वैभवशाली
आयुर्वेद आचार्य
तिथी तेरस
कार्तिक कृष्ण पक्ष
बना त्योहार
शुभ अवतरण
भारतवर्ष
आयुर्वेद प्रचार
जन-विस्तार
प्रकृति ही आधार
जीवाणु नाश
परंपरा को मान
मना रहे त्योहार।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
25/10/2019
"धन/धन्वंतरि/यम/कुबेर"
चोका
################
काशी के राजा
महान धन्वंतरि
वैभवशाली
आयुर्वेद आचार्य
तिथी तेरस
कार्तिक कृष्ण पक्ष
बना त्योहार
शुभ अवतरण
भारतवर्ष
आयुर्वेद प्रचार
जन-विस्तार
प्रकृति ही आधार
जीवाणु नाश
परंपरा को मान
मना रहे त्योहार।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
सभी सदस्यों को धनतेरस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
शीर्षक"धनतेरस"
समुंद्र मंथन से माँ लक्ष्मी आई
खुशियों की सौगात साथ लाई।
करे स्वागत हम माँ लक्ष्मी की
करे भलाई हम एक दूसरे की।
घर घर में जले , खुशी का दीपक
लक्ष्मी स्वरूप द्रव्य आते हर घर।
हर घर में आये लक्ष्मी माई
पूजन करें हम शीश नवाई।
अमृत कलश लिए क्षीरसागर से
प्रकट हुए भगवान धन्वंतरि।
जो जन पूजन करें इनकी
दे सुंदर स्वास्थ वरदान।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
शीर्षक"धनतेरस"
समुंद्र मंथन से माँ लक्ष्मी आई
खुशियों की सौगात साथ लाई।
करे स्वागत हम माँ लक्ष्मी की
करे भलाई हम एक दूसरे की।
घर घर में जले , खुशी का दीपक
लक्ष्मी स्वरूप द्रव्य आते हर घर।
हर घर में आये लक्ष्मी माई
पूजन करें हम शीश नवाई।
अमृत कलश लिए क्षीरसागर से
प्रकट हुए भगवान धन्वंतरि।
जो जन पूजन करें इनकी
दे सुंदर स्वास्थ वरदान।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
25/10/19
धनतेरस
**
1)सेदोका
धनतेरस
चहुँ और उल्लास
धन्वंतरि पूजन
धन की देवी
बर्तन का बाजार
आभूषण का क्रय ।
2) दोहा
एक अरज मेरी सुनो ,धन के देव कुबेर।
पेट सबका भरा रहे ,कष्ट का न हो ढेर।।
**
3)
युगों से चला आ रहा सत्य ये
सच्चा धन ......है ज्ञान
हम सदैव रख इसका मान
करें जन जन का ...कल्याण
अगर ज्ञान पर किया अभिमान
तब बन जाये ये विष समान
आओ इस धनतेरस पर चलायें
ये सच्चा धन देने का अभियान ।
स्वरचित
अनिता सुधीर
धनतेरस
**
1)सेदोका
धनतेरस
चहुँ और उल्लास
धन्वंतरि पूजन
धन की देवी
बर्तन का बाजार
आभूषण का क्रय ।
2) दोहा
एक अरज मेरी सुनो ,धन के देव कुबेर।
पेट सबका भरा रहे ,कष्ट का न हो ढेर।।
**
3)
युगों से चला आ रहा सत्य ये
सच्चा धन ......है ज्ञान
हम सदैव रख इसका मान
करें जन जन का ...कल्याण
अगर ज्ञान पर किया अभिमान
तब बन जाये ये विष समान
आओ इस धनतेरस पर चलायें
ये सच्चा धन देने का अभियान ।
स्वरचित
अनिता सुधीर
25/10 /2019
बिषय , धन धनवंतरी यम .कुबेर
शुभकामनाएं
धनत पर धन से हों भरपूर
धनवंतरी विराजें द्वार आपके
रोग हो कोसों दूर
नरक चतुर्दशी को हँसते हँसते रहना
दीपावली के दिन खूब सजना और संवरना
अन्नकूट को गोवर्धन को दूध दही चढ़ाना
छप्पन व्यंंजन बना बनाकर भोग लगाना
यम द्वितीया को भाई को सौहार्द प्रेम का टीका लगाना
पंचदिवसीय पर्व धूमधाम से मनाना
निरोग हो काया न दिखे नर्क का द्वार
माँ लक्ष्मी जी की कृपा भरा रहे कुबेर का भंडार
खुशियों की फुलझड़ी पकवानों की महक हो
हर एक आंगन में भाई बहिन की चहक हो
दीप माल से सुसज्जित हो आंगन द्वार
यही शुकामनाऐं दूर हो जीवन का अंधकार
तमसो मां ज्योतिर्गमय सुखी रहे आपका परिवार
शुकामनाऐं हमारी समृद्धशाली हो त्यौहार
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
बिषय , धन धनवंतरी यम .कुबेर
शुभकामनाएं
धनत पर धन से हों भरपूर
धनवंतरी विराजें द्वार आपके
रोग हो कोसों दूर
नरक चतुर्दशी को हँसते हँसते रहना
दीपावली के दिन खूब सजना और संवरना
अन्नकूट को गोवर्धन को दूध दही चढ़ाना
छप्पन व्यंंजन बना बनाकर भोग लगाना
यम द्वितीया को भाई को सौहार्द प्रेम का टीका लगाना
पंचदिवसीय पर्व धूमधाम से मनाना
निरोग हो काया न दिखे नर्क का द्वार
माँ लक्ष्मी जी की कृपा भरा रहे कुबेर का भंडार
खुशियों की फुलझड़ी पकवानों की महक हो
हर एक आंगन में भाई बहिन की चहक हो
दीप माल से सुसज्जित हो आंगन द्वार
यही शुकामनाऐं दूर हो जीवन का अंधकार
तमसो मां ज्योतिर्गमय सुखी रहे आपका परिवार
शुकामनाऐं हमारी समृद्धशाली हो त्यौहार
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
भावो के मोती
25/10/2019
आज बाजार जाना
सोचो जरा क्या लाना
क्या उचित है लाना
किससे फायदा होना
परमार्थ कार्य करना
खुशियों के दिये जलाना
बैठे होंगे कुछ भाई
नही होगी कुछ कमाई
ले लेना दीप उनसे
भगवान बिकते होंगे
जो लगन से बनाये
सोचो उनके खातिर
भगवान बिकने आये
ले लेना उनसे बिन पूछे
देगे तुम्हे दुआएँ
25/10/2019
आज बाजार जाना
सोचो जरा क्या लाना
क्या उचित है लाना
किससे फायदा होना
परमार्थ कार्य करना
खुशियों के दिये जलाना
बैठे होंगे कुछ भाई
नही होगी कुछ कमाई
ले लेना दीप उनसे
भगवान बिकते होंगे
जो लगन से बनाये
सोचो उनके खातिर
भगवान बिकने आये
ले लेना उनसे बिन पूछे
देगे तुम्हे दुआएँ
आज का विषय, धन, धन्वन्तरि, यम , कुबेर
दिनांक 25, 10 , 2019 ,
सबसे बड़ा धन इस दुनियाँ में होती निरोगी काया,
तन मन दोनों स्वस्थ रहें तो समझो सब कुछ पाया।
जब किसी के मन में रहता है संतोष समाया,
दुनियाँ भर का रत्न कोष फिर उसे डिगा न पाया ।
कृपा दृष्टि पायें कुबेर की यही सबने जग में चाहा,
धन्वन्तरि से भी जग में सबने जीवन धन को माँगा ।
सुखी रहे परिवार सदा बनी रहे रिश्तों में सदा मधुरता,
हर जीने वाले ने जीवन में स्वप्न यही हमेशा देखा ।
झोलियां सब की भर जायें हो पूरी सबकी अभिलाषा ,
धनतेरस के दिन हर कोई यही मंगलकामना सबको देता।
स्वरचित , मीना शर्मा, मध्यप्रदेश ,
दिनांक 25, 10 , 2019 ,
सबसे बड़ा धन इस दुनियाँ में होती निरोगी काया,
तन मन दोनों स्वस्थ रहें तो समझो सब कुछ पाया।
जब किसी के मन में रहता है संतोष समाया,
दुनियाँ भर का रत्न कोष फिर उसे डिगा न पाया ।
कृपा दृष्टि पायें कुबेर की यही सबने जग में चाहा,
धन्वन्तरि से भी जग में सबने जीवन धन को माँगा ।
सुखी रहे परिवार सदा बनी रहे रिश्तों में सदा मधुरता,
हर जीने वाले ने जीवन में स्वप्न यही हमेशा देखा ।
झोलियां सब की भर जायें हो पूरी सबकी अभिलाषा ,
धनतेरस के दिन हर कोई यही मंगलकामना सबको देता।
स्वरचित , मीना शर्मा, मध्यप्रदेश ,
विषय- धन,धन्वन्तरि,
यम, कुबेर
दि.शुक्रवार/25-10-19
विधा--दोहा मुक्तक
1.
धनतेरस धन्वन्तरी, के उद्भव का काल।
स्वस्थ अगर हम हैं नहीं, धन भी लगे बवाल।
बड़ा नहीं आरोग्य से, कोई सा भी द्रव्य---
स्वस्थ देह और मन हो, असली देह सम्हाल।
2.
देवी हैं धनधान्य की,अन्नपूर्णा स्वरूप।
देह निरोगी भी रखें, बनाय स्वास्थय भूप।
धनलक्ष्मी धन्वन्तरी, दोनों का हो साथ--
दीवाली औ जिन्दगी, दोनों बनें अनूप।
******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र.)451551
यम, कुबेर
दि.शुक्रवार/25-10-19
विधा--दोहा मुक्तक
1.
धनतेरस धन्वन्तरी, के उद्भव का काल।
स्वस्थ अगर हम हैं नहीं, धन भी लगे बवाल।
बड़ा नहीं आरोग्य से, कोई सा भी द्रव्य---
स्वस्थ देह और मन हो, असली देह सम्हाल।
2.
देवी हैं धनधान्य की,अन्नपूर्णा स्वरूप।
देह निरोगी भी रखें, बनाय स्वास्थय भूप।
धनलक्ष्मी धन्वन्तरी, दोनों का हो साथ--
दीवाली औ जिन्दगी, दोनों बनें अनूप।
******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र.)451551
25/10/2019
विषय-धन,धन्वंतरि, यम ,कुबेर
विधा-काव्य
================
धनतेरस पर धन बरसे
कोई भी न धन को तरसे
कुबेर के भरे हों
घर में भंडार
स्वास्थ्य, सम्पदा मिले अपार
स्वर्ण रजत आभूषण या बर्तन
क्रय करने का है ये शुभ दिन
नरक चतुदर्शी दूजा त्यौहार
यम दीपक जलाएं द्वार
अमावस निशा में दीप जलें
मन -विकार भी संग जले
अन्नकूट का दिन है गोवर्धन
स्वस्थ, मुदित हो जग के सब जन
भाई बहन का पावन त्यौहार
भाईदूज या यम द्वितीया त्यौहार
पंच दिवसीय दीपावली उत्सव
कहलाता ये है प्रकाशोत्सव ।।
**वंदना सोलंकी**©स्वरचित®
विषय-धन,धन्वंतरि, यम ,कुबेर
विधा-काव्य
================
धनतेरस पर धन बरसे
कोई भी न धन को तरसे
कुबेर के भरे हों
घर में भंडार
स्वास्थ्य, सम्पदा मिले अपार
स्वर्ण रजत आभूषण या बर्तन
क्रय करने का है ये शुभ दिन
नरक चतुदर्शी दूजा त्यौहार
यम दीपक जलाएं द्वार
अमावस निशा में दीप जलें
मन -विकार भी संग जले
अन्नकूट का दिन है गोवर्धन
स्वस्थ, मुदित हो जग के सब जन
भाई बहन का पावन त्यौहार
भाईदूज या यम द्वितीया त्यौहार
पंच दिवसीय दीपावली उत्सव
कहलाता ये है प्रकाशोत्सव ।।
**वंदना सोलंकी**©स्वरचित®
दिनांक- 25/10/2019
विधा- छंदमुक्त कविता*************
जय गणेश गौरी पुत्र,
जय लक्ष्मी, जय कुबेर,
धन की वर्षा करो आज,
सब हो जायें मालामाल |
धूप, दीप हो प्रज्वलित,
सुगन्धित हो घर संसार,
मन में उमंग भरी सबके,
दिवाली सब मनायें आज |
बुराई से दामन छुड़ाकर,
अच्छाई का पकड़े हाथ,
जीवन में सुकून मिल जाये,
संतोष धन सबसे महान |
स्वरचित- *संगीता कुकरेती*
विधा- छंदमुक्त कविता*************
जय गणेश गौरी पुत्र,
जय लक्ष्मी, जय कुबेर,
धन की वर्षा करो आज,
सब हो जायें मालामाल |
धूप, दीप हो प्रज्वलित,
सुगन्धित हो घर संसार,
मन में उमंग भरी सबके,
दिवाली सब मनायें आज |
बुराई से दामन छुड़ाकर,
अच्छाई का पकड़े हाथ,
जीवन में सुकून मिल जाये,
संतोष धन सबसे महान |
स्वरचित- *संगीता कुकरेती*
शुभ संध्या मित्रो 🙏🙏
💐🍂💐🍂💐🍂💐🍂💐
विषय:-धनवंतरी, धन,कुवेर,यम
विधा:-तुकांत कविता ।
बाती हूँ मैं सहमी सहमी ,
अंधकार की राह में जन्मी ।
तम को हूँ पीने को तत्पर।
बदलूँ खुद को दिये में दिनभर।
अज्ञानता का तम फैला है,
ज्ञान प्रकाश का तेल जला है
सूरज को दूँ मै फिर टक्कर,
ऐसा प्रकाश पुंज बन जाऊँ ।
बनना चाहूँ दिया मैं ऐसा,
ज्ञान प्रकाश पुंज जो जैसा।
स्वप्निल तारे नील गगन में,
बिखरूँ ऐसे घर आँगन में ।
मैं दीप हूँ माटी देश की,
मैहनत के मै हूँ परिवेश की।
मुझे जो लाये घर में अपने,
उनके सजते हैं हर सपने ।
मंदिर, मस्जिद ,गुरुद्वारा,
या चर्च में तम गहराया ।
सम भावना लौ लहरायी,
द्वेष भावना मैं पी आयी ।
स्वरचित
नीलम शर्मा # नीलू
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विषय:-धनवंतरी, धन,कुवेर,यम
विधा:-तुकांत कविता ।
बाती हूँ मैं सहमी सहमी ,
अंधकार की राह में जन्मी ।
तम को हूँ पीने को तत्पर।
बदलूँ खुद को दिये में दिनभर।
अज्ञानता का तम फैला है,
ज्ञान प्रकाश का तेल जला है
सूरज को दूँ मै फिर टक्कर,
ऐसा प्रकाश पुंज बन जाऊँ ।
बनना चाहूँ दिया मैं ऐसा,
ज्ञान प्रकाश पुंज जो जैसा।
स्वप्निल तारे नील गगन में,
बिखरूँ ऐसे घर आँगन में ।
मैं दीप हूँ माटी देश की,
मैहनत के मै हूँ परिवेश की।
मुझे जो लाये घर में अपने,
उनके सजते हैं हर सपने ।
मंदिर, मस्जिद ,गुरुद्वारा,
या चर्च में तम गहराया ।
सम भावना लौ लहरायी,
द्वेष भावना मैं पी आयी ।
स्वरचित
नीलम शर्मा # नीलू
विषय - धन/धनवंतरि/यम/कुबेर
25/10/19
शुक्रवार
दोहे
दीवाली के पर्व पर , यम का होता मान ।
धनतेरस पर दीप का, होता उचित विधान।।
मृत्युलोक के देवता, वाहन महिष विशाल ।
कर में शोभित दण्ड है, नेत्र अग्नि सम लाल।।
दक्षिण के दिक्पाल हैं, करते कर्म विधान।
इनकी दृष्टि से कहीं , छिपे नहीं इंसान ।।
भाई दूज पर यम चलें , बहन यमी के धाम।
देकर शुभ आशीष वे , करते पूर्ण काम ।।
नरकलोक में व्यक्ति का, होता दण्ड- विधान।
इनके ही आदेश से, पाता फल इंसान ।।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
25/10/19
शुक्रवार
दोहे
दीवाली के पर्व पर , यम का होता मान ।
धनतेरस पर दीप का, होता उचित विधान।।
मृत्युलोक के देवता, वाहन महिष विशाल ।
कर में शोभित दण्ड है, नेत्र अग्नि सम लाल।।
दक्षिण के दिक्पाल हैं, करते कर्म विधान।
इनकी दृष्टि से कहीं , छिपे नहीं इंसान ।।
भाई दूज पर यम चलें , बहन यमी के धाम।
देकर शुभ आशीष वे , करते पूर्ण काम ।।
नरकलोक में व्यक्ति का, होता दण्ड- विधान।
इनके ही आदेश से, पाता फल इंसान ।।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
दिन :- शुक्रवार
दिनांक :- 25/10/2019
विषय :- धन,धन्वंतरि, यम,कुबेर
जलधि मंथन प्राप्त धन्वंतरि,
सह अमृत कलश अनमोल।
दिवस पूजन धनतेरस,
भरे भंडार रत्न अनमोल।
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी,
तिथि पावन पुनीता।
धन धान्य पूरित वर,
अनमोल निधि सुचिता।
हर अंधकार जीवन के,
ज्ञान दीप कर प्रज्वलित।
मिले वर धनलक्ष्मी का,
हो हर मन प्रफुल्लित।
हर्षोल्लास का पर्व यह,
मन उल्लास उमंग भरे।
सह परिवार करे सब पूजन,
हर दुख निर्धन का हरे।
स्वरचित :- राठौड़ मुकेश
दिनांक :- 25/10/2019
विषय :- धन,धन्वंतरि, यम,कुबेर
जलधि मंथन प्राप्त धन्वंतरि,
सह अमृत कलश अनमोल।
दिवस पूजन धनतेरस,
भरे भंडार रत्न अनमोल।
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी,
तिथि पावन पुनीता।
धन धान्य पूरित वर,
अनमोल निधि सुचिता।
हर अंधकार जीवन के,
ज्ञान दीप कर प्रज्वलित।
मिले वर धनलक्ष्मी का,
हो हर मन प्रफुल्लित।
हर्षोल्लास का पर्व यह,
मन उल्लास उमंग भरे।
सह परिवार करे सब पूजन,
हर दुख निर्धन का हरे।
स्वरचित :- राठौड़ मुकेश
दिनांक............25/10/2019
विषय.............🌷दीप/धन🌷
विधा..............🌷दोहा छंद🌷
¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶
दीप द्वार घर राखिए, पावन दीप जलाय।
लगे हरन तम दीपिका,मन उजार हो जाय।
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
शुभ दीवाली सब मिले,मिले सकल सम्मान।
उत्सव में सब उर मिले,रहे न कोई अंजान।
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
नायक आयुर्वेद के , धनवंतरि है नाम।
मानुष तन निरोग करे ,करे जगत कल्याण।
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
धन -धान्य भरपूर हो , मन में खुशी अपार।
धन लक्ष्मी घर -घर बसे , कर जोड़े मनुहार।
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
विषय.............🌷दीप/धन🌷
विधा..............🌷दोहा छंद🌷
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दीप द्वार घर राखिए, पावन दीप जलाय।
लगे हरन तम दीपिका,मन उजार हो जाय।
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शुभ दीवाली सब मिले,मिले सकल सम्मान।
उत्सव में सब उर मिले,रहे न कोई अंजान।
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नायक आयुर्वेद के , धनवंतरि है नाम।
मानुष तन निरोग करे ,करे जगत कल्याण।
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धन -धान्य भरपूर हो , मन में खुशी अपार।
धन लक्ष्मी घर -घर बसे , कर जोड़े मनुहार।
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स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
दिनांक-25/10/2019
विषय-धन/कुबेर/यम
तुम पर कुबेर की मेहरबानी है
चकाचक तुम्हारी जिंदगानी है
सालभर शुक्र उसका रहे मनाते
धनतेरस पे नई फ़रियाद सुनाते
फिर ऐशोआराम साधन चाहिए
शृंगार का कोई अलंकार चाहिए
हीरे ज़वारात सोने का भंडार चाहिये
कुबेर ख़ज़ाना क्यों हर साल चाहिए
इस धनतेरस कुछ अलग सोचिए
कुबेर को इस बार साँझा कीजिए
मुफ़लिसी के दर्शन कहीं कीजिए
उनके कुबेर तुम बनकर तो देखिए
ऐसी ख़ुशी का पर्व मनाकर देखिए
मानवता को आज़माकर तो देखिए
ये पहल करने का आज मन बनाइए
अभावों में बुझे कुछ दीप जलाइए
संतोष कुमारी ‘ संप्रीति’
स्वरचित
विषय-धन/कुबेर/यम
तुम पर कुबेर की मेहरबानी है
चकाचक तुम्हारी जिंदगानी है
सालभर शुक्र उसका रहे मनाते
धनतेरस पे नई फ़रियाद सुनाते
फिर ऐशोआराम साधन चाहिए
शृंगार का कोई अलंकार चाहिए
हीरे ज़वारात सोने का भंडार चाहिये
कुबेर ख़ज़ाना क्यों हर साल चाहिए
इस धनतेरस कुछ अलग सोचिए
कुबेर को इस बार साँझा कीजिए
मुफ़लिसी के दर्शन कहीं कीजिए
उनके कुबेर तुम बनकर तो देखिए
ऐसी ख़ुशी का पर्व मनाकर देखिए
मानवता को आज़माकर तो देखिए
ये पहल करने का आज मन बनाइए
अभावों में बुझे कुछ दीप जलाइए
संतोष कुमारी ‘ संप्रीति’
स्वरचित
25/10/2019
"तांका"
धनवन्तरि/धन
क्षीर-मंथन
सम्मिलित प्रयास
देवता-दैत्य
अमृत का कलश
धनवंतरि वैद्य
धन-प्रभुत्व
पसरता साम्राज्य
लूट-खसोट
घटी ईमानदारी
लोभी सभी व्यापारी
स्वरचित "पथिक रचना"
"तांका"
धनवन्तरि/धन
क्षीर-मंथन
सम्मिलित प्रयास
देवता-दैत्य
अमृत का कलश
धनवंतरि वैद्य
धन-प्रभुत्व
पसरता साम्राज्य
लूट-खसोट
घटी ईमानदारी
लोभी सभी व्यापारी
स्वरचित "पथिक रचना"
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