Monday, November 4

"श्रद्धा"21अक्टुबर 2019

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ब्लॉग संख्या :-542
विषय श्रद्धा
विधा काव्य

21 अक्टूबर 2019,सोमवार

श्रद्धा रखो मात पिता पर
श्रद्धा रखो गुरुजनों पर।
श्रद्धा रखो मातृभाषा पर
श्रद्धा रखो मातृभूमि पर।

श्रद्धा से नित भक्ति उपजे
श्रद्धा से विश्वास बढ़ता है।
श्रद्धा जीवन सुख सागर है
श्रद्धा सीख निर्झर बहता है।

श्रद्धा भक्ति दोनों मिलती तो
मनोवान्छित फल मिलता है।
आत्मविश्वास बढे जीवन में
पंक हृदय पंकज खिलता है।

श्रद्धा है ,मुट्ठी में सब कुछ
श्रद्धा से सजता नव जीवन।
बागवान हम सजग परिश्रमी
श्रद्धा से खिलता नित उपवन।

मानस शिक्षा ज्योति जलती
श्रेष्ठतम धारणा श्रद्धा होती।
श्रद्धा और भक्ति से अनवरत
दमके नित भावों के मोती।

स्वरचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

शीर्षक--श्रद्धा
प्रथम प्रस्तुति


बिना श्रद्धा के न कोई भक्ति है
बिना श्रद्धा के न कोई शक्ति है ।।
दिल ही है जो श्रद्धा को जगाए
दिमाग में कहाँ वो आशक्ति है ।।

श्रद्धा विश्वास का महत्व जो गढ़ा है
आत्म निर्भर होकर आज खड़ा है ।।
आत्म विश्वास को नित बढ़ाइए
अटूट श्रद्धा आस्था से ये बढ़ा है ।।

एकलव्य की गुरूभक्ति कौन न जाना
श्रद्धा की मिसाल ये सबने माना ।।
पूँजी श्रद्धा विश्वास की बड़ी 'शिवम'
पूँजी सहेजना ये नही गँवाना ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 21/10/2019

दिनांक :- 21/10 /19
विषय :- श्रद्धा
श्रद्धा प्रभु में राखियों,उससे बड़ों न कोई ।
प्रेम से जो अर्पण करें, उस में ही राजी होय।।

माया तृष्णा त्याग कर ही ,श्रद्धा जाग्रत होय।
निश्चित उस भक्त को फिर , प्रभु के दर्शन होय।।

श्रद्धा और विश्वास से ही,सब के भरे रहे भंडार।
सब कुछ उसके हाथ हैं, प्रभु ही तो पालनहार ।।

श्रद्धा कृष्ण की राख कर, मीरा जहर पी जाय ।
प्रभु कृपा जो होय तो, जहर अमृत बन जाय।।

Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचित
विषय --श्रद्धा
दि.सोमवार/21-10-19

विधा--दोहा मुक्तक
1.
मरा मरा जपते रहे, बने संत अभिराम।
श्रद्धा इतनी थी प्रबल, 'मरा' बन गया ' राम '।
' श्याम'धर्म के ईश हैं,अधर्म रखते दूर--
श्रद्धा के वश में रहें, राम या घनश्याम।
2.
श्राद्ध समय श्रद्धा सहित,तर्पण करते लोग।
जो हमसे बिछड़े उन्हें,निज हित करें प्रयोग।
हृदय तसल्ली से भरे,मन को मिलता तोष---
श्रद्धा के इस कर्म का ,ये सुंदर उपभोग।

******स्वरचित************
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551
21/10/2019
विषय-श्रद्धा
=
==========

मात पिता ,ईश्वर और गुरु जन
सच्ची श्रद्धा से हो जाते प्रसन्न
दिखावा आडंबर काम न आए
तन मन उनकी सेवा में लगाएं

जिस घर में होता बड़ों का सम्मान
वह घर होता है स्वर्ग समान
न करें दिखावा या खोखलापन
बस हो श्रद्धा प्रेम और अनुशासन

श्रद्धा भावना से पूरित हो मन
सर्वस्व करें प्रभु पर अर्पण
त्योहारों का यही होता उद्देश्य
श्रद्धा सब्र सहयोग विशेष

सुदृढ़ व्यक्तित्व की हो ऐसी नींव
सबके श्रद्धा ,विश्वास प्रेम अतीव
श्रद्धा से असंभव कार्य होते संभव
आशीर्वाद मिलता सबका विजयी भव ।।

**वंदना सोलंकी**©स्वरचित®

तिथि _ 21/10/2019/सोमवार
विषय _श्रद्धा

विधा _काव्य

हम आपको क्या दे सकते
श्रद्धा सुमन तुम्हें हैं अर्पित।
क्या हैसियत प्रभु हमारी
जो भी सब तुम्हें समर्पित।

श्रद्धा से भगवन मिल जाऐं।
पत्थर में भगवन दिख जाऐं।
अगर आस्था श्रद्धा अपनी
प्रति क्षण भगवन मिल जाऐं।

श्रद्धा आस्था कहते बहना।
यहां बहुतेरे लोगों का कहना।
पवित्र भावनाऐं हों अपनी तो
सबभक्त कामना बनते गहना।

है सच्ची श्रद्धा गुरुवर में अपनी
गुरूजी परमेश्वर से हमें मिला दें।
रखें श्रद्धा ईश गुरू मातपिता में
हमें निश्चिंत दर्शन संसार करा दें।

स्वरचित
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना मध्य प्रदेश

21 / 10 /2019/
बिषय श्रद्धा

समर्पित प्रभुजी को श्रद्धा सुमन
शीतल निर्मल करो मेरा मन
न है ईर्ष्या विद्वेष की भावना
समानता की हो मेरी भावना
जमाने से बहुत धोखे खाए हुए हैं
अंतत: द्वार तुम्हारे आए हुए हैं
एक सच्चा मेरा तुम्हारा नाता
झूठा जगत बातों में फुसलाता
तुम सच्चे सौदागर सच्चा है व्यापार
व्याज के बदले में अपना दूं सब कुछ बार
प्रभुजी मेरे ब्याज पे ब्याज मत जोड़ना
सहारा देकर कभी हाथ मेरा मत छोड़ना
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार

Damyanti Damyanti 
विषय_श्रृद्धा
हो श्रृद्धा व अटूट विश्वास|

सब होत सफल कर्यत्वकर्म |
असफलता आ नही सकती |
दृढ़ निश्चय योजना बद्धकाज |
सकल तीर्थ व ईश्वर मे रखे श्रृद्धा|
पर माता पिता से बढ़कर कोई ईश नही |
जिसने की श्रृद्धा विश्वास से सेवा उनकी |
सितारे किस्मत के बुलंद उनके |
दुआऐ हो माता पिता की ,
हस्त मस्तिष्क पर आषीश भरा |
टल जाती कठिनतम समस्या भी |
स्वरचित__दमयंती मिश्रा


दि.21/10/19.
विषयःश्रद्धा

*
इष्ट - प्रति प्रेम - समादर भाव।
यही श्रद्धा का सहज स्वभाव।
इष्ट सबका हो निज श्रद्धेय!
यही होता श्रद्धा का ध्येय।।

प्रेम होता , श्रद्धा से भिन्न।
चाहता हम - दो रहें अभिन्न।
न उसमें किसी अन्य का स्थान।
चाह एकान्त , करें प्रस्थान।।
-डा.'शितिकंठ'

आज का विषय, श्रद्धा
सोमवार,

21,10,2019,

भक्त और ईश्वर का जुड़ पाता तब ही नाता ,

भक्त के निर्मल मन में जब होती है सच्ची श्रद्धा ।

स्थान सबसे ऊँचा होता गुरु और माता पिता का ,

रिश्ते ये रंग तब ही लाते जब उनके प्रति हो श्रद्धा ।

ऋण सबसे बड़ा हम पर होता है धरती माता का,

मातृभूमि के प्रेम में रहता है योगदान श्रद्धा का ।

व्रत तीर्थ दान हर पूजा श्रद्धा से पाये सफलता,

बिन श्रद्धा बेमतलब का होता यह एक दिखावा ।

परिवार एक अति पावन होता है आधार हमारा ,

श्रद्धा भाव हो सदस्यों में तब ही घर ये कहलाता ।

घर, समाज, देश के प्रति जो भी है दायित्व हमारा ,

कर्तव्य के संग हो श्रद्धा तब ही सम्भव हो पाता ।

श्रद्धा बालक को माता पर इससे निर्भय वो रहता ,

श्रद्धा पत्नी को पति में तब ही अपना हो जाता ।

श्रद्धा में शक्ति बड़ी है मन को भरोसा अटूट मिल जाता ,

संसार चक्र में उलझा मन हरि चरणों में सुख पाता ।

स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश ,

विषय -श्रद्धा
दिनांक 21- 10 -2019
श्रद्धा से ही सत्य मिला, मिला ज्ञान अपार।
बिन श्रद्धा अंधकार में,जीवन हुआ बेकार ।।

ज्ञान प्राप्ति से ही ,तेरी मोक्ष खुली राह।
परम शांति सुख अनुभूति, हे प्रभु द्वार।।

स्वर्ग नरक मिलेंगे तुझे, तेरे कर्मानुसार।
ले आशीष बुजुर्गों का, कर सदा उपकार।।

इस जगत का एक,प्रभु ही तो पालनहार ।
गोरखधंधों में पड़, ना कर जीवन बेकार ।।

मनुष्य जन्म नहीं, तुझे मिलेगा बारंबार।
कर श्रेष्ठ कार्य और, पा सुख तू अपार।।

श्रद्धा रख प्रभु में,वही सब का तारणहार।
वह देगा तुझे गति, कर तेरा उद्धार।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली

दिन :- सोमवार
दिनांक :- 21/10/2019

शीर्षक :- श्रद्धा

श्रद्धा नाम है विश्वास का दूजा...
बिन श्रद्धा नहीं होती ईश पूजा...
श्रद्धा बनाती पत्थर को भगवान...
श्रद्धा ही भरती अंतर्मन में ऊर्जा...

श्रद्धा बल पर मीरा जहर पी गई...
प्रतीक्षारत शबरी बरसों जी गई...
श्रद्धा अटूट थी भक्त प्रहलाद की...
भक्ति की अग्नि,अग्नि को पी गई...

स्वरचित :- राठौड़ मुकेश

नमन भावों के मोती मंच
विषय-श्रद्धा
दिनांकः 21:10:2019

सोमवार
विधा -पद्य
आज के विषय पर मेरी रचना:

यदि श्रद्धा हो भगवान में,
वे सुनते सबकी पीर ।
श्रद्धा से सुजाता जो लाई,
खाई बुद्ध ने वो ही खीर ।।

किसी काम में श्रद्धा बिन ,
मिलती नहीं सफलता ।
यही वो दृड विश्वास है ,
कभी होती नहीं विफलता ।।

बड़ी बड़ी तपस्या भी ,
है बिन श्रद्धा बेकार ।
श्रद्धा के दो पुष्प भी ,
श्री हरि को स्वीकार ।।

श्रद्धा के ही राम ने ,
खाये थे झूठे बेर ।
हो यदि श्रद्धा राम में
वे मिलते देर सवेर ।।

स्वरचित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर
( डॉ नरसिंह शर्मा' निर्भय ,जयपुर)
दिनांक २१/१०/२०१९
शीर्षक-श्रद्धा"

मेवा मिष्ठान नही,
श्रद्धा का पुष्प चढ़ाएं
दौड़े आये श्री कृष्ण
पल ना देर लगाये।

प्रभु है सिर्फ श्रद्धा के भुखे
रीति नीति की परवाह नहीं
भाजी खाते विदूर घर
जहाँ श्रद्धा अपार रही।

दुर्योधन का मिष्ठान ठूकराये
जहाँ दिखावा थी भारी,
बस श्रद्धा से दीप जलाये
मनोरथ पूरी होगी सारी।

बड़ों के प्रति श्रद्धा रखें अपार
उनके आशीर्वाद से जीवन में बहार
काम करें जो श्रद्धा से
सफलता मिले हाथ।

श्रद्धा के साथ विश्वास हो
पूर्ण हो हर आस
पूरे श्रद्धा से राम जपे
जीवन नैया हो पार।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
श्रद्धा

है श्रद्धा
ईश प्रति
सादर करूँ
पुष्प समर्पित
गाऊं
मंगल गीत मैं
जीवन
सफल हो जाए

श्रद्धा सुमन
माता पिता को
चरण छू
वंदन करूँ
मिले आशीष
जीवन में

श्रद्धा के हैं
रूप अनेक
देते सादर
श्रद्धान्जलि
मृतात्मा को
श्रद्धा पुष्प
चढाते उनको

श्रद्धा
में ही है
सच्ची भक्ति
करो सेवा
वृद्ध जन
गरीब
दिव्यांगों की

करो श्रद्धा से
नत मस्तक
उन सभी को
जो है पूज्य
हमेशा हमारे

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

दिनांक 21/10/2019
विषय:श्रद्धा

विधा :हाइकू

श्रद्धालु भक्त
वैष्णो माँ दरबार
पैदल यात्रा ।

श्रद्धा के फूल
मीठी वाणी से भोग
आस्था चुनरी ।

नर्क चौदस
लक्ष्मी की अराधना
श्रद्धा दीपक ।

श्रद्धा अर्पण
बुद्धिजीवी शिक्षक
बुद्ध पूर्णिमा ।

स्वर्ग का मार्ग
श्रद्धान्जली ज्ञापन
आत्मा अमर।

श्रद्धा पे प्रश्न
निरंतर प्रयास
क्यूँ असफल ।

गंगा मइया
श्रद्धालु महाकुम्भ
परम्पराएं ।

स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव

भावों के मोती
विषय--श्रद्धा

____________
पलकें बिछाए बैठी
कान्हा,राधा तेरे प्यार में
कहाँ छुपे तुम ओ गिरधारी
झलक दिखला इक बार में
तेरे प्रेम में सब कुछ भूली
चली अकेली मैं नार-नवेली
तुझसे मिलने की चाह लिए
मन में प्रीत के भाव लिए
यमुना किनारे बंशी-बजैया
मैं सुध-बुध अपनी खो बैठी
सांवरिया तेरी याद में खोई
मैं वृंदावन को निकल पड़ी
तुझसे मिलने आई मैं सांवरे
दर्श दिखा तरसा ना सांवरे
श्रद्धा भक्ति करूँ तुझे अर्पित
तुम बिन नहीं है कान्हा मेरा कोई मीत
दूर न तुझसे अब मैं रह पाऊँ
बंशी की धुन पर दौड़ी आऊँ
घर-बाहर रास्ते-चौबारे
ढूँढ रही हूँ यमुना किनारे
बंसीवट की छैंया
कहाँ छुपे हो जाकर
नटखट कृष्ण कन्हैया
बीती रही रैना चंदा छुपा जाए
श्याम तुम बिन अब रहा न जाए
_अनुराधा चौहान स्वरचित

नमन "भावों के मोती"🙏🏻
दिनांक-21/10/2019
वि
धा-हाइकु (5/7/5)
विषय :-"श्रद्धा"

(1)
विश्वास मूर्ति
एकलव्य चढ़ाये
श्रद्धा के फूल
(2)
डूबे निराशा
श्रद्धा के सागर में
तैरती आशा
(3)
भरोसे हिले
अंधी श्रद्धा झटका
आँखे भी खुले
(4)
प्रभु से प्रीत
हृदय से फूटते
श्रद्धा के गीत
(5)
भावों की भेंट
योग्यता को दिल से
पूजती श्रद्धा

स्वरचित
ऋतुराज दवे, राजसमंद(राज.)

विषय- श्रद्धा
21-9-2019


***********************
हरिगीतिका छंद पर आधारित,,,
2212 ,2212 ,2212, 2212
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
*****************************************
वरदान दें हमको प्रभो,,,,,,,,श्रद्धामयी विश्वास की !
हम जिंदगी ज्योतित करें,जलती किरन हो आस की !,
*
सत्कर्म सॅग जीवन जिएं,,,,,,उपकार करते हम चलें,
हम प्रेम की गंगा बहाएं ,,,,,,,,,हर्षमय उल्लास की !
*
प्रभु ,ज्ञान सँग सदज्ञान देना,,,मनुजता खंडित न हो,
पलती रहे सन्मति सदा,,,,,,मन मे यही अभ्यास की !
*
विश्वास मन मे हो अडिग,,सत-पंथ की हर राह में,
मन में भरें सुविचार सुन्दर,,,,जागरण-सुविकास की !
*
"वीणा " बजेगी प्रेम की,जब हृदय में घनश्याम हों,
हरिसाधना देती हमे,नव ज्योति- नवल प्रकाश की !
*****************************************
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित ( गाजियाबाद)
नमन् भावों के मोती
21/10/19
विषय:-श्रद्धा

विधा:-हाइकु

श्रद्धापूर्वक~
पितरों का तर्पण
पितृपक्ष में

अटूट श्रद्धा
ईश्वर में विश्वास~
जीवन धन्य

गुरु से ज्ञान
विद्यार्थी जीवन में~
श्रद्धा विश्वास

बिना श्रद्धा के
अधूरा रहे स्वप्न~
मनुष्य कर्म

मनीष श्रीवास्तव
स्वरचित
रायबरेली

 नमन भावों के मोती
विषय - श्रद्धा
21/10/19

सोमवार
दोहे

श्रद्धा से हम सब जपें, उस ईश्वर का नाम।
जिसकी पूजा के बिना , मिलता नहीं मुकाम।।

श्रद्धा, भक्ति, प्रेम और , सत्य, अहिंसा भाव।
सद्गुण से पावन बने , नर का उचित स्वभाव।।

सदा बड़ों के प्रति रखें, हम श्रद्धा का भाव ।
इससे रिश्तों की बढ़े, महिमा और लगाव।।

गुरु के प्रति श्रद्धा जहाँ, वहीं मिले सत् ज्ञान।
उनके आशीर्वाद से , हो जीवन उत्थान।।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर

भाव के मोती
विषय - श्रद्धा

1

श्रद्धा के नाम
अंधविश्वास झाँसा
दर्द की फांस

2

श्रद्धा सुमन
वीर पुलिस बल
शहीद हुए

3

श्रद्धा विश्वास
टूटती नहीं आस
ईश्वर पास

4

श्रद्धा के फूल
महके हरि द्वार
भक्ति फुहार

5

श्रद्धा के भाव
जूठे बेर भी खाए
जग पालक

(स्वरचित) सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
नमन भावों के मोती
दिनांक-21/10/2019
विषय -श्रद्धा
श्रद्धा है विश्वास की जननी
श्रद्धा भक्ति का सार ।
जिसकी ताकत के आगे निर्बल सब संसार।
श्रद्धा ने न जाने कितने करतब दिखलाए,
अंधा आखों से देखे लगड़ा पर्वत चढ़ जाए ।
मूक बने वाचाल ,रंक राजा पद पाए ,
श्रद्धा पावन जब मन में जागृत हो जाए ।
ऐसी कृपा हो प्रभु की उसपर
दुनिया काअद्भुद सुख उसको मिल जाए ।
स्वरचित
मोहिनी पांडेय

दिनांक-21/10/2019
विषय- श्रद्धा

भाव कुछ उमड़ते हैं
फिर विचार घुमडते हैं
इन भावों विचारों में
श्रद्धा प्रश्न कौंधते हैं !

नदियों को इतना मान दिया
माता कहकर सम्मान दिया
बहाकर इनमे कूडा कचरा
धर्म नाम बदनाम किया !

पर्व नवरात्रि उत्साह उमड़ता
बन व्रतधारी भजन करता
माता रूप में कंचक पूज
अस्मत लूट श्रद्धा दिखाता !

भगवान मात पिता को माने
चरणों में पावन धाम जाने
देख बुढ़ापे की भारी लाचारी
ख़ुद का क्यों उन्हें दुश्मन माने ?

बड़ पीपल में आस्था गहरी
नींव की पत्तियाँ गुणकारी
साँसों को जीवन भी मिलता
निर्ममता से क्यों चलती आरी ?

संतोष कुमारी ‘ संप्रीति ‘
स्वरचित

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